मेरी डायरी का कोई पन्ना धूसर है कोई सफ़ेद....कोई गुलाबी ,कोई इन्द्रधनुषी.....कोई फटा तो कोई सीला....कोई खारा तो खुशबू लिए.....क्यूंकि ये जीवन जो कभी एक सा नहीं रहता......कभी खुशी,कभी गम; कहीं धूप, कहीं छांव;कहीं आँसूं कहीं हंसी;कभी उम्मीद कभी उदासी ;कभी मिलन कभी जुदाई.......
जैसा दिन वैसी कविता........आज पढ़िए एक गुलाबी और एक बेरंगी!!!!
वो आया
धड़कने बढ़ गयीं....
मन हिरन की तरह कुलांचें मारने लगा,
मानों कोई कीमती सौगात मिली हो....
हाथों में उसका हाथ...
साँसों से मिलती उसकी साँसें....
मुस्कुराते लब...
हर रात मानों
हो पूरे चाँद की रात....
जैसा दिन वैसी कविता........आज पढ़िए एक गुलाबी और एक बेरंगी!!!!
वो आया
धड़कने बढ़ गयीं....
मन हिरन की तरह कुलांचें मारने लगा,
मानों कोई कीमती सौगात मिली हो....
हाथों में उसका हाथ...
साँसों से मिलती उसकी साँसें....
मुस्कुराते लब...
हर रात मानों
हो पूरे चाँद की रात....
उसका आना तो मानो पूर्णिमा और जाना अमावस .... बहुत सुंदर रचना ....
ReplyDeleteकुछ ऐसा हो तो ---
उसके जाने के बाद भी
मेरी आँखों में
चाँद ठहरा रहा
अमावस में भी चाँदनी
बिखरी हुई थी ।
ओह..पर अमावस के बाद फिर से चाँद निकलता है...
ReplyDeleteसुन्दर कविता.
उसी से ही रौशन ये जहाँ मेरा ....
ReplyDeleteउसी के ही खिलने से होता सवेरा ....
उसी से है चाँद ...उसी से ही सूरज ...
उसी से ही मन कि भावनाओं का समुंदर ....!!
बस उसकी कृपा बनी रहे .....!!
बहुत शुभकामनायें ....!!
इसीलिए शायद प्रकृति ने हमें अमावस और पूनम दोनों alternatively दिए हैं... मिलन और विरह खट्टे-मीठे एहसासों जैसे आते-जाते रहते हैं..
ReplyDeleteबहरहाल, दोनों रचनाएँ खूबसोरत और एक-दुसरे को कॉम्प्लीमेंट करती हुई... :)
सादर
मधुरेश
बहुत अच्छी तरह प्रकट किया है
ReplyDeleteविरह और मिलन को ।
आभार ।
डायरी के पन्ने जीवन को जब्त कर लेते हैं .... फडफडाते पन्नों से कभी मुस्कान , कभी आंसू .... निकलते हैं . और प्यार तो प्यार है
ReplyDeleteसुन्दर कविता....
ReplyDelete"मिलना" और "बिछड़ना " जीवन के दो रंग है ...
You never cease to amaze me, Anu!! What a contrast in these two poems!! and the pics alongside are so complimentary...
ReplyDeleteYou never cease to amaze me, Anu!! What a contrast in these two poems!! and the pics alongside are so complimentary...
ReplyDeletewaah anu ji..milam aur virah dono rupon ko achhe se dhaala hai..
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है आपने ... आना और जाना ...
ReplyDeleteमिलन और विरह की सुन्दर अभिव्यक्ति एक साथ !
ReplyDeleteबेहतरीन प्रयास .
बहुत सुंदर
ReplyDeleteउसका आना तो मानो पूर्णिमा और जाना अमावस .... बहुत सुंदर रचना .... अनु
ReplyDeleteसंयोग और वियोग का बहुत ही प्रभावी वर्णन .....
