हर रचना है मेरे दिल की किताब का एक पन्ना .... धीरे धीरे सारी किताब पढ़ लेंगे...तब जान भी जायेंगे मुझे....कभी चाहेगे...कभी नकारेंगे... यही तो जिंदगी है...!!!
इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........
Monday, March 19, 2012
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नए पुराने मौसम
मौसम अपने संक्रमण काल में है|धीरे धीरे बादलों में पानी जमा हो रहा है पर बरसने को तैयार नहीं...शायद उनकी आसमान से यारी छूट नहीं रही ! मोह...
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मौसम अपने संक्रमण काल में है|धीरे धीरे बादलों में पानी जमा हो रहा है पर बरसने को तैयार नहीं...शायद उनकी आसमान से यारी छूट नहीं रही ! मोह...
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दुनिया में सबसे सुन्दर रिश्ता माँ और उसके बच्चे के बीच होता है......इस रिश्ते की वजह से जीवन में कई खट्टे मीठे अनुभव होते हैं.....सुनिए...
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इन दिनों, सांझ ढले,आसमान से परिंदों का जाना और तारों का आना अच्छा नहीं लगता गति से स्थिर हो जाना सा अच्छा नहीं लगता..... ~~~~~~~~~~~...
थकान होना लाज़मी है..
ReplyDeleteबेहद टचिंग...मानसिक थकान से ज्यादा...कोई थकान हो सकती है भला...
ReplyDeleteथकन ज्यादा थी...
ReplyDeleteमाँ को बहुत दूर
वृद्धाश्रम
जो छोड़ आया था....
we should respect our mother and father
we shuld not leave them alone .
FIR KAHAN NEEND AAYEGI.
मार्मिक प्रस्तुति ... थकान महसूस तो की ॥वर्ण आज कल लोग उन्मुक्तता महसूस करते हैं ,,,जैसे कोई बोझ उतार दिया हो ... संवेदनशील रचना
ReplyDeleteआत्मीय रिश्तों की जमीन छोड रहा है । यों इन्सान खुद को तनाव और अकेलेपन की ओर मोड रहा है ।
ReplyDeleteउफ!पढ़कर मन भावुक हो गया...जिनकी गोद थकान मिटाती है उसी गोद को कहीं और छोड़ आने पर थकान ही होनी थी|
ReplyDelete...तब तो सुकून से सो जाना चाहिए था,
ReplyDeleteक्योंकि आत्मा को तो पहले ही सुला चुके थे !
तीर्थ यात्रा न सही, सही यात्रा पीर ।
ReplyDeleteकाशी में क्या त्यागना, बूढ़ा व्यर्थ शरीर ।
बूढा व्यर्थ शरीर, काम न किसी काज का ।
बढे दवा का खर्च, शत्रू फल अनाज का ।
मैया मथुरा माय, मरे मेहरा मेहरारू ।
वृद्धाश्रम भेज, सनक सुत *साला दारू।।
*घर / शाळा
इस यात्रा की थकन उतरना मुश्किल है....
ReplyDeleteYou (Mom) are always considered to be the weaker sex, but I understand your strength,for you bore me in your womb for 9-months and did almost all the daily routines and your man (father) only watched and helped a bit, which was his best. You bled, so that I may live. Your strength is what makes me breathe today, and makes me part of the stronger sex.
the reason is clear.... the reason of his stress....
yes, mental stress.........
Deletenicely expressed meenakshi..
ओह!
ReplyDeleteथकन ज्यादा थी...
ReplyDeleteमाँ को बहुत दूर
वृद्धाश्रम
जो छोड़ आया था
बहुत खूब
MY RESENT POST...
फुहार....: रिश्वत लिए वगैर....
MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
बेहतरीन मर्मस्पर्शी सुन्दर रचना.....
ReplyDeleteशुक्रिया रविकर जी.
ReplyDeleteपता नहीं कैसी लोग होते हैं जो माँ - बाप को बोझा समझ कर वृद्धाश्रम की राह दिखा देते हैं।
ReplyDeleteकविता बहुत इस मानसिकता पर तीखा कटाक्ष करते हुए एक अच्छा संदेश देने मे सफल है।
सादर
जग से चाहे भाग ले .... मन तो करवटें बदलता ही है
ReplyDeleteगहरे उतरते शब्द ...
ReplyDeleteबड़ी तीस उठी, तिलमिला गया हूँ. माता को वृद्धाश्रम छोड़ आने की बात पर.
ReplyDeleteगहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
भाग-दौड़ के बीच कुछ टुट-फुट न हो ये उम्मीद रखनी ही होगी...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है...
अंतिम पंक्तियाँ पढते ही अंदर कहीं कुछ दरकता सा...दिल बैठता सा लगा.... ये थकान हर ऐसे बेटे को महसूस होनी चाहिए....
ReplyDeleteओह... ये थकान कभी न मिटने वाली थकान है, चैन न लेने देगी उम्र भर... कटाक्ष है वर्तमान पीढ़ी के लिए...
ReplyDeleteसच है..जग से भाग ले कोई,मन से भाग न पाये..थकान तो जरूरी था..मर्मस्पर्शी सुन्दर रचना.....
ReplyDeleteआपके पोस्ट की चर्चा यहाँ पर है...!
ReplyDeletehttp://tetalaa.nukkadh.com/2012/03/blog-post_20.html
शुक्रिया संतोष जी.
ReplyDeleteभाग-दौड़ के बीच बहुत सुन्दर लिखा है......बेहतरीन प्रस्तुति...बेहतरीन कविता
ReplyDeleteथकान तो अवश्य होगी- तन, मन और अहसासों को. बहुत मार्मिक प्रस्तुति...
ReplyDeleteमैं इसे फेस बुक पर शेयर कर रहा हूँ, आशा है आपको आपत्ति नहीं होगी..
ReplyDeletemy pleasure sir.
Deleteमार्मिक और दिल पर सीधी चोट करती कविता। ऐसी यात्रा के बाद तो अंतिम यात्रा की तैयारी कर लेनी चाहिए।
ReplyDeleteऐसे लोगों को रातभर क्या जीवन भर नींद न आएगी।
ReplyDeletebahut hi gahari anubhuti ko apne bade hi sahaj dhang se prastut kr diya ....rachana dil ko chhoo gayee..bahut bahut abhar ke sath hi badhi bhi sweekaren.
ReplyDeleteak anurodh..... blog pr apni tashvir lagaiye ...jis se parichay ka sankat na rahe.
ReplyDeleteaise bacho ko goli maar deni chahiye..
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeletei'm really sorry sushila ji....
Deleteby mistake your comment has been removed..
:-(
thanks anyways.
marmik prasang pr katu satya.
ReplyDeleteमन हो जब बेचैन तो कैसे नींद आये....!!
ReplyDeleteHeart touching !!
ReplyDeleteमार्मिक...
ReplyDeleteपढ़कर थकान सी महसूस हो रही है... या शायद दिल बैठा जा रहा है...
ReplyDeleteएक कलियुगी सत्य को शिद्दत से रेखांकित कर दिया आपने....
सादर।
बहुत ही मार्मिक. आज के कलियुग का एक कड़वा सच.
ReplyDeleteबिस्तर भले ही नरम और कमरा गर्म हो ,
ReplyDeleteलेकिन वो गोद अब नहीं है :(
बुरा मत मानियेगा , लेकिन बहुत देर बाद आपने प्यार में छोड़कर जाने के गम के सिवा कोई बात की , बहुत अच्छा लगा , ताजा सा |(क्षमा चाहता हूँ , लेकिन मुझे ऐसा ही लगा) :)
सादर
-आकाश