मैं भी ना.....डायरी के पन्ने पढवाते पढवाते जाने कब कविताएं पढवाने लगी आप सबको....चलिए आज फिर एक पन्ना आपके लिए......
ये मेरी डायरी का नहीं......मगर शायद ज़िक्र मेरा है इसमें..............लगता तो है.....कौन जाने?????
छोटे छोटे लम्हों से बना करतीं हैं यादें.......और ये लम्हे कितने बड़े हो जाते हैं अकसर.......ढेर सारी जगह घेर लेते हैं हमारी स्मृतियों की...........क्या वक्त के साथ बढते जाते हैं लम्हे???? जैसे पौधा बढ़ता है कोई............
एक वो नन्हा सा लम्हा.......तुम्हारे साथ गुजारा हुआ...................तकरीबन बेमकसद सा...................आज उसकी याद मेरे जीने का मकसद बनी हुई है..
याद आती है वो शाम जब तुमने मेरे ग्लास से पिया था वो स्ट्रोबेरी शेक ..............
तुम्हारे होंठों के निशान वाला वो ग्लास अब तक रखा है....यूँ ही बगैर धुला.
कितना मीठा और गुलाबी हो गया था वो शेक यकायक.............तुम्हारे होंठों के स्पर्श से.........
मैंने तुमसे कहा भी था.
तुम हंस पड़ीं थीं........अरे!!! स्ट्रोबेरी शेक है.....मीठा और गुलाबी तो होगा ही ना ?????
मगर नहीं!!!! तुम गलत थीं..........
अब कितना बेस्वाद लगता है वो शेक........तुम्हारे बिना....
हाँ कभी कभी तुम्हारी यादों की शक्कर घोल कर,तुम्हारे एहसासों का रंग डालता हूँ..........तब कहीं पी पाता हूँ.....
तुम्हें तो पसंद ही नहीं था ना वो शेक ???? शेक क्या !!! शायद मैं भी नहीं......वरना आज साथ ना होतीं !!!!!
था साथ तेरा तो धूप भी मुझको चाँद रात सी लगती थी
तेरे मेरे बीच की चुप भी, मीठी बात सी लगती थी....
ये मेरी डायरी का नहीं......मगर शायद ज़िक्र मेरा है इसमें..............लगता तो है.....कौन जाने?????
छोटे छोटे लम्हों से बना करतीं हैं यादें.......और ये लम्हे कितने बड़े हो जाते हैं अकसर.......ढेर सारी जगह घेर लेते हैं हमारी स्मृतियों की...........क्या वक्त के साथ बढते जाते हैं लम्हे???? जैसे पौधा बढ़ता है कोई............
एक वो नन्हा सा लम्हा.......तुम्हारे साथ गुजारा हुआ...................तकरीबन बेमकसद सा...................आज उसकी याद मेरे जीने का मकसद बनी हुई है..
याद आती है वो शाम जब तुमने मेरे ग्लास से पिया था वो स्ट्रोबेरी शेक ..............
तुम्हारे होंठों के निशान वाला वो ग्लास अब तक रखा है....यूँ ही बगैर धुला.
कितना मीठा और गुलाबी हो गया था वो शेक यकायक.............तुम्हारे होंठों के स्पर्श से.........
मैंने तुमसे कहा भी था.
तुम हंस पड़ीं थीं........अरे!!! स्ट्रोबेरी शेक है.....मीठा और गुलाबी तो होगा ही ना ?????
मगर नहीं!!!! तुम गलत थीं..........
अब कितना बेस्वाद लगता है वो शेक........तुम्हारे बिना....
हाँ कभी कभी तुम्हारी यादों की शक्कर घोल कर,तुम्हारे एहसासों का रंग डालता हूँ..........तब कहीं पी पाता हूँ.....
तुम्हें तो पसंद ही नहीं था ना वो शेक ???? शेक क्या !!! शायद मैं भी नहीं......वरना आज साथ ना होतीं !!!!!
था साथ तेरा तो धूप भी मुझको चाँद रात सी लगती थी
तेरे मेरे बीच की चुप भी, मीठी बात सी लगती थी....
क्या बात है ... ये स्त्रौबरी का शेक ... उफ़ ... कहीं मार न डाले ... मज़ा आ गया इस लिखने के अंदाज़ पे ...
ReplyDeleteस्ट्राबेरी का शेक तो स्वादिष्ट होगा ही मगर आपकी लेखनी भी कम रस सिक्त नहीं करती . विछोह के दर्द को आप सहज ढंग से उकेर देती है . सुँदर .वैसे मुझे तो लगा डायरी के पन्ने में आप ही हो . है ना?
