आँखों की रूमानियत सबकी प्रेम कहानी के किस्से का अहम् हिस्सा होती है..............क्योंकि जाने अनजाने आँखें ना जाने क्या क्या कह जाती हैं......एक अनकहा रिश्ता बना लेतीं है.......जिसे चाहें एक डोर से बाँध लेती हैं......आँखों से देख सकते हैं हम रूह उसकी......
अब भी यकीं नहीं होता की वो ऑंखें मुंद गयी हैं..........अब भी महसूस होती हैं वो आँखें मुझे ,अपने चार सू.....अपनी डायरी के पन्नों में.......अपनी कविताओं के लफ़्ज़ों में........अपनी यादों के दरीचों में....
ऐसी ही थीं उसकी आँखें........जाने कितने रंग ,कितने एहसास लिए थीं..........शायद समझा ना सकूं.......या शायद समझा ही लूँ............
उसकी आँखें और वो तारा....
दोनों टिमटिमाते से
मानों पलकें झपकाते,
मगर तारा बहुत दूर था .....
और उसकी आँखें
एकदम करीब.....
मेरे चेहरे पर टिकी......................
उसकी आँखें और वो झील.....
दोनों गहरे
लबालब भरे हुए,
मगर झील का पानी मीठा
और उसकी आँखों में था
खारा पानी....................
उसकी आँखें और वो नीला कमल......
दोनों सबसे जुदा
शांत और सात्विक...
कमल शाम ढले बंद हो जाता...
मगर वो आँखें खुली रहतीं,
शायद मेरे इन्तज़ार में.................
उसकी आँखें और वो बच्ची......
दोनों एकदम मासूम...
बोलते-बतियाते से
मगर बच्ची बहुत खुश
और उसकी आँखें थीं
उदास........
हैरान हूँ, उसकी आँखों को परिभाषित कर पाना इस कदर नामुमकिन सा क्यूँ है???
क्योकि शायद नामुमकिन होता है किसी ख्वाब को,किसी ख़याल को,किसी एहसास को यूँ ही चंद लफ़्ज़ों में बयाँ कर पाना.....
-अनु
आँखों में पूरी ज़िन्दगी लिखी होती है .... प्यार, दर्द , सहनशीलता , दुआ .... आँखों से नहीं छुपता
ReplyDeleteउसकी आँखें और वो झील.....
दोनों गहरे
लबालब भरे हुए,
मगर झील का पानी मीठा
और उसकी आँखों में था
खारा पानी..........
वो कौन थी / था --- यह तो पता नहीं चल रहा । लेकिन बहुत भावपूर्ण , अति सुन्दर रचना है ये ।
ReplyDeleteनया प्रयोग बहुत बढ़िया लगा अनु जी ।
ये डायरी के पन्ने है डॉक्टर साहब.....कुछ मेरी, कुछ उसकी.......ये जाने किसकी डायरी का है....कुछ याद नहीं पड़ता..
Delete:-)
नैनो की मत सुनियो रे नैना ठग लेंगे .
Deleteडायरी तो आपकी ही है,पन्ना किसी और का हो सकता है !!
Deleteउसकी आँखें और वो झील.....
ReplyDeleteदोनों गहरे
लबालब भरे हुए,
मगर झील का पानी मीठा
और उसकी आँखों में था
खारा पानी....................वाह: बहुत बढ़िया..अनु..
आँखों का इतना सुन्दर वर्णन...
ReplyDeleteबहुत खूब!
बहुत सुन्दर analogies दी हैं आपने..
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति,
सादर
उसकी आँखें और वो झील.....
ReplyDeleteदोनों गहरे
लबालब भरे हुए,
मगर झील का पानी मीठा
और उसकी आँखों में था
खारा पानी...................
beautiful ,thoughtful lineswith deep emotions.
जब उसकी आंखें आपके ही इन्तज़ार में रहती थीं आपके ही चेहरे पर टिकी थीं,फिर आंखों में खारे पानी और उदासी के लिए ज़िम्मेदार कौन?
ReplyDeleteआंसुओं की ज़िम्मेदारी आज तक किसी ने ली है क्या?????
Deleteसादर
गहन ...सुंदर ...रूमानी एहसास ....!!
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचना ....!!
शुभकामनायें ....!!
