बचपन से थामी उँगलियाँ
अब भी थाम रखी हैं...
पहले पकड़ उनकी थी...
अब मैंने जकड रखी हैं.
अब मैंने जकड रखी हैं.
पैरों पर खड़ा होना ..
चलना...
अब मैं टोका करती हूँ
कि वो सम्हल कर चलें..
अब मैं ख्याल रखती हूँ
कि वो खूब न खाएं...
वो अस्पताल ले दौड़े ..
अब जब उन्हें अस्पताल ले दौड़ी
तो मुझे चोट लगी...
जब कभी उनका दिल दुखाया
तब खूब रोई...
और जब जब मैं रोई..
जानती हूँ,उनका दिल खूब दुखा .....
-अनु (the first poem i ever wrote)
-अनु (the first poem i ever wrote)
Beautiful poem and lovely picture. Is that you and your dad ? It is a perfect image of love !
ReplyDeleteyes sir. thanks
DeleteOh I forgot today is fathers day. Best wishes to your dad !
Deleteअपने बाबा को यूँ ही संभाले रहना,
ReplyDeleteगुजरती उम्र ज़्यादा तवज्जो मांगती है !
बहुत सुंदर भावुक कविता फादर्स डे पर पर यह पहली कविता है तब तो और भी बढ़िया है. बधाई.
ReplyDeleteपिता -पुत्री का स्नेह ऐसा ही होता है..इन भावों के लिए ही जिन्दगी खुश होती है..
ReplyDeleteतब उन्होंने मेरे खान-पान का खूब ख्याल रखा.
ReplyDeleteअब मैं ख्याल रखती हूँ
की वो खूब न खाएं...
आयु के साथ पिता-पुत्री का प्रेम बढ़ता है. खाने-पीने का अनुशासन भी आयु के अनुसार है :)) हैप्पी फादर्स डे.
तब उन्होंने सिखाया
ReplyDeleteपैरों पर खड़ा होना ..
चलना...
अब मैं टोका करती हूँ
की वो सम्हल कर चलें..
बहुत बेहतरीन मन को भाउक करती रचना,,,,,
RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
अनु की यह अनुभूतियाँ, अन्तस की अनमोल |
ReplyDeleteरानी बिटिया मन्त्र है, पिताश्री के बोल |
पिताश्री के बोल, घोलते रस कानों में |
कन्या करे किलोल, पिता की मुस्कानों में |
जीवन का संघर्ष, बड़ा आसाँ हो जाए |
बढे वर्ष दर वर्ष, हाथ बाबा का पाए ||
आभार रविकर जी....
Deleteपापा को पढ़वाती हूँ आपकी ये पंक्तियाँ...
इसे भी-
Deletehttp://dineshkidillagi.blogspot.in/2012/06/blog-post_9539.html
सादर
अंदाज पसंद आया। पर यह बात समझ नहीं आई कि आपने लिखा आधी उम्र गुजर गई। आपको कैसे पता कि आपकी आधी उम्र गुजर गई है।
ReplyDeleteअंदाजा लगाया
Deleteऔर कविता में फिट पाया............
;-)
सादर
bahut khoob..happy fathers day
ReplyDeleteअत्यंत बेहतरीन रचना
ReplyDeleteपिता पुत्री का रिश्ता ही इतना प्यारा होता है कि मन भावुक हो उठा....बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteवाह , अनु जी . पितृ दिवस पर बहुत सुन्दर और सार्थक रचना लिखी है .
ReplyDeleteमात पिता भी बच्चों से यही उम्मीद रखते हैं की --
जीवन के सब उपवन जब मुरझा जाएँ
तब बड़े होकर बच्चे ही उनके काम आयें .
कितने सुंदर हृदय के उद्गार हैं ....कोमल हृदय की भावपूर्ण अभिव्यक्ति ....आंख नम कर गयी ....
ReplyDeleteशुभकामनायें....!!
बाबा के चेहरे की कान्ति बता रही है की संतति के सर को अपने कंधे का सहारा वो अभी भी दे सकते है , इतना कुछ याद दिला दिया आपने . सुन्दर
ReplyDeleteso sweet anu mam....
ReplyDelete:-)
थोडा समय,थोड़ी देखभाल और थोडा सा प्यार
ReplyDeleteबस इसी का थोडा मिक्सचर और दुलार ....
हर बेटी-बेटे से हर बाबा की है इतनी सी दरकार
बदले में लो लाखों दुआएं बार-बार बार-बार ....
स्नेह और आशीर्वाद !
बहुत सुन्दर .प्यारी सी रचना....
ReplyDeleteऔर आपकी तस्वीर भी बहुत सुन्दर है....
:-)
अनु जी , बहुत भावुक बातें है यह सब.यह सब महसूस करना फिर उसे शब्दों में रखना......सुन्दर...धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत प्यारी तस्वीर...बहुत प्यारी कविता...HAPPY FATHER'S DAY !!
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनाएं
ReplyDeleteबाबा जी की उंगली पकड कर बड़ी हुईं है अब बाबा को जरूरत है आपके उंगली की।
पहले पकड़ उनकी थी...
ReplyDeleteअब मैंने जकड रखी हैं.
