बिखरी है कविता ,मेरे चारों ओर........आपके इर्द-गिर्द भी होगी ही...............मानों टूटी हो कोई माला मोतियों की................और जो टूट कर भी हो अनमोल........
सो जो दिखता है आँखों को उनसे कुछ ख़याल चुरा कर रख देती हूँ पन्नों पर,और सजा देती हूँ कुछ चमकीले भावों से.......कभी कहती हूँ कुछ....कभी पूछती सवाल......और रच जाती है मेरी कविता........
मोगरा
मोगरे की भीनी खुशबु....
बादलों में लुकता छिपता चाँद
सब सफ़ेद,उजला
फिर आँखों के डोरे लाल क्यूँ ???
घास
नर्म मुलायम घास
औंधे पडी तकती आसमां.....
सब कुछ यहीं है
फिर दिल जाने कहाँ भागा ???
अमलतास
जगमग आभा लिए
लटका झूमर की तरह
मेरी तरह
क्या इसके भीतर भी आग है???
लड़की
आसमां पिघल कर
आँखें नीली कर गया....
तन मखमली....
क्या चाँद छू कर गुजर गया????
दिल
मचलते हैं
और फडफडाते ज़ोरों से...
ये पीपल के पत्ते हैं
या दिल है प्रेमियों के???
प्यार
गुलाब,गुब्बारे,गुलाबी लिफ़ाफ़े
तोहफे,खुशबूदार मोमबत्तियाँ
बस! क्या यही है प्यार????
बूढा
गाँव का बूढा बरगद
सभी पूजते,नमन करते
फिर बूढा बाप क्यूँ सिसकता????
अनु
सो जो दिखता है आँखों को उनसे कुछ ख़याल चुरा कर रख देती हूँ पन्नों पर,और सजा देती हूँ कुछ चमकीले भावों से.......कभी कहती हूँ कुछ....कभी पूछती सवाल......और रच जाती है मेरी कविता........
मोगरा
मोगरे की भीनी खुशबु....
बादलों में लुकता छिपता चाँद
सब सफ़ेद,उजला
फिर आँखों के डोरे लाल क्यूँ ???
घास
नर्म मुलायम घास
औंधे पडी तकती आसमां.....
सब कुछ यहीं है
फिर दिल जाने कहाँ भागा ???
अमलतास
जगमग आभा लिए
लटका झूमर की तरह
मेरी तरह
क्या इसके भीतर भी आग है???
लड़की
आसमां पिघल कर
आँखें नीली कर गया....
तन मखमली....
क्या चाँद छू कर गुजर गया????
दिल
मचलते हैं
और फडफडाते ज़ोरों से...
ये पीपल के पत्ते हैं
या दिल है प्रेमियों के???
प्यार
गुलाब,गुब्बारे,गुलाबी लिफ़ाफ़े
तोहफे,खुशबूदार मोमबत्तियाँ
बस! क्या यही है प्यार????
बूढा
गाँव का बूढा बरगद
सभी पूजते,नमन करते
फिर बूढा बाप क्यूँ सिसकता????
अनु
गहन प्रश्न लिए जिंदगी से ....
ReplyDeleteसमेट लिए अपनी क्षणिकाओं में ...
कवि ह्रदय के विविध पहलुओं को छूती ....भोली मासूम क्षणिकाएं ...
खूबसूरत प्रस्तुति .....!!
खुबसूरत अंदाज़
ReplyDeleteहर क्षणिका के भाव मन को छूते हुए ... बहुत ही बढि़या ।
ReplyDeleteशब्द और चित्रों का सुन्दर समन्व्यय!
ReplyDeleteप्यार बूढ़ दिल मोंगरा, अमलताश की आग ।
ReplyDeleteलड़की को कर के विदा, चला बुझाय चराग ।।
वाह रविकर जी......
Deleteबढ़िया क्षणिकाएं। बस एक जगह थोड़ा खटका - घास औंधे पड़ी रहकर आसमां को नहीं तक सकती।
ReplyDeletethats poets liberty..........