ReplyDelete:-) आप हमारी एक पोस्ट आत्मकथा......सत्यकथा नहीं पढ़िए प्लीस....अगर वक्त मिले तो.
Deletehttp://allexpression.blogspot.in/2012/03/blog-post.html
जी पढ़ लिया , और पढने का संकल्प भी किया , सत्य हो या कहानी . महाजनाः येन गताः सः पन्थाः
Deleteवाह ! स्ट्राबेरी ...कितने रंग ..कितने ढंग , कितनी खुसबू और कितने स्वाद... बहुत सुन्दर आलेख.
ReplyDeletegahan bhavon ki sundar abhivyakti .aabhar
ReplyDeleteYE HAI MISSION LONDON OLYMPIC-LIKE THIS PAGE AND SHOW YOUR PASSION OF INDIAN HOCKEY -NO CRICKET ..NO FOOTBALL ..NOW ONLY GOAL !
वाह ! बहुत भावपूर्ण ...मन को गहराई तक छू गया...
ReplyDeleteबड़ी प्यारी अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत सहज और भावों कि चाशनी में डूबा ....अनु मुझे तो स्ट्रोबेरी शेक ............बहुत पसंद है ....!!
ReplyDeleteकितने अनकहे पीछे धुंधले से पड़े एहसास
ReplyDeleteस्म्रितियां तो मन की लहरें हैं
ReplyDeleteफ़िर फ़िर दस्तक देजाती हैं।
यादों की शक्कर के संग एहसासों का रंग ..अनुपम भाव संयोजन ...
ReplyDeleteawww..cute
ReplyDeletewaah......
ReplyDeleteबढ़िया है...
ReplyDeleteवाह.... कमाल की प्रस्तुति है आपकी.
ReplyDeleteशेक से उफनता ... अहसास..
ReplyDeleteअब कितना बेस्वाद लगता है वो शेक........तुम्हारे बिना....
ReplyDeleteहाँ कभी कभी तुम्हारी यादों की शक्कर घोल कर,तुम्हारे एहसासों का रंग डालता हूँ..........तब कहीं पी पाता हूँ.....
किसी अपने के साथ के बिना चीनी भी बेस्वाद लगने लगती है.... जिंदगी का असली स्वाद तो "साथ" में ही है...
बहुत ही सुन्दर रचना है ये आपकी "स्ट्रोबेरी शेक"
हमें तो पिलाया नहीं कभी भोपाल में... ;)
अबकी बार आयेंगे तो जरुर पियेंगे... बड़ा yummy लग रहा है ये तो.... :)
:-)
Deleteअब तो स्ट्रोबेरी घर पर उगाई भी हैं......खूब फलीं भी...got some nice sweet and juicy crop.....
wow!!!! i love your gardening .... <3 <3
Deleteअनलिमिटेड वाह! इस पोस्ट के लिए!
ReplyDeleteसादर
लम्हो के छोटे- छोटे टुकड़े हमारी यादों में बसा करते ..बहुत सुन्दर
ReplyDeleteयाद आती है वो शाम जब तुमने मेरे ग्लास से पिया था वो स्ट्रोबेरी शेक .
ReplyDeleteतुम्हारे होंठों के निशान वाला वो ग्लास अब तक रखा है....यूँ ही बगैर धुला.
बहुत बढ़िया सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
बहुत सुहानी यादें .
ReplyDeleteखूबसूरत केक !
अब कितना बेस्वाद लगता है वो शेक........
ReplyDeleteतुम्हारे बिना....
हाँ कभी कभी तुम्हारी यादों की शक्कर घोल कर,
तुम्हारे एहसासों का रंग डालता हूँ..........
तब कहीं पी पाता हूँ.....
bahut khoob.....!!
यही छोटे-छोटे लम्हे जिंदगी की कीमती धरोहर होते हैं
ReplyDeleteहाँ कभी कभी तुम्हारी यादों की शक्कर घोल कर,तुम्हारे एहसासों का रंग डालता हूँ..........तब कहीं पी पाता हूँ.....
ReplyDeletekaya baat hai sundar ahsas bhari rachna ....
yadon ke saphar ki bahut hi sundar bhav--------dhanyvad
ReplyDeleteशेक की जगह केक ! ओह , कहीं जन्मदिन पास तो नहीं ! :)
ReplyDelete:-) इसी महीने में......
