मोहब्बत के किस्से भी अजीब हैं.......जितने आशिक उतनीं बातें........कुछ किस्से महकते तो कुछ दहकते से....कुछ सही कुछ झूठे....मोहब्बत पर यकीं करना भी बड़ा कठिन है.......सच और दिखावे के बीच बड़ी महीन सी रेखा होती है.....मेरी मोहब्बत का भी कहाँ यकीं किया तुमने......चट्टान की तरह अड़े रहे अपनी बात पर......
काश के मेरे दिल पर हाथ रख तुम सुनते धडकन मेरी........अपना नाम सुन कर शायद पिघल जाते और यकीनन लावा बन बह जाता तुम्हारा गुस्सा.
मगर तुम्हारी जिद्द...............!!!!
शायद तुम कोई मौका ही खोज रहे थे मुझसे दूर जाने का...........
गवाह बना था चाँद और सभी तारे
उन मूक चाँद-तारों का साक्ष्य काम ना आया..
कितनी दलीलें पेश कीं और तुझे मनाया ...
बुझे मन और थके कदमों से हम लौट आये..
काश के मेरे दिल पर हाथ रख तुम सुनते धडकन मेरी........अपना नाम सुन कर शायद पिघल जाते और यकीनन लावा बन बह जाता तुम्हारा गुस्सा.
मगर तुम्हारी जिद्द...............!!!!
शायद तुम कोई मौका ही खोज रहे थे मुझसे दूर जाने का...........
गवाह बना था चाँद और सभी तारे
फिर भी तू न माना
कि हम सिर्फ तेरे हैं और तुम हमारे...
उन मूक चाँद-तारों का साक्ष्य काम ना आया..
कुछ कह ना सकते थे..
बस सिसक कर रो पड़े वो नज़ारे...
कितनी दलीलें पेश कीं और तुझे मनाया ...
मगर तुम्हारी एक ना से
हम जिंदगी का वो मुकदमा हारे..
बुझे मन और थके कदमों से हम लौट आये..
बस ठहरे थे तेरे दर पर दो पल..
और अश्कों से अपने सारे क़र्ज़ उतारे...
-अनु
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-अनु
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
बस तुम्हारी एक ना से
ReplyDeleteहम जिन्दगी का मुकदमा हारे
सरल शब्दों में बड़ी अभिव्यक्ति !!
सस्नेह
भीगती हुई प्रस्तुति ....
ReplyDeleteवाह गहन अभिव्यक्ति रचना
ReplyDeletenice presentation
ReplyDeleteअनु जी प्रेम के बारे में ? जो भी कहा सुना जाता है कम हैं ।
ReplyDeleteदिल को छू लेनेवाली रचना...
ReplyDeleteक्या कहने
तारीफ में शब्द नहीं...
फिदा हूँ आपकी रचनाओं पर...
:-)
ये तो बड़ा गड़बड़ हुआ।
ReplyDeleteएक और बेहतरीन कविता |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteसुन्दर भाव ..
कबीर जी सही कह गए..."प्रेम गली अति साँकरी" | प्रेम के बारे में जितना कहें उतना ही कम |
ReplyDeleteउम्दा भाव |
Recent Poem-"बेहिसाब याद आती है,माँ..!"
आभार...|
कितनी दलीलें पेश कीं और तुझे मनाया ...
ReplyDeleteमगर तुम्हारी एक ना से
हम जिंदगी का वो मुकदमा हारे..
बुझे मन और थके कदमों से हम लौट आये..
बस ठहरे थे तेरे दर पर दो पल..
और अश्कों से अपने सारे क़र्ज़ उतारे...गहरी अभिव्यक्ति
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
सहज शब्दो में गहन बात..बहुत सुन्दर..अनु..
ReplyDeleteसुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति |
ReplyDeleteभाव जगत की रागात्मक प्रस्तुति -
ReplyDeleteउन मूक चाँद-तारों का साक्ष्य काम ना आया..
कुछ कह ना सकते थे..
बस सिसक कर रो पड़े वो नज़ारे...
चाँद आहें भरेगा ,फूल दिल थाम लेंगे ,
हुस्न की बात चली तो ,सब तेरा नाम लेंगे .
ऐसे चेहरा है तेरा, जैसे रोशन सवेरा ,
जिस जगह तू नहीं है,उस जगह है अन्धेरा ,
कैसे अब चैन तुझ बिन, तेरे बदनाम लेंगे ....
होंठ नाज़ुक सी कलियाँ ,
बातें मिश्री की डलियाँ ,
होंठ गंगा के साहिल ,
जुल्फें जन्नत की गलियाँ .,
तेरी खातिर फ़रिश्ते सर पे इलज़ाम लेंगे ,
हुस्न की बात चली तो .....सहज ही ये गीत आपकी कविता पढने के बाद होंठों से खेलने लगा .
सज़ा इन रहजनों को मिलनी चाहिए
Dr. shyam guptaSeptember 13, 2012 10:10 AM
वीरू भाई आपने जो भी लिखा सब सत्य है..यही होरहा है आजकल...परन्तु आप यदि अमेरिका में यदि बैठे हैं तो आपको कैसे पता चलेगा कि कौन गलत है कौन सही....असीम या आपका वक्तव्य ही क्यों सही माना जाय..???
