अपनी एक पुरानी डायरी मिल गयी मुझे आज ....
बदरंग से पन्नों पर दिखाई पड़ा अपना ही माज़ी..खोजने लगी तुम्हें वहाँ..
याद आया कि जिस सफ़हे पर ज़िक्र होता तुम्हारा..उसे मोड़ दिया करती थी.
मगर ये क्या...हर सफहा ही मुड़ा पाया...
फिर ख्याल आया उस रोज का ..जब तुम चल दिये थे...ना जाने क्या कह कर या शायद कुछ कहा भी ना था...
मगर वो मुड़ा पन्ना दिखा नहीं मुझे !!
शायद नहीं किया होगा मैंने,
तेरे चले जाने का ज़िक्र.....
-अनु
मगर ये क्या...हर सफहा ही मुड़ा पाया...
कभी चाँद का ज़िक्र
कभी तेरी किसी मांग का ज़िक्र...
कभी तेरे रूठने को लिखा
कभी तेरे मान जाने का ज़िक्र...
कभी तेरी खुशबू पर लिखी शायरी
कभी तेरे लम्स का ज़िक्र..
कभी तेरी हँसी लिख डाली
कभी तेरी उदासी का ज़िक्र...
कभी तेरी याद का रोना
कभी किसी मीठी बात का ज़िक्र...
कभी सेहरा की धूप लिखी
कभी रूमानी शाम का ज़िक्र...
फिर ख्याल आया उस रोज का ..जब तुम चल दिये थे...ना जाने क्या कह कर या शायद कुछ कहा भी ना था...
मगर वो मुड़ा पन्ना दिखा नहीं मुझे !!
शायद नहीं किया होगा मैंने,
तेरे चले जाने का ज़िक्र.....
-अनु
पुरानी हर चीज़ कुछ न कुछ छुपाये हुए है, बहरहाल आपने उसे बहुत सार्थक ढंग से प्रस्तुत किया है.
ReplyDeleteजीवन मुड़े पन्नों से भरा होता है, कुछ अपने मोड़े कुछ किसी अन्य के.हर मुदा पन्ना वापसी की प्रतीक्षा करता है.
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
जीवन मुड़े पन्नों से भरा होता है, कुछ अपने मोड़े कुछ किसी अन्य के.हर मुदा पन्ना वापसी की प्रतीक्षा करता है.
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
अनु जी, पढ़ कर अच्छा लगा-
ReplyDeletebada sahej ke rkha tha aap ne,smrition ke upvn se chuni gyee chand panktiya anubhution ko jiwant kr hi diya,
ReplyDeleteअंतिम पंक्तियां बेहद प्रभावी ... उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ..आभार
ReplyDeleteएक और लाजवाब रचना....|
ReplyDeleteज़िक्र होता है जब क़यामत का ...तेरे जलवों की बात होती है ....
ReplyDeleteया ..
वो उसे याद करे जिसने भुलाया हो कभी हमने उनको न भुलाया न कभी याद किया ...
bahut pyari rachna Anu ..
जब तू कभी दिल से गया ही नहीं
ReplyDeleteफिर कैसे करें तेरे चले जाने जिक्र ....
लाज़वाब रचना अनु जी
nice
ReplyDeleteजो चीजें तकलीफ देती है उन्हें हम नहीं सहेजना चाहते...शायद इसलिए वह पन्ना नहीं था|
ReplyDeleteसुंदर रचना
सस्नेह
मगर ये क्या...हर सफहा ही मुड़ा पाया...
ReplyDeleteकभी चाँद का ज़िक्र
कभी तेरी किसी मांग का ज़िक्र...
कभी तेरे रूठने को लिखा
कभी तेरे मान जाने का ज़िक्र...
कभी तेरी खुशबू पर लिखी शायरी
कभी तेरे लम्स का ज़िक्र..
बहुत ही खूबसूरत कविता |
bahut badhiya..
ReplyDeleteकुछ जिक्र न ही किये जाएँ तो बेहतर..
ReplyDeleteकभी तेरी खुशबू पर लिखी शायरी
ReplyDeleteकभी तेरे लम्स का ज़िक्र..
आपके मुड़े पन्नों में भी इतनी खूबसूरत रचनाएँ मिल जाती है अनु जी !
इन पंक्तियों में " लम्स " का अर्थ समझ नहीं आया. कृपया टिप्पणी में शामिल करें.
सुबीर जी,लम्स याने स्पर्श.
Deleteआभार.
जिन्हें हम भूलना चाहे वो अक्सर याद आते है,,,,,बहाना चाहे कोई भी हो,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST - मेरे सपनो का भारत
सुंदर रचना !
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण प्रस्तुति.... सही में पुरानी यादों के अशरार डायरी के पन्नों पर ही नहीं दिल पर लिख जाते हैं.
ReplyDeleteमोहक रचना
ReplyDelete----
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जाने का ज़िक्र शायद धरोहर नहीं बनाना चाहती थीं ....इसीलिए मुड़ा पन्ना नहीं मिला ... बहुत खूबसूरत ज़िक्र
ReplyDeleteनिर्झर लहरों में
ReplyDeleteयादों के लहक जाने का जिक्र..
बिना मुड़े पन्ने के साथ खूबसूरत मोड़....
ReplyDeleteजीवन के सफ़र के कई मुकाम ...कई रूप ....
ReplyDeleteसुंदर ढंग से ढाला आपने शब्दों में ....
gahare bhaav , pyaar ka sundar ehsaas liye huye
ReplyDeleteपेज पर दोनों रचनाएं अच्छी लगीं
ReplyDeleteहर मुड़े पन्ने की इबारत किसी का जिक्र करती . सुन्दर
ReplyDeleteमगर वो मुड़ा पन्ना दिखा नहीं मुझे !!
