ये मेरा
आखरी प्रेम पत्र है..
अब कभी नहीं लिखूंगी तुम्हें कोई खत....
इसलिए इस आखरी खत को
भर देना चाहती हूँ एहसासों से,
महका देना चाहती हूँ अपनी साँसों से
अरसे से जज़्ब किये जज्बातों से..
रंग देना चाहती हूँ हर लफ्ज़
मोहबत के रंग से..
इकरार के हर ढंग से.
भिगो देना चाहती हूँ खत
अपने आंसुओं से
क्योंकि ये मेरा आखरी प्रेम पत्र है.....
अब के बाद कोई पत्र नहीं...
कोई प्रेम नहीं (ऐसा मैंने कब कहा !!)
तोड़ दूँगी कलम
इसे लिखने के बाद
तुमसे वास्ता न रखना
मौत की सजा से कम है क्या?
पत्र लिखूं / न लिखूं
तुमसे कहूँ/ न कहूँ
प्रेम तो रहेगा ......
तुम खत पढो/ न पढ़ो..
सहेजो/ फाड़ दो.....
प्रेम तो रहेगा ही......
मानो या न मानो....
-अनु
आखरी प्रेम पत्र है..
अब कभी नहीं लिखूंगी तुम्हें कोई खत....
इसलिए इस आखरी खत को
भर देना चाहती हूँ एहसासों से,
महका देना चाहती हूँ अपनी साँसों से
अरसे से जज़्ब किये जज्बातों से..
रंग देना चाहती हूँ हर लफ्ज़
मोहबत के रंग से..
इकरार के हर ढंग से.
भिगो देना चाहती हूँ खत
अपने आंसुओं से
क्योंकि ये मेरा आखरी प्रेम पत्र है.....
अब के बाद कोई पत्र नहीं...
कोई प्रेम नहीं (ऐसा मैंने कब कहा !!)
तोड़ दूँगी कलम
इसे लिखने के बाद
तुमसे वास्ता न रखना
मौत की सजा से कम है क्या?
पत्र लिखूं / न लिखूं
तुमसे कहूँ/ न कहूँ
प्रेम तो रहेगा ......
तुम खत पढो/ न पढ़ो..
सहेजो/ फाड़ दो.....
प्रेम तो रहेगा ही......
मानो या न मानो....
-अनु
तोड़ दूँगी कलम
ReplyDeleteइसे लिखने के बाद
तुमसे वास्ता न रखना
मौत की सजा से कम है क्या?
लाजवाब !
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
सादर
प्रेम पत्र भले ही आखिरी हो , इससे प्रेम तो खत्म नहीं होता ... भावुक सी रचना
ReplyDeleteप्रेम में आखिरी जैसा कुछ भी नहीं होता ।
ReplyDelete..abhi na jaao chhod kar, ki dil abhi bharaa nahin...
ReplyDeleteAs beautiful as always, Anu!
Regards!
पत्र लिखूं / न लिखूं
ReplyDeleteतुमसे कहूँ/ न कहूँ
प्रेम तो रहेगा ......
तुम खत पढो/ न पढ़ो..
सहेजो/ फाड़ दो.....
प्रेम तो रहेगा ही......
मानो या न मानो....
प्यारा प्रेमपत्र भावनाओं से भीगा .....
प्रेम तो रहेगा ही......
ReplyDeleteसच है ....बहुत सुंदर पंक्तियाँ
भावमय करते शब्दों का संगम ... उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
ReplyDelete
ReplyDeleteप्रेम पत्र :)))))))))))))) सुनते एक मुस्कान कौतुहल से भरी सबकुछ पढ़ लेना चाहती है
Anu ji..This is very beautiful and exquisitely.Simply loved it. Reminded of "Yeh mera prem patra padhkar" from Sangam.....Raj Kapoor Vijayanthimala 1961.....
ReplyDeleteप्रेम तो रहेगा ही......
ReplyDeleteमानो या न मानो....
तुमसे वास्ता न रखना
मौत की सजा से कम है क्या?..
बहुत सुन्दर...जवाब नहीं इन अहसासों का...
हिंदी दिवस की शुभकामनाये...
बढ़िया है , अपनी ही कलम से खुद का फैसला. प्रेम तो ब्रह्माण्ड में घुला है .
ReplyDeleteप्रेम तो रहेगा ही......
ReplyDeleteमानो या न मानो....
तुमसे वास्ता न रखना
मौत की सजा से कम है क्या?..
बहुत सुन्दर...जवाब नहीं इन अहसासों का.
भाषा सरल,सहज यह कविता,
भावाव्यक्ति है अति सुन्दर।
यह सच है सबके यौवन में,
ऐसी कविता सबके अन्दर।
कब लिख जाती कैसे लिखती,
हमें न मालुम होता अकसर।
बहुत सुन्दर भाव..
ReplyDeleteरंग देना चाहती हूँ हर लफ्ज़...
ReplyDelete...............................................
प्रेम पत्र लिखने से पहले सजा अपने लिए
आंसुओं में भींगना...एहसास में भटकना
प्रेम पत्र लिखने के बाद की सजा दोनों के लिए
..कि सजा मौत की....
