सुनो बरखा...
भिगो दो मुझे.....
मेरा अंतस.................
कोई जान न पाए...
पहचान न पाए मेरे अश्रुओं की धार को..
धो डालो मेरा मन..
मेरे घाव....
मन निर्मल,स्वच्छ कर दो..
तुम दवा बन बरसो....
भिगो दो हर उस ह्रदय को
जिस पर नेह की बूँद
न टपकी हो अब तक....
बदरा तुम
प्रेम बन बरसो...
तर कर दो हर अतृप्त आत्मा को...
कोई प्यासा न रहे
इस निर्मम जग में,
तुम चाह बन बरसो..
बरसो उस बंजर भूमि में
जो दरक गयी है...
जिसके हिस्से के बदरा
कहीं और बरस गए थे पिछले बरस
तुम दुआ बन बरसो....
बरसो उन सूखे पत्तों पर....
जो गिर पड़े है नीर के अभाव में...
बरसो उन शाखों पर जो
ठूंठ हो गयीं है
तुम्हारे वियोग में,
तुम आस बन बरसो....
बरसो...
खूब बरसो....
सब कुछ हरा कर दो
हर नाउम्मीद पर
किसी उम्मीद की तरह बरसो...
अनु
भिगो दो मुझे.....
मेरा अंतस.................
कोई जान न पाए...
पहचान न पाए मेरे अश्रुओं की धार को..
धो डालो मेरा मन..
मेरे घाव....
मन निर्मल,स्वच्छ कर दो..
तुम दवा बन बरसो....
भिगो दो हर उस ह्रदय को
जिस पर नेह की बूँद
न टपकी हो अब तक....
बदरा तुम
प्रेम बन बरसो...
तर कर दो हर अतृप्त आत्मा को...
कोई प्यासा न रहे
इस निर्मम जग में,
तुम चाह बन बरसो..
बरसो उस बंजर भूमि में
जो दरक गयी है...
जिसके हिस्से के बदरा
कहीं और बरस गए थे पिछले बरस
तुम दुआ बन बरसो....
बरसो उन सूखे पत्तों पर....
जो गिर पड़े है नीर के अभाव में...
बरसो उन शाखों पर जो
ठूंठ हो गयीं है
तुम्हारे वियोग में,
तुम आस बन बरसो....
बरसो...
खूब बरसो....
सब कुछ हरा कर दो
हर नाउम्मीद पर
किसी उम्मीद की तरह बरसो...
अनु
आज तो आपकी कविता बिलकुल बरस पड़ी है.भाव तभी सच्चे फूटते हैं जब दिल टूटते हैं.यह आवाहन दुतरफा है,उम्मीद है कि सुनवाई होगी !
ReplyDeleteइसी उम्मीद से ताका करते है नयन आसमान को..सुन्दर...
ReplyDeleteभिगो दो हर उस ह्रदय को
ReplyDeleteजिस पर नेह की बूँद
न टपकी हो अब तक....
बदरा तुम
प्रेम बन बरसो...
सुन्दर भाव !
बरसो...
ReplyDeleteखूब बरसो....
सब कुछ हरा कर दो
हर नाउम्मीद पर
किसी उम्मीद की तरह बरसो...
लेकिन बरसो तो सही ..... बादलों के लिए दिल्ली दूर लग रही ही ..... खूबसूरत भाव लिए सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति |
ReplyDeleteशुभकामनायें ||
बरसो तो कुछ यूँ बरसो,
तन मन बरसो तक भीग रहे |
अब इतनी प्यारी मनुहार भला मेघा कैसे ना माने , यहाँ तो अमृत रस फुहार गिर रही है, सर्व जन सुखाय रचना
ReplyDeletebaras hee nahee rahe bas....
ReplyDeleteबरसो...
ReplyDeleteखूब बरसो....
सब कुछ हरा कर दो
हर नाउम्मीद पर
किसी उम्मीद की तरह बरसो...
जरुर बरसेंगे. इतनी मनुहार के बाद उन्हें बरसना ही होगा... बहुत सुन्दर मनभावन प्रस्तुति... शुभकामनायें
tum ne kaha aur kal he shuru ho gaye!
ReplyDeleteजाने कितनी रातें सूखी , दिन सूखे , दिल सूखे , आहटें सूखी .......... बरसो घनघोर घटाओं के संग , हर्षित स्वर तो गूंजे
ReplyDeletewaah bahut sundar bhav anu ji .....badra baras gaye .........badhai :))
ReplyDeletebarda jor se barso
बरसो...
ReplyDeleteखूब बरसो....
सब कुछ हरा कर दो
हर नाउम्मीद पर
किसी उम्मीद की तरह बरसो.....अब तो बरस ही रहे है यहाँ भी..सुन्दर प्रस्तुति..अनु..
बरसो...
ReplyDeleteखूब बरसो....
सब कुछ हरा कर दो
हर नाउम्मीद पर
किसी उम्मीद की तरह बरसो...
अनुपम भाव ... बेहतरीन अभिव्यक्ति ...आभार
सुन्दर रचना!