बहुत खूब ।
ReplyDeleteमीठा पानी झील का, देता प्यास बुझाय ।
खारे अश्रू जो पिए, झलक तनिक दिखलाय ।।
आँखों की दास्ताँ बयां करना मुश्किल है..
ReplyDeleteपर आपने कर दिया है..
बहुत ही सुन्दर गहरी अभिव्यक्ति.....
कुछ बातें सिर्फ महसूस की जा सकती हैं , शब्दों में बयां नहीं होती.... बहुत अच्छी लगी आपकी रचना।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति, भाव पुर्ण रूमानी एहसास की सुंदर रचना,.....
ReplyDeleteMY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
उसकी आँखें और वो तारा....
ReplyDeleteदोनों टिमटिमाते से
मानों पलकें झपकाते,
मगर तारा बहुत दूर था .....
और उसकी आँखें
एकदम करीब.....
मेरे चेहरे पर टिकी......................भावो का सुन्दर समायोजन......
आँखों और झील की बात पढ़कर वो शेर याद आ गया
ReplyDeleteजाती है किसी झील की गहराई कहाँ तक
आँखों में तेरी डूब कर देखेंगे किसी दिन..
गजब की रचना ।
ReplyDeleteसादर
उसकी आँखें और वो बच्ची......
ReplyDeleteदोनों एकदम मासूम...
बोलते-बतियाते से
मगर बच्ची बहुत खुश
और उसकी आँखें थीं
उदास........
बहुत भावपूर्ण.
aankho me hi jeevan ka saar chipa hota hai aankhe sab kuchh bayaan kar deti hain aankhon ke liye liye gaye bimb bahut sundar ban pade hain.bahut sundar rachna.
ReplyDeleteगोपाल सिंह नेपाली एक २ पंक्तियाँ याद आई
ReplyDeleteदुनिया देखी भी अनदेखी
नगर ना जाना डगर ना जाना
साथी भी तो कोई नहीं था
साथी था आँखों का पानी
मगर बच्ची बहुत खुश
ReplyDeleteऔर उसकी आँखें थीं
उदास........
'वाह' और कुछ नहीं ...
आँखों को पढ़ना
ReplyDeleteआसान नहीं होता,
इनमें समाया
पूरा जहान होता है !!
चेहरा मस्तिष्क का दर्पण है...और आँखें मन का...सारा सच कह देतीं हैं ये आँखे...
ReplyDeleteshandar post bdhai.
ReplyDeleteये आँखें मेरे दिल की जुबान हैं........
ReplyDeleteउसकी आँखों को परिभाषित करने का प्रयास ....बहुत भावप्रवण है ... बहुत सुंदर
ReplyDeleteEyes are a powerful medium of communication. Eyes can convey a million different expressions - anger,happiness,melancholy,anxiety,enthusiasm, authority,supplication,sensuality,softness,sympathy,energy,tiredness,weakness,ambition......................
ReplyDeleteyeah true...
Deletebut quite a multitasking...
:-)
शुक्रवार के मंच पर, लाया प्रस्तुति खींच |
ReplyDeleteचर्चा करने के लिए, आजा आँखे मीच ||
स्वागत है-
charchamanch.blogspot.com
शुक्रिया रविकर जी.
Delete:-)
कमल शाम ढले बंद हो जाता...
ReplyDeleteमगर वो आँखें खुली रहतीं,
शायद मेरे इन्तज़ार में..........
बिल्कुल जब इन्तज़ार हो तो ऐसा ही होता है ..लाजवाब करती प्रस्तुति।
आँखें सब देखती हैं.. आँखों को सब देखते हैं.. लेकिन खुद आँखें अपने को कहाँ देख पाती हैं.. शायद यही कारण है उनका दर्द बयान करने के लिए किसी दूसरे की आँखों की आंच चाहिए!! बहुत खूबसूरती से आपने बयान किया है आँखों की सुंदरता के पीछे का दर्द!!
ReplyDeleteउसकी आँखें और वो झील.....
ReplyDeleteदोनों गहरे
लबालब भरे हुए,
मगर झील का पानी मीठा
और उसकी आँखों में था
खारा पानी...........
आँखों का सच तो यही है ... खारा पानी लिए रहती हैं हमेशा .... पर सच है की करीब भी रहती आहें तारों से ...
खूबूरत हैं सभी आँखें ...
bahut sunder bhaav...jisne aakhon ki bhaasha parh li use bahut kuchh samajhna aa gaya...
