क्या लगता है आपको कि डायरी का हर पन्ना महकता होगा????
ऐसा जीवन हुआ है क्या कभी किसी का???
कि हर पन्ना गुलाबी हो!!!!
आज वो सफहा आपके सामने है जो अब तक सीला सीला है...कुछ खारापन लिए.....
किस कदर खफा थे तुम मुझसे.....इतना गुस्सा भी कोई करता है भला??? जब प्यार जताने की बारी आती तब तुम कहते "मुझे प्यार जताना नहीं आता".............हाँ भावनाओं की सहज अभिव्यक्ति भी तो एक कला होती है......मैंने स्वीकार कर लिया कि तुम्हारे पास ये कला नहीं है......इसलिए ही तुम कभी कह नहीं पाए कि मैं कितनी ज़रूरी हूँ तुम्हारे लिए....या मैंने क्या क्या किया तुम्हारे लिए,तुम्हारे घर ,तुम्हारे परिवार के लिए.......
उम्मीद करती रही कि तुम्हें भीतर कही एहसास ज़रूर होगा बस!!!
मगर उस रोज जब तुम्हें गुस्सा आया तब तुमने मुझे भीतर तक बींध डाला अपने ज़हर बुझे शब्दों के बाणों से.......जाने कहाँ से तुम्हारे पास अभिव्यक्ति की वो कला आ गयी थी कि मेरे हौसले पस्त हो गए........
मेरी एक भूल को तुम्हारे क्रोध ने कई गुना कर मुझे अपराधी बना डाला..........और मैंने सहम कर हर इलज़ाम कबूल किया......
कितना बोले तुम........
और यूँ ही कहते रहे इतने वर्ष - कि तुम्हें जताना नहीं आता.......भावाव्यक्ति नहीं आती.....झूठे कहीं के!!!
हर चीज़ धुंधली दिखती थी उन दिनों......
आँखों के विंड स्क्रीन पर वाईपर जो नहीं होता.........................
-अनु
ऐसा जीवन हुआ है क्या कभी किसी का???
कि हर पन्ना गुलाबी हो!!!!
आज वो सफहा आपके सामने है जो अब तक सीला सीला है...कुछ खारापन लिए.....
किस कदर खफा थे तुम मुझसे.....इतना गुस्सा भी कोई करता है भला??? जब प्यार जताने की बारी आती तब तुम कहते "मुझे प्यार जताना नहीं आता".............हाँ भावनाओं की सहज अभिव्यक्ति भी तो एक कला होती है......मैंने स्वीकार कर लिया कि तुम्हारे पास ये कला नहीं है......इसलिए ही तुम कभी कह नहीं पाए कि मैं कितनी ज़रूरी हूँ तुम्हारे लिए....या मैंने क्या क्या किया तुम्हारे लिए,तुम्हारे घर ,तुम्हारे परिवार के लिए.......
उम्मीद करती रही कि तुम्हें भीतर कही एहसास ज़रूर होगा बस!!!
मगर उस रोज जब तुम्हें गुस्सा आया तब तुमने मुझे भीतर तक बींध डाला अपने ज़हर बुझे शब्दों के बाणों से.......जाने कहाँ से तुम्हारे पास अभिव्यक्ति की वो कला आ गयी थी कि मेरे हौसले पस्त हो गए........
मेरी एक भूल को तुम्हारे क्रोध ने कई गुना कर मुझे अपराधी बना डाला..........और मैंने सहम कर हर इलज़ाम कबूल किया......
कितना बोले तुम........
और यूँ ही कहते रहे इतने वर्ष - कि तुम्हें जताना नहीं आता.......भावाव्यक्ति नहीं आती.....झूठे कहीं के!!!
हर चीज़ धुंधली दिखती थी उन दिनों......
आँखों के विंड स्क्रीन पर वाईपर जो नहीं होता.........................
-अनु
प्यार जताया नहीं जाता तो छुपाया भी तो नहीं जाता
ReplyDeleteबहूत गहन बात कही है आपने ...
ReplyDeleteबहूत हि सुंदर भाव अभिव्यक्ती ..
होली कि शुभकामनाये
उपेक्षा और तिरस्कार अभिनीत होतें हैं प्यार अव्यक्त बना रहता है गूंगे के गुड सा ?
ReplyDeleteउपेक्षा और तिरस्कार अभिनीत होतें हैं प्यार अव्यक्त बना रहता है गूंगे के गुड सा ? आपने ब्लॉग पर आके शिरकत की, अच्छा लगा .होली मुबारक .हर रंग मुबारक .
