क्या मोहब्बत अपने अस्तित्व को खो देने का दूसरा नाम है....या तेरे मेरे एक हो जाने का??? क्या सदा तुझे खोने का भय ज़रूरी है.....जबकि पाया ही न हो कभी पूर्ण रूप से ?? मोहब्बत का ये असर क्यूँ...जबकि तू बेअसर है मेरे हर एहसास से???? कुछ उलझे सुलझे से एहसासों का गुच्छा है मोहब्बत, जिनमे कहीं अटकी होती है कोई एक नज़्म...कोई गज़ल....कोई कविता....
तुमसे जुदा होकर
जब तन्हा, घर जाती हूँ
मैं डर जाती हूँ...
तुम्हें खोने का एहसास
बस इतनी सी बात !!
मैं सिहर जाती हूँ.....
तुम बात नहीं करते
और चुप सी छा जाती है,
गागर सा मैं भर जाती हूँ....
तुम कहते हो मुझसे
तुम्हें भूल जाने को-
जीते जी मर जाती हूँ....
दीवानी मैं मोहब्बत में
जो कुछ है मना, अकसर
वो कर जाती हूँ......
तू हौले से आता है
तसव्वुर में मेरे...
मैं तर जाती हूँ....
ख्यालों में सही
तेरा वो स्पर्श और
हरसिंगार सा झर जाती हूँ.....
-अनु
तुमसे जुदा होकर
जब तन्हा, घर जाती हूँ
मैं डर जाती हूँ...
तुम्हें खोने का एहसास
बस इतनी सी बात !!
मैं सिहर जाती हूँ.....
तुम बात नहीं करते
और चुप सी छा जाती है,
गागर सा मैं भर जाती हूँ....
तुम कहते हो मुझसे
तुम्हें भूल जाने को-
जीते जी मर जाती हूँ....
दीवानी मैं मोहब्बत में
जो कुछ है मना, अकसर
वो कर जाती हूँ......
तू हौले से आता है
तसव्वुर में मेरे...
मैं तर जाती हूँ....
ख्यालों में सही
तेरा वो स्पर्श और
हरसिंगार सा झर जाती हूँ.....
-अनु
रूहानी टॉइप का प्रेम.....।
ReplyDeleteतन्हा निकल पडा है अपने सफ़र में राही ,
ReplyDeleteमुड़ मुड़ के देखता है शायद कोई पुकारे |
मोहब्बत के बारे में जितना भी कहिये कम है
ReplyDeleteइस इश्क का बुखार किसको नहीं,सबको गम है,
बस इतना है कि किसी को ज्यादा किसी को कम है
अनु जी ,बहुत सुन्दर । प्रेम की बढियां अभिव्यक्ति ।
sunder
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बड़े रंजोगम हैं इस मोहब्बत के....
ReplyDeleteबेहतरीन.......
Khoob.....Bahut Sunder
ReplyDeleteKhoob....Bahut Sunder
ReplyDelete
ReplyDeleteतू हौले से आता है
तसव्वुर में मेरे...
मैं तर जाती हूँ....
ख्यालों में सही
तेरा वो स्पर्श और
हरसिंगार सा झर जाती हूँ.....
प्रेम की अद्भुत अभिव्यक्ति |बधाई
pyar tho aisa hi hota hai.....luved reading these lines......
ReplyDeleteदीवानी मैं मोहब्बत में
ReplyDeleteजो कुछ है मना, अकसर
वो कर जाती हूँ......
वाह क्या बात है खास कर इन पंक्तियों ने तो गज़ब ढा दिया.
(अरुन = www.arunsblog.in)
anu ji bahut sundar rachna .prem ko shabdo me bada sundar dhala hai aapne .......ek e shabd se prem jhalak raha hai aur pida bhi adhbudh badhai aapko ...........
ReplyDeletemai pray kar rahi hoon aapke liye sab kuch kushal mangal ho aur aapki muskurati muskaan punah vaise hi khile ...........:)shashi
bahut sundar ehsaas ...sundar kavita ...Anu ...
ReplyDeleteBeautiful poem-so delicate & loving!
ReplyDeleteaanu ji kamaal likha hai....kya bhaav hain or kya prawaah...sundar!
ReplyDeleteEhsaas!
सहज एहसास
ReplyDeleteअनु जी,,,,
ReplyDeleteकमाल की भाव अभिव्यक्ति,,,,बधाई,
RECENT POST-परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,
प्रेम के गहरे अहसास
ReplyDeleteतड़प ,इंतजार
और ढेर सारा प्यार सबकुछ है इस रचना में...
बहुत -बहुत सुन्दर
मनभावन रचना...
:-)
प्रेम की ये सहज भावनाएं हैं। इन्हीं सहजताओं में प्रेम है।
ReplyDeleteलाजवाब...!
ReplyDeleteसमझ मे नही आता कि आपकी इस रचना की तारीफ करूँ या इस मोहब्बत की दीवानगी को |
बस इतना ही कहूँगा कि सीमों द' बुवाँ की याद आ गयी!!
