जिंदगी अच्छी हो या बुरी...छोटी हो या बड़ी......जीते सब हैं.....किसी तरह गुज़ार भी देते हैं.....कोई हँसते हँसते ,कोई रोते बिसूरते....
अब जिंदगी से शिकायत कैसे न हो....तरह तरह के खेल जो खेलती हैं......
काश कि जिंदगी
हरसिंगार/प्यार,
चाँद/तारा,
हरी घांस/नदी,
खुशबु/गीत,
पंछी/आकाश,
इन्द्रधनुष/गुलमोहर,
हंसी/खुशी .................................यानि एक कविता की तरह होती......बहती एक प्रवाह में...लयबद्ध......
आखिर है क्या जिन्दगी????
यूँ कभी तितली सी मिलती है जिंदगी
दामन में ढेरों तारे,सिलती है जिंदगी.
दे दी जो ज़माने ने,कड़वाहट गर हमें
तब जुबां पे गुड़ सी घुलती है जिंदगी.
जो कर चले इस पर,भूले से हम यकीं
धूप में बारिश सा छलती है जिंदगी.
साथ हो अगर कोई,प्यारा सा हमसफ़र
थम जाती और रुक-रुक चलती है जिंदगी.
हर दिन नया सवेरा,नयी राह है यहाँ
कभी दौड़ती,गिरती,सम्हालती है जिंदगी.
शतरंज की बिसात पर बिछे तुम और हम
जब चाहे शह और मात देती है जिंदगी.
काँच का खिलौना होता है दिल सनम
गर टूटा तो बच्चे सा मचलती है जिंदगी.
(so handle with care...its your life.)
-अनु
अब जिंदगी से शिकायत कैसे न हो....तरह तरह के खेल जो खेलती हैं......
काश कि जिंदगी
हरसिंगार/प्यार,
चाँद/तारा,
हरी घांस/नदी,
खुशबु/गीत,
पंछी/आकाश,
इन्द्रधनुष/गुलमोहर,
हंसी/खुशी .................................यानि एक कविता की तरह होती......बहती एक प्रवाह में...लयबद्ध......
आखिर है क्या जिन्दगी????
यूँ कभी तितली सी मिलती है जिंदगी
दामन में ढेरों तारे,सिलती है जिंदगी.
दे दी जो ज़माने ने,कड़वाहट गर हमें
तब जुबां पे गुड़ सी घुलती है जिंदगी.
जो कर चले इस पर,भूले से हम यकीं
धूप में बारिश सा छलती है जिंदगी.
साथ हो अगर कोई,प्यारा सा हमसफ़र
थम जाती और रुक-रुक चलती है जिंदगी.
हर दिन नया सवेरा,नयी राह है यहाँ
कभी दौड़ती,गिरती,सम्हालती है जिंदगी.
शतरंज की बिसात पर बिछे तुम और हम
जब चाहे शह और मात देती है जिंदगी.
काँच का खिलौना होता है दिल सनम
गर टूटा तो बच्चे सा मचलती है जिंदगी.
(so handle with care...its your life.)
-अनु
waah bahut sundar anu ji anand se man bhar gaya pyari si rachna
ReplyDeleteशतरंज की बिसात पर बिछे तुम और हम
जब चाहे शय और मात देती है जिंदगी.
काँच का खिलौना होता है दिल सनम
गर टूटा तो बच्चे सा मचलती है जिंदगी.............bahut sundar har sher badiya , bahut acchi lagi aapki rachna .badhai
काँच का खिलौना होता है दिल सनम
ReplyDeleteगर टूटा तो बच्चे सा मचलती है जिंदगी.
वाह ... बहुत खूब .. आभार
jabardast..zindagi ki jabardast paribhasha :)...jaane kitne tukde hain is zindagi ke..jo chubhte hain ab aankhon men....
ReplyDeleteकाँच का खिलौना होता है दिल सनम
ReplyDeleteगर टूटा तो बच्चे सा मचलती है जिंदगी.
वाह ,,,, बहुत खूबशूरत सुंदर गजल, के लिये बधाई,,,,
RECENT POST ,,,,फुहार....: न जाने क्यों,
जिन्दगी का सुंदर फलसफ़ा......
ReplyDelete...बिना दर्द के न कोई कविता है और न ज़िन्दगी !
ReplyDeleteगुड ! वेरी गुड !!
ReplyDeleteगुड़ सी मीठी कविता !
शतरंज की बिसात पर बिछे तुम और हम
ReplyDeleteजब चाहे शय और मात देती है जिंदगी.
