कितना हँसती थी वो....
बात बात पर...हर बात पर....हंस पड़ती खिलखिलाकर....चूडियों की खनक सी ....जलतरंग सी....
फोन पर हैलो कहती- तो हँसती....
किसी से बात करती तो हँसती ज्यादा,बोलती कम....
मानों सब कुछ अच्छा अच्छा ही हो उसके आस-पास......
इतना हँसती कि उसकी आँखें मुंद जातीं....कोर गीले हो जाते....
हैरान था वो !!!
उसकी हँसी पर......सो पूछ बैठा एक रोज कि क्यूँ हँसती हो इतना???? ये तेरी हँसी सच्ची है या यूँ ही हँसती है झूट-मूट में????
फिर हंस पडी वो.....कहने लगी
ये "लाफ्टर थेरेपी" है... जानते नहीं???
कई बीमारियों का इलाज है ये....
आंसुओं को थामे रहती है ये हँसी....
जीवन की धुंध में प्रकाश पुंज है ये हंसी....
अब तुम इसे चाहे सच्ची कहो चाहे झूठी................
होंठों पे हँसी
आँखों में नमी
खुद को यूँ
कोई छलता है कभी ??
जो चला गया
उसका गम क्यूँ
टपका हुआ आँसू
कहीं मिलता है कभी ??
जो दिल में है
उसे कह भी दे
लरजते होंठ यूँ
कोई सिलता है कभी ??
जो तेरा न था
तेरा ना हुआ
टूटे खिलौनों पे
कोई मचलता है कभी ??
वो सच ना था
एक भरम था तेरा
ख़्वाबों की यादों में
कोई घुलता है कभी ??
जो बीत गया
उसे भूल जा
सूखा हुआ फूल
कहीं खिलता है कभी ???
-अनु
बात बात पर...हर बात पर....हंस पड़ती खिलखिलाकर....चूडियों की खनक सी ....जलतरंग सी....
फोन पर हैलो कहती- तो हँसती....
किसी से बात करती तो हँसती ज्यादा,बोलती कम....
मानों सब कुछ अच्छा अच्छा ही हो उसके आस-पास......
इतना हँसती कि उसकी आँखें मुंद जातीं....कोर गीले हो जाते....
हैरान था वो !!!
उसकी हँसी पर......सो पूछ बैठा एक रोज कि क्यूँ हँसती हो इतना???? ये तेरी हँसी सच्ची है या यूँ ही हँसती है झूट-मूट में????
फिर हंस पडी वो.....कहने लगी
ये "लाफ्टर थेरेपी" है... जानते नहीं???
कई बीमारियों का इलाज है ये....
आंसुओं को थामे रहती है ये हँसी....
जीवन की धुंध में प्रकाश पुंज है ये हंसी....
अब तुम इसे चाहे सच्ची कहो चाहे झूठी................
होंठों पे हँसी
आँखों में नमी
खुद को यूँ
कोई छलता है कभी ??
जो चला गया
उसका गम क्यूँ
टपका हुआ आँसू
कहीं मिलता है कभी ??
जो दिल में है
उसे कह भी दे
लरजते होंठ यूँ
कोई सिलता है कभी ??
जो तेरा न था
तेरा ना हुआ
टूटे खिलौनों पे
कोई मचलता है कभी ??
वो सच ना था
एक भरम था तेरा
ख़्वाबों की यादों में
कोई घुलता है कभी ??
जो बीत गया
उसे भूल जा
सूखा हुआ फूल
कहीं खिलता है कभी ???
-अनु
होंठों पे हँसी
ReplyDeleteआँखों में नमी
खुद को यूँ
कोई छलता है कभी ??
जो चला गया
उसका गम क्यूँ
टपका हुआ आँसू
कहीं मिलता है कभी ??
सभी एक से बढ़कर एक ... किसी एक की तारीफ करना दूसरे के साथ नाइंसाफी ... लाजवाब प्रस्तुति ... आभार ।
vaah.....kitna sundar .........hansi vo khushi hai jo anayas hi aa jati hai par dusro par hansna klesh ka karan banta hai .
ReplyDeleteवाह अनुजी ....निशब्द कर दिया आपकी रचना ने....
ReplyDeleteआंसूओं की वजह कोई जान भी ले ...क्या कोई साथ मिलकर रोता है कभी .....!!!!!
लाफ्टर थेरेपी ..... झूठी हँसी से दिमागी शोर बढ़ता है या सन्नाटा ... मेरा नजरिया ये कहता है , पर दिल को बहलाने के लिए ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है ! रचना बहुत अच्छी है
ReplyDeleteजिन्हें हँसना नहीं आता उनके लिए ये उपाय बढ़िया है.....नकली हंसी हँसते हँसते कभी तो असली हंसी भी हँसेंगे.......!!
ReplyDeleteजो बीत गया
ReplyDeleteउसे भूल जा
सूखा हुआ फूल
कहीं खिलता है कभी,,,,,,
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर ख्याल,,,,,,,
RESENT POST ,,,, फुहार....: प्यार हो गया है ,,,,,,
लाफ्टर थेरेपी का आज कल बहुत चलन हो रहा है.इस बहाने लोग हँस तो रहे है नही तो लोग हँसना ही भूल गए है ...बहुत सुन्दर..अनु..सस्नेह
ReplyDeleteकई बार जिंदगी में हम,
ReplyDeleteहोते कुछ हैं,दिखते कुछ हैं ||
जो चला गया
ReplyDeleteउसका गम क्यूँ
टपका हुआ आँसू
कहीं मिलता है कभी ??