Delete:-)
अच्छा चलो औंधे-सीधे मान लो....
जब सीधे थे तब तक रहे थे आसमां ....
जब औंधे थे, तब दिल को भागते महसूस कर रहे थे.
:-)
waah!!
Delete:-)
मोगरे की भीनी खुशबु....
ReplyDeleteबादलों में लुकता छिपता चाँद
सब सफ़ेद,उजला
फिर आँखों के डोरे लाल क्यूँ ???
सब कुछ उजला उजला सा
भीनी भीनी सी महक मोगरे की
आँख बंद कर बस
महसूस करती रही
तो आँखों के डोरे
लाल तो होने ही थे ।
****************
घास
नर्म मुलायम घास
औंधे पडी तकती आसमां.....
सब कुछ यहीं है
फिर दिल जाने कहाँ भागा ???
धरती का स्पर्श और
उड़ान आसमान तक की
भला बताओ कब तक
दिल तुम्हारा पहलू में रहता ...
******************
अमलतास
जगमग आभा लिए
लटका झूमर की तरह
मेरी तरह
क्या इसके भीतर भी आग है???
जो जगमग है आभा
वही तो आग है
पर देती है रोशनी
आग नहीं लगाती ।
लड़की
आसमां पिघल कर
आँखें नीली कर गया....
तन मखमली....
क्या चाँद छू कर गुजर गया????
आँखें नीली और
तन मखमली
ऐ परी !
तुम ही तो चाँद हो ....
दिल
मचलते हैं
और फडफडाते ज़ोरों से...
ये पीपल के पत्ते हैं
या दिल है प्रेमियों के???
खाली मचलते और
फड़फड़ाते ही नहीं
कभी कभी काँप भी जाते है
प्रेमियों के दिल
पीपल के पत्तों से ...
प्यार
गुलाब,गुब्बारे,गुलाबी लिफ़ाफ़े
तोहफे,खुशबूदार मोमबत्तियाँ
बस! क्या यही है प्यार????
यह गुलाबी गुलाबी सा समाँ
ये तो इजहारे प्यार है
प्यार में डूब न जाने
क्या क्या कर गुज़र जाऊँ...
बूढा
गाँव का बूढा बरगद
सभी पूजते,नमन करते
फिर बूढा बाप क्यूँ सिसकता????
फितरत है इंसान की
कि अपने बोझ लगते हैं
बूढ़े बरगद को ही नहीं
नमन तो
दूसरे के बाप को भी करते हैं ।
बहुत गहन क्षणिकाएं..... कुछ शरारत कर बैठी हूँ :):) पर क्या करूँ अपने आप ही हो गयी ...
स्वागत है दी आपकी इन मीठी शरारतों का.................
Delete:-)
सज गयीं हमारी क्षणिकाएँ..
शुक्रिया
बेहद सहज प्रश्नों का बहुत मासूम सा जवाब |
Deleteअनु जी, जितने सुंदर चित्र हैं उतने ही सुंदर शब्द हैं और भाव तो उनसे भी सुंदर...आँखें लाल हैं भीतर की आग से..प्यार सिर्फ गुलाबी ही नहीं...स्वार्थी भाव से ही पूजन भी होता है यहाँ...और दिल तो पागल है ही...शेष अशब्द है.
ReplyDeleteबिखरी फिजायें आपके इधर उधर और आपकी सुपर नजर. कमाल करती है जी , सुँदर और सुघड़
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएँ बहुत अच्छी लगीं।
ReplyDeleteसादर
सभी क्षनिकाएं बेहद खूबसूरत हैं :) :)
ReplyDeleteकविता पाठके के मन को छू लेती है और आपकी सामर्थ्यक और कलात्मजक शक्ति से परिचय कराती है।
ReplyDeleteसभी रचनाएँ बहुत सुंदर...साथ में संगीता दी की जुगलबंदी...मजा आ गया!!!
ReplyDeleteवाह ! विभिन्न भावों / रूपों में सभी बेमिसाल क्षणिकाएं .
