बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी ....................इसी उम्मीद पर शायद लोग गज़ल लिखा करते हैं.......
मोहब्बत में शिकवा गिला छोड़ दे
अपने दिल से मेरा सिलसिला जोड़ दे
जो राहें मेरे दर को आती न हों
उन राहों का रुख तू अभी मोड़ दे....
जाना चाहे न दिल बिन तेरे अब कहीं
मेरे साए पे साया तेरा ओढ़ दे...
मेरी साँसों की रफ़्तार मद्धम हुई
इन रगों में तू अपना लहू छोड़ दे..
वो कहते हैं तुम, अब के तुम न रहे
अपने माज़ी को शिद्दत से झकझोर दे...
चल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
अपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे...
अपने दिल से मेरा सिलसिला जोड़ दे .....
अनुलता
वाह!!
ReplyDeleteबहुत खूब
बहुत बढ़िया ....रामनवमी की शुभ कामनाएं !!!
ReplyDeleteकथ्य समान्य पर भाव सुन्दर हैं ,किसी एक भाषा को संजोने का प्रयास करें ,साहित्य में प्रखरता आयेगी .. शुभकामनायें /
ReplyDeleteशुभकामनायें ||
ReplyDeleteजुड जायेंगे वो सिलसिले,टूटे तार भी
ReplyDeleteप्यार का एहसास फिर से जगेगा,उम्मीद है !
बढिया रचना है।
ReplyDeleteचल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
ReplyDeleteअपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे...
वाह... बहुत खूबसूरत...
अब बात जब निकल ही गयी है तो दूर तक तो जाएगी ही...
ReplyDeleteअपने माज़ी को शिद्दत से झकझोड़ दे...बहुत खूब...
सिलसिला जुड़ चुका है।
ReplyDeleteबहुत खूब .... झकझोड़ की जगह झकझोर ज्यादा उपयुक्त शब्द है ...
ReplyDeleteशुक्रिया दी.....सही कर दिया :-)
ReplyDeleteचल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
ReplyDeleteअपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे...
bebak nd sahaj prastuti bahut acchi lagi....
उम्दा रचना।
ReplyDeleteसुन्दर गीत जैसा...!!
ReplyDeletebahut badhia rachna ....
ReplyDeleteshubhkamnayen ...Anu ji ...
prayaas rat rahen ghazal aur bhi behtreen likh sakti ho kalam ki dhaar sundar hai.bahut umda bhaavabhivyakti.
ReplyDeleteअब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी ही ,इतनी शिद्दत से पुकारा जो है . सुँदर .
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सुखद रचना |अनु जी बधाई |
ReplyDeletebeautifullest!
ReplyDeleteमेरी साँसों की रफ़्तार मद्धम हुई
ReplyDeleteइन रगों में तू अपना लहू छोड़ दे..
बेहतरीन पंक्तियाँ
सादर
अति सुन्दर भाव.....
ReplyDeleteसुंदर नज़्म ....
ReplyDeleteवो कहते हैं के तुम अब तुम न रहे
ReplyDeleteअपने माज़ी को शिद्दत से झकझोर दे...waah
बात तो दूर तक चली गई..सिलसिला जुड़ गया...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति अनु..
ReplyDeletewaah..bahut khoob likha hai..
ReplyDeleteमेरी साँसों की रफ़्तार मद्धम हुई
ReplyDeleteइन रगों में तू अपना लहू छोड़ दे..
बहुत बढ़िया रचना,सुंदर भाव ,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
चल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
ReplyDeleteअपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे...
सुन्दर भाव !
चल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
ReplyDeleteअपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे...
बहुत बढ़िया .
सुन्दर ग़ज़ल .
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteLearnings: कहानी !
बहुत खूब ... !!
ReplyDeletebahut umda rachna!
ReplyDeleteचल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
ReplyDeleteअपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे...
बिलकुल यही सारभूत है :)
बहुत ही बढ़िया गजल है....
ReplyDeleteलाजवाब....
wah bahut khoob likha hai apne ...badhai ke sath abhar bhi.
ReplyDeleteसभी शेर बहुत सुन्दर, दाद स्वीकारें.
ReplyDeleteवाह...उम्दा!!
ReplyDeleteसोचा बहुत,कि न पछतावा हो
ReplyDeleteतय हुआ ना अभी,क्या करें न करें
आपके ब्लॉग पर आगमन का स्वागत तथा शुभकामनाओं के लिए आभार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन , बधाई.
बहुत खूब... सुंदर नज़्म...
ReplyDeleteसादर।
बहुत बहुत शुक्रिया यशवंत...
ReplyDeleteमेरी साँसों की रफ़्तार मद्धम हुई
ReplyDeleteइन रगों में तू अपना लहू छोड़ दे..
वो कहते हैं के तुम अब तुम न रहे
अपने माज़ी को शिद्दत से झकझोर दे...
वाह बहुत बढ़िया
अपने दिल से मेरा सिलसिला जोड़ दे .....
ReplyDelete"फिर चाहे ये दुनिया मुझको छोड़ दे....!!"
सुन्दर....!!
जाना चाहे न दिल बिन तेरे अब कहीं
ReplyDeleteमेरे साए पे साया तेरा ओढ़ दे...
वाह, खूबसूरत लाइनें व बहुत प्यारी नज्म अनु ।
चल न पायेंगे हम बिन तेरे एक कदम
ReplyDeleteअपनी यादों पे तू फिर ज़रा जोर दे,bahut umda gazal
हमेशा की तरह ही एक और बेहतरीन प्रस्तुति....बहुत ही बढ़िया अनु जी.
ReplyDeleteमेरी साँसों की रफ़्तार मद्धम हुई
ReplyDeleteइन रगों में तू अपना लहू छोड़ दे
bahut khub
this is a happy happy one . i like it
ReplyDeleteअति सुन्दर अनु जी. पढ़ के मज़ा आया.
ReplyDeleteनिहार
bahut khub behna .kitna khoobsoorat kaha hai aapne.
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