-अनु (the first poem i ever wrote)...:-)
Anu ji - This is awesomeness...bahut sundar bhav!!
बहुत सुन्दर | उन्हें आपका स्नेह ,दुलार और आपको उनका आशीर्वाद सदैव ऐसे ही मिलता रहे |
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
ReplyDeleteपितृ दिवस पर बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteसादर
पापा के लिए ऐसी प्यारी बेटी पापा की ख़ुशी ...
ReplyDeleteभावुक करती रचना
ReplyDeleteपितृ दिवस की शुभकामनाएं
very-very touching.... happy fathers day....
ReplyDeleteAmazing... Thanx for sharing..
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी ....
ReplyDeletebeautiful post again...happy father's day....anu di :)
ReplyDeleteबिटियाऎं ही तो हमेशा ही बाबा की होती ही हैं।
ReplyDeleteपहले पकड़ उनकी थी...
ReplyDeleteअब मैंने जकड रखी हैं. ये ही जरुरी है
दुलारी सी बेटी ने बहुत प्यारी रचना लिखी है ... और मन की भावनाओं को सुंदरता से ढाला है ... शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना है। एकदम सहज। सीधी दिल से निकली,तभी दिल तक पहुंची।
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बेहतरीन रचना
केरा तबहिं न चेतिआ, जब ढिंग लागी बेर
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ संडे सन्नाट, खबरें झन्नाट♥
♥ शुभकामनाएं ♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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पापा की बेटी हू मगर उनके लिए अब भी छोटी हूँ.
ReplyDeleteहर बेटी के दिल की बात बताती
बहुत बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
beautiful
ReplyDeletesaari betiyaa aisi hee hoti hai aur aise hi hote hai papa :-)
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों का संगम ... आभार
ReplyDeleteThis was precisely the reason i wanted a girl child. I know girls are always a Papa's child.
ReplyDeleteBTW this was a very poignant poem, one for the archives. Thank you.
कितनी ही देर तक तो तस्वीर ही निहारती रही ....और क्या कहूँ..
ReplyDeleteShekhran uncle always maintaied a lush and beautiful garden . Seen here , is his most beautiful and cherished flower ! Daughters r forever !
ReplyDeleteबेहद मासूम भाव .....
ReplyDeleteबड़ी प्यारी कविता है और फोटो भी |
ReplyDeleteआशा
sach men bahut acchi abhiwayakti.....biten palon ki yaad dila di...anu jee...
ReplyDeleteSo that was the first ever poem you wrote,Very good!
ReplyDeleteReally touching!
chhote chhote shabdo me papa ke prati pyar shabdo me jatana ... achchha lga... aur sach me photo me bhi pyar ki kavita chhalak rahi hai... abhar!
ReplyDeletebahut shandar....
ReplyDeleteExtremely beautiful !!
ReplyDeleteGod bless.
ishwr se yahi dua hai ki ye sath sada yunhi bana rahe...waqt ka kohra ise kabhi dhoomil n kar paaye...
ReplyDeleteमैं थोड़ा इमोशनल हो जाता हूँ ऐसी खूबसूरत बातें पढ़ के!
ReplyDeleteशिखा दी की बात मैं भी कहने वाला था..की कविता पढ़ के कितनी देर तो तस्वीर को देखते रहा, फिर कविता दुबारा पढ़ा!
ReplyDeleteman ko bha gai rachna ....
ReplyDeleteBeautiful creation Anu ji.
ReplyDeleteमैं भी तस्वीर निहारता रह गया.. :) और फिर रचना पढ़ा तो मुझे भी अपने पापा की याद आ गयी...
ReplyDeletebahoot hi sunder kavita.
ReplyDeletenow i know why dad is soooooooooooooo fond of u . lov u di
ReplyDeletewow..and ur first ever effort is so beautiful..keep writing dear..:)
ReplyDeleteIs January mere papa chale gaye....apki kavita padh kar khoob royi hu aaj.....
ReplyDelete.
ReplyDeleteप्रिय अनु जी
नमस्कार !
जब कभी उनका दिल दुखाया
तब खूब रोई...
और जब जब मैं रोई..
जानती हूँ,उनका दिल खूब दुखा .....
बाबा का दिल अब मत दुखाना …
बहुत भावमय ! वाऽऽह… !
अच्छे भाव सुंदर शब्दों में ढल गए हैं …
…आपकी लेखनी से और सुंदर रचनाओं का सृजन हो , यही कामना है …
आदरणीय बाबा और बाबा की बिटिया के लिए शुभकामनाओं सहित…
जब कभी उनका दिल दुखाया
ReplyDeleteतब खूब रोई...
और जब जब मैं रोई..
जानती हूँ,उनका दिल खूब दुखा ...आखिर रुला ही दिया
अनु mam ,
ReplyDeleteवाकई बहुत सुन्दर , बहुत प्यारी और बहुत आसान (मुझे ज्यादा कठिन शब्द समझ नहीं आते )|
"मेरी माँ ही मेरा सब कुछ नहीं हैं इस दुनिया में ,
एक शख्स और है जिसने ख़ामोशी से मुझे प्यार किया |"
-आकाश