ReplyDeleteसुन्दर रचना....
खाली मुट्ठी,
ReplyDeleteगहरी साँसे,
सिसकियां .....
देखो ना !!
वो चाँद मुझे अमावास दे गया....
karawaan yun hi chalata hai .
raagini yun hi banati hai.......
अमावस न हो तो पूनो के चाँद का क्या महत्व अनु जी ?
ReplyDeleteसंयोग -वियोग की सुँदर युगलबंदी . आभार
ReplyDeleteबेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
कल 29/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
हलचल - एक निवेदन +आज के लिंक्स
शुक्रिया यशवंत...
Delete:-)
कल 29/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
हलचल - एक निवेदन +आज के लिंक्स
That's a very beautiful poem Anu. Have a great weekend.
ReplyDeleteविरह और मिलन दोनों ही जीवन के महत्वपूर्ण रंग हैं... सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeletejeevan ka sach bhi to yahi hai kabhi poornima kabhi amavas...sundar rachna...
ReplyDeleteमत भेद न बने मन भेद - A post for all bloggers
अमावस के बाद फिर से पूनम को आना ही है।
ReplyDelete:)
ReplyDeleteविरह और मिलन का अच्छा समायोजन बधाई आज की रचना के लिए |
ReplyDeleteआशा
"देखो ना !!
ReplyDeleteवो चाँद मुझे अमावास दे गया...."
वाह अनु जी ! अति सुंदर !
अमावस की रात सर्वदा नहीं रहती
ReplyDelete"वो चाँद मुझे अमावास दे गया..."
ReplyDeleteबहुत सूंदर ! अमावस और पूनम का चक्र तो चलता ही रहता है...:) यही जीवन है खुशी और ग़म!
@ वो चाँद मुझे अमावास दे गया
ReplyDeleteवाह, इस प्रतीक ने कविता को गहन अर्थ प्रदान किया है।
बहुत खूब ...पूनम और अमावस दोनों जीवन में हमेशा नहीं रहते ...चक्र चलता है जीवन का
ReplyDeleteक्या ऐसा नहीं हो सकता की हर उस पल को हम किसी safety locker में रख दें और फिर जब चाहें उन्हें निकालकर ..उन्हें जीकर पुन: रख दें आगे के लिए ..फिर तो पूनम ही पूनम होगी है ना
ReplyDeleteकाश......................................
Deletebahut komal, bahut sundar
ReplyDeleteबहुत सुन्दर... मिलन और जुदाई दोनों का अपना अलग ही रंग होता है
ReplyDeleteअनु जी मेल मिलन होता ही ऐसा है दिल की धडकन शांत ...दो दिल एक ...और विरह में उफान सूनापन अकुलाहट व्याकुलता ..काश ये चाँद संग ही रहे .....कोमल रचना
ReplyDeleteभ्रमर ५
सुख की ओट में ही दुख छुपा रहता है और आनंद शोक की ही प्रतिध्वनि होता है...इसी में जीवन की पूर्णता और सुंदरता है।
ReplyDeleteमिलन और विरह के भाव को अभिव्यक्त करने के लिए बेहतरीन शब्द चमत्कार।
ReplyDeleteविरह और मिलन के भावों की बहुत सुंदर और प्रभावी अभिव्यक्ति....
ReplyDeletebhaut hi sundar wa dil ko chhoo lene wali post apki
ReplyDeletepiya bin jiya naa jaaye...ek premika ke manobhavo birah aaur milan par ..bahut hee shandaar chitran..bahut hee umda rachna
ReplyDeleteवाह क्या बात है ... चाँद अमावस दे गया ... क्या सचमुच चाँद दे गया या दिल की उदासी ...
ReplyDeleteवो चाँद मुझे अमावास दे गया....
ReplyDeleteसच्ची न ,... ऐसा ही तो होता है .
beautiful contrast...jab bhi mauka mil raha hai dhire dhire aap ki rachanyen padh raha hoon.
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