इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Tuesday, March 27, 2012

बेबसी

ना जाने कितनी
अनगिनत
स्याह रातों की
कालिमा पर
आस के नन्हें-नन्हें 
सितारों को
सिया उसने.....


सूनी सपाट
जिंदगी  के
भयावाह सन्नाटों को
जिया उसने....


सिर्फ एक
छोटी सी
प्यास की खातिर
सर्द रातों में
घने अन्धकार का
कसैला जहर
पिया उसने....


वो प्यास थी,
वो आस थी......
कि टूटेगा
आसमां से कभी
एक तारा..
दिखेगा उसे 
वो अदभुद नज़ारा  ...
तब  वो 
चट से मांग लेगी
बरसों पुरानी मुराद...


होगी फिर
एक नयी सुबह
उस रात के बाद ............................


-अनु 



35 comments:

  1. हर रात के बाद सुबह तो आती ही है.. और इसी आस पर पूरी जिंदगी काट ली जाती है..

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  2. वाह ... टूटे तारे से मन्नत मांगने की चाह ... पूरी जो होती है ... बहुत खूब ...

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  3. वाह!
    वो सुबह कभी तो आएगी...
    positive thought...very impressive.

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  4. ना जाने कितनी
    अनगिनत
    स्याह रातों की
    कालिमा पर
    आस के नन्हें-नन्हें
    सितारों को
    सिया उसने.....

    वाह ...बहुत बढि़या।

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  5. इन्तेजार ! अगली सुबह के आने तक ......
    सुंदर अभिव्यक्ति, सुंदर प्रस्तुति.....
    आभार.

    ReplyDelete
  6. इन्तेजार ! अगली सुबह के आने तक ......
    सुंदर अभिव्यक्ति, सुंदर प्रस्तुति.....
    आभार.

    ReplyDelete
  7. आस बंधी रहती है तो तारे टूटते ही हैं..सुन्दर लिखा है .

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  8. सुन्दर .. प्रेरक रचना.

    आभार.

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  9. यही आस तो सब दुःख सहने की शक्ति देती है...बहुत सुंदर

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  10. behatrin sundar bhav bdhai MY RESENT POST par aapka svagat hae.

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  11. टूटेगा आसमां से एक तारा, और हर मुराद पूरी होगी... कोमल अहसास...

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  12. एक तारा..
    दिखेगा उसे
    वो अदभुद नज़ारा ...
    तब वो
    चट से मांग लेगी
    बरसों पुरानी मुराद...

    और बरसों पुरानी उस मुराद को पूरा तो होना ही होगा।


    सादर

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  13. कौन रोक पाया है सुबह को

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  14. aashavaadita ko darshati hui rachna bahut khoob sahi hai har andhere ke baad ujala aata hai.

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  15. होगी फिर
    एक नयी सुबह
    उस रात के बाद ..jajur rat ke subah ko aana hi hoga.

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  16. होगी फिर
    एक नयी सुबह......!

    आमीन.....!!

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  17. वो प्यास थी,
    वो आस थी......
    कि टूटेगा
    आसमां से कभी
    एक तारा..
    दिखेगा उसे
    वो अदभुद नज़ारा ...
    तब वो
    चट से मांग लेगी
    बरसों पुरानी मुराद...

    ये आस और प्यास ही जिंदा रखती है...
    सुन्दर रचना

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  18. वो प्यास थी,
    वो आस थी......
    कि टूटेगा
    आसमां से कभी
    एक तारा..
    दिखेगा उसे
    वो अदभुद नज़ारा ...
    तब वो
    चट से मांग लेगी
    बरसों पुरानी मुराद...

    बहुत खूब लिखा है..

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  19. अनु जी
    मेरे यहाँ आने और अपनी उत्साह वर्धक टिपण्णी देने के लिए शुक्रिया!
    मैं भी आपके यहाँ पहली बार आया हूँ और लगता है कि अब आना जाना लगा रहेगा क्योंकि मैं आपका फोलोवर बन गया हूँ! आपकी रचना पढी तो ऐसा लगा जैसे विशुद्ध हिंदी पढने के लिए कई दिनों बाद किसी ने सही उपयोग किया है और वाकई में भाव तो अति उत्तम हैं आपकी रचना में!
    वैसे मैं अपनी व्यस्तता के चलते कम ही लिख पाता हूँ और सच तो ये है कि लिखने के लिए एकांत और गहरी सोच कि ज़रूरत होती है और इन सब के लिए वक़्त की, सो गाहे-बगाहे जब भी वक़्त मिलता है, अपने भावों कि कागज़ पे उतार लेता हूँ!
    मिलता रहूंगा.......नमस्कार!!

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  20. सिर्फ एक
    छोटी सी
    प्यास की खातिर
    सर्द रातों में
    घने अन्धकार का
    कसैला जहर
    पिया उसने....

    अतिगहन संदेश!!

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  21. दिनोदिन निखार है,कबिताई में बहार है !

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  22. स्याह रात का पर्दा रोज़ छंटता है और हर सुबह नई ही होती है। बस,आदमी है कि प्रकृति से कोई संकेत नहीं लेता और भूत मे जीने का अभ्यस्त बने रहना चाहता है। जीवन केवल वर्तमान में है। अभी,इसी क्षण।

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  23. इंशाल्लाह फिर होगी नई सुबह

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  24. वो प्यास थी,
    वो आस थी......
    कि टूटेगा
    आसमां से कभी
    एक तारा..
    दिखेगा उसे
    वो अदभुद नज़ारा ...
    तब वो
    चट से मांग लेगी
    बरसों पुरानी मुराद...

    ..waah bahut khoob sunder anu ji , sach dil ko chuti hui rachna . hardik badhai

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  25. आस पे भरोसा टिका होता है ....
    शुभकामनाएँ!

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  26. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 29-03 -2012 को यहाँ भी है

    .... नयी पुरानी हलचल में ........सब नया नया है

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  27. सकारात्मक सोच लिए अच्छी रचना

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  28. इतनी लम्बी और श्रध्दा -सहित साधना है तो सुबह होगी ही स्वर्णिम...

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  29. सवेरा कब रुका है...
    सुंदर रचना...
    सादर।

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  30. तब वो
    चट से मांग लेगी
    बरसों पुरानी मुराद..||
    .
    दुआ में हाथों को नहीं उठाता हूँ कभी ,
    कहीं गलती से भी तू कोई एहसान न कर दे |

    सादर
    -आकाश

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