इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Sunday, April 1, 2012

सिलसिला

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी ....................इसी उम्मीद पर शायद लोग गज़ल लिखा करते हैं.......


मोहब्बत में शिकवा गिला छोड़ दे अपने दिल से मेरा सिलसिला जोड़ दे
जो राहें मेरे दर को आती न हों उन राहों का रुख तू अभी मोड़ दे....
जाना चाहे न दिल बिन तेरे अब कहीं मेरे साए पे साया तेरा ओढ़ दे...
मेरी साँसों की रफ़्तार मद्धम हुई इन रगों में तू अपना लहू छोड़ दे..
वो कहते हैं तुम, अब के तुम न रहे अपने माज़ी को शिद्दत से झकझोर दे...
चल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम अपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे...
अपने दिल से मेरा सिलसिला जोड़ दे .....

अनुलता




49 comments:

  1. बहुत बढ़िया ....रामनवमी की शुभ कामनाएं !!!

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  2. कथ्य समान्य पर भाव सुन्दर हैं ,किसी एक भाषा को संजोने का प्रयास करें ,साहित्य में प्रखरता आयेगी .. शुभकामनायें /

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  3. शुभकामनायें ||

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  4. जुड जायेंगे वो सिलसिले,टूटे तार भी
    प्यार का एहसास फिर से जगेगा,उम्मीद है !

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  5. चल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
    अपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे...
    वाह... बहुत खूबसूरत...

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  6. अब बात जब निकल ही गयी है तो दूर तक तो जाएगी ही...

    अपने माज़ी को शिद्दत से झकझोड़ दे...बहुत खूब...

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  7. सिलसिला जुड़ चुका है।

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  8. बहुत खूब .... झकझोड़ की जगह झकझोर ज्यादा उपयुक्त शब्द है ...

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  9. शुक्रिया दी.....सही कर दिया :-)

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  10. चल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
    अपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे...

    bebak nd sahaj prastuti bahut acchi lagi....

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  11. सुन्दर गीत जैसा...!!

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  12. bahut badhia rachna ....
    shubhkamnayen ...Anu ji ...

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  13. prayaas rat rahen ghazal aur bhi behtreen likh sakti ho kalam ki dhaar sundar hai.bahut umda bhaavabhivyakti.

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  14. अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी ही ,इतनी शिद्दत से पुकारा जो है . सुँदर .

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  15. बहुत ही सुन्दर और सुखद रचना |अनु जी बधाई |

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  16. मेरी साँसों की रफ़्तार मद्धम हुई
    इन रगों में तू अपना लहू छोड़ दे..

    बेहतरीन पंक्तियाँ


    सादर

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  17. अति सुन्दर भाव.....

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  18. वो कहते हैं के तुम अब तुम न रहे
    अपने माज़ी को शिद्दत से झकझोर दे...waah

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  19. बात तो दूर तक चली गई..सिलसिला जुड़ गया...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति अनु..

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  20. मेरी साँसों की रफ़्तार मद्धम हुई
    इन रगों में तू अपना लहू छोड़ दे..
    बहुत बढ़िया रचना,सुंदर भाव ,....

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

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  21. चल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
    अपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे...

    सुन्दर भाव !

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  22. चल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
    अपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे...

    बहुत बढ़िया .
    सुन्दर ग़ज़ल .

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  23. bahut umda rachna!

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  24. चल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
    अपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे...
    बिलकुल यही सारभूत है :)

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  25. बहुत ही बढ़िया गजल है....
    लाजवाब....

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  26. wah bahut khoob likha hai apne ...badhai ke sath abhar bhi.

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  27. सभी शेर बहुत सुन्दर, दाद स्वीकारें.

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  28. सोचा बहुत,कि न पछतावा हो
    तय हुआ ना अभी,क्या करें न करें

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  29. आपके ब्लॉग पर आगमन का स्वागत तथा शुभकामनाओं के लिए आभार.
    बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.

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  30. बहुत खूब... सुंदर नज़्म...
    सादर।

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  31. बहुत बहुत शुक्रिया यशवंत...

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  32. मेरी साँसों की रफ़्तार मद्धम हुई
    इन रगों में तू अपना लहू छोड़ दे..

    वो कहते हैं के तुम अब तुम न रहे
    अपने माज़ी को शिद्दत से झकझोर दे...

    वाह बहुत बढ़िया

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  33. अपने दिल से मेरा सिलसिला जोड़ दे .....

    "फिर चाहे ये दुनिया मुझको छोड़ दे....!!"

    सुन्दर....!!

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  34. जाना चाहे न दिल बिन तेरे अब कहीं
    मेरे साए पे साया तेरा ओढ़ दे...

    वाह, खूबसूरत लाइनें व बहुत प्यारी नज्म अनु ।

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  35. चल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
    अपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे,bahut umda gazal

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  36. हमेशा की तरह ही एक और बेहतरीन प्रस्तुति....बहुत ही बढ़िया अनु जी.

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  37. मेरी साँसों की रफ़्तार मद्धम हुई
    इन रगों में तू अपना लहू छोड़ दे

    bahut khub

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  38. this is a happy happy one . i like it

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  39. अति सुन्दर अनु जी. पढ़ के मज़ा आया.

    निहार

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  40. bahut khub behna .kitna khoobsoorat kaha hai aapne.

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