बेहतरीन पंक्तियाँ।
सादर
रचे जिंदगी पर खरे, सुन्दर सुन्दर शेर |
ReplyDeleteअनुकृति हर इक शेर है, आँखें रहे तरेर |
आँखें रहे तरेर, बड़े बब्बर है सारे |
दिखलाते सौ रंग, जिन्दगी सही सँवारे |
बाधाएं भी ढेर, प्यार से करो बंदगी |
गुड़ बारिश शतरंज, प्रेम ही रचे जिंदगी |
बहुत खूब .....
ReplyDeleteज़िंदगी मय का जाम है
जो कुछ पल
छलक कर
खाली हो जाता है
****
ज़िंदगी
दिन का शोर है
जो
रात की खामोशी में
डूब जाता है
*******
Handle with care..indeed. Sadly, sometimes, life doesnt give a second chance.
ReplyDeleteशुक्रिया रविकर जी...और आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए.
ReplyDeleteशुक्रिया सदा.
ReplyDeleteसुंदर ....हर रोज़ नया रंग दिखाती है ज़िंदगी ....!!
ReplyDeleteअच्छी परिभाषा है जिंदगी की..एक गीत आया ..१०० ग्राम जिंदगी है संभाल कर खर्चनी है.
ReplyDeletesach me aisa hi hona chahiye .....par jaisa bhi ho use jeena hi to jindgi hai....
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना ... शुभकामनाएँ ...
ReplyDeleteकमाल की रचना
ReplyDeleteकितने ही धूप छाँव
दिखाती जाती है जिन्दगी
पास रहकर भी
पकड़ में आती नहीं है जिन्दगी
मैंने भी ठीक लिखा नः)
सस्नेह
बहुत सुन्दर ऋता जी...
Deleteशुक्रिया
कमाल का लिखती हैं आप।
ReplyDeleteबहुत ही ताज़े बिम्बों से सजाया है आपने ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव को। गुड़ सी घुलती है -- बिम्ब मुझे बेहद पसंद आया। और बस इतना कहना है
जीवन एक नाटक है। यदि हम इसके कथानक को समझ लें तो सदैव प्रसन्न रह सकते हैं।
शेर अच्छे हैं.... अच्छी रचना
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDelete(so handle with care...its your life.)
ReplyDelete-ये बड़ा स्वीट सा लगा!! :)
बाकी सभी शेर तो शानदार है..नो वर्ड्स!! :)
यूँ कभी तितली सी मिलती है जिंदगी
ReplyDeleteदामन में ढेरों तारे,सिलती है जिंदगी.
तब जुबां पे गुड़ सी घुलती है जिंदगी.
Yes it must be handled with care.
रेत सी है जिंदगी
फिसलती जा रही है,
मीठी है
पर कुल्फी पिघलती जा रही है।
हर दिन नया सवेरा, नई राह है यहाँ
ReplyDeleteकभी दौड़ती,गिरती,सम्हालती है जिंदगी ,
कभी धूप है तो कभी छाँव है यहाँ
मत पकड़ो हाथ से फिसल जाती है जिंदगी !
बहुत सुंदर जीवन दर्शन है अनु आपकी रचना में,
शतरंज की बिसात पर बिछे तुम और हम
ReplyDeleteजब चाहे शय और मात देती है जिंदगी.. फिर अगली बिसात बिछाते हैं हम
मनोज जी सहमत , जिंदगी के रंग , आपकी लेखनी के सँग.. और अब एक गुस्ताखी - मुझे लगता है शह और मात होता है , तो शायद सुधार की गुजाइश है .
ReplyDeleteआशीष जी....गुंजाइश हमेशा रहती है सुधार की.
Deleteशुक्रिया ध्यान दिलाने के लिए :-)
हा हा , सही कहा आपने . अभी अभी किनारे खड़े होकर देखा मैंने की आपके शहर की जीवन धारा बड़ा ताल सूख रहा है . इश्वर से प्रार्थना है की वो भी सुधार पर ध्यान दे .
Deleteग़ज़ल के बोल मतला ही नहीं मक्ता और शेष सभी शैर भी काबिले दाद हैं .विरोधाभास अलंकार से सज्जित है पूरी ग़ज़ल धूप में बारिश सा छलती है ज़िन्दगी शह और मात का खेल रोज़ -ब- रोज़ खेलती है ज़िन्दगी . अच्छी प्रस्तुति .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteबुधवार, 20 जून 2012
क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
http://veerubhai1947.blogspot.in/
सच है जिन्दगी हर रोज मात और शय का खेल खेलती. है..क्या खूब कहा अनु..बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति...सच में ज़िंदगी एक शतरंज का खेल ही है...
