आज थोडा पीछे लिए चलती हूँ आपको...डायरी का वो पन्ना जो फीका पड़ गया है....कभी कभी जीवन बड़ा व्यवहारिक हो जाता है...रूमानियत बस कहीं डायरी के पन्नों में ही दबी रह जाती है....
मिला था मुझे वो अपनी संगीत कक्षा में...उसको देखते ही मन वीणा के तार झंकृत हो गए थे...तारों का कंपन महसूस करती जब जब उसको देखती....लगता कहीं दूर कोई बांसुरी बजा रहा है...क्लास में उसके आते ही मन सरगम भूल जाता.....और जाने कौन सा सुर पकड़ लेता...
वो भी कुछ कम नहीं था...कभी देखता कहीं और ,फिर मेरे करीब आता....और कभी मुझे अनदेखा कर कुछ हौले से गुनगुनाता...मैं राग -रागिनियाँ सीखती...ह्रदय उसके गीत गाता...मुझे दादर/कहरवा कम उसका स्वर अधिक भाता.
मोहब्ब्त की पहली दस्तक थी वो....जो स्वरलहरी बन गूंजी थी मेरे मन में और आँगन में शहनाई बजवा कर ही मानी. ..
उसका होना जीवन में, बजाता है जलतरंग...
सप्तसुरों से सजा हुआ, ये उसका मेरा संग....
-अनु
-अनु
पहली दस्तक में कामयाबी पाना...वास्तव में जीवन की सबसे बड़ी कामयाबी है,...
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति,इस सुंदर रचना के लिए बधाई,...
MY NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
कमेंट्स बाक्स से वर्डवेरीफिकेसन हटा ले कमेंट्स करने में परेशानी
और समय की बर्बादी होती है,....
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteदिल तक उतरते ख्याल
ReplyDeleteकल 02/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
आपका शुक्रिया यशवंत जी.
Deleteउसका होना जीवन में, बजाता है जलतरंग...
ReplyDeleteसप्तसुरों से सजा हुआ, ये उसका मेरा संग....
..sundar tasveer ke saath sundar prastuti..
उसका होना जीवन में, बजाता है जलतरंग...
ReplyDeleteसप्तसुरों से सजा हुआ, ये उसका मेरा संग....
गर ऐसा हो संग...तो फिर क्या कहना...
उसका न होना भी है जैसे उसका होना....
सुन्दर....
बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteभाव अभिव्यक्ति:-)
justjoo jiskee the usko hee paaya hamne
ReplyDeleteबांध गयी आपकी शुरुआत !
ReplyDeleteये पल बस याद बन कर ही रह जाते हैं ....
ReplyDeletepehle pyar ki anubhuti man mei bajta jal-tarang... khoobsurat khyal
ReplyDeleteमेरी प्यार के ऊपर लिखी हुई बहुत ही कम पंक्तियों में से एक , आपके लिए -
ReplyDeleteमैं राह पर मुड-मुड के उसको देखता था 'काश' ,
गली के मोड़ पर मुड़ने से पहले वो भी मुड जाती |
सादर
-आकाश