अस्पताल में पतिदेव की तीमारदारी में ६ दिन और ६ रातें गुजारी....दिन तो जैसे तैसे कट जाते मगर रात का सन्नाटा असह्य था....बल्ब की धीमी रौशनी में मन में जो टूटा फूटा सा उपजा वो क्षणिकाओं के रूप में आपके समक्ष रखती हूँ...
(आप सभी के ब्लॉग पर आती हूँ धीरे धीरे ..... )
१-जब शब्द हो जाते हैं बेमानी,
तब सन्नाटे से उपजता है
संवाद !!
२-रात के सन्नाटे में
अस्पताल में कोलाहल??
लगता है फिर छायेगा
सन्नाटा....
किसी घर में !!
३-रात के सन्नाटे में
उस लड़की के चीख
जाने कोई कैसे सुन नहीं पाया???
बड़ा शोर है शहर में
रात के सन्नाटों में भी.....
४-सन्नाटा छा जाता है
जब प्रश्न उठता है,
कि कौन कराएगा
बूढ़े बाप का इलाज ??
आखरी दो क्षणिका......घाव पर मरहम सी.
५ -मौत सा सन्नाटा
टूटता है,
एक नवजात शिशु के
रुदन से.....
६-सन्नाटे में कहीं
खनकी चूड़ी....
चोरी छुपे मोहब्बत
एक रोज तोड़ेगी
मन के सभी सन्नाटे........
-अनु
(आप सभी के ब्लॉग पर आती हूँ धीरे धीरे ..... )
१-जब शब्द हो जाते हैं बेमानी,
तब सन्नाटे से उपजता है
संवाद !!
२-रात के सन्नाटे में
अस्पताल में कोलाहल??
लगता है फिर छायेगा
सन्नाटा....
किसी घर में !!
३-रात के सन्नाटे में
उस लड़की के चीख
जाने कोई कैसे सुन नहीं पाया???
बड़ा शोर है शहर में
रात के सन्नाटों में भी.....
४-सन्नाटा छा जाता है
जब प्रश्न उठता है,
कि कौन कराएगा
बूढ़े बाप का इलाज ??
आखरी दो क्षणिका......घाव पर मरहम सी.
५ -मौत सा सन्नाटा
टूटता है,
एक नवजात शिशु के
रुदन से.....
६-सन्नाटे में कहीं
खनकी चूड़ी....
चोरी छुपे मोहब्बत
एक रोज तोड़ेगी
मन के सभी सन्नाटे........
-अनु
मन को छूने वाली क्षणिकाएं... खासकर - रात के सन्नाटे में
ReplyDeleteअस्पताल में कोलाहल??
लगता है फिर छायेगा
सन्नाटा....
किसी घर में !!
........वाह क्या बात है अनु जी ...बहुत खूब काबिले तारीफ
ReplyDeleteपहले यह बताइये कि सर को क्या हुआ ?क्षणिकाएँ तो काबिले तारीफ हैं ही ।
ReplyDeleteसादर
धीमी रौशनी में उपजी पंक्तिया. संवेदनशीलता को समेटे हुए एक मानव के अंतस से उद्घृत .
ReplyDeleteजब शब्द हो जाते हैं बेमानी,
ReplyDeleteतब सन्नाटे से उपजता है
संवाद !!
गहन भाव ..सभी क्षणिकाएं एक से बढ़कर एक ... आभार
सन्नाटे से भी
ReplyDeleteआखिर उठा
एक शोर
जो झनझना गया
मन के तारों को ।
बहुत मर्मस्पर्शी क्षणिकाएं ।
लाजवाब..एक-एक पंक्तियाँ,गागर में सागर भरती हुई |
ReplyDeleteपढ़ते-पढ़ते मन के कोलाहल में सन्नाटा छा गया |
समय मिलें तो-
my recent post-"'कल' 'आज' और 'कल'"
आभार..|
रात के सन्नाटे में
ReplyDeleteअस्पताल में कोलाहल??
लगता है फिर छायेगा
सन्नाटा....
किसी घर में
ye सन्नाटा kabhi-kabhi dimaag par hathaude ke chot ki tarah ,asahaniy pidaa detaa hai !
बड़ा शोर है शहर में
ReplyDeleteरात के सन्नाटों में भी.....
...................................
...और कहानियाँ दर कहानियाँ..
कोलाहल का..सन्नाटा
किसी की चीख का...सन्नाटा
चोरी छुपे मोहब्बत... का भी...
Delete१-जब शब्द हो जाते हैं बेमानी,
तब सन्नाटे से उपजता है
संवाद !!
waah bahut hi sundar anu ji ..sannate ka gahara samvad bahut sundar prastuti
बहुत सुंदर
ReplyDeleteसन्नाटा छा जाता है
जब प्रश्न उठता है,
कि कौन कराएगा
बूढ़े बाप का इलाज ??