ReplyDelete"अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
ReplyDeleteमेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई"
..very beautifully penned Anu:) Congrats, and welcome on Indiblogger:)
बरसो...
ReplyDeleteखूब बरसो....
सब कुछ हरा कर दो
हर नाउम्मीद पर
किसी उम्मीद की तरह बरसो...
आपका आदेश मान कर आज लखनऊ मे बादल अच्छी तरह बरस रहे हैं। :)
सादर
waah
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अब तो बरसेगा बादल जरुर...
ReplyDelete:-)
saavan ki fuhaaron ke beech aapki post ne bhi sab kuchh hara-hara kar kar diya....badhaai
ReplyDeleteबरसो...
ReplyDeleteखूब बरसो....
सब कुछ हरा कर दो
हर नाउम्मीद पर
किसी उम्मीद की तरह बरसो...
इतनी शिद्दत है तो बरसना ही पडेगा
wah.bahut sunder barso - jam kar barso
ReplyDeleteआपकी मनुहार सुन ली गई...
ReplyDeleteजम कर बारिश हुई...
बहुत दिनों बाद ठंढक मिली !!!
हर नाउम्मीद पर उम्मीद की तरह बरसो ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर अनु ..
बहुत खूब ...
ReplyDeleteआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है क्रोध की ऊर्जा का रूपांतरण - ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
Bahut sundar kavita !
ReplyDeletewaah sundar bhaav Anu ...dekho baras hii gayi ...!!
ReplyDeleteWah! Bahut sundar!
ReplyDeleteबरसो री वर्षा!
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
जब गरमी प्रचंड हो जाती है तो ऐसे ही ख़्याल मन में आते हैं।
ReplyDeleteपर्वत की जुबां फूटी...
ReplyDeleteएक शोर उठा पानी
मंजर पर गिरा मंजर....
पानी पे गिरा पानी
बहुत सुन्दर और बढ़िया अनुजी....................
सुन्दर अति सुन्दर ! क्या बात
ReplyDelete(अरुन शर्मा=arunsblog.in)
तर कर दो हर तृप्त आत्मा को...
ReplyDeleteकोई प्यासा न रहे
इस निर्मम जग में
तुम चाह बन कर बरसो...
बहुत सुन्दर रचना ।
बरसो...
ReplyDeleteखूब बरसो....
सब कुछ हरा कर दो
हर नाउम्मीद पर
किसी उम्मीद की तरह बरसो...
Awesome !...Loving the expression...
.
बहुत सुन्दर आवाहन देखों कब बरसते है ये निष्ठुर बदरा..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
भिगो दो हर उस ह्रदय को
ReplyDeleteजिस पर नेह की बूँद
न टपकी हो अब तक....
बदरा तुम
प्रेम बन बरसो...
lo ji aaj to neh hi neh hai har jagah boondon k roop me.
waise ek baat kahun...aaj tak jitna maine apko padha ye baat aapke lekhan(jeewan) se mail nahi khaati....(ha.ha.ha.)
बरसो उन सूखे पत्तों पर....
जो गिर पड़े है नीर के अभाव में...
बरसो उन शाखों पर जो
ठूंठ हो गयीं है
तुम्हारे वियोग में,
तुम आस बन बरसो....
bhaav-vihwal kar dene wali panktiyan.
bahut khoobsurat nazm....shayad isi ka asar hai ki aaj hamare faridabad (haryana) me barish ho gayi. :-)
बहुत सुन्दर अनु जी.....प्रेम, दया, करुणा, ममता बरसाती प्यारी सी दुआ!
ReplyDeleteकल से पहले तो हम भी यही दुआ कर रहे थे, और देखिये किस तरह से बादल बरसे हैं दिल्ली में :)
ReplyDeleteकविता शानदार है, एज ओल्वैज :)
han hum to yehi keh rahe hai barso to yun barso
ReplyDeleteसुंदर भाव रचे है रचना में.
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...
सुंदर, बहुत खूब !!
ReplyDeleteमैं तो अभी मुंबई में हूँ और ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ बादलों ने आपकी कविता पढ़ ली है :)
बेहद सुन्दर रचना. ह्रदय में उतर गयी. आभार.
ReplyDeletewah, bahut sahaj aur sundar kavita
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत सावन में भीगी पंक्तिया....
ReplyDeleteA beautiful poem coming straight from the core of the heart.....morever it has a feeling for the well being of each and all.
ReplyDelete(Thru mobile)
आपकी भी बात मान ली है ..बारिश ने
ReplyDeleteअनु जी, बहुत सुंदर भाव और उनकी प्रस्तुति !
ReplyDeleteVery nice and soft lines.. congratz...
ReplyDeleteस्वागत हैं इस बरखा का ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना वर्षा के स्वागत की,बधाई अनु
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeletebeautiful!!!!!
ReplyDeletehug from Brasil!! ( abraço do Brasil )
अब बरस जाओ भाई , plzzzzz, :)
ReplyDeleteअच्छी कविता |
उम्मीद की तरह बरसो ज्यादा पसंद आया |
सादर