--वास्तव में तो --राष्ट्रीय प्रतीकों से छेड़छाड बिलकुल उचित नहीं ..
सत्य तथ्य यह है कि हम लोग बड़ी तेजी से बिना सम्यक सोच-विचारे अपनी जाति -वर्ग ( पत्रकार , ब्लोगर , लेखक तथा तथाकथित प्रगतिशील विचारक आदि एक ही जाति के हैं और यह नवीन जाति-व्यवस्था का विकृत रूप बढता ही जा रहा है ) का पक्ष लेने लगते हैं |
---- देश-राष्ट्र व नेता-मंत्री में अंतर होता है ...देश समष्टि है,शाश्वत है....नेता आदि व्यक्ति, वे बदलते रहते हैं, वे भ्रष्ट हो सकते हैं देश नहीं ..अतः राष्ट्रीय प्रतीकों से छेड़-छाड स्पष्टतया अपराध है चाहे वह देश-द्रोह की श्रेणी में न आता हो.. यदि किसी ने भी ऐसा कार्टून बनाया है तो निश्चय ही वे अपराध की सज़ा के हकदार हैं ....साहित्य व कला का भी अपना एक स्वयं का शिष्टाचार होता है..
--- अतः वह कार्टूनिष्ट भी देश के अपमान का उतना ही अपराधी है जितना आपके कहे अनुसार ये नेता...
बेहतरीन भाव
ReplyDelete:(
ReplyDeletewah!di...pyar ki rah ful aur kanto bhari hoti hai
ReplyDeleteसिसकियों से हिचकियों तक |
ReplyDeleteकाया कहू सुन्दर भाव ... या कहूँ दर्द भरे ... :(
ReplyDeleteदीवाने हम...दीवाने तुम
ReplyDeleteपर... दिल की खलिश तो साथ रहेगी तमाम उम्र....
waah anu ji heart touching poem ...........lovely
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
nicely expressed
ReplyDeletelajabab
ReplyDeleteबुझे मन और थके कदमों से हम लौट आये..
ReplyDeleteबस ठहरे थे तेरे दर पर दो पल..
और अश्कों से अपने सारे क़र्ज़ उतारे...
kya baat hai badhiya ...
nice feelings
ReplyDeletebahot achchi lagi.....
ReplyDeleteबेहद भावपूर्ण .... इस हार में भी इश्क कि जीत ही है.
ReplyDeletenice presentation of feelings..
ReplyDeleteyou lines got depth.. Loved the way you expressed. waiting for more to come Anu.
ReplyDeleteThanks
वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, सुन्दरता से परिपूर्ण
ReplyDeleteइस हार पे हर आने वाली सांस पिघलती है
ReplyDeleteजब दिल से एक आह: सी निकलती है ....
खुश रहें !
profound!
ReplyDeleteहौसला आफज़ाई के लिए आपको धन्यवाद ..आप सबों की बदौलत ही हम जैसों को आगे बढ़ने की ताकत मिलती है .....
ReplyDeletetouching ....
ReplyDeleteकितनी दलीलें पेश कीं और तुझे मनाया ...
ReplyDeleteमगर तुम्हारी एक ना से
हम जिंदगी का वो मुकदमा हारे........anu aap bahut zindagi ke kareeb ka likhti hai ..sidhe dil mein utarta hai ..mukdame aaj haare hain kal ki jeet kii ummid baaki hai ..
कितनी दलीलें पेश कीं और तुझे मनाया ...
ReplyDeleteमगर तुम्हारी एक ना से
हम जिंदगी का वो मुकदमा हारे..
bahut sundar anu ji ....yhi hota hai .
बेहतरीन प्रस्तुति !
ReplyDeleteआभार !
बस गई एक बस्ती है स्मृतियों की सी ह्रदय में
ReplyDeleteनक्षत्र लोक फैला है जैसे इस नील निलय में
जो घनीभूत पीड़ा थी मस्तक में स्मृति सी छाई
दुर्दिन में आंसू बनकर वो आज बरसने आई
सुंदर व भावमय रचना.
ReplyDeleteगहन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteप्रेम पे किसी का बस नहीं होता ...
ReplyDeleteजो होना होता है अपने आप ही हो जाता है ... बहुत खूब लिखा है ...
बुझे मन और थके कदमों से हम लौट आये..
ReplyDeleteबस ठहरे थे तेरे दर पर दो पल..
और अश्कों से अपने सारे क़र्ज़ उतारे...
....मन के अहसासों का बहुत सजीव चित्रण...
very appealing creation..
ReplyDeleteYou're getting better and better :)
ReplyDeleteकितनी दलीलें पेश कीं और तुझे मनाया ...
ReplyDeleteमगर तुम्हारी एक ना से
हम जिंदगी का वो मुकदमा हारे..
pyaar ke mukadme bahut samvedansheel hote hain...
bahut sundar rachna....
<3
kudos for beautiful use of words.....anu ji
ReplyDeleteऔर अश्कों से अपने सारे क़र्ज़ उतारे...
ReplyDeleteअच्छी पंक्ति
सादर
-आकाश