इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Thursday, July 5, 2012

बरसो तो कुछ यूँ बरसो.......

सुनो  बरखा...
भिगो दो मुझे.....
मेरा अंतस.................
कोई जान न पाए...
पहचान न पाए मेरे अश्रुओं की धार को..

धो डालो मेरा मन..
मेरे घाव....
मन निर्मल,स्वच्छ कर दो..
तुम दवा बन बरसो....

भिगो दो हर उस ह्रदय को
जिस पर नेह की बूँद
न टपकी हो अब तक....
बदरा तुम
प्रेम बन बरसो...

तर कर दो हर अतृप्त आत्मा को...
कोई प्यासा न रहे
इस निर्मम जग में,
तुम चाह बन बरसो..

बरसो उस बंजर भूमि में
जो दरक गयी है...
जिसके हिस्से के बदरा
कहीं और बरस गए थे पिछले बरस
तुम दुआ बन बरसो....

बरसो उन सूखे पत्तों पर....
जो गिर पड़े है नीर के अभाव में...
बरसो उन शाखों पर जो
ठूंठ  हो गयीं है
तुम्हारे वियोग में,
तुम आस बन बरसो....

बरसो...
खूब बरसो....
सब कुछ हरा कर दो
हर नाउम्मीद पर
किसी उम्मीद की  तरह बरसो...


अनु 

52 comments:

  1. आज तो आपकी कविता बिलकुल बरस पड़ी है.भाव तभी सच्चे फूटते हैं जब दिल टूटते हैं.यह आवाहन दुतरफा है,उम्मीद है कि सुनवाई होगी !

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  2. इसी उम्मीद से ताका करते है नयन आसमान को..सुन्दर...

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  3. भिगो दो हर उस ह्रदय को
    जिस पर नेह की बूँद
    न टपकी हो अब तक....
    बदरा तुम
    प्रेम बन बरसो...

    सुन्दर भाव !

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  4. बरसो...
    खूब बरसो....
    सब कुछ हरा कर दो
    हर नाउम्मीद पर
    किसी उम्मीद की तरह बरसो...

    लेकिन बरसो तो सही ..... बादलों के लिए दिल्ली दूर लग रही ही ..... खूबसूरत भाव लिए सुंदर रचना

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  5. उत्कृष्ट प्रस्तुति |
    शुभकामनायें ||

    बरसो तो कुछ यूँ बरसो,
    तन मन बरसो तक भीग रहे |

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  6. अब इतनी प्यारी मनुहार भला मेघा कैसे ना माने , यहाँ तो अमृत रस फुहार गिर रही है, सर्व जन सुखाय रचना

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  7. बरसो...
    खूब बरसो....
    सब कुछ हरा कर दो
    हर नाउम्मीद पर
    किसी उम्मीद की तरह बरसो...
    जरुर बरसेंगे. इतनी मनुहार के बाद उन्हें बरसना ही होगा... बहुत सुन्दर मनभावन प्रस्तुति... शुभकामनायें

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  8. tum ne kaha aur kal he shuru ho gaye!

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  9. जाने कितनी रातें सूखी , दिन सूखे , दिल सूखे , आहटें सूखी .......... बरसो घनघोर घटाओं के संग , हर्षित स्वर तो गूंजे

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  10. waah bahut sundar bhav anu ji .....badra baras gaye .........badhai :))
    barda jor se barso

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  11. बरसो...
    खूब बरसो....
    सब कुछ हरा कर दो
    हर नाउम्मीद पर
    किसी उम्मीद की तरह बरसो.....अब तो बरस ही रहे है यहाँ भी..सुन्दर प्रस्तुति..अनु..

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  12. बरसो...
    खूब बरसो....
    सब कुछ हरा कर दो
    हर नाउम्मीद पर
    किसी उम्मीद की तरह बरसो...
    अनुपम भाव ... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ...आभार

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  13. "अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
    मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई"
    ..very beautifully penned Anu:) Congrats, and welcome on Indiblogger:)

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  14. बरसो...
    खूब बरसो....
    सब कुछ हरा कर दो
    हर नाउम्मीद पर
    किसी उम्मीद की तरह बरसो...

