तुमने जो रोपा था पौधा उसमें नन्ही नन्ही कोंपलें फूट रही है....
कहीं कोई संकेत तो नहीं है ये सृष्टिकर्ता का.......जब से तुम गए हो अलविदा कह कर ,तब से तुम्हारे इस पौधे की सब पत्तियां पीली पड़ गयीं......शायद मुझसे मुकाबला करने लगीं थीं.......जैसे मेरा चेहरा लोगों को मुरझाया ज़र्द सा लगता था..........बड़ा गुस्सा आता था मुझे.....और मैं या तो आइना देखती नहीं थी या फिर गहरा सा मेकअप पोत लिया करती.........खुद के लिए नहीं तो कम से कम दुनिया को दिखाने के लिए खुश रहा करती........याने कोशिश तो किया ही करती.......
फिर उस पौधे की पत्तियां झड गयीं एक एक करके..........जैसे जब-तब मेरी आँखें झरा करतीं थीं..........
कितनी कोशिश की मैंने उस पौधे को हरा रखने की ..........मगर कोई फायदा नहीं हुआ......वैसे ही मैं हमारे रिश्ते को ना बचा पायी...........
कुम्हलाया सा वो पौधा...और वैसी ही मैं.........बस जिंदा थे दोनों.........जाने क्यूँ मरे नहीं......
अब जाने कहाँ से ये कोंपलें फूटी हैं..............तुम आओ ना आओ ,मुझे तो आदत है इस पौधे की तरह हो जाने की.....सो जान लो तुम भी, कि आजकल हम भी लहलहाते से फिरते हैं.........बिना वजह खुश..........
देखती हूँ जब इसमें कली खिलेगी तब तुम आते हो या नहीं............एक उम्मीद पल रही है दिल में क्यूंकि अकसर कहते सुना है लोगों को कि-
जड़ें मजबूत हों और प्रेम से सींचा जाये.... तो कभी मरता नहीं.......
चाहे पौधा हो या रिश्ता......
जड़ें मजबूत हों और प्रेम से सींचा जाये तो कभी मरता नहीं,चाहे पौधा
ReplyDeleteहो या रिश्ता......
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति....
होली की बहुत२ बधाई शुभकामनाए...
RECENT POST...काव्यान्जलि ...रंग रंगीली होली आई,
प्रेम बिना सब सून
ReplyDeleteजड़ें मजबूत हों और प्रेम से सींचा जाये.... तो कभी मरता नहीं.......
ReplyDeleteचाहे पौधा हो या रिश्ता......
उत्तम विचार।
देखती हूँ जब इसमें कली खिलेगी तब तुम आते हो या नहीं............एक उम्मीद पल रही है दिल में ..
ReplyDeleteumeed par duniya jeeti hai...
Nice thoughts and beautiful expression ..
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteहोली की बहुत२ बधाई शुभकामनाए...
सच कहा है ........तो रिश्ता मरता नही !
ReplyDeleteहोली का पर्व मुबारक हो !
शुभकामनाएँ!
अभी-अभी तो आया है
ReplyDeleteमेरे जीवन में मृदुल बसंत,
अभी न होगा मेरा अंत
--निराला
होली में आपकी मनोकामना पूर्ण हो !
बिना वजह कोई संत ही खुश रह पाता है। जिसने उसकी संगति छोड़ दी,अभागा था।
ReplyDeletenice expression from expression ,keep on expressing ,the way u have expressed in this poem
ReplyDeleteभावों को खूबसूरत शब्द दिये हैं .... सुंदर विचार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है.....
ReplyDeleteबिना प्यार सब फीका है ....
जड़ें मजबूत हों और प्रेम से सींचा जाये.... तो कभी मरता नहीं.......
ReplyDeleteचाहे पौधा हो या रिश्ता...... !!
sahi kaha......
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 03 -05-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....कल्पशून्य से अर्थवान हों शब्द हमारे .
"जड़ें मजबूत हों और प्रेम से सींचा जाये.... तो कभी मरता नहीं.......
ReplyDeleteचाहे पौधा हो या रिश्ता...... "
सहमत हूँ इस बात से।
सादर
एक अलग ही खुशबु लिए होती है आपकी बातें... हुई...
ReplyDeleteजड़ें मजबूत हों और प्रेम से सींचा जाये तो कभी मरता नहीं,चाहे पौधा
ReplyDeleteहो या रिश्ता......
रिश्तों की जड़ों को सींचती रचना
प्रेम-प्रीत को बिरवा चले लगाय ,
ReplyDeleteसींचन की सुधि लीजो ,मुरझि न जाय .
- जो बिरवे को सींच न सके नेह जल से ,उस का लगाना बिलकुल महत्वहीन है .
रिश्तों की जडों को मजबूती दैती रचना । बहत सुंदर ।
ReplyDeleteजड़ें मजबूत हों और प्रेम से सींचा जाये.... तो कभी मरता नहीं.......
ReplyDeleteचाहे पौधा हो या रिश्ता...... ".
बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में.
बिना वजह खुश.....
ReplyDeleteपूरी पोस्ट के सबसे खूबसूरत शब्द |
सादर
-आकाश
जड़ें मजबूत हों और प्रेम से सींचा जाये.... तो कभी मरता नहीं.......
ReplyDeleteचाहे पौधा हो या रिश्ता..... bahut gehri baat kahi hai anu di