वाकई बहुत ही दिलचस्प सी बातें..
मन को लम्स करती बातें ....
बहुत सुंदर पंक्तियाँ.
ReplyDeleteमजाल किसी कि जो न माने :)
ReplyDeleteमन की तह तक जाती पंक्तियाँ.
vehad khoobshurat andaj me khat likhne ki khata ki gyee hai,"dil ki divaro ko darakne dijiye,chupa hoga gr koe khud b khud dikh jayga......"
ReplyDeletebahut sundar chitra aur utni hi sundar rachna ...!!
ReplyDeleteभावमय करती रचना..
ReplyDeleteतुमसे कोई वास्ता हो न हो
प्रेम का अहसास रहेगा ही..
:-)
प्रेम कभी खत्म नहीं होता/ना ही हो सकता...
ReplyDeleteहां प्रेम तो रहेगा .....वो साथ रहे या ना रहे ....कुछ अधूरा सा कुछ पूरा सा
ReplyDeleteजब अँखिया ही पाती बन जाएँ तब प्रेम पाती की क्या ज़रुरत |
ReplyDeleteहिंदी दिवस की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteक्योंकि ये मेरा आखरी प्रेम पत्र है.....
अब के बाद कोई पत्र नहीं...
कोई प्रेम नहीं (ऐसा मैंने कब कहा !!)
किस पंक्ति पर ऊँगली रखूँ....पूरी की पूरी रचना ही दिल में उतर गयी ...वाह अनुजी ..जितनी तारीफ करूँ कम है...
ReplyDeleteकिस पंक्ति पर ऊँगली रखूँ....पूरी की पूरी रचना ही दिल में उतर गयी ...वाह अनुजी ..जितनी तारीफ करूँ कम है...
ReplyDeleteप्रेम तो प्रेम है वो किसी पत्र का मोहताज नहीं..बहुत सुन्दर अनु..
ReplyDeleteप्रेम बना रहे ,पत्र तो जो न लिखे जाएँ वो ज्यादा असर करते हैं ....सस्नेह -:)
ReplyDeleteप्रेम की ऐसी गहराई को देखकर यह आखरी पत्र तो कहीं से नही लगता |
ReplyDeleteबहुत हीं उम्दा भाव...|
हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई |
सादर |
अब के बाद कोई पत्र नहीं...
ReplyDeleteकोई प्रेम नहीं (ऐसा मैंने कब कहा !!)
bahut sunder :)
प्रेम ही बना रहना चाहिए ...और वह रहेगा ही !
ReplyDeleteमान लिया हमने भी !
ख़त लिखो, ना लिखो ..ख़त पढो, ना पढो..प्रेम अगर है तो वो यथावत रहेगा .
ReplyDeleteआभार रश्मि दी...
ReplyDeleteआपने चुना तो हमने खुद को हीरा समझ लिया :-)
waah anu ji atmik sundar prem aur alag andaaj , aapki rachna ka yah pahalu lagta hamen behad khas :))
ReplyDelete
ReplyDeleteपत्र लिखूं / न लिखूं
तुमसे कहूँ/ न कहूँ
प्रेम तो रहेगा ......
तुम खत पढो/ न पढ़ो..
सहेजो/ फाड़ दो.....
प्रेम तो रहेगा ही......
मानो या न मानो....
kitni sahaj si abhiyvaykti...:)
prem ka pravah ...:D
प्रेमपत्र
ReplyDeleteये मेरा
आखरी प्रेम पत्र है..
अब कभी नहीं लिखूंगी तुम्हें कोई खत....
इसलिए इस आखरी खत को
भर देना चाहती हूँ एहसासों से,
महका देना चाहती हूँ अपनी साँसों से
अरसे से जज़्ब किये जज्बातों से..
रंग देना चाहती हूँ हर लफ्ज़
मोहबत के रंग से..
इकरार के हर ढंग से.
भिगो देना चाहती हूँ खत
अपने आंसुओं से
यह एक बहुत ही सुन्दर ,अद्भुत और बेजोड़ कविता लगी आभार |लेकिन खत आखिरी न हो .......
वाह... अनु
ReplyDeleteसबके दिल की बात...
वैसे तो हमेशा आपके ब्लॉग पर आती हूं पर चुपके से पढ कर चली जाती हूं. लेकिन आपके इस खास पोस्ट ने मुझे जाने न दिया...
prem me hota hai sada dena hi dena
ReplyDeletesochte bhi nahin kuch badle me hai lena
bhale hi hoga ye akhari patr
par jante hai karoge duaein din rena.
https://udaari.blogspot.in
prem say bhari rachna.....
ReplyDeleteanuji ...sundar
ReplyDeleteEhsaas
बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर अनु !
ReplyDeleteमुझे मेरी लिखी पंक्तियाँ याद गयीं... जो मुझे बेहद अज़ीज़ हैं..
~तुमसे बिछड़ कर कुछ मर गया था मुझमें...