ReplyDeleteशायद नहीं किया होगा मैंने,
तेरे चले जाने का ज़िक्र.....
वाह अनुजी दिल जैसे यकबयक उछलकर मुँह को आ गया .....एक हूक सो उठी और ठहर गयी ....वहीँ ..अब भी रुकी हुई है ....
purani yaaden .....atit ki dharohar hoti hai ......nice prastuti....
ReplyDeleteएक खास जिक्र खास अंदाज में..बढ़िया पोस्ट..अच्छी लगी रचना..नमस्कार जी
ReplyDeleteohh...old memories...its so soothing to read you :)
ReplyDeleteज़िक्र ज़िक्र ज़िक्र ... हर सू उनका ही ज़िक्र ...
ReplyDeleteवो अलग ही कहाँ थे हमसे ...
Too good, I loved the way you punched in the last line :)
ReplyDeleteAn awsome piece of work Anu ji...woww...xcllnt...too good...beautiful...amazing..breathtaking...extraordinary...impressive...marvelous... miraculous... spectacular, startling... striking, stunning, stupefying, stupendous, wonderful, wondrous
ReplyDeletethanks Mahi :-) for strengthening my word power,with so many adjectives :-)
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteजिंदगी के सफ़र में मिलना-बिछुड़ना लगा ही रहता है. हम तो बस खट्टी-मीठी यादें ही सहेज कर रखते हैं.
ReplyDeletebehtarin yaaden!....
ReplyDeleteBahut Khubsurat anu ji........
ReplyDeleteज़िक्र का बहुत अच्छा ज़िक्र किया है दीदी !
ReplyDeleteसादर
वाह जी बहुत खूब
ReplyDeletejee bahot khoob! Sadhuwaad!
ReplyDeleteमगर वो मुड़ा पन्ना दिखा नहीं मुझे !!
ReplyDeleteशायद नहीं किया होगा मैंने,
तेरे चले जाने का ज़िक्र.....
It brought tears in my eyes :(
ऐसा लगता है पढ़ नहीं रहा हूँ , एक एक शब्द खुद-ब-खुद दिल को टटोल टटोल कर कचोट रहे हैं | लाजवाब .....|
ReplyDeleteसारे सलाम उस आखिरी पन्ने की ख़ामोशी के नाम ....... सस्नेह !
ReplyDelete..every time I read you Anu it feels as if this is the ultimate..it can not be improved upon, but your next poem fails me!
ReplyDeleteAnother milestone!!
" जिसे ले गयी है अभी हवा वो वरक था दिल कि किताब का ..."
ReplyDeleteसुन्दर !
jab jab tanha hote hain to dil kabhi-kabhi uska jikra karne ko betaab ho jaya karta hai. beautiful words.
ReplyDeleteयाद आया कि जिस सफ़हे पर ज़िक्र होता तुम्हारा..उसे मोड़ दिया करती थी.
ReplyDeleteमगर ये क्या...हर सफहा ही मुड़ा पाया...
कई अहसासों से महकती हुयी कविता..... बहुत सुन्दर ...
<3 <3
सादर
कभी कविताओं का ज़िक्र, कभी कहानियों का ज़िक्र....
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर पोस्ट किया गया हर एक लेख...
कई अहसासों का ज़िक्र करता है...सुंदर कविता
सुन्दर!
ReplyDeleteघुघूती बासूती
bahut sundar hai ye jikra ka jikra..
ReplyDeleteजो बातें सबसे खास हों, वे डायरी तक पहुँचेंगी कैसे!
ReplyDeleteभावमय अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअनु जी, सच में आपके द्वारा किया गया हर ज़िक्र बेहद सराहनीय है..... बधाई
ReplyDeletehttp://swapnilsaundarya.blogspot.in
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Bohot achha kaha hai!!
ReplyDeleteकुछ इतनी ही थी शायद मेरी यादों की दुनिया ,
ReplyDeleteडायरी तेरे आने से शुरू थी , तेरे जाने पे खत्म |
-आकाश
वाकई बहुत ही खूबसूरत |
समझ नहीं आ रहा कि आपकी ज्यादा तारीफ करूँ या जिनके page से आपका link पाया उनकी |
शायद दोनों ने ही अपनी अपनी बात बखूबी कही है |
jaanti ho anu.........likhne to kuch aur aayi thi...........pr...dhundhte dhundhte.....ye mil gyi........bas...fir ...khaamosh si ho gyi..............behad khoo surat.........
ReplyDeleteaur ye wala wo comment jo likhne aayi thi..............facebook pe bhi bheja he...pr wahaan pe kuch ajeeb sa aa rhaa tha sochaa ..yahaan likh dun......
ReplyDeleteare baap re....aap wahii anu he naaa......hmmmm..sach btaau ..mere shitaan ne aaj ujhe mohlat de dii..mahraaj adhiraaz aaj jaldi so gye ...jaise hi online aayi..aapa naam dekha..anulata.....soch me pr gyi...fb pe kon he is naam se jo mujhe jaanta he...vaise mujhe kam hi log jaante hain....baahr ki duniya me bhi ..aur is antrjaal ki duniya me bhi..............achnak se yaad..ye kahin wo anu to nhi...........jhat se blog chek kiyaa..........sach kahun.....aaj tak thik se naam dekha hi nhi..kyunki expressn aur anu..bas..yhii pehchaan rkhti thi.............hmmm..aaj tasllli se blog bhi dekhaa................aur muhn se yhii niklaaa......are baap re...aapki rchnaaye itnii achii se publish ho chuki hain..aur main bdhaayi bhi nhi de paaayi..so yahiin bdhaayi de rhii hun...............bahut bahut bdhyaaai.............