इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Friday, May 11, 2012

एक लफ्ज़ नन्हा सा - माँ

भास्कर भूमि में प्रकाशित http://bhaskarbhumi.com/epaper/index.php?d=2012-05-13&id=8


इतनी सारी माँओं में एक ना एक माँ तुम्हारी भी होगी..........


माँ-
मेरी
तुम्हारी
उसकी
मेरे दुश्मन की
तुम्हारे दोस्त की
उसके पडोसी की
एक बछड़े की
कातिल की
कान्हा की
भिखारी की
व्याभिचारी  की
इसकी-उसकी
माँ तो माँ है.


मेरी माँ
मेरी अम्मा
सीधी,सरल, सुघड,सुंदर
बिना किसी कारण खुश रहती
कोई कारण खोजती,
तो क्या खुश हो पाती??


उनकी माँ
चार संपन्न बेटों की माँ.
आस लिए
चार धाम की यात्रा के
काटती तीन-तीन माह
चारों के घर.


माँ
भोली
गंवार,घरेलू,अनपढ़.
मगर गहनों से लदी....
बस इन्तेज़ार है
बूढ़े बाप की मौत का......
माँ तो भोली है!!!


स्त्री 
एक पत्नि,एक माँ
सुनती रही-
तुम्हारे बच्चे
तुम्हारा पति
तुम्हारा घर.
समझती रही-
कुछ नहीं मेरा.
हूँ बस एक ज़रूरत.


माँ
करती न्योछावर
अपना सर्वस्व,
स्वेच्छा से...
मांगती नहीं कुछ अपने लिए....
सो कुछ पाती भी नहीं.






-अनु 

40 comments:

  1. माँ तो माँ है.

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  2. माँ की पुकार में माँ होती है - हर तरफ सचेत

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  3. दुनियां की हर माँ को नमन !
    माँ सिर्फ माँ है ...सबकी !

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  4. माँ
    करती न्योछावर
    अपना सर्वस्व,
    स्वेच्छा से...
    मांगती नहीं कुछ अपने लिए....
    सो कुछ पाती भी नहीं......

    दुनिया में माँ से बढ़कर दूसरा कोई हो नही सकता.////

    MY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

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  5. माँ पूर्णत: समर्पण का नाम है..बहुत सुन्दर ..अनु..सस्नेह..

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  6. ' माँ ' ऐसी ही होती है ..सुन्दर लिखा है..

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  7. माँ का रूप उकेरती सुंदर रचना ...!!
    शुभकामनायें ...!!

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  8. माँ... एक लफ्ज़ नन्हा सा, विस्तार लिए हुए!
    सुन्दर!

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  9. Marvelous piece on "Ma". Bahut hi sundar kavitha.

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  10. सृष्टि की सबसे सुन्दर रचना--- माँ ! अच्छी अभिव्यक्ति ! अनु जी, ...... बधाई !!

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  11. खूबसूरत प्रस्तुति ||

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  12. माँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती आपकी खुबसूरत रचना....माँ तो सिर्फ माँ होती है...... .माँ तुझे सलाम...

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  13. माँ ..सभी माँ ओ को शत शत प्रणाम ...
    -----------------------------
    ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो

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  14. माँ के अनेक रूप . सही लिखा है.

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  15. THE MOST PIOUS FORM OF LOVE IS MOTHER'S LOVE.

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  16. सभी रचनाएं गहन भाव समेटे, स्त्री के जीवन का सबसे बड़ा सच...

    स्त्री
    एक पत्नि,एक माँ
    सुनती रही-
    तुम्हारे बच्चे
    तुम्हारा पति
    तुम्हारा घर.
    समझती रही-

    कुछ नहीं मेरा.
    हूँ बस एक ज़रूरत.

    शुभकामनाएँ.

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  17. सुन्दर ,,,,बहुत सुन्दर रचना....

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  18. बहुत मधुर शब्द है --माँ !

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  19. सभी माँ ओ को शत शत प्रणाम ...!
    कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
    माफ़ी चाहता हूँ !

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  20. माँ सब कुछ देना जानती है...लेना नहीं...मुश्किल है माँ के त्याग की थाह पाना...

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  21. मां तो आखिर उसे बच्‍चे ही बनाते हैं। तो यह बच्‍चों की जिम्‍मेदारी है कि वे इस बात का ख्‍याल रखें।

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  22. अदभुत अदभुत अदभुत......!!

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  23. A mother is indeed an incredible gift. No words are enough for describing how special she is :)

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  24. माँ
    भोली
    गंवार,घरेलू,अनपढ़.
    मगर गहनों से लदी....
    बस इन्तेज़ार है
    बूढ़े बाप की मौत का......
    माँ तो भोली है!!!

    मन को छू गई............

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  25. माँ
    करती न्योछावर
    अपना सर्वस्व,
    स्वेच्छा से...
    मांगती नहीं कुछ अपने लिए....
    सो कुछ पाती भी नहीं.

    दुनिया का दस्तूर भी बहुत निर्दयी है...

    माँ का विस्तार इतना अधिक है फिर भी एक कविता में उसे समेटने का सुंदर प्रयास.

    शुभकामनायें.

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  26. माँ सिर्फ माँ होती है... निस्वार्थ प्रेम और ममता की जीती जागती मिसाल... सुन्दर रचना...

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  27. माँ ने जिन पर कर दिया, जीवन को आहूत
    कितनी माँ के भाग में , आये श्रवण सपूत
    आये श्रवण सपूत , भरे क्यों वृद्धाश्रम हैं
    एक दिवस माँ को अर्पित क्या यही धरम है
    माँ से ज्यादा क्या दे डाला है दुनियाँ ने
    इसी दिवस के लिये तुझे क्या पाला माँ ने ?

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  28. 'माँ' मतलब एक गोद सुकून भरी......

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  29. लाजवाब रचना, इस रचना के लिए आभार,,,

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  30. माँ के लिए ये चार लाइन
    ऊपर जिसका अंत नहीं,
    उसे आसमां कहते हैं,
    जहाँ में जिसका अंत नहीं,
    उसे माँ कहते हैं!

    आपको मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  31. माँ
    करती न्योछावर
    अपना सर्वस्व,
    स्वेच्छा से...
    मांगती नहीं कुछ अपने लिए....
    सो कुछ पाती भी नहीं.
    बहुत सुन्दर.शुभकामनाएं

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  32. सचमुच माँ हमेँ ईश्वर की सर्वोत्तम देन है।
    बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


    इंडिया दर्पण
    की ओर से मातृदिवस की शुभकामनाएँ।

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  33. अनु ,

    हर क्षणिका गहन भाव लिए हुये ..... एक एक क्षमिका ने अलग अलग दृश्य दिखा दिये .... सभी सच को कहने में सक्षम .... बहुत अच्छी लगीं सभी रचनाएँ ...

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  34. ओह एक माँ ..और कितने सारे भाव..बहुत ही सुन्दर.

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  35. परिस्थितियों के अनुसार जीती माँ की तस्वीर
    हर रचना सच कहती हुई..
    सस्नेह

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  36. अनु जी माँ के बिभिन्न रूपों को आप ने दर्शाया बधुत सुन्दर बन पड़ी रचना .....हां माँ तो माँ ही है चाहे जिसकी ..माँ रचती रहती है काश उस रचना को लोग सम्हालें ..जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  37. माँ तो माँ है.... बस....
    लाजवाब रचना....
    सादर।

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