इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Friday, March 2, 2012

आत्मकथा....सत्यकथा नहीं....

कई प्रसिद्द आत्मकथाए पढ़ने के बाद ख़याल आया कि क्यूँ ना मैं भी आत्म कथा लिखूं.......क्या पता भाग्य में इसी तरह प्रसिद्ध होना लिखा हो.......... कोशिश करने में क्या हर्ज है.........मगर जब लिखने बैठी तो एहसास हुआ कि आसान नहीं है आत्मकथा लिखना क्योंकि आसान नहीं है सच कहना.......क्यूंकि सच की अकसर बड़ी कीमत चुकानी पडती है.......और कहीं ऐसा न हो कि मुझे महंगा पड़ जाये ये प्रसिद्धी का चस्का.........
सो ये विचार तो ताक पर रख दिया...और मन बनाया कहानी लिखने का......जो दरअसल मेरी ही कहानी थी मगर चूँकि कहानी थी इसलिए सत्यता की कोई गारंटी भी नहीं थी.......ना मेरी कोई नैतिक ज़िम्मेदारी ही बनती थी.....सो तय ये हुआ कि कहानी में जो हिस्सा हसीन  होगा उसे सत्य मान  लिया जाये.....और जो ऐसे-वैसे/अनैतिक/अभद्र/स्तरहीन  से लगें, वे तो फिर कहानी का हिस्सा हैं ही...
अब कोई पाठक इसको पढ़े ही क्यूँ??? तो सोचिये कि आप कोई कथा पढ़ रहे हैं......जिसमे हर समय ये रहस्य बना रहे  कि ये सच है या नहीं????और सभी मसाले तो होंगे ही..... कहिये पढेंगे ना????
बस अब समेटती हूँ अपनी डायरी के पन्ने और गढती हूँ एक कहानी.....कुछ खट्टी ,कुछ मीठी...कुछ सच्ची कुछ झूटी...
बस पढते जाइए  आप!!!!!!
तुमसे  मिली.......जुदा हुई.........भीड़ में भी मैं तनहा हुई...अब तुम्हारा ज़िक्र करूंगी अपनी कहानियों में.....बेनक़ाब कर दूँगी तुमको ज़माने में.....
-अनु 




25 comments:

  1. तुमसे मिली.......जुदा हुई.........भीड़ में भी मैं तनहा हुई...अब तुम्हारा ज़िक्र करूंगी अपनी कहानियों में.....बेनक़ाब कर दूँगी तुमको ज़माने में.....
    waah kya baat hai ,
    aap bhi likhiye apni atm katha, kahani to hi gyi............hume intejar rahega

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  2. वाह... हौसला बना रहे

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  3. जब आग जलेगी... तो धुआँ उठेगा ही...?
    शुभकामनाएँ!

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  4. बहुत बढ़िया


    सादर

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  5. बहुत बेहतरीन....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  6. वाह
    बहुत ही बढ़िया बात कही है आपने..
    सुन्दर प्रस्तुति..
    :-)

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  7. होली है होलो हुलस, हाजिर हफ्ता-हाट ।

    चर्चित चर्चा-मंच पर, रविकर जोहे बाट ।


    रविवारीय चर्चा-मंच

    charchamanch.blogspot.com

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    1. शुक्रिया रविकर जी...
      आपका बहुत आभार....

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  8. अच्छा है,
    जरूर कहानी लिखिए।

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  9. मगर जब लिखने बैठी तो एहसास हुआ कि आसान नहीं है आत्मकथा लिखना क्योंकि आसान नहीं है सच कहना......सच जो काम जितना सरल दिखता है वह करने पर पता चलता है की वह कितना सरल है..
    ...बढ़िया प्रस्तुति

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  10. कथा लिखने के भूमिका अच्छी लगी।

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  11. सभी पाठकों/रचनाकारों का शुक्रिया...कि मेरा पागलपन भी आपने सराहा...
    ह्रदय से आभार...

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  12. बहुत अच्छी भूमिका....कहानी भी जीवन से कहाँ अलग हो पाती है...इंतज़ार है इस कहानी का

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  13. तुमसे मिली.......जुदा हुई.........भीड़ में भी मैं तनहा हुई...अब तुम्हारा ज़िक्र करूंगी अपनी कहानियों में.....बेनक़ाब कर दूँगी तुमको ज़माने में.....

    आत्म कथा लिखने से अच्छा है दुसरे को ही बेनकाब करना..

    पहली बार आप के ब्लॉग में आया हूँ पढ़ कर बहुत सुख की अनुभूति हुई..

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  14. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    आपका बहुत-बहुत आभार!
    होलीकोत्सव की शुभकामनाएँ।

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  15. सच है अपने सत्य को कभी कभी खुद झेलना भी मुश्किल हो जाता है ... तो आत्मकथा लिखना आसान नहीं है ...

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  16. वाह ...अनुपम भाव लिए बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  17. हौसला कम न हो ... आत्मकथा लिखना सच ही सहज नहीं .... आज कल मैत्रेयी पुष्पा की आत्मकथा पढ़ रही हूँ .... मनु भण्डारी की कुछ दिन पूर्व पढ़ी थी ... नारियों की एक सी स्थिति क्यों होती है ये सोचती रह जाती हूँ ...

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    1. सही कहा आपने.... महिलाएं कितनी ही उचाइयां छू ले..... पर उनकी मनःस्तिथि एकसमान ही होती है......
      यह द्रश्य बदल तो रहा है..... पर उसके लिए लोगों की सोच बदलना बहुत जरुरी है.....
      इस पुरुष प्रधान समाज में नारी की एक पहचान और सम्मान बहुत जरुरी है.....

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  18. लिख डालिए कथा सत्य हो या कहानी , अभिव्यक्ति तो आपकी चेरी सदृश प्रतीत होती है

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  19. क्या कहने अनु जी ....
    बहुत बढ़िया ...

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  20. शायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चाआज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
    सूचनार्थ

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  21. बेनकाब कर दूँगी , तुमको जमाने में |

    गजब दुश्मनी है भाई |
    :)

    सादर
    -आकाश

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