भास्कर भूमि में प्रकाशित http://bhaskarbhumi.com/epaper/index.php?d=2012-07-26&id=8&city=Rajnandgaon#
प्यार जितना ज़रूरी है ,इज़हार भी उतना ही ज़रूरी है......अगर कह न सके तो प्यार करना ही क्यूँ ???? कहे बिना समझने का तकल्लुफ मोहब्बत में बिलावजह घुसपैठ किये बैठा है.......
आँखों की भाषा समझें.........मौन को पढ़ें.........साँसों की खुशबू से पहचानें..........
अरे मगर क्यूँ ???? कहने में क्या हर्ज है भला??? कह के तो देखिये.......
मोहब्बत दुगुनी हो जायेगी......चाहे सीधे कहें ,घुमा कर कहें,लिख कर कहें या गा कर कहें....कहना ज़रूरी है.......सो अपनी बात का खुद पालन करते हुए हमने भी कह डाला......पूरी गज़ल ही कह दी......उसने पढ़ ली :-) अब आप भी पढ़ें...
प्यार जितना ज़रूरी है ,इज़हार भी उतना ही ज़रूरी है......अगर कह न सके तो प्यार करना ही क्यूँ ???? कहे बिना समझने का तकल्लुफ मोहब्बत में बिलावजह घुसपैठ किये बैठा है.......
आँखों की भाषा समझें.........मौन को पढ़ें.........साँसों की खुशबू से पहचानें..........
अरे मगर क्यूँ ???? कहने में क्या हर्ज है भला??? कह के तो देखिये.......
मोहब्बत दुगुनी हो जायेगी......चाहे सीधे कहें ,घुमा कर कहें,लिख कर कहें या गा कर कहें....कहना ज़रूरी है.......सो अपनी बात का खुद पालन करते हुए हमने भी कह डाला......पूरी गज़ल ही कह दी......उसने पढ़ ली :-) अब आप भी पढ़ें...
तेरी आँखों में चेहरा देख लिया
अब तुम ही हो मेरे दर्पण पिया.
तेरी ही खुशबु से महके रहे
तुम ही तो मेरे चन्दन पिया.
तुम संग खिलूँ,हो जाऊं हरी
तुम ही तो मेरे सावन पिया.
तुमसे ही जीवन ये गुलज़ार है
तुम ही तो मेरे मधुबन पिया.
मेरे तुम हुए, मैं हुई बावरी
तुमको दिया मैंने तनमन पिया.
तेरे प्रेम में, मैं तो मीरा हुई
तुम ही मेरे मनमोहन पिया.
-अनु
प्यार हो और इज़हार से परे हो ... भला कहाँ संभव है .
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना है, प्रथम बार आपके ब्लाग पर आया, अच्छा लगा
ReplyDeleteसादर
मनोज
" कितना आसान हो इज़हार....जब हममें तुममें 'बोलता' हो प्यार..." ~बहुत ही प्यारी रचना अनु जी...! हर शब्द से जैसे प्यार छन छन के छलक रहा हो...
ReplyDeleteप्यार जिस रूप में हो बड़ा ही मधुर होता है और इसमे डूबकर ही इसे समझा जा सकता है ..........बहुत सुन्दर अन्नु जी
ReplyDeleteक्या बात है ... जबरदस्त ...
ReplyDeleteकल 25/07/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' हमें आप पर गर्व है कैप्टेन लक्ष्मी सहगल ''
शुक्रिया सदा.
DeleteAnu ji gazal achchi lagi,ek sujhaav hai..pahli line ..dekha kiya ..does not sound correct..if it could be ..dekha kiye ...how it would be ?
ReplyDeleteu are right sharda jee...but then it loses the rhyme...गज़ल के खांचे में आने के लिए थोड़ी छेड़छाड़ शब्दों से करनी पड़ गई...
ReplyDeleteचलिए आपके सुझाव के बाद कुछ और बेहतर सूझ गया....ठीक करती हूँ..
शुक्रिया.
सादर
आपका बहुत आभार रविकर जी.
ReplyDeleteप्यार जितना ज़रूरी है ,इज़हार भी उतना ही ज़रूरी है......अगर कह न सके तो प्यार करना ही क्यूँ ????
ReplyDeleteबिलकुल सही है... सुन्दर प्यार भरी रचना
बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteप्यार है तो इजहार भी जरुरी है..
बहुत ही प्यारी रचना..
:-) :-)
खूबसूरत..... अनु जी.
ReplyDeletehaan ab perfect hai Anu ji.
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteसचमुच मनमोहना कविता।
............
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" उसने पढ़ ली"....कैसी लगी ....मुझे तो भाई बहुत अच्छी लगी !!!!!!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया....
ReplyDeleteप्यार हो... और इजहार न हो... तब सब बेकार है...
पर एक बात और......
चुप रहने की अपनी लज्जत होती है....
प्यार तो सभी करते हैं
ReplyDeleteबस इज़हार ही नहीं कर पाते !
सुन्दर प्यार भरी ग़ज़ल .
प्यार में इजहार तो जरुरी है ही ...