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविताएं हैं। छोटी,मगर सीधी मार करती हुई। एक-दो क्षणिकाएं विशद व्याख्या के योग्य हैं।
ReplyDeleteगाँव का बूढा बरगद
ReplyDeleteसभी पूजते,नमन करते
फिर बूढा बाप क्यूँ सिसकता????
....बहुत खूब! सभी क्षणिकाएं एक से बढ कर एक...
क्या बात है बहुत सुन्दर भाव !
ReplyDeleteकलमदान
गाँव का बूढा बरगद
ReplyDeleteसभी पूजते,नमन करते
फिर बूढा बाप क्यूँ सिसकता????
सुकोमल एहसास की रचना .. बहुत ही सुन्दर
गाँव का बूढा बरगद
ReplyDeleteसभी पूजते,नमन करते
फिर बूढा बाप क्यूँ सिसकता,/////
वाह !!!!! बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
prashn vaachak savaal daagti vichaar kanikaaen .बढ़िया पोस्ट .बधाई .
ReplyDeleteप्रश्न वाचक सवाल दागती विचार कणिकाएं .बढ़िया पोस्ट .बधाई .
ReplyDeletesundar kavita.... jiwan ke sabhi rang...
ReplyDeleteAise hi sawwalon ke jawaab khojne ki daleel ek kavita ko janm deti hai.. sawaalon mai kavita ka yeh roop nirala hai..bahut khoob..
ReplyDeleteanu ji sunder kshanikayen .........khoobsurti se prastut ki hui aur sunder sawal .......dil me jagaye ...........jhankaye tar ,...........aur punah uthe sawal ..............:)
ReplyDeleteनए तरह की क्षणिकाएं । दिल और लडकी काफी अच्छी लगीं
ReplyDeletewaah anu jee padhkar dil gadgad ho gaya...
ReplyDeleteपहली बार आया.. पहली बार जुड़ा और कुछ बेहतरीन क्षणिकाओं से दो-चार हुआ.. ये कोमल भी हैं, सरोकार से जुडी भी, सहलाती भी हैं और झकझोरती भी हैं.. किसी एक को बेहतर नहें कह रहा क्योंकि इन्द्रधनुष का कोई एक रंग सुन्दर हो ही नहीं सकता!!
ReplyDeleteधन्यवाद!!
आपके आने से और आपकी टिप्पणी पढ़ कर धन्य हुई...........
ReplyDeleteस्नेह बनाये रखें.
dekhan me chhotan lage,
ReplyDeletepar liye bhaav gambheer....
ek ek shabd yahan aatma huyi,
aur chaand hua jyun shareer...
bahut khoobsoorat kshanikayein Anu...bahut sundar.
गिने-चुने सब्दन कही धारि हिये में धीर ,
ReplyDeleteछोटो-छोटो जिन कहो,सध्यो वार जस तीर !
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 19 -04-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....ये पगडंडियों का ज़माना है .
शुक्रिया संगीता दी :-)
Deleteप्यार
ReplyDeleteगुलाब,गुब्बारे,गुलाबी
तोहफे,खुशबूदार मोम
बस! क्या यही है प्यार????
बेहद खूबसूरती से संजोया है आपने.....
रहा नही गया...फिर से आ गई...
ReplyDeleteसंगीता दीदी की प्रतिक्रया ने रोक लिया
मैं कविता पढ़ी... ग़ज़लें भी पढ़ी पर...
रचना पे रचना पहली बार पढ़ी
साधुवाद आप दोनों को
Wow !So Beautiful !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव
ReplyDeleteखूबसूरत ,कोमल अहसासों में रची रचना दिल में बसी
ReplyDeleteयादोँ को छूती हुई .....
खुश रहो !
चौराहा पर आने के लिए शुक्रिया। आपके ब्लॉग की ढेरों रचनाएं पढ़ीं। बहुत सुकोमल, सुंदर, चाहत और इच्छा से भरपूर लेखन है आपका। अच्छा लगा, आपको पढ़ना। शुभकामनाएं।
ReplyDeletechandidutt@gmail.com
नर्म मुलायम घास
ReplyDeleteऔंधे पडी तकती आसमां.....