Deleteएक वो नन्हा सा लम्हा.......तुम्हारे साथ गुजारा हुआ...................तकरीबन बेमकसद सा...................आज उसकी याद मेरे जीने का मकसद बनी हुई है..
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव । आपको ही नही .हर इंसान को बीते हुए लमहों की कसक सताती रहती है। ये लमहे ही हैं जो हमें जीवन के प्रति अनुराग को बढ़ाते हैं एवं वर्तमान को ठंढी हवाओं की तरह एक सुखद अनुभूति से पुलकित करा जाते हैं । प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
sweet
ReplyDeleteअनु जी आपकी क़ैद टिप्पणी स्पैम में मिली ! ट्विटर पर एक अनु हैं उनका कहना वो वो अनु नहीं खैर यह छद्मवेशी और अदृश्य अनु से धन्यवाद ज्ञापन का सहज उपाय लगा इसलिए इस मार्ग पर चला आया
ReplyDeleteKyaa aap bataa saktee hein seemit aseemit kavitaa kahaan padhee aapne ,
ReplyDeleteye meree pahlee 2-3 kavitaaon mein hai
डॉक्टर साहब "आज की हलचल" में उसका लिंक दिया गया है जो सदा जी ने पेश की.
Deleteखूबसूरत एहसास ....
ReplyDeleteकितना अच्छा लिखती है आप..
ReplyDeleteआपकी यादे को कमाल है..अच्छा है आपने इन्हें डायरी में संभालकर रखा है..और हमसे साँझा करती है...कितने गहरे अहसास और सुकुनवाली है ये यादे.....
बहुत बढ़िया.....
था साथ तेरा तो धूप भी मुझको चाँद रात सी लगती थी
तेरे मेरे बीच की चुप भी, मीठी बात सी लगती थी....
इन दो लाइनों ने तो दिल को छु लिया...
बेहतरीन....
din , mahino aur saalon ki parto se dhak rakhate hai hum yaadon ko. Aur khabhi khabhi sirf ek khusbu buhar deti hai sari parten........ aisi khusbu hai in shabdon mai !!!!!
ReplyDeleteतुम्हें तो पसंद ही नहीं था ना वो शेक ???? शेक क्या !!! शायद मैं भी नहीं......वरना आज साथ ना होतीं !!!!!
ReplyDeleteचंद घुसपैठ शब्दों ने सारी दास्तान बयां कर दी.....
कविता का अहसास जगाती....
ReplyDeleteअब कितना बेस्वाद लगता है वो शेक........तुम्हारे बिना....
ReplyDeleteशायद वह स्वाद शेक का था ही नहीं ....
बहुत सुन्दर और काव्यमय रचना
अब कितना बेस्वाद लगता है वो शेक........
ReplyDeleteतुम्हारे बिना....
हाँ कभी कभी तुम्हारी यादों की शक्कर घोल कर,
तुम्हारे एहसासों का रंग डालता हूँ..........
तब कहीं पी पाता हूँ.....बेहतरीन और बहुत कुछ लिख दिया आपने.....
बहुत ही सुंदर और ख़ूबसूरत एहसास वाली अच्छी पोस्ट.... बहुत अच्छा लगा... आपके ब्लॉग पर आ कर... थैंक्स फोर शेयरिंग...
ReplyDeleteरिगार्ड्स........
bahut sundar... Liked your strawberry style!
ReplyDeletebahut sundar rachna
ReplyDeleteवाह कितना खूबसूरत भावसंप्रेषण । इन अहसासों के धागों से ही तो जिंदगी की दुशाल बुनती है । इन मीठे अहसासों की खुशबू आजीवन ताजी बनी रहती है, उनकी खलिस हर वक्त ताजा रहती है ।
ReplyDeleteBeautiful..
ReplyDeleteऐसे पन्ने पढ़ते रहने का दिल करता है :)
awww.....this is beautiful.....bohot pyaari post hai
ReplyDeletethanks for being around my corner too ;)
:):)Strawberry icecream :):) only the spoon didnt retain the marks but the taste melted and blended totally
ReplyDeleteKitni mithas hai, aapke shabdo main... bilkul strawberry shake ki tarah, dil karta hai peete hi chale jaaye. :)
ReplyDeletewaah bahut khub
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ReplyDeleteथा साथ तेरा तो धूप भी मुझको चाँद रात सी लगती थी
तेरे मेरे बीच की चुप भी, मीठी बात सी लगती थी....
kya baat..kya baat
strawberry sa hi gulabi likha bhi hai apne di.....sweet
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