ReplyDeleteआपकी ये रचना उनको जरुर पढ़ा दूंगा जिन्होंने प्यार तो किया मगर इजहार करने से डरते हैं
शायद कुछ बात बने :)
सादर !
वाह !!
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना...
इस इज़हार का परिणाम क्या रहाः)
सस्नेह
बहुत सुन्दर रूप में किया है इज़हार-ए-मुहब्बत आपने.... बहुत खूब.
ReplyDeleteमनमोहन ने मन मोह लिया :)
ReplyDeleteBahut sundar kavita. Agar Gulzar hai to Rakhee be honi chahiye:)
ReplyDeletebahut sundar.
ReplyDeletebilkul sahi piyar ka ijhar jaruri hai.....
ReplyDeleteBeautiful...as alwayss!! :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छी रचना
देखकर आपको कुछ वो भी तो हैरान होगा
ReplyDeleteआपने आईने में जिस वक्त संवारा चेहरा,,,,,,,,
बहुत बढ़िया प्रस्तुती, सुंदर रचना,,,,,
RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
भाव विभोर हो गयी.....
ReplyDeleteतुम हो चन्दन मैं हूँ सुगंध पिया....!
प्रेम ही प्रबल ..बहुत सुंदर चित्र और उतनी ही सुंदर अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteशुभकामनाये ...अनु ..!!
ना ना करते भी इज़हार हो ही जाता है , तो स्वीकार ही क्यों न कर लिया जाए !
ReplyDeleteसुन्दर !
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
...ऐसा प्यार अजर-अमर रहे,किसी की नज़र न लगे...शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteबहुत सुंदर है
ReplyDeleteसब जगह
पिया ही पिया है !
बाप रे कितना पिया पिया किया है
जैसे पिया को इसने पी ही लिया है !!
मनमोहक पंक्तियाँ
ReplyDelete.अगर कह न सके तो प्यार करना ही क्यूँ ???? कहे बिना समझने का तकल्लुफ मोहब्बत में बिलावजह घुसपैठ किये बैठा है.......waah kya baat kahi Anu ji...
ReplyDeleteaha..bauhat sunder :)
ReplyDeleteजो सबके मन में बसा, दुनिया का आधार।
ReplyDeleteयोगिराज श्रीकृष्ण को, सब करते हैं प्यार।।
तेरे प्रेम में, मैं तो मीरा हुई
ReplyDeleteतुम ही मेरे मनमोहन पिया.
इन दो पंक्तियों में ही सब समेट दिया आपने
मनमोहन के लिए मनमोहक गज़ल .... वैसे इश्क़ और मुश्क छिपाए नहीं छिपते ... तो बेहतर है इज़हार ही कर दिया जाये :)
ReplyDeleteकितनी खूबसूरती सजाई है आपने ये रचना.
ReplyDeleteबहुत प्यारी लगी आपकी ये हिंदी ग़ज़ल क्यूँ न हो जहां कृष्ण और मीरा के प्यार कि बात चले तो अपनी मात्र भाषा से जो भाव निखर कर आते हैं वो बात और कहाँ बहुत सुन्दर इस अनुपम रचना के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteख़ूबसूरत एहसास ..
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना.....
ReplyDeletebhawpoorn......
ReplyDeleteइस रचना का भाव और उस भाव में निहित समर्पण मन को मोह लेता है।
ReplyDeleteआयी राधा बावरी की याद आयी :-)खूबसूरत !
ReplyDeleteअनु जी सबसे पहले तो कहना चाहूंगी आप अपने प्रोफाइल में अपना परिचय दें ....
ReplyDelete@ अगर कह न सके तो प्यार करना ही क्यूँ ????
आपकी बात से याद आ गया इमरोज़ जी से लिया साक्षात्कार ...
उनहोंने अमृता से कभी अपने प्यार का इज़हार किया ही नहीं था
बस एक दुसरे की भावनाओं से ही समझ लेते थे ....
पर आपने तो बहुत सुंदर तरीके से कह डाला .....:))
तेरे प्रेम में, मैं तो मीरा हुई
तुम ही मेरे मनमोहन पिया.
बधाई ...!!
अनुलता जी नमस्कार...
ReplyDeleteआपके ब्लॉग 'my dreams & expressions' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 26 जुलाई को 'मनमोहना...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव
आभार आपका और अतुल जी का .
Deleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteWah! Beautiful and loved the title of the poem.
ReplyDeleteअनु जी,
ReplyDeleteआपकी ये रचना
खूबसूरत ! प्यारी ! मनमोहक !हैं .
तेरी ही खुशबु से महके रहे
तुम ही तो मेरे चन्दन पिया.
Anulata ji mai to aapko sirf anu ke naam se hi janta tha .
ReplyDeleteBahut hi khub likha hai aapne..
Vety good....
क्या होगा जब प्यार का इकरार को इंकार कर दिया जाएगा ?
ReplyDeleteवैसे कविता अच्छी लगी |
--गुंजन सिन्हा
waah ji kya baat hai...waise mausam bhi aapke sath hai.:-)
ReplyDeleteप्रेम में डूबी बड़ी प्यारी सी रचना..
ReplyDeleteअच्छी गजल , जिनके लिए लिखी उनको जरूर पसंद आई होगी |
ReplyDeleteसादर