कभी जब ह्रदय आहत हो....चोट खा-खा कर परास्त हो गया हो .....वेदना असह्य हो चली हो......नियति के आगे आत्मसमर्पण कर दिया हो.....अपमानित सा जीवन जी कर अहम् हाहाकार कर रहा हो......तब अकसर एक दोराहा आता है-
या तो इहलीला समाप्त कर ली जाये ताकि कष्टों पर पूर्ण विराम लग जाये.
या फिर मन हठ कर ले जीवन जीते जाने की.....जीवन से टकराने की.......
और ऐसे में कविता जन्म लेती है.....
साँसों का बस हो आलंबन
ह्रदय में बाकि एक स्पंदन
पीकर बेशक कड़वे आँसूं
और जीते जाने की..........
भले ठूंठ सा हो ये जीवन
पुष्पहीन हो चाहे यौवन
कर सिंचित स्नेह से बगिया
ज़िद है फूल खिलाने की
और जीते जाने की..........
मन वीणा के तार हों टूटे
बेसुर से कोई स्वर जो फूटें
कर के एक अनवरत साधना
ज़िद है सुर में गाने की
और जीते जाने की.........
हो चाहे अन्धकार घनेरा
जीवन पथ भूतों का डेरा
राह करूँ रोशन ,खुद जल कर
ज़िद है मंजिल पाने की
और जीते जाने की..........
-अनु
"ह्रदय तारों का स्पंदन"
साहित्य प्रेमी संघ के तत्वाधान में प्रकाशित "ह्रदय तारों का स्पंदन"'का विमोचन हुआ है|मैं भी इस संकलन का हिस्सा हूँ|इसमें ३० कवियों की कृतियाँ शामिल है|
इस लिंक पर आकर अपना बहुमूल्य मत प्रकट कर अनुगृहित करें|
आभार.
साँसों का बस हो आलंबन
ReplyDeleteह्रदय में बाकि एक स्पंदन
पीकर बेशक कड़वे आँसूं
ज़िद है बस मुस्काने की
और जीते जाने की...........very nice expression ......
फूलों भरे रास्ते छिन जाएँ तो क्या जाना छोड़ देना चाहिए...
ReplyDeleteनहीं न...उसकी यह जिद कइयों के लिए प्रेरणा साबित हो सकती है...
यदि ऐसा हुआ तो उसकी जिद सफल है...
Bahut sundar kavitha.
ReplyDeleteAwesome..
ReplyDeleteआशा संचार करती
ReplyDeleteविश्वास जगाती..
अति सुन्दर रचना.....:-)
Very nice post.....
ReplyDeleteAabhar!
हो चाहे अन्धकार घनेरा
ReplyDeleteजीवन पथ भूतों का डेरा
राह करूँ रोशन ,खुद जल कर
ज़िद है मंजिल पाने की
और जीते जाने की......
आशा का यह दीप सदा रौशन रहे।
प्रशंसनीय कविता।
bahoot khub surat Jidd hai ...........
ReplyDeleteमलाल नहीं कुछ भी ए जिंदगी ..
सुबह भी तू शाम भी तू जिंदगी
रेत की तरेह फिसलती हाथों से
फिर भी बड़ी अपनी सी तू जिंदगी ...
क्या हुआ हलाक पल दो पल हुए ..
उमीदों के रंगों से भरी तू जिंदगी ..
कागज़ के टुकड़ों में भले कटे ...
दे तो जाती है मुसकराहटे जिंदगी ...
बंजर जमीं कभी तो कभी लहलहाती है ..
मासूम चेहरों से गिरेह शिकन काट जाती है ..
सुखी सांसों में भी रंगों की उमंग बांध जाती है ...
रोज़ बहती है संग घटती मचलती यह जिंदगी ..
दायरों में कहाँ सिमटती कहाँ मुठीओं में भिचती ..
यह तो बहती धारा है संग तेरे संग मेरे पिघलती ......
चलो तुम भी संग हो लो एहबाब से सूनेपन को धकेलो ..
सांसों में जीने का रंग भर के जिंदगी के साथ जिंदगी खेलो ...............
विनय ..... २७/०५/२०१२
जीत जानी जिद ही आपकी सबसे बड़ी जीत है...!
