हर रचना है मेरे दिल की किताब का एक पन्ना .... धीरे धीरे सारी किताब पढ़ लेंगे...तब जान भी जायेंगे मुझे....कभी चाहेगे...कभी नकारेंगे... यही तो जिंदगी है...!!!
इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........
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नए पुराने मौसम
मौसम अपने संक्रमण काल में है|धीरे धीरे बादलों में पानी जमा हो रहा है पर बरसने को तैयार नहीं...शायद उनकी आसमान से यारी छूट नहीं रही ! मोह...
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मौसम अपने संक्रमण काल में है|धीरे धीरे बादलों में पानी जमा हो रहा है पर बरसने को तैयार नहीं...शायद उनकी आसमान से यारी छूट नहीं रही ! मोह...
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दुनिया में सबसे सुन्दर रिश्ता माँ और उसके बच्चे के बीच होता है......इस रिश्ते की वजह से जीवन में कई खट्टे मीठे अनुभव होते हैं.....सुनिए...
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इन दिनों, सांझ ढले,आसमान से परिंदों का जाना और तारों का आना अच्छा नहीं लगता गति से स्थिर हो जाना सा अच्छा नहीं लगता..... ~~~~~~~~~~~...
इतने हसीं ख्याल हैं,
ReplyDeleteजीते रहो! जीते रहो!!
aisi sundar kavitayen
ReplyDeletetum hamesha likho likho;;
really enjoyed your poetry;;;
nice..
nice prestation
ReplyDeleteवाह..बहुत ही सुन्दर .
ReplyDeleteकविताओं, सुनो सुनो
ReplyDeleteअनु की बगिया में खिलो खिलो
खुशबुओं संग मिलो मिलो
:-)
सस्नेह
Excellent stufff!! :) :)
ReplyDeleteaur aisi pyari kavita
ReplyDeleteaap likho aur hum padhte rahein.............
बहुत सुंदर अनु !
ReplyDelete~प्रेम यूँ ही महकता रहे...
गीत में सजता रहे...
प्यारी अनु,
तुम यूँ ही सदा खिलो खिलो...~:-)
बात यूँ ही कहती रहो
ReplyDeleteफोन पर हेलो हेलो ,,,,,
RECENT POST : गीत,
बहुत ही प्यारी नज़्म है। इसमें मन की हसरतें पूरी तरह गुंथी हुई हैं।
ReplyDeleteख्वाब,प्रेम,विश्वास....मिश्रित भाव
ReplyDeleteनेह दीप जलता रहे
ReplyDeleteउम्मीद तुम मिलो मिलो...बहुत सुन्दर...अनु..
हमसफर जो साथ है ॥
ReplyDeleteरुको नहीं चलो चलो ॥
ज़िंदगी में प्रीत है ॥
मुस्कान तुम खिलो खिलो ॥
मोम की ये रीत है ....
जल के ही गलो गलो ...
एक हवा के झोंखे सा ...तारो ताज़ा ...
बहुत सुंदर ...
बेहतरीन |
ReplyDeleteअद्भुत कलाम है,
ReplyDeleteऔर भी खुलो खुलो ।
तन्हाई में कभी
ख़ुद से मिलो मिलो ।
बहुत सुन्दर,प्यारा ख्वाब
ReplyDeleteपल -पले,,फुले-फले..
:-) :-)
जुदा कभी न होंगे हम
ReplyDeleteवक्त तुम टलो टलो
हंसी खुशी टल ही जायेगा :)
सुन्दर ...
वाह बहुत खूब !
ReplyDeleteकुछ बहरे आज भी राज कर रहे है - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
आभार शिवम जी.
Deletewah....behetreen anu di..
ReplyDeleteबहुत सु्दर रचना
ReplyDeleteक्या बात
जागती आँखों से
ReplyDeleteख्वाब बुनो
चाँद से खूबसूरत
महबूब चुनो ....
खूबसूरत खयाल और कोमल सी रचना
नेह दीप जलता रहे
ReplyDeleteउम्मीद तुम मिलो मिलो
सभी पंक्तियां लाजवाब ...
लाजवाब....हर एक पंक्ति अलग अहसास लिए हुए..बेहतरीन रचना |
ReplyDeleteनेह दीप जलता रहे , उम्मीद तुम मिलो मिलो !