सब कुछ यहीं है
फिर दिल जाने कहाँ भागा ???
प्रकृति के बिम्बो को लेकर बहुत ही खूबसूरत क्षणिकाएं संजोई हैं ..बहुत अच्छा लगा पढ़ना.
All the poems are so innocent and delicate, Anu, that it is not possible to pick 'the best'...I however specially loved: Mogra, Amaltaas and Pyaar! Aapki kavitaayen sachmuch aapke hi nahi mere bhi dil se seedha connection:)
ReplyDeletejindagi ke falsafe ko samjhati sundar komal bhavbhini post .
ReplyDeleteशुक्रवारीय चर्चा-मंच पर
ReplyDeleteआप की उत्कृष्ट प्रस्तुति ।
charchamanch.blogspot.com
आभार रविकर जी............
Deleteबहुत शुक्रिया.
Sukomal sundar sa ahasas..Bahut sundar. Anu..
ReplyDeletebahut sundar.asa laga tukde tukde ikatthe kie apne aas pass se aur yaha saza die
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति :)
ReplyDeleteगुलाब,गुब्बारे,गुलाबी लिफ़ाफ़े
ReplyDeleteतोहफे,खुशबूदार मोमबत्तियाँ
बस! क्या यही है प्यार????
wah ....ak gahree anubhooti ke sath haykoo ...badhai.
बेहद सुन्दर क्षणिकाएं , मन को छु गयीं.
ReplyDeleteये तो पूरी ज़िन्दगी सिमट आई है ...
ReplyDeleteअनुत्तरित हर प्रश्न का, शायद जीवन नाम
ReplyDeleteसुबह लालिमा सिर्फ औ रंग बिरंगी शाम.
बहुत सुंदर शब्द-चित्र.
इतनी सुन्दर क्षणिकाएं .... बधाई...
ReplyDeleteअनु (एम आई राईट?)
ReplyDeleteलास्ट वाली बेजोड़!!!
आशीष
--
द नेम इज़ शंख, ढ़पोरशंख !!!
बहुत सुंदर रचनाएं ....सच में दिल से जुड़ा हुआ .....
ReplyDeleteसादर
नित्यानंद गायेन
खूबसूरत क्षणिकाएं...
ReplyDeleteसारी क्षणिकाएं लाजवाब
ReplyDeleteawesome
बधाई स्वीकारें
सर्व सुन्दर!
ReplyDeleteye achha hai kaafi..
ReplyDeleteधन्य हुए हम :-)
ReplyDeleteशुक्रिया
amazing anu.
ReplyDeletei dont have words to express my views on these feelings.
thanks
vijay
vksappatti@gmail.com
PS. pls mail me your email.
बेहतरीन अनु ... मैंने आने में थोड़ी देर कर दी ..पर ज्यादा नहीं ना ...दिल को छूने वाला लिखती हो आप
ReplyDeleteshandaar peshkash
ReplyDeletereally such a creativity in your writing ....touched with your lines......keep writing
ReplyDeleteअपने आस पास को ही आपने शब्दों से सुन्दर रूप दे दिया. आपके शब्द दिल को छू जाते हैं अनु जी..बहुत ही उम्दा प्रस्तुति है ये.
ReplyDeleteहर क्षण में कविता है ,
ReplyDeleteहर कण में कविता है ,
कुछ अल्फाज मैं भी ढूँढ लूँ ,
शायद जीवन में कविता है |
-आकाश
ये ब्लॉग पढवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
ReplyDeleteजगमग आभा लिए
लटका झूमर की तरह
मेरी तरह
क्या इसके भीतर भी आग है???.........waah .bahut kuch miss kar rahi thi yah sab likha n padh kar ..thanks anu ..aur sorry abhi tak yah sab n padh paane ke liye ...