ReplyDeleteप्रभावशाली और सशक्त प्रस्तुति । आभार ।
ReplyDeleteइस गीत से उर्जा मिलती है। बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteहो चाहे अन्धकार घनेरा
ReplyDeleteजीवन पथ भूतों का डेरा
राह करूँ रोशन ,खुद जल कर
ज़िद है मंजिल पाने की
और जीते जाने की..........
....नव विश्वास जगाती एक उत्कृष्ट प्रस्तुति...
हो कितना भी गहरा नैराश्य भाव , जिजीविषा बिखर ना पाए
ReplyDeleteस्फुलिंग, इस विद्रूप जड़ता का , कही और प्रखर ना हो जाये
राह करूँ रोशन ,खुद जल कर
ReplyDeleteज़िद है मंजिल पाने की
और जीते जाने की.........
दृढ़ निश्चय से भरी ....
सुंदर रचना ...!!
बहुत सुंदर ...!!
Bahut hi sundar...
ReplyDeleteBar-bar man karta hai padne ko...
निराशा में आशा की किरण है यह रचना ।
ReplyDeleteजब तक जीवन है,तभी तक सब कुछ। मरने के बाद कौन जाने क्या हो।
ReplyDeleteHaalaat aandhi ki tarah hote hain...ghaans rahe to apne saath uda le jaayenge...ped hona padta hai..sakht aur saghan...bahut sundar rachna
ReplyDeleteहो चाहे अन्धकार घनेरा
ReplyDeleteजीवन पथ भूतों का डेरा
राह करूँ रोशन ,खुद जल कर
ज़िद है मंजिल पाने की
और जीते जाने की..........
प्रेरणात्मक पंक्तियां ... उत्कृष्ट प्रस्तुति।
Beautifully expressed!
ReplyDeleteसाँसों का बस हो आलंबन
ReplyDeleteह्रदय में बाकि एक स्पंदन
पीकर बेशक कड़वे आँसूं
ज़िद है बस मुस्काने की
और जीते जाने की..........
सुंदर प्रस्तुति,,,,,
RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
बेहद प्रभावित और प्रेरित करती प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर,
कुँवर जी,
बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने और बहुत ही सुन्दर रचना.....आभार !
ReplyDeletejeetane ki zid aur rah ko roshan karna.....jeevan ke prati sakaaratmak soch liye bahut sundar rchna ..... sarthak sandesh deti hui ....
ReplyDeleteगिर के खड़े हो जाने का हौसला जुटाना ,सौल्लास रहना लय ताल बनाए रहना बड़ी बात है और सबसे बड़ी बात है सकारात्मक रहना निगेटिव थाट जीवन को दीमक लगा देता है बेसुरा कर देता है जीवन को परिवेश को पूरे के पूरे को .. बहुत बढ़िया रचना है -
ReplyDeleteऔर यहाँ भी दखल देंवें -
सोमवार, 28 मई 2012
क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का नतीजा है ये ब्रेन फोगीनेसऔर
ये जिद ही तो जीत है..और हर हाल में जीतना है..
ReplyDeletesunder prastuti. abhar
ReplyDeleteThe determination expressed in the creation is quite motivating.
ReplyDeletebeautyful poem......
ReplyDeleteसन्देश देती सार्थक रचना, बधाई.
ReplyDeleteYour hindi writing is too good :)
ReplyDeleteइस तरह की ज़िद और यह जज़्बा जी सफलता दिलाते हैं।
ReplyDeleteसकारात्मक सोच देती कविता ..
ReplyDeleteहो चाहे अन्धकार घनेरा
ReplyDeleteजीवन पथ भूतों का डेरा
राह करूँ रोशन ,खुद जल कर
ज़िद है मंजिल पाने की
और जीते जाने की..
खुबसूरत चाह जहाँ विस्तार अनंत तक ........
सुंदर रचना....
ReplyDeleteसादर।
अच्छी लगी ये कविता। बधाई संकलन का हिस्सा बनने की।
ReplyDeleteजिद है रेगिस्तान के वीराने में हरियाली उगाने की.....
ReplyDeleteवाह!!खूबसूरत!!बहुत ही पोजिटिव और इंस्पायर करने वाली कविता है!!!
ReplyDeleteInspiring & full of spirit!
ReplyDeleteजीवन के हर मोड़ पर यह ज़िद सदा यूं ही बनी रहे ...प्रेरणा देती सार्थक भाव अभिव्यक्ति...
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