ReplyDeleteजलता रहे यह दीप , फलती फूलती रहे आशाएं !
दूरियां सिमट गयीं
ReplyDeleteहसरतों फूलो फलो
आमीन!!
nice
ReplyDeleteसुन्दर रचना अनु जी
ReplyDeleteबढ़िया भाव -
ReplyDeleteसुन्दर कथ्य -
बढ़ता नन्हा कदम है, मातु-पिता जब संग ।
लेकिन तन्हा कदम पर, तुम बिन लगती जंग ।
तुम बिन लगती जंग, तंग करती है दूरी ।
जीतूँ जीवन-जंग, उपस्थिति बड़ी जरुरी ।
थामे कृष्णा हाथ, प्यार का ज्वर चढ़ जाए ।
छलिये चलिए साथ, कभी आ बिना बुलाये ।।
दूरियां सिमट गयीं
ReplyDeleteहसरतों फूलो फलो
ऐसा ही हो जहां हर हसरत फलीभूत हो ...
शब्दों का खूबसूरत तालमेल
ReplyDeleteनेह दीप जलता रहे
ReplyDeleteउम्मीद तुम मिलो मिलो
बड़े ख़ूबसूरत ख्याल हैं...
वाह, बहुत बढ़िया. हर पंक्ति खूबसूरत.
ReplyDeleteआमीन!
ReplyDeleteआपकी ख्वाहिश पूरी हो ,
ReplyDeleteझूम रहे हैं मस्ती में
ReplyDeleteमन तुम खिलो खिलो .
निर्मल सुन्दरता .
दूरियां सिमट गयीं
ReplyDeleteहसरतों फूलो फलो
नेह दीप जलता रहे
उम्मीद तुम मिलो मिलो
बेहतरीन ।
बहुत सुन्दर अनुजी .....कोमल प्यारे फायेसे अहसास
ReplyDeleteइतने अद्भुत लेखन पर टिप्पणी क्या करें , समझ से परे ,और केवल उत्कृष्ट लिख दूं ,वो भी कमतर लगता है | आप लिखती नहीं ,बस भावों को बह जाने देती हैं | उन्हें दिशा और ढलान के सहारे छोड़ देती हैं और रचना अपने आप बन जाती है |
ReplyDeleteइतने हसीं ख़याल हैं
ReplyDeleteअनु ! तुम लिखो लिखो ...-:)
.
ReplyDeleteअनुजी
कमाल करती हैं आप भी कई बार …
:)
बहुत ख़ूब रचना लिखी है-
नींद आ रही मुझे
ख्वाब तुम पलो पलो
आशिक मेरा हसीन है
चाँद तुम जलो जलो
वो इस कदर करीब है
बर्फ़ तुम गलो गलो
जुदा कभी न होंगे हम
वक्त तुम टलो टलो
दूरियां सिमट गयीं
हसरतों फूलो फलो
आपकी पिछली पोस्ट ने जहां उदास कर दिया था , उसकी भरपाई हो गई
:))
बहुत बहुत शुभकामनाएं…
राजेन्द्र स्वर्णकार
देखते हैं सब हमें
ReplyDeleteप्रेम तुम छलो छलो
जुदा कभी न होंगे हम
वक्त तुम टलो टलो
शानदार पंक्तियाँ
सादर
बहुत सुंदर भाव और प्रस्तुति. कविता में एक मिठास है जिससे वह दिल को छू जाती है.
ReplyDeleteवाह, बहुत सुन्दर
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteशब्द कम थे ,
ReplyDeleteमगर बात बहुत गहरी थी ,
सोचने को शायद ,
मेरी सोच कम पड़ गयी |
बहुत कम शब्दों में बहुत अच्छा काव्य |
कविता के भाव, शब्द एवं मिठास इसमें आकर्षण पैदा करते हैं। मेरे नए पोस्ट पर आकर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए आपका विशेष आभार।
ReplyDeleteजब भी समय मिले, मेरे नए ब्लाग पर जरूर आएं..
ReplyDeletehttp://tvstationlive.blogspot.in/2012/09/blog-post.html?spref=fb
दूरियां सिमट गयीं
ReplyDeleteहसरतों फूलो फलो
नेह दीप जलता रहे
उम्मीद तुम मिलो मिलो
सुंदर रचना अनु जी
Dil mera haseen hai
ReplyDeletekalam tum likho likho:)