    आपका आदेश मान कर आज लखनऊ मे बादल अच्छी तरह बरस रहे हैं। :)

    सादर

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  15. बहुत सुन्दर अब तो बरसेगा बादल जरुर...
    :-)

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  16. saavan ki fuhaaron ke beech aapki post ne bhi sab kuchh hara-hara kar kar diya....badhaai

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  17. बरसो...
    खूब बरसो....
    सब कुछ हरा कर दो
    हर नाउम्मीद पर
    किसी उम्मीद की तरह बरसो...

    इतनी शिद्दत है तो बरसना ही पडेगा

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  18. wah.bahut sunder barso - jam kar barso

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  19. आपकी मनुहार सुन ली गई...
    जम कर बारिश हुई...
    बहुत दिनों बाद ठंढक मिली !!!

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  20. हर नाउम्मीद पर उम्मीद की तरह बरसो ...
    बहुत सुंदर अनु ..

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  21. waah sundar bhaav Anu ...dekho baras hii gayi ...!!

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  22. बरसो री वर्षा!
    घुघूतीबासूती

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  23. जब गरमी प्रचंड हो जाती है तो ऐसे ही ख़्याल मन में आते हैं।

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  24. पर्वत की जुबां फूटी...

    एक शोर उठा पानी

    मंजर पर गिरा मंजर....

    पानी पे गिरा पानी

    बहुत सुन्दर और बढ़िया अनुजी....................

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  25. सुन्दर अति सुन्दर ! क्या बात
    (अरुन शर्मा=arunsblog.in)

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  26. तर कर दो हर तृप्त आत्मा को...
    कोई प्यासा न रहे
    इस निर्मम जग में
    तुम चाह बन कर बरसो...
    बहुत सुन्दर रचना ।

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  27. बरसो...
    खूब बरसो....
    सब कुछ हरा कर दो
    हर नाउम्मीद पर
    किसी उम्मीद की तरह बरसो...

    Awesome !...Loving the expression...

    .

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  28. बहुत सुन्दर आवाहन देखों कब बरसते है ये निष्ठुर बदरा..
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति

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  29. भिगो दो हर उस ह्रदय को
    जिस पर नेह की बूँद
    न टपकी हो अब तक....
    बदरा तुम
    प्रेम बन बरसो...

    lo ji aaj to neh hi neh hai har jagah boondon k roop me.
    waise ek baat kahun...aaj tak jitna maine apko padha ye baat aapke lekhan(jeewan) se mail nahi khaati....(ha.ha.ha.)


    बरसो उन सूखे पत्तों पर....
    जो गिर पड़े है नीर के अभाव में...
    बरसो उन शाखों पर जो
    ठूंठ हो गयीं है
    तुम्हारे वियोग में,
    तुम आस बन बरसो....

    bhaav-vihwal kar dene wali panktiyan.

    bahut khoobsurat nazm....shayad isi ka asar hai ki aaj hamare faridabad (haryana) me barish ho gayi. :-)

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  30. बहुत सुन्दर अनु जी.....प्रेम, दया, करुणा, ममता बरसाती प्यारी सी दुआ!

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  31. कल से पहले तो हम भी यही दुआ कर रहे थे, और देखिये किस तरह से बादल बरसे हैं दिल्ली में :)

    कविता शानदार है, एज ओल्वैज :)

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  32. सुंदर भाव रचे है रचना में.
    बहुत सुंदर ...

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  33. सुंदर, बहुत खूब !!
    मैं तो अभी मुंबई में हूँ और ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ बादलों ने आपकी कविता पढ़ ली है :)

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  34. बेहद सुन्दर रचना. ह्रदय में उतर गयी. आभार.

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  35. wah, bahut sahaj aur sundar kavita

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  36. बहुत ही खुबसूरत सावन में भीगी पंक्तिया....

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  37. A beautiful poem coming straight from the core of the heart.....morever it has a feeling for the well being of each and all.
    (Thru mobile)

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  38. आपकी भी बात मान ली है ..बारिश ने

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  39. अनु जी, बहुत सुंदर भाव और उनकी प्रस्तुति !

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  40. Very nice and soft lines.. congratz...

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  41. स्वागत हैं इस बरखा का ...

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  42. बहुत ही सुन्दर रचना वर्षा के स्वागत की,बधाई अनु

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  43. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  44. beautiful!!!!!

    hug from Brasil!! ( abraço do Brasil )

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  45. अब बरस जाओ भाई , plzzzzz, :)
    अच्छी कविता |
    उम्मीद की तरह बरसो ज्यादा पसंद आया |

    सादर

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