इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Tuesday, April 3, 2012

स्ट्रोबेरी शेक .............

मैं भी ना.....डायरी के पन्ने पढवाते पढवाते जाने कब कविताएं पढवाने लगी आप सबको....चलिए आज फिर एक पन्ना आपके लिए......
ये मेरी डायरी का नहीं......मगर शायद ज़िक्र मेरा है इसमें..............लगता तो है.....कौन जाने?????


छोटे छोटे लम्हों से बना करतीं हैं यादें.......और ये लम्हे कितने बड़े हो जाते हैं अकसर.......ढेर सारी जगह घेर लेते हैं हमारी स्मृतियों की...........क्या वक्त के साथ बढते जाते हैं लम्हे???? जैसे पौधा बढ़ता है कोई............
 एक वो नन्हा सा लम्हा.......तुम्हारे साथ गुजारा हुआ...................तकरीबन बेमकसद सा...................आज उसकी याद मेरे जीने का मकसद बनी हुई है..
याद आती है वो शाम जब तुमने मेरे ग्लास से पिया था वो स्ट्रोबेरी शेक ..............
तुम्हारे होंठों के निशान  वाला वो ग्लास अब तक रखा है....यूँ ही बगैर धुला.
कितना मीठा और गुलाबी हो गया था वो शेक यकायक.............तुम्हारे होंठों के स्पर्श से.........
मैंने तुमसे कहा भी था.
तुम हंस पड़ीं थीं........अरे!!! स्ट्रोबेरी शेक है.....मीठा और गुलाबी तो होगा ही ना ????? 
मगर नहीं!!!! तुम गलत थीं..........
अब कितना बेस्वाद लगता है वो शेक........तुम्हारे बिना....


हाँ कभी कभी तुम्हारी यादों की शक्कर घोल कर,तुम्हारे एहसासों का रंग डालता हूँ..........तब कहीं पी पाता हूँ.....
तुम्हें तो पसंद ही नहीं था ना वो शेक ???? शेक क्या !!! शायद मैं भी नहीं......वरना आज साथ ना होतीं !!!!!

                                          था साथ तेरा तो धूप भी मुझको चाँद रात सी लगती थी
                                            तेरे मेरे बीच की चुप भी, मीठी बात सी लगती थी.... 






53 comments:

  1. क्या बात है ... ये स्त्रौबरी का शेक ... उफ़ ... कहीं मार न डाले ... मज़ा आ गया इस लिखने के अंदाज़ पे ...

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  2. स्ट्राबेरी का शेक तो स्वादिष्ट होगा ही मगर आपकी लेखनी भी कम रस सिक्त नहीं करती . विछोह के दर्द को आप सहज ढंग से उकेर देती है . सुँदर .वैसे मुझे तो लगा डायरी के पन्ने में आप ही हो . है ना?

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    1. :-) आप हमारी एक पोस्ट आत्मकथा......सत्यकथा नहीं पढ़िए प्लीस....अगर वक्त मिले तो.

      http://allexpression.blogspot.in/2012/03/blog-post.html

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    2. जी पढ़ लिया , और पढने का संकल्प भी किया , सत्य हो या कहानी . महाजनाः येन गताः सः पन्थाः

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  3. वाह ! स्ट्राबेरी ...कितने रंग ..कितने ढंग , कितनी खुसबू और कितने स्वाद... बहुत सुन्दर आलेख.

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  4. वाह ! बहुत भावपूर्ण ...मन को गहराई तक छू गया...

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  5. बड़ी प्यारी अभिव्यक्ति.

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  6. बहुत सहज और भावों कि चाशनी में डूबा ....अनु मुझे तो स्ट्रोबेरी शेक ............बहुत पसंद है ....!!

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  7. कितने अनकहे पीछे धुंधले से पड़े एहसास

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  8. स्म्रितियां तो मन की लहरें हैं
    फ़िर फ़िर दस्तक देजाती हैं।

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  9. यादों की शक्कर के संग एहसासों का रंग ..अनुपम भाव संयोजन ...

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  10. वाह.... कमाल की प्रस्तुति है आपकी.

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  11. शेक से उफनता ... अहसास..

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  12. अब कितना बेस्वाद लगता है वो शेक........तुम्हारे बिना....
    हाँ कभी कभी तुम्हारी यादों की शक्कर घोल कर,तुम्हारे एहसासों का रंग डालता हूँ..........तब कहीं पी पाता हूँ.....

    किसी अपने के साथ के बिना चीनी भी बेस्वाद लगने लगती है.... जिंदगी का असली स्वाद तो "साथ" में ही है...
    बहुत ही सुन्दर रचना है ये आपकी "स्ट्रोबेरी शेक"

    हमें तो पिलाया नहीं कभी भोपाल में... ;)
    अबकी बार आयेंगे तो जरुर पियेंगे... बड़ा yummy लग रहा है ये तो.... :)

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    1. :-)
      अब तो स्ट्रोबेरी घर पर उगाई भी हैं......खूब फलीं भी...got some nice sweet and juicy crop.....

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    2. wow!!!! i love your gardening .... <3 <3

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  13. अनलिमिटेड वाह! इस पोस्ट के लिए!


    सादर

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  14. लम्हो के छोटे- छोटे टुकड़े हमारी यादों में बसा करते ..बहुत सुन्दर

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  15. याद आती है वो शाम जब तुमने मेरे ग्लास से पिया था वो स्ट्रोबेरी शेक .
    तुम्हारे होंठों के निशान वाला वो ग्लास अब तक रखा है....यूँ ही बगैर धुला.
    बहुत बढ़िया सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

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  16. बहुत सुहानी यादें .
    खूबसूरत केक !