कल्पना...आँखों की विंड स्क्रीन...बहुत पसंद आया...हम जितनी आसानी से क्रोध का इज़हार कर लेते हैं...काश की प्यार का भी इज़हार उतनी सहजता से कर पाते...
ReplyDeleteयूँ प्रेम आँखों से छलकता है ......
ReplyDeleteपर उस पौधे को सींचते रहना चाहिए ...वर्ना पत्ते मुरझाने लगते हैं ....
सुंदर भाव अभिव्यक्ति ......
आपने अपना पूरा नाम नहीं लिखा प्रोफाइल में ....
क्या आप अंजू अनु चौधरी हैं ....?
अभिभूत हूँ हीर जी...
Deleteबहुत खुश...
नहीं मैं अंजू जी नहीं हूँ....आपको मेल करती हूँ अभी ...
शुक्रिया.
सादर.
अबे तो हमें भी आपके बारे में जानने की इच्छा होने लगी है..कृपया इसे भी पूर्ण करने की कोशिश करें :)
Deleteआँखों के विंड स्क्रीन पर वाईपर जो नहीं होता.........................
ReplyDeleteso true!
behtareen abhivyakti:)
ReplyDeleteआपने ब्लॉग पर आके शिरकत की, अच्छा लगा .होली मुबारक .हर रंग मुबारक .,बेहतरीन रचना,...
ReplyDeleteलेखनी बेहद प्रभावशाली है !
ReplyDeleteरंगोत्सव की आपको शुभकामनायें ...
ये खारापन न जाने क्यों आता है हिस्से में ... मैंने भी अपनी कई रचनाओं में यूं ही भड़ास निकाली है ... अब भड़ास ही कहूँगी ... मन बिंध जाता है और कोई उपाय नहीं होता तो शब्द उतर आते हैं ...
ReplyDeleteसही कहा संगीता जी....
Delete...........पूनम॥
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12 -04-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में .....चिमनी पर टंगा चाँद .
आपका बहुत शुक्रिया संगीता दी.
Deleteबहुत खूब लिखा है |
ReplyDeleteकलापूर्ण लेखन -बधाई !
ReplyDeleteसुंदर भाव अभिव्यक्ति
ReplyDeleteप्रेम की अभिव्यक्ति बहुत कठिन होती है
ReplyDeleteकभी कभी इजहार न केर पाने का अफ़सोस उम्र रहता है. सुंदर भाव अभिव्यक्ति
यही तो कसमकस है.....
ReplyDeleteयथार्थ अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteखुद को justify करने का इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता है...!!
हर चीज़ धुंधली दिखती थी उन दिनों......
ReplyDeleteआँखों के विंड स्क्रीन पर वाईपर जो नहीं होता..
Beautifully defiened...awsome!!
kya likhti hain aap, anu G, vaah!!! itna gahra aur aakarshak???????
ReplyDeleteapne profile me apni photo lagani chahiye thi aapko, I wish I could see you! Anyway, aapne mere blog me dastak di to maine aapke Blog ka darvaaja khola........aur jo sundar khoobsurat laazavaab behtareen aur gahrayiyon bhari rachnayen dekhi to man prasann ho utha........aapke rachna sansaar(blog) ki sadasy banne jaa rahi hun, ummid hai aapse nayi kalpnaon abhivyaktiyon ke sath mulakat hoti rahegi.
wind screen par wiper..aah kya baat kahi hai..maza aa gaya...dil aahat hua....
ReplyDeletetouching
ReplyDeletetouching
ReplyDeletedi.....in lines ko padh kar ek baat kahungi.....kahin na kahin har nari kay man ki baat keh di apne...
ReplyDeleteऔर वह सारे अरमान..वह सारे सपने...डूबने से बचने को हाथ पाँव मार रहे होते हैं..छटपटा रहे होते हैं...उनकी दम घुटती सांसें...कानों में गूंजती हैं ....और आँखों के सामने सब कुछ धुंधला हो जाता है ..बहुत सही चित्रण किया है आपने ...बिना कुछ कहे .....
ReplyDeleteEveryone faces this stage in life...mere pas bhi kuch panne he..bilkul isi tarah.... :(
ReplyDeleteमन को छू गई.. बहुत सुन्दर अनु..
ReplyDeletewaah anu ... too good
ReplyDeleteहर चीज़ धुंधली दिखती थी उन दिनों......
ReplyDeleteआँखों के विंड स्क्रीन पर वाईपर जो नहीं होता..........
क्या सोच है |
और बाकी पूरी पोस्ट मुझे शिक्षाप्रद लगी , ऐसा लगा जैसे आप मुझे मेरा ही स्वभाव बता रही हों |
सादर
-आकाश
mann ko chhu gai aapki yah post..
ReplyDeletebahut umda...
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