ReplyDeleteयूँ कभी तितली सी मिलती है जिंदगी
ReplyDeleteदामन में ढेरों तारे, सिलती है जिंदगी.
सलमे सितारे जड़ने का आपका शौक माशा अल्लाह!
साथ हो अगर कोई,प्यारा सा हमसफ़र
थम जाती और रुक-रुक चलती है जिंदगी.
सच्चा चलना सही तो हैं जो किसी के इंतज़ार को मोहलतें दे।
अनु जी!
ReplyDeleteइजाजत हो तो आपके दो शेर कुछ ऐसे पढ़ डालूं
हर दिन नया सवेरा, नयी राह है यहां,
दौड़ती गिरती कभी संभलती जिन्दगी।
शतरंज की बिसात में हम तुम बिछे हुए,
शह मात को जब चाहती,बदलती जिन्दगी।
बहुत खूब....
Deleteशुक्रिया.
डा0 रामकुमार जी का संशोधन अच्छा लगा।
Deleteअंजुरी में भरे तर्पण के जल सी है ये जिंदगी
ReplyDeleteजो रिसता है बूंद बूंद नीचे कि ओर बहुत सुन्दर रचना
जिंदगी के अलग अलग आयामों कों लिखा है हर शेर में ...
ReplyDeleteपर जैसी भी है जिंदगी खूबसूरत है ...
हर दिन नया सवेरा,नयी राह है यहाँ
ReplyDeleteकभी दौड़ती,गिरती,सम्हालती है जिंदगी.
शतरंज की बिसात पर बिछे तुम और हम
जब चाहे शह और मात देती है जिंदगी.
जिंदगी का सही वर्णन । बहुत सुंदर रचना ।
शतरंज की बिसात पर बिछे तुम और हम
ReplyDeleteजब चाहे शह और मात देती है जिंदगी.
जिंदगी की अनिश्चितता कुछ भी करने में सक्षम है....
सुंदर प्रस्तुति.
Life is beautifully defined in this soft n subtle creation...
ReplyDeleteएक मधुर अहसास में डूबी हुई रचना मन को छू रही है .
ReplyDeleteसुलझी नहीं है ज़िंदगी,परिभाषा से कभी
ReplyDeleteसुख-दुख को जो संभाले,उसी की जिंदगी
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteशानदार रचना...
:-)
कांच का खिलौना होता है, दिल सनम !
ReplyDeleteगर टूटा तो बच्चे सी मचलती है जिंदगी !
प्रभावशाली रचना ...
बधाई !
वाह अनुजी ......सच कहा ....बहुत सहेज के रखेंगे इसे .....
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ग़ज़ल अनुजी!
ReplyDeleteबहुत शुभकामनाएं
p.s.
Dr. Ramkumar ji ki tarz par meri bhi iccha hui kuchh kehne ki.. agya chahta hun..
लाख आयें आंधी तूफ़ान यहाँ पे,
हर हाल में सजती-संवरती है ज़िन्दगी! :)
sampoorn bhaav sampreshit karti aapki post acchhi lagi.
ReplyDeleteशतरंज की बिसात पर बिछे तुम और हम
ReplyDeleteजब चाहे शह और मात देती है जिंदगी......!!बहुत बढ़िया अनुजी.बहुत बढ़िया.....
जिन्दगी के कई मायने देखे थे, कुछ अपने कुछ गैरों के....
ReplyDeleteएक आपका भी देखा...... अच्छा लगा....
यूँ ही शब्दों का प्रवाह जारी रखिये....
शुभकामनाएँ....... :)
बेहतरीन। ज़िंदगी की पेचीदगियों को करीब से महसूस किया है आपने अपनी ग़ज़ल में।
ReplyDeleteबहुत सुंदर अनु ! ज़िंदगी के अनेकों रूप हैं.... बहुत खूबसूरत चित्रण किया तुमने ! :)
ReplyDelete~कभी सातवें आसमान पर खिलखिलाती...
कभी किसी गढ़े में सहमी सी मिलती है ज़िंदगी...~
<3
दे दी जो ज़माने ने,कड़वाहट गर हमें
ReplyDeleteतब जुबां पे गुड़ सी घुलती है जिंदगी.....बेहद खुबसूरत जिंदगी....
जिन्दगी का इतना सुन्दर चित्रण कि आँसू आ गए , सच है ....
ReplyDeleteशतरंज की बिसात पर बिछे तुम और हम ..... बहुत सुन्दर रचना ।
जिन्दगी का इतना सुन्दर चित्रण कि आँसू आ गए , सच है ....
ReplyDeleteशतरंज की बिसात पर बिछे तुम और हम ..... बहुत सुन्दर रचना ।