ReplyDeleteआँखों की यादोँ का कारवाँ बहुत मुबारक हो ....
ReplyDeleteएक अपील ...सिर्फ एक बार ?
आपने उन आँखों को बखूबी परिभाषित किया है ....ऐसा की वह ऑंखें और उनकी खासियतें सीधे दिलमें उतर गयीं हैं ....वाह अनुजी
ReplyDeleteUski kavita main...
ReplyDeleteParibhash aankhon ki..
Aisi, jaise aankhen..
Hoti hain...
Kamal si sulochan,
jheel si gahri...
Hirni si chanchal...
Taaron si chamakti...
Mano, aankhen khud...
Boli hon....
apni kahani...apni jubani..
Bahut sundar kavita...
Saadar...
Deepak Shukla..
Uski kavita main...
ReplyDeleteParibhash aankhon ki..
Aisi, jaise aankhen..
Hoti hain...
Kamal si sulochan,
jheel si gahri...
Hirni si chanchal...
Taaron si chamakti...
Mano, aankhen khud...
Boli hon....
apni kahani...apni jubani..
Bahut sundar kavita...
Saadar...
Deepak Shukla..
जो नहीं कहती जुबां , आँखें कह जाती है ...
ReplyDeleteतभी तो खारेपन में भी मिठास नजर आती है !
उसकी आँखें और वो बच्ची......
ReplyDeleteदोनों एकदम मासूम...
बोलते-बतियाते से
मगर बच्ची बहुत खुश
और उसकी आँखें थीं
उदास........
Wah Gahna Bhav...
Thanx aapne mere blog par aakar samiksha ki aabhar.
ReplyDeleteशायद नामुमकिन होता है किसी ख्वाब को,किसी ख़याल को,किसी एहसास को यूँ ही चंद लफ़्ज़ों में बयाँ कर पाना..... kitni badi baat.....itni komalta ke saath......wah.
ReplyDeleteहैरान हूँ, उसकी आँखों को परिभाषित कर पाना इस कदर नामुमकिन सा क्यूँ है???
ReplyDeleteक्योकि शायद नामुमकिन होता है किसी ख्वाब को,किसी ख़याल को,किसी एहसास को यूँ ही चंद लफ़्ज़ों में बयाँ कर पाना.....
puri post ka shrey in panktiyon ko jata hai....bahut sundar..anuji
उसकी आँखें और वो झील.....
ReplyDeleteदोनों गहरे
लबालब भरे हुए,
मगर झील का पानी मीठा
और उसकी आँखों में था
खारा पानी....................
....लाज़वाब ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...
सुन्दर एहसासात की रचना है ,आँखों की सौगात का क्या कहना ,न जाने क्या क्या लिखा जा चुका है -भूल सकता है भला ,कौन वो प्यारी आँखें ,दर्द में डूबी हुई नींद से भारी आँखें ,और यह भी एक अंदाज़ है
ReplyDeleteअगर तलाश करोगे ,कोई मिल ही जाएगा मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा .
क्योकि शायद नामुमकिन होता है किसी ख्वाब को,किसी ख़याल को,किसी एहसास को यूँ ही चंद लफ़्ज़ों में बयाँ कर पाना..... लाजवाव ...बहुत सुन्दर लिखा है
ReplyDeletethis is just amazing expression of eyes. I liked it very much anu .
ReplyDeletekudos to your writings .. keep writing more and share .
bahut hi khubsurat rachna
ReplyDeletenicely expressed di .keep up the good work .
ReplyDeleteउम्दा सोच की अद्धभुत अभिव्यक्ति .... !!
ReplyDeleteनैनों की भाषा नैना समझ ही लेते हैं :)))
ReplyDeleteआँखों ही आँखों में इतनी बातें ........ बहुत ही प्रभावी लगीं .........
ReplyDeleteuff uski aankhe.....
ReplyDeletenaina bolte hain......:)
वाह बहुत खूबसूरत भाव.
ReplyDeleteनिहार
well expressed expressions in exppression "aanke khud ek dastabej hoti hai...
ReplyDeleteankhein sach may bahut kuch bol jati hai...lafzo ki jaroorat hi nahi padti aur itna accha comparison maine nahi padha abhi tak...aur wo bhi ehsaso say bhara
ReplyDeleteवाह बेहद खूबसूरत आँखों में भी लफ्ज़ ब्यान है ,बेहद पसंद आई यह रचना अनु
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