अभी-अभी
छू कर गयी जो मुझे
बसन्ती बयार थी
या तुम थे ???
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कतरा कतरा थी जिंदगी
पाया तुम्हें तो
हो गयी नदी,
मीठे पानी की..........
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तुमसे जुड़ी हर बात
मधुर है
तुम्हारा स्पर्श,खुशबू,आवाज़ सब.......
तुमने रुलाया तो
आँख से निकला पानी भी
मीठा था............
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अनु
अनु
यही वफ़ा का सिला है ...तो कोई बात नहीं ....
ReplyDeleteतुम्हीं ने दर्द दिया है ...तो कोई बात नहीं ...
कोमल एहसास ...
तुमने रुलाया तो
ReplyDeleteआँख से निकला पानी भी
मीठा था............waah ....
बहुत सुंदर भाव!
ReplyDeleteअभी-अभी
ReplyDeleteछू कर गयी जो मुझे
बसन्ती बयार थी
या तुम थे ???
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,...
MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...
@कतरा कतरा थी जिंदगी
ReplyDeleteपाया तुम्हें तो
हो गयी नदी
मीठे पानी की
भावों की सुंदर अभिव्यक्ति।
सभी क्षणिकाएं बहूत सुंदर है
ReplyDeleteगहन भावाभिव्यक्ती ....
हृदयस्पर्शी क्षणिकाएं ....
ये प्यार और विश्वास का अहसास है ....
ReplyDeleteआँख से निकला पानी भी
मीठा था............
शुभकामनाएँ!
तुम में मेरा वजूद
ReplyDeleteकुछ इस तरह
समाया था
तेरे दिये
दर्द में भी
जैसे
हरसिंगार झर
आया था .....
सुंदर प्रेमाभिव्यक्ति
वाह!!!संगीता जी...
Deleteआपके संतोषपने पर ईर्ष्या होती है !
ReplyDeleteवाह !!
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिकाएं....
ReplyDeleteसादर बढ़ाई.
तुमने रुलाया तो
Deleteआँख से निकला पानी भी
मीठा था....
वाह! फिर पढ़ा... नया ही एहसास है...
सुन्दर क्षणिकाएं...
सादर बधाई...
awasom !!!
ReplyDeleteबेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना, शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक।
ReplyDeleteसादर
कल 12/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
शुक्रिया यशवंत.......
Delete:-)
पुरूष के भीतर भी यदि प्रेम की लौ जलती रह सके,तो दुनिया रहने लायक बने!
ReplyDeleteगाफिल जी हैं व्यस्त, चलो चलें चर्चा करें,
ReplyDeleteशुरू रात की गश्त, हस्त लगें शम-दस्यु कुछ ।
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
सोमवारीय चर्चा-मंच पर है |
charchamanch.blogspot.com
आपका बहुत आभार रविकर जी...
Deleteशुक्रिया
अहसासों की मिठास बनी रहे . सुँदर भावमयी पंक्तियाँ.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं!
ReplyDeleteसादर
छोटी छोटी परन्तु खूबसूरत और अर्थपूर्ण......
ReplyDeleteशुक्रिया....
मेरे ब्लॉग पर पधारने के लिए....
मेरा पता.....
punamsinha0@gmail.com
बहुत सुन्दर क्षणिकाएं |यह बहुत अच्छी लगी
ReplyDelete"कतरा कतरा थी जिंदगी
पाया तुम्हें तो
हो गयी नदी
मीठे पानी की "
आशा
तुमने रुलाया तो आँख से निकला पानी भी मीठा था....
ReplyDeleteप्रेम की खूबसूरत भाभिव्यक्ति !
कतरा कतरा थी जिंदगी
ReplyDeleteपाया तुम्हें तो
हो गयी नदी,
मीठे पानी की..........
सुन्दर अभिव्यक्ति नेह की नही के स्पर्श की कुछ कुछ ऐसी -
आंसू सूखा कहकहा हुआ ,पानी सूखा तो हवा हुआ .
खूबसूरत क्षणिकाएं.. प्रेम सच में इतना ही मीठा एहसास है..
ReplyDeleteअभी-अभी
ReplyDeleteछू कर गयी जो मुझे
बसन्ती बयार थी
या तुम थे ???
...वह जीवनदायी स्पर्श!वाह बहुत सुन्दर !!!
sach hai pyar ek saugaat hai aur usme doob jana prem ki parinati...
ReplyDeleteतुमने रुलाया तो
आँख से निकला पानी भी
मीठा था............
sabhi kshanikaayen bahut komal, shubhkaamnaayen.
tumne rulaya to aankho se nikla paani bhee meetha tha..kya baat hai..sundar prastuti..sadar badhayee aaur amantran ke sath
ReplyDeleteतुमसे जुड़ी हर बात
ReplyDeleteमधुर है
तुम्हारा स्पर्श,खुशबू,आवाज़ सब.......
तुमने रुलाया तो
आँख से निकला पानी भी
मीठा था............
कमाल का अंदाज़े बयाँ। अदृभुत रच रही हैं आप तो!
तुमसे जुड़ी हर बात
ReplyDeleteमधुर है
तुम्हारा स्पर्श,खुशबू,आवाज़ सब.......
तुमने रुलाया तो
आँख से निकला पानी भी
मीठा था............
कमाल का अंदाज़े बयाँ। अदृभुत रच रही हैं आप तो!
छोटी...मगर दिल से निकलीं रचनायें...
ReplyDeleteबहुत मीठे - मीठे से जज़्बात ........
ReplyDeleteकतरा कतरा थी जिंदगी
ReplyDeleteपाया तुम्हें तो
हो गयी नदी,
मीठे पानी की........
kisi ko pane ka value dikh raha hai..
:)
behtareen!!
आपकी ही कुछ पंक्तियाँ -
ReplyDeleteतुम से शुरू और तुम पे ही आकर रुकी है मेरी हर नज़्म......तुमसे जुदा कोई बात नज़्म सी लगती नहीं ,
क्या करूँ !!
:)
बहुत सुंदर
सादर
-आकाश