इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Wednesday, March 28, 2012

मैं आकाश हूँ....

देखा है क्या तुमने
अनंत आकाश की ओर ? 
जो मानो धरती को खुद में
समेट लेना चाहता है...
गर्वान्वित...अडिग.....विस्तृत....


वो मैं हूँ...

सूरज की  किरणों से उज्जवल
कभी बूंदों का हार पहने..
सजा कभी इन्द्रधनुषी रंगों से
दुल्हन सा रूप धरे  ! 


रात को देखना मुझे...
तारों की जगमग बारात लिए,
चाँद का अनुपम टीका लगाये
वाह ! कैसी सजधज है..

मगर कभी सुन कर देखना
उस विस्तार में छिपी नीरवता को..
महसूस करना 
वो एकाकीपन....
देखना मुझे-
इस चाँद-सूरज और तारों के बिना


एक स्याह चादर के सिवा
मै कुछ नहीं...


-अनु 



40 comments:

  1. kabhi poornima me damakta kabhi amavasya me syaah aavaran audhe rakhta bas yahi ambar ka jeevan chakra hai ..bahut sundarta se bhaavon ko prastut kiya hai.

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    1. bahut sundar abhivyakti anu ji ,yah jeevan ka chakra hai , paripurn , bahut se bindu halchal macha gaye dil me .bahut gahan baat chodi hai aapne ,badhai

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  2. एक स्याह चादर के सिवा
    मै कुछ नहीं...
    sahi bat sab me hi mai chipa rhta hai....very nice.

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  3. क्षमा करें महोदय / महोदया -
    तुरंती का अनर्गल अर्थ न निकालें ।


    काश यही आकाश का, एकाकी एहसास ।

    बरसे स्वाती बूंद सा, बुझे पपीहा प्यास ।।

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  4. मन की नीरवता भरे पुरे संसार में भी अकेलेपन का अहसास कराती है . सुगढ़ .

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  5. बेहतरीन रचना


    सादर

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  6. वाह !!!!! बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति,

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,

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  7. एक स्याह चादर के सिवा
    मै कुछ नहीं...
    एहसास की बेहतरीन रचना

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  8. एक स्याह चादर के सिवा
    मै कुछ नहीं...
    फिर भी आकाश जीवन के आधार पांच तत्त्वों में से एक है ।
    सुन्दर रचना ।

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  9. मगर कभी सुन कर देखना
    उस विस्तार में छिपी नीरवता को..
    महसूस करना
    वो एकाकीपन....

    महसूस कर रही हूँ ....

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  10. आसमान की शून्यता महसूस कर स्वयं अपने लिए एकाकीपन का एहसास...

    मगर कभी सुन कर देखना
    उस विस्तार में छिपी नीरवता को..
    महसूस करना
    वो एकाकीपन....
    देखना मुझे-
    इस चाँद-सूरज और तारों के बिना

    शायद हमारा जीवन भी ऐसे ही... बहुत भावपूर्ण, बधाई.

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  11. सुंदर बिम्ब प्रयोग।

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  12. सूरज की किरणों से उज्जवल
    कभी बूंदों का हार पहने..
    सजा कभी इन्द्रधनुषी रंगों से
    दुल्हन सा रूप धरे !


    रात को देखना मुझे...
    तारों की जगमग बारात लिए,
    चाँद का अनुपम टीका लगाये
    वाह ! कैसी सजधज है..

    बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति, इस रचना के लिए आभार

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  13. मगर कभी सुन कर देखना
    उस विस्तार में छिपी नीरवता को..
    महसूस करना
    वो एकाकीपन....

    Gahri abhivykti....

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  14. सब कुछ होते हुए भी ...एक खालीपन ..एक शून्य ....और उसका विस्तार ...जहाँ मन नितांत अकेला..बोझिल...हारा ...

    बहुत ही भावुक कर देने वाली रचना अनुजी !

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  15. जो सबको दिखता है,
    वही सच नहीं होता,
    ज़श्न-ए-महफ़िल में भी
    तन्हाई का आलम
    कम नहीं होता !

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  16. स्याह चादर अनंत विस्तार जगमगाते तारे - क्या नहीं मिलता , बस सोचकर देखना है .
    ---- नीरवता से परे

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  17. bahut acchhe bimbo k prayog se nari ki mehatta aur uske man ki tanhayi ko bakhubi bayan kiya hai. jabardast tal-mail.

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  18. अनुपम भाव संयोजन लिए उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

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  19. मगर कभी सुन कर देखना
    उस विस्तार में छिपी नीरवता को..
    महसूस करना
    वो एकाकीपन....

    बेहतरीन

    अनुजी आपकी ब्लॉग पे पहली बार आना हुआ है! आपकी रचनाये पसंद आई!

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  20. मगर कभी सुन कर देखना
    उस विस्तार में छिपी नीरवता को..
    महसूस करना
    वो एकाकीपन....

    बेहतरीन

    अनुजी आपकी ब्लॉग पे पहली बार आना हुआ है! आपकी रचनाये पसंद आई!

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    Replies
    1. शुक्रिया....आशा है भविष्य में भी निराशा नहीं होगी :-)

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  21. मगर कभी सुन कर देखना
    उस विस्तार में छिपी नीरवता को..
    महसूस करना
    वो एकाकीपन......बहुत सुन्दर अहसास ..अनु

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  22. सुंदरता से गूँथे भाव... बढ़िया रचना।
    सादर।

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  23. Ek syah chader ke siva kuch bhi nahi ...

    Excellent .... really really good expressions ...

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  24. .....बहुत सुन्दर अहसास

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  25. मगर कभी सुन कर देखना
    उस विस्तार में छिपी नीरवता को..
    महसूस करना
    वो एकाकीपन....
    देखना मुझे-
    इस चाँद-सूरज और तारों के बिना
    एक स्याह चादर के सिवा
    मै कुछ नहीं...
    ALWAYS I AM JEALOUS OF YOU BECAUSE OF YOUR SO NICE FEELINGS AND EMOTIONS
    AND SO BEAUTIFUL POST .PLEASE REWRITE COMMENT IT HAS GONE SOME WHRER.
    EXTREMELY SORRY.

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  26. बहुत सुंदर रचना ....अनु जी ..
    एक समर्पण का एहसास .....जैसे कहती हो ...तुम हो तो सब है .....तुम्हारे बिना ,मैं कुछ भी नहीं ....!!

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  27. bahut hi sunder likha hai Anu!!

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  28. अनुजी बहुत ही भावुक कर देने वाली रचना अकेलेपन का अहसास कराती है

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  29. जैसे समाज में व्यक्ति अपने अस्तित्व को सापेक्षिक देखता है,आसमां के लिए चांद-तारे भी वैसे ही हैं। एक का लालित्य भी दस की मौजूदगी में ही होता है।

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  30. रात को देखना मुझे...
    तारों की जगमग बारात लिए,
    चाँद का अनुपम टीका लगाये
    kids like this view in night.

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  31. ऐसा थोड़ी न होता है , तो फिर मैं कौन हूँ ??
    :)
    सुन्दर रचना |

    सादर
    -आकाश

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