जो मर गया था...उसमें ज़िंदा तुम आज भी हो..~
प्रेम तो रहेगा ही...... बहुत सुन्दर,अद्भुत बेजोड़ कविता!!!!
ReplyDeleteThe dilemma you presented here is beautiful. Love is still there, there is no regret of losing it but a simple wish of writing the last letter. One of the most beautiful hindi poems I have read in recent times. Loved the first paragraph starting from ahasas...
ReplyDeleteप्रेम अमर है दुनयि में,
ReplyDeleteप्रेम कभी नही मरता है।
बहुत ही भाव-प्रवण कविता। मेरे पोस्ट पर आकर आपने मेरा उत्साहवर्धन किया, इसके लिए आपका आभारी हूं। धन्यवाद।
....बेहतरीन कविता |
ReplyDeleteप्रेम तो रहेगा ......
ReplyDeleteतुम खत पढो/ न पढ़ो..
सहेजो/ फाड़ दो.....
प्रेम तो रहेगा ही......
मानो या न मानो....hmm sach ...koi padhe ya n padhe .fitrat prem ki badal nahi sakti ..bahut sahi likha tumne anu ...
अनु जी,
ReplyDeleteप्रेमपत्र पढ़ा..... एक बार फिर दुखती रग पर किसी ने हाथ रख दिया .... और आँखों को एक बार फिर मैं रोकने में नाकामयाब रहा।
जीवंत रचना ....
प्रेम पत्र पढ़ने के बाद बरबस मुझे आखिरी पत्र की याद उभऱ आई...
( आखरी पत्र )
http://pravinydv.blogspot.in/2012/02/blog-post.html?showComment=1330602333008
full of emotions!! very well written
ReplyDeleteइसे पढकर पता नहीं क्यूँ , मुझे गुलज़ार साब कि वो नज्म याद आ रही थी -
ReplyDeleteवो खत भिजवा दो , मेरा वो सामान लौटा दो |
सादर
प्रेम तो रहेगा ही ...... जा भी कैसे सकता है .... क्योंकि शायद प्रेम किया नहीं जाता हो जाता है ...... जो पल - पल सारी जिन्दगी मौन रह कर साथ चलता है । फिर वो भले आखिरी प्रेम पत्र हो ....... पर मन तो हमेशा लिखता ही रहेगा ये गीत ... संगीत ......
ReplyDeleteबेहद कोमल , सलोनी सी रचना .
प्रेम तो रहेगा ही ...... जा भी कैसे सकता है .... क्योंकि शायद प्रेम किया नहीं जाता हो जाता है ...... जो पल - पल सारी जिन्दगी मौन रह कर साथ चलता है । फिर वो भले आखिरी प्रेम पत्र हो ....... पर मन तो हमेशा लिखता ही रहेगा ये गीत ... संगीत ......
ReplyDeleteबेहद कोमल , सलोनी सी रचना .
तमन्ना नही अब किसी और मूरत
ReplyDeleteकी मुझे । एक तू ही काफ़ी है मंदिर मे
सज़ाने के लिए ॥ जमाने भर को हमसे
नफ़रत है, तो क्या गम है । एक तू
ही काफ़ी है मुझे मौहब्बत सिखाने
के लिए ॥
तमन्ना नही अब किसी और मूरत
ReplyDeleteकी मुझे । एक तू ही काफ़ी है मंदिर मे
सज़ाने के लिए ॥ जमाने भर को हमसे
नफ़रत है, तो क्या गम है । एक तू
ही काफ़ी है मुझे मौहब्बत सिखाने
के लिए ॥
samvedanao ki sundar abhivyakti... prem nivedan ki parakshtha... adbhutt .. dimaag ko jhanjhanaa denewali panktiyan... sadar
ReplyDeletesundar abhivakti... prem nivedan ki parakashtha... samvedanao ka uttam prakatikaran... adbhut ... dimag ko jhanjhanaa denewali panktiyaan
ReplyDeletesamvedanao ki sundar abhivyakti... prem nivedan ki parakshtha... adbhutt .. dimaag ko jhanjhanaa denewali panktiyan... sadar
ReplyDeleteEarn handsome income by doing ur current job
ReplyDeletecall +91-9918610504
अंतिम अनुच्छेद सचमुच सुंदर है, सारगर्भित और मर्मस्पर्शी ...
ReplyDeleteMan ki khichatani,prem karta hai manmani,dil pe jor hai bhala kiska,karta rahta hai ye nadani...prem ke gandh se otprot love letter.
ReplyDeleteअनु जी आप बहुत बहुत सुंदर लिखती हैं | बहुत ही कमाल | इतने दिन आपके ब्लॉग से क्यूँ नहीं जुडी अफ़सोस है | परिकल्पना का शुक्रिया
ReplyDeleteअब के बाद कोई पत्र नहीं...
ReplyDeleteकोई प्रेम नहीं (ऐसा मैंने कब कहा !!)
माफ करना अनू जी मैँ भटकता हुआ आपके ब्लोग पे आ गया
ReplyDeleteआपने जो भी लिखा है उसके एक एक शब्द किसी की याद दिला गये
शुक्रिया इतने सुन्दर शब्दोँ के लिए