पता नहीं डायरी के ज़्यादातर पन्ने उदास क्यूँ होते हैं???? या शायद हम उदासी में ही अपनी भावनाएं कागज़ पर उतारते हैं....क्योंकि खुशियाँ बांटने वाले तो कई मिल जाते हैं........
सो पढ़िए- मेरा और एक उदास दिन.
एक टुकड़ा इधर उधर हुआ तो तस्वीर अधूरी और अस्पष्ट मालूम होती है...हर हिस्से की अपनी जगह भी है अपना महत्व भी........जिंदगी कोई हेर-फेर स्वीकार नहीं करती....
जैसे आसमां में चमकते सप्त-ऋषि से एक तारा हट जाये तो क्या उनकी पहचान बचती है???? या इन्द्रधनुष कभी छह रंगों से बन सकता है????
वैसे ही मेरी तस्वीर अधूरी है तुम्हारे चले जाने से ....
तुम्हारे बिन, परेशां मैं....परेशां हर लम्हा........रात आँखों में कटती है....... सो भी जाऊं तो मेरी रूह जागती रहती है.........शायद खोजती होगी तुम्हें.........
तुम्हारी तस्वीर भी तो होगी कुछ अटपटी ???? या कोई बिलकुल मुझ सा टुकड़ा तुमने फिट कर लिया है अपने puzzle को पूरा करने के लिए ?????? नहीं नहीं......मुझ सा कहाँ पाओगे तुम......ध्यान से देखना, कहीं कोई बारीक सी दरार होगी ज़रूर...........रंग भी कही फीका होगा.............
जैसे तुम्हारे बिना मैं अधूरी हूँ तो कैसे मान लूँ कि तुम पूर्ण होगे मेरे बिना!!!!!!!
यूँ ही तो नहीं JIGSAW PUZZLE कहा मैंने जिंदगी को...............
-अनु
गहन ...सुंदर प्रस्तुति ...!
ReplyDeleteकोई बिलकुल मुझ सा टुकड़ा तुमने फिट कर लिया है अपने puzzel को पूरा करने के लिए ?????? नहीं नहीं......मुझ सा कहाँ पाओगे तुम......ध्यान से देखना, कहीं कोई बारीक सी दरार होगी ज़रूर...........रंग भी कही फीका होगा.............!!!
ReplyDeleteजिंदगी में कोई किसी की खाली जगह को नहीं भर सकता ....!
हाँ ! किसी के आ जाने से थोड़ी देर को उस जगह के भरे होने का एहसास जरूर होता है...
लेकिन रिक्तता पूर्ववत बनी रहती है....!!
bahut khoob..
ReplyDeleteसच मे जिंदगी एक JIG SAW PUZZEL ही है। अलग अलग रंग हैं और हर रंग को देखने का हमारा अलग नज़रिया होता है फिर भी कुछ ऐसा होता है जिसके बगैर अधूरापन तो लगता ही है।
ReplyDeleteएक अलग ही तरह की पोस्ट!
सादर
बहुतकोमल .....भावनाओं से भर पूर
ReplyDeleteयूँ ही तो नहीं JIGSAW PUZZLE कहा मैंने जिंदगी को.......
ReplyDeleteसच ...बहुत बढिया ...
अकेले पूर्णता कैसी !
ReplyDeleteहेर-फेर स्वीकार न करने के कारण ही ज़िंदगी बेरंग है। जीवन स्वीकार भरा हो,तभी उसे पूर्णता में जीना संभव।
ReplyDeleteपहेली ही है ये ज़िन्दगी!
ReplyDeleteअगर तलाश करो ,कोई मिल ही जाएगा ,
ReplyDeleteमगर वो आँखें (वो रूह )हमारी ,कहाँ से लाएगा .
बहुर बढ़िया ज़िन्दगी का साज़ है दर्द का ज़िन्दगी का .
या कोई बिलकुल मुझ सा टुकड़ा तुमने फिट कर लिया है अपने puzzle को पूरा करने के लिए ?????? नहीं नहीं......मुझ सा कहाँ पाओगे तुम......ध्यान से देखना, कहीं कोई बारीक सी दरार होगी ज़रूर...........रंग भी कही फीका होगा.............
ReplyDelete..... गहन और साश्वत सत्य...बहुत भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...
वाह भई वाह ||
ReplyDeleteजैसे तुम्हारे बिना मैं अधूरी हूँ तो कैसे मान लूँ कि तुम पूर्ण होगे मेरे बिना!!!!!!!
ReplyDeleteयूँ ही तो नहीं JIGSAW PUZZLE कहा मैंने जिंदगी को......
भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति......
MY RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
आपके पोस्ट पर आना सार्थक हुआ । प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteउदास दिल की भावनाएं हमेशा गहरी और सच्ची होती हैं ..?
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
सब अपने-अपने खांचे में ही फिट होते हैं...वर्ना जिंदगी के कैनवास का चित्र कैसे पूरा होता...जब तक पज़ल कम्लीट ना हो जाये सस्पेंस बना रहता है...
ReplyDeleteजैसे तुम्हारे बिना मैं अधूरी हूँ तो कैसे मान लूँ कि तुम पूर्ण होगे मेरे बिना
ReplyDeleteयूँ ही तो नहीं JIGSAW PUZZLE कहा मैंने जिंदगी को......
सच है...शुभकामनाएं...
गहन भाव लिए हुये .... ये उदासी के पन्ने बहुत कुछ कहते हैं ।
ReplyDeleteभावनाओ की कुशल चितेरी हो आप . सहजता से उकेरी है जिंदगी .
ReplyDeleteउदासी का अर्थ है किसी विचार का बार-बार आना. यही डायरी लिखने का कारण बनता है. लिख देने से उस विचार की पुष्टि हो जाती है और मन हल्का हो जाता है. अच्छी रचना.
ReplyDeleteतुम्हारी तस्वीर भी तो होगी कुछ अटपटी ???? या कोई बिलकुल मुझ सा टुकड़ा तुमने फिट कर लिया है अपने puzzle को पूरा करने के लिए
ReplyDeleteLoved this line :)
Very emotional. Ek galti aur hamari sundar tasweer adhuri ho jaati hai, nahi? Bahut sundar prastuti, dil ko tatolne wali rachna :)
ReplyDelete..as beautiful as always, Anu:)
ReplyDeleteलिखा बहुत खूबसूरत है लेकिन एक बात से मैं फिर असहमत हूँ कि खुशी बांटने वाले बहुत मिल जायेंगे |
ReplyDeleteऐसा नहीं लगता मुझे |
सादर
-आकाश
वाह ...गहन सोच लिए हुए बहुत खूब
ReplyDeleteअकेले अकेले कोई पूर्ण कैसे हो सकता है..? बस आँखो का भ्रम होसकता है,वरना कोई किसी का स्थान भर नही सकता..भावपूर्ण पोस्ट...अनु..
ReplyDeleteजैसे तुम्हारे बिना मैं अधूरी हूँ तो कैसे मान लूँ कि तुम पूर्ण होगे मेरे बिना!!!!!!!
ReplyDeleteएक बहुत बड़ी ताक़त ...एक बहुत बड़ा सहारा होता है यह एहसास .....और जब यह सच हो ...तो क्या कहने ......और क्या चाहिए ज़माने में इसके बाद ...:)
जिंदगी ..कैसी है पहेली हाय ...
ReplyDeleteयही तो कोलाज है ज़िन्दगी का |
ReplyDeletesahi ka di apne....aisi hi hai zindagi..
ReplyDeletebehtreen panktiyaan zindagi ke sach ko batatai ..
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