ReplyDeleteकविता दिल को छूती है!!
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
प्यार की गहराई लिए हुए एक भावपूर्ण कविता.
ReplyDeleteदीवानी मैं मोहब्बत में
ReplyDeleteजो कुछ है मना, अकसर
वो कर जाती हूँ......
very interesting..
.
अरे अनु ! इतना सुन्दर तुम्हारा ब्लॉग ...आज तक नज़र नहीं पड़ी ....बहुत शुक्रिया तुम्हारा ...जो तुमने भावों का दरवाज़ा खोला है मेरे लिए ...आभारी हूँ तुम्हारी ...उम्मीद करती हूँ कि कुछ भी अच्छा जब भी पढ़ो , ज़रूर बताना .. :)
ReplyDeleteख्यालों में सही
ReplyDeleteतेरा वो स्पर्श और
हरसिंगार सा झर जाती हूँ.....
क्या खूब लिखा है अनु जी... वाह!
जय हो ...
ReplyDeleteमोहब्बत यह मोहब्बत - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
आपकी आभारी हूँ शिवम जी.....
Deleteशुक्रिया राजेश जी...
ReplyDeleteआभार आपका.
awesome!
ReplyDeleteहरसिंगार के फूलों की बरसात ही हो गयी ......सस्नेह -:)
ReplyDeleteखूबसूरत अहसास..
ReplyDeleteWaaaaH!!
ReplyDeletebahut sundar :)
ख्यालों में सही
ReplyDeleteतेरा वो स्पर्श और
हरसिंगार सा झर जाती हूँ.....
बहुत सुंदर ...
pyare....sunder ehsaas ki kavita.
ReplyDeleteइतना सब तो कह दिया लोगो ने . मेरे लिए कुछ बचा ही नहीं . लेकिन हम चुप क्यू रहे . कविता है या शब्द चित्र . हरसिंगार की तरह झरते शब्द पुष्प
ReplyDeleteख़ूबसूरत कविता...
ReplyDeleteवाह ... बहुत खूब।
ReplyDeleteखुदा का नाम लेने में तो हमसे देर हो जाती.
ReplyDeleteखुदा के नाम से पहले हम उनका नाम लेते हैं..
पाया है सदा उनको खुदा के रूप में दिल में
उनकी बंदगी कर के खुदा को पूज लेते हैं
बेह्तरीन अभिव्यक्ति . कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
अनु जी, आप जो लिखतें है वो इस से बहेतर होता है -
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteइधर इसका डर जाना
मौका देख उसका
उधर सर चढ़ जाना
मुश्किल है समझाना !
हरसिंगार सी झर जाती हूँ ...
ReplyDeleteझरते हुए देख रही हूँ प्रेम को !
ख्यालों में सही
ReplyDeleteतेरा वो स्पर्श और
हरसिंगार सा झर जाती हूँ।
बहुत सुंदर। मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।
//तुम्हें खोने का एहसास
ReplyDeleteबस इतनी सी बात !!
मैं सिहर जाती हूँ//
बहुत सुन्दर रचना अनु जी
bahut hi sidhi aur sacchi abhiwayakti anu jee ....
ReplyDeletemohobbat to mohobbat h.... :)
ReplyDeleteमुहब्बत करने वाले डरते भी ज्यादा हैं और हिम्मती भी ज्यादा होते हैं ....खूबसूरती से भावों को समेटा है ...हारसिंगार की तरह महकती हुई रचना
ReplyDeleteDevine...
ReplyDelete'जो कुछ है मना, अकसर
ReplyDeleteवो कर जाती हूँ.....'
बस,यही सबसे बड़ी मुश्किल !
..aapki yeh nazm bahut kuchh kah rahi hai..!
ReplyDeleteVery beautiful and sorely touching:)
तुम कहते हो मुझसे
ReplyDeleteतुम्हें भूल जाने को-
जीते जी मर जाती हूँ....
बहुत खूब ... अंतर प्रेम को चुके गुज़र जाती हैं ये पंक्तियाँ .... लाजवाब ...
ख्यालों में सही
ReplyDeleteतेरा वो स्पर्श और
हरसिंगार सा झर जाती हूँ.....बहुत खूब
खुबसूरत और नाज़ुक एहसास ......
ReplyDeletebeautiful post ....nice read
ReplyDeleteBahut sundar...loved reading it :)
ReplyDeleteबेहतरीन रचना :)
ReplyDelete---
हिंदी टायपिंग टूल हमेशा रखें कमेंट बॉक्स के पास
brimming with love :)....beautiful :)
ReplyDeleteमुहब्बत में डूबी ये रचना ... बस चश्मेबददूर !!!
ReplyDeleteदीवानी मैं मोहब्बत में
ReplyDeleteजो कुछ है मना, अकसर
वो कर जाती हूँ......
तू हौले से आता है
तसव्वुर में मेरे...
मैं तर जाती हूँ....
.
बहुत सुन्दर |
(आपको हरसिंगार से खास लगाव है :) )
सादर