क्या कहूं, आइना दिखाती रचना
एक एक सन्नाटे सन्नाटों में गले लग गए - है न
ReplyDeleteखामोशी को खामोशी से बात करने दो... लेकिन आपने तो खामोशी को नए मानी दिए हैं... सच पूछिए तो खामोशी की आवाज़ सन्नाटों के कंट्रास्ट में जितनी साफ़ आपकी कविताओं (क्षणिकाओं) में सुनाई दी, वो और कहीं नहीं.. दूसरे नंबर की क्षणिका तो बस दिल को बेध जाता है..!!
ReplyDeleteसुनील जी के जल्द ही स्वस्थ होने की कामनाओं के साथ!
पुनश्च: उनका ध्यान दें.. ब्लॉग वगैरह पढ़ना होता रहेगा समय से!!
सभी क्षणिकाएं एक से बढ़कर एक
ReplyDeleteबेहतरीन...
अब सर की तबियत कैसी है...
आपकी क्षणिकाएं पढ़कर हरकीरत हीर जी की याद आ गई .
ReplyDeleteआशा करता हूँ , अब आपके पतिदेव बिलकुल ठीक हो गए होंगे .
अस्पताल में बैठकर जीवन के मायने समझ आ जाते हैं .
सही तस्वीर उतारी है .
शुभकामनायें अनु जी .
अस्पताल के सन्नाटे को शब्द-चित्रों में गहराई से कैद किया है.शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामनायें.
ReplyDeleteरात के सन्नाटे में
ReplyDeleteअस्पताल में कोलाहल??
लगता है फिर छायेगा
सन्नाटा....
किसी घर में !!
सीधी दिल को चीर गई ये क्षणिका और
ये वाली
-मौत सा सन्नाटा
टूटता है,
एक नवजात शिशु के
रुदन से.....
एक मुस्कान खिला गई । बेहद सुंदर क्षणिकाएं दिल से निकली हुईं ।
शुभकामनायें आपको ...
ReplyDeleteसन्नाटे के विविध रूपों को परिभाषित करतीं सुन्दर व ह्रदय स्पर्शी क्षणिकाएं .... आपके पतिदेव कि शीघ्र अति शीघ्र स्वास्थ्य लाभ कि कामना के साथ..
ReplyDeleteखामोशियाँ भी गुनगुनायेंगी ... पतिदेव का ख्याल रखिये उनके जल्द ही स्वस्थ होने की ईश्वर से कामना है...
ReplyDeleteमौत सा सन्नाटा
ReplyDeleteटूटता है,
एक नवजात शिशु के
रुदन से.....
बहुत बढ़िया ...
भाई के लिए शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteदोनों रूप ...घाव भी ...मरहम भी ..सभी क्षणिकाएं बहुत बढ़िया ....!!
ReplyDeleteशुभकामनाएं ...
WAH... SANNATA SHBD NE SAARE SANNATE TOD DALE..
ReplyDeleteछह रात अस्पताल में गुजारते हुए भी रचनाएँ सामने आईं...पहले खिदमत तब ब्लॉगिंग...है न!!
ReplyDeleteशुभकामनाएँ !!
सन्नाटे का इतना सुन्दर व्याख्यान क्या बात है
ReplyDeleteमन के सन्नाटों को भेदती हर क्षणिका ......सुन्दर...!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteDI....sab ek say badh kar ek......sannate ka is say accha explanation ho nahi sakta
ReplyDeleteएक बार सन्नाटे ने सन्नाटे से कहा आओ कुछ बात करे..और बातों ही बातों में कविता बन गई...वाह: अनु..शुभकामनाएं
ReplyDeleteकल रात आपके फेसबुक वाल से मुझे पता चला था....anyway i wish him speedy recovery...
ReplyDeleteसारी क्षणिकाएं मन को छूने वाले हैं...
बहुत ही मार्मिक .एकाध क्षणिकाएं तो पढना मुश्किल हो रहा था...लग रहा था आँखें चुरा लें...पर आँखें चुरा लेने से सच्चाई थोड़े ही छुप जाती है...
ReplyDeleteगहरी संवेदनाओं से उपजी क्षणिकाएं
ये सन्नाटा भुलाये नहीं भूलता.... बहुत खूब व्याख्या की आपने सन्नाटे की.....
ReplyDeleteकभी ये सन्नाटा आपको जीवन में न सताए.... ऐसी शुभेच्छा
सादर
Truly Amazing Anulata ji !! Beautiful !!
ReplyDeleteAnu lata jee,
ReplyDeleteApki shanikaye to dil ko chhunewali hai. humari dua hai kee apke pati sheegr swasth hokar hee ghar lote.
your poems are so touching,
ReplyDeleteतकलीफ के लम्हों में भी आपने शब्दों को खूबसूरती से पिरोकर बेहद प्रसंशनीय रचना प्रस्तुत की. आपके पतिदेव शीघ्र पहले के जैसे स्वस्थ हो.
ReplyDeleteशुभकामनाये.
सुन्दर रचना. आपके पतिदेव शीघ्र स्वस्थ हों.
ReplyDeleteशुभकामनायें.
May he,get well soon
ReplyDeletebut what happened?? :(
सन्नाटे में घाव भी, मरहम भी.,
ReplyDeleteअनुभूतियों को शब्दों का खूब सहारा दिया.,
कुँवर जी,