नहीं मिलता तभी तो खलता है.
पर लाफ्टर थेरेपी अच्छी लगी.
uff anu....
ReplyDeleteजो बीत गया
उसे भूल जा
सूखा हुआ फूल
कहीं खिलता है कभी ???
par bhoolna aasaan hai kya
हसते - हसते कट जाये रस्ते जिंदगी यु हि चलती
ReplyDeleteऔर यही सही भी है...
बेहतरीन रचना...
:-)
जलतरंग जैसी हँसी कानों में गूंज रही है , जाने वो कौन थी . शायद लाफ्टर थेरेपिस्ट
ReplyDeleteजो तेरा न था
ReplyDeleteतेरा ना हुआ
टूटे खिलौनों पे
कोई मचलता है कभी ??
बेहतरीन
waah .....
ReplyDeletebahut sunder rachna ...!!
लाफ्टर थैरेपी भी तो सबके बस की बात नहीं ..... आंसू दुबारा नहीं मिलते ..पर हर बार आँखें नम हो आती हैं .... भूलने की कोशिश में और भी शिद्दत से याद आ जाती है .... बहुत खूबसूरत नज़्म
ReplyDeletenyc one...
ReplyDeleteजो तेरा न था
ReplyDeleteतेरा ना हुआ
टूटे खिलौनों पे
कोई मचलता है कभी ?बहुत प्रेरक और सुंदर अभिव्यक्ति..
क्या बात है ... बहुत खूब ...
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - दा शो मस्ट गो ऑन ... ब्लॉग बुलेटिन
शुक्रिया शिवम जी
Deletetapka hua aansoo..kahin milta hai kabhi...bahut achhi thought..:)
ReplyDeleteजो बीत गया , उसे भूल जा ! सूखे फूलों से कभी खुशबू आती है !
ReplyDeleteयकीनन !
जबरदस्त ....भाव |
ReplyDeleteसच बात है ,हँसी बांध सा बना देती है आँखों में और आंसुओं का सैलाब वही रुक जाता है |
एक हँसी हज़ार घमों को छुपा लेती है .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना अनु जी .
जो चला गया
ReplyDeleteउसका गम क्यूँ
टपका हुआ आँसू
कहीं मिलता है कभी ??...
यूं तो दोनों ही नहीं मिलते पर ... फिर भी होते हैं ... आस पास ही ...
thanks a lot yashvant
ReplyDeleteदुख को विस्मृत करने के लिए नाटकीय ढंग से और कृत्रिमतापूर्वक हंसना ही शायद लाफटर थेरेपी है।
ReplyDeleteहाईकू शैली में लिखी इस कविता को किस श्रेणी में रखा जाना चाहिए अनु जी? पर जो लिखा गया है लाजवाब है. यानि दिल से सीधा कनेक्सन. आभार.
ReplyDeleteकोई शैली नहीं सर....कोई नियम कानून नहीं ....
Deleteजो दिल में आया लिखा.....आपने कविता कहा सो आपका आभार :-)
हँसना जरूरी है...झूठा ही सही...ज़िन्दगी आसान हो जाती है.
ReplyDeleteलोग कहते हैं समय सबसे बड़ा मरहम है जो सब घावों को भर देता है, पर हंसी तो कोई घाव होने नहीं देती।
ReplyDeleteकिसी ने मुझे सलाह ठोंका
ReplyDelete40 की हो चली हो...
ठहाका मार कर हँसा करो
चेहरे पर झुर्रियाँ नहीं पड़ेगी
आप सुधीजनों की अदालत में...
क्या ये ठुकी सलाह सही है????
हँसी विभिन्न रोगों की अचूक औषधि भी है!....बढ़िया प्रस्तुति..
ReplyDeleteकविता में दुखवाद की एक अनंत छाया..सच मानिये जिंदगी इस झूठी और कृत्रिम हंसी से कहीं आगे है. झूठी चीजों से खुद को बहलाना खुद के साथ एक धोखा ही है.
ReplyDeleteवैसे कविता के तौर पर आपकी एक और उत्तम रचना..:) यही तो मुझे यहाँ खिंच लाती है...हेहे
लाफ्टर थेरेपी ....
ReplyDeleteगम में भी मुस्कुराना, हर किसी के लिए संभव नहीं ...
और जो ये कर सकते हैं समझिये उसने जीना सीख लिया ...
अपनी इस कविता की तरह आप भी मुस्कुराते रहें ....
सुंदर रचना ... साभार !!
लोग तो आजकल हँसना ही भूल ही गए हैं...लाजवाब है लाफ्टर थेरेपी..
ReplyDelete...fabulous:)
ReplyDelete...pataa nahin kyon likhi aapne ye kavita...jitni baar parhtaa hoon gahri udaasi mein doob jaata hoon...
ReplyDeleteश्मशान तक चलते है सभी
ReplyDeleteसाथ मे कोई जलता है कभी |
जो तेरा न था
तेरा ना हुआ
टूटे खिलौनों पे
कोई मचलता है कभी ??---चार लाइन मे पूरी जिंदगी का सार समेट दिया अनु जी आपने
जो तेरा न था
ReplyDeleteतेरा ना हुआ
टूटे खिलौनों पे
कोई मचलता है कभी ?-----
अनुजी मात्र चार लाइनों मे जिंदगी का सार ही बता दिया आपने तो --क्या बात है