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  17. अब कितना बेस्वाद लगता है वो शेक........
    तुम्हारे बिना....
    हाँ कभी कभी तुम्हारी यादों की शक्कर घोल कर,
    तुम्हारे एहसासों का रंग डालता हूँ..........
    तब कहीं पी पाता हूँ.....

    bahut khoob.....!!

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  18. यही छोटे-छोटे लम्हे जिंदगी की कीमती धरोहर होते हैं

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  19. हाँ कभी कभी तुम्हारी यादों की शक्कर घोल कर,तुम्हारे एहसासों का रंग डालता हूँ..........तब कहीं पी पाता हूँ.....
    kaya baat hai sundar ahsas bhari rachna ....

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  20. yadon ke saphar ki bahut hi sundar bhav--------dhanyvad

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  21. शेक की जगह केक ! ओह , कहीं जन्मदिन पास तो नहीं ! :)

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  22. एक वो नन्हा सा लम्हा.......तुम्हारे साथ गुजारा हुआ...................तकरीबन बेमकसद सा...................आज उसकी याद मेरे जीने का मकसद बनी हुई है..

    बहुत सुंदर भाव । आपको ही नही .हर इंसान को बीते हुए लमहों की कसक सताती रहती है। ये लमहे ही हैं जो हमें जीवन के प्रति अनुराग को बढ़ाते हैं एवं वर्तमान को ठंढी हवाओं की तरह एक सुखद अनुभूति से पुलकित करा जाते हैं । प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  23. अनु जी आपकी क़ैद टिप्पणी स्पैम में मिली ! ट्विटर पर एक अनु हैं उनका कहना वो वो अनु नहीं खैर यह छद्मवेशी और अदृश्य अनु से धन्यवाद ज्ञापन का सहज उपाय लगा इसलिए इस मार्ग पर चला आया

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  24. Kyaa aap bataa saktee hein seemit aseemit kavitaa kahaan padhee aapne ,
    ye meree pahlee 2-3 kavitaaon mein hai

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    1. डॉक्टर साहब "आज की हलचल" में उसका लिंक दिया गया है जो सदा जी ने पेश की.

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  25. कितना अच्छा लिखती है आप..
    आपकी यादे को कमाल है..अच्छा है आपने इन्हें डायरी में संभालकर रखा है..और हमसे साँझा करती है...कितने गहरे अहसास और सुकुनवाली है ये यादे.....
    बहुत बढ़िया.....
    था साथ तेरा तो धूप भी मुझको चाँद रात सी लगती थी
    तेरे मेरे बीच की चुप भी, मीठी बात सी लगती थी....
    इन दो लाइनों ने तो दिल को छु लिया...
    बेहतरीन....

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  26. din , mahino aur saalon ki parto se dhak rakhate hai hum yaadon ko. Aur khabhi khabhi sirf ek khusbu buhar deti hai sari parten........ aisi khusbu hai in shabdon mai !!!!!

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  27. तुम्हें तो पसंद ही नहीं था ना वो शेक ???? शेक क्या !!! शायद मैं भी नहीं......वरना आज साथ ना होतीं !!!!!
    चंद घुसपैठ शब्दों ने सारी दास्तान बयां कर दी.....

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  28. कविता का अहसास जगाती....

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  29. अब कितना बेस्वाद लगता है वो शेक........तुम्हारे बिना....
    शायद वह स्वाद शेक का था ही नहीं ....
    बहुत सुन्दर और काव्यमय रचना

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  30. अब कितना बेस्वाद लगता है वो शेक........
    तुम्हारे बिना....
    हाँ कभी कभी तुम्हारी यादों की शक्कर घोल कर,
    तुम्हारे एहसासों का रंग डालता हूँ..........
    तब कहीं पी पाता हूँ.....बेहतरीन और बहुत कुछ लिख दिया आपने.....

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  31. बहुत ही सुंदर और ख़ूबसूरत एहसास वाली अच्छी पोस्ट.... बहुत अच्छा लगा... आपके ब्लॉग पर आ कर... थैंक्स फोर शेयरिंग...

    रिगार्ड्स........

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  32. bahut sundar... Liked your strawberry style!

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  33. वाह कितना खूबसूरत भावसंप्रेषण । इन अहसासों के धागों से ही तो जिंदगी की दुशाल बुनती है । इन मीठे अहसासों की खुशबू आजीवन ताजी बनी रहती है, उनकी खलिस हर वक्त ताजा रहती है ।

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  34. Beautiful..
    ऐसे पन्ने पढ़ते रहने का दिल करता है :)

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  35. awww.....this is beautiful.....bohot pyaari post hai

    thanks for being around my corner too ;)

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  36. :):)Strawberry icecream :):) only the spoon didnt retain the marks but the taste melted and blended totally

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  37. Kitni mithas hai, aapke shabdo main... bilkul strawberry shake ki tarah, dil karta hai peete hi chale jaaye. :)

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  38. था साथ तेरा तो धूप भी मुझको चाँद रात सी लगती थी
    तेरे मेरे बीच की चुप भी, मीठी बात सी लगती थी....
    kya baat..kya baat

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  39. strawberry sa hi gulabi likha bhi hai apne di.....sweet

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