ना जाने कितनी
अनगिनत
स्याह रातों की
कालिमा पर
आस के नन्हें-नन्हें
सितारों को
सिया उसने.....
सूनी सपाट
जिंदगी के
भयावाह सन्नाटों को
जिया उसने....
सिर्फ एक
छोटी सी
प्यास की खातिर
सर्द रातों में
घने अन्धकार का
कसैला जहर
पिया उसने....
वो प्यास थी,
वो आस थी......
कि टूटेगा
आसमां से कभी
एक तारा..
दिखेगा उसे
वो अदभुद नज़ारा ...
तब वो
चट से मांग लेगी
बरसों पुरानी मुराद...
होगी फिर
एक नयी सुबह
उस रात के बाद ............................
-अनु
स्याह रातों की
कालिमा पर
आस के नन्हें-नन्हें
सितारों को
सिया उसने.....
सूनी सपाट
जिंदगी के
भयावाह सन्नाटों को
जिया उसने....
सिर्फ एक
छोटी सी
प्यास की खातिर
सर्द रातों में
घने अन्धकार का
कसैला जहर
पिया उसने....
वो प्यास थी,
वो आस थी......
कि टूटेगा
आसमां से कभी
एक तारा..
दिखेगा उसे
वो अदभुद नज़ारा ...
तब वो
चट से मांग लेगी
बरसों पुरानी मुराद...
होगी फिर
एक नयी सुबह
उस रात के बाद ............................
-अनु
हर रात के बाद सुबह तो आती ही है.. और इसी आस पर पूरी जिंदगी काट ली जाती है..
ReplyDeleteवाह ... टूटे तारे से मन्नत मांगने की चाह ... पूरी जो होती है ... बहुत खूब ...
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteवो सुबह कभी तो आएगी...
positive thought...very impressive.
ना जाने कितनी
ReplyDeleteअनगिनत
स्याह रातों की
कालिमा पर
आस के नन्हें-नन्हें
सितारों को
सिया उसने.....
वाह ...बहुत बढि़या।
इन्तेजार ! अगली सुबह के आने तक ......
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति, सुंदर प्रस्तुति.....
आभार.
इन्तेजार ! अगली सुबह के आने तक ......
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति, सुंदर प्रस्तुति.....
आभार.
आस बंधी रहती है तो तारे टूटते ही हैं..सुन्दर लिखा है .
ReplyDeleteसुन्दर .. प्रेरक रचना.
ReplyDeleteआभार.
वाह ..बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteMY RESENT POST...काव्यान्जलि... तुम्हारा चेहरा.
यही आस तो सब दुःख सहने की शक्ति देती है...बहुत सुंदर
ReplyDeletebehatrin sundar bhav bdhai MY RESENT POST par aapka svagat hae.
ReplyDeleteटूटेगा आसमां से एक तारा, और हर मुराद पूरी होगी... कोमल अहसास...
ReplyDeleteएक तारा..
ReplyDeleteदिखेगा उसे
वो अदभुद नज़ारा ...
तब वो
चट से मांग लेगी
बरसों पुरानी मुराद...
और बरसों पुरानी उस मुराद को पूरा तो होना ही होगा।
सादर
कौन रोक पाया है सुबह को
ReplyDeleteaashavaadita ko darshati hui rachna bahut khoob sahi hai har andhere ke baad ujala aata hai.
ReplyDeleteहोगी फिर
ReplyDeleteएक नयी सुबह
उस रात के बाद ..jajur rat ke subah ko aana hi hoga.
होगी फिर
ReplyDeleteएक नयी सुबह......!
आमीन.....!!
वो प्यास थी,
ReplyDeleteवो आस थी......
कि टूटेगा
आसमां से कभी
एक तारा..
दिखेगा उसे
वो अदभुद नज़ारा ...
तब वो
चट से मांग लेगी
बरसों पुरानी मुराद...
ये आस और प्यास ही जिंदा रखती है...
सुन्दर रचना
वो प्यास थी,
ReplyDeleteवो आस थी......
कि टूटेगा
आसमां से कभी
एक तारा..
दिखेगा उसे
वो अदभुद नज़ारा ...
तब वो
चट से मांग लेगी
बरसों पुरानी मुराद...
बहुत खूब लिखा है..
अनु जी
ReplyDeleteमेरे यहाँ आने और अपनी उत्साह वर्धक टिपण्णी देने के लिए शुक्रिया!
मैं भी आपके यहाँ पहली बार आया हूँ और लगता है कि अब आना जाना लगा रहेगा क्योंकि मैं आपका फोलोवर बन गया हूँ! आपकी रचना पढी तो ऐसा लगा जैसे विशुद्ध हिंदी पढने के लिए कई दिनों बाद किसी ने सही उपयोग किया है और वाकई में भाव तो अति उत्तम हैं आपकी रचना में!
वैसे मैं अपनी व्यस्तता के चलते कम ही लिख पाता हूँ और सच तो ये है कि लिखने के लिए एकांत और गहरी सोच कि ज़रूरत होती है और इन सब के लिए वक़्त की, सो गाहे-बगाहे जब भी वक़्त मिलता है, अपने भावों कि कागज़ पे उतार लेता हूँ!
मिलता रहूंगा.......नमस्कार!!
सिर्फ एक
ReplyDeleteछोटी सी
प्यास की खातिर
सर्द रातों में
घने अन्धकार का
कसैला जहर
पिया उसने....
अतिगहन संदेश!!
दिनोदिन निखार है,कबिताई में बहार है !
ReplyDeleteअच्छा लगा !
ReplyDeletewahh..
ReplyDeleteस्याह रात का पर्दा रोज़ छंटता है और हर सुबह नई ही होती है। बस,आदमी है कि प्रकृति से कोई संकेत नहीं लेता और भूत मे जीने का अभ्यस्त बने रहना चाहता है। जीवन केवल वर्तमान में है। अभी,इसी क्षण।
ReplyDeleteइंशाल्लाह फिर होगी नई सुबह
ReplyDeleteवो प्यास थी,
ReplyDeleteवो आस थी......
कि टूटेगा
आसमां से कभी
एक तारा..
दिखेगा उसे
वो अदभुद नज़ारा ...
तब वो
चट से मांग लेगी
बरसों पुरानी मुराद...
..waah bahut khoob sunder anu ji , sach dil ko chuti hui rachna . hardik badhai
बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
आस पे भरोसा टिका होता है ....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 29-03 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... नयी पुरानी हलचल में ........सब नया नया है
सकारात्मक सोच लिए अच्छी रचना
ReplyDeleteइतनी लम्बी और श्रध्दा -सहित साधना है तो सुबह होगी ही स्वर्णिम...
ReplyDeleteumda post!
ReplyDeleteसवेरा कब रुका है...
ReplyDeleteसुंदर रचना...
सादर।
तब वो
ReplyDeleteचट से मांग लेगी
बरसों पुरानी मुराद..||
.
दुआ में हाथों को नहीं उठाता हूँ कभी ,
कहीं गलती से भी तू कोई एहसान न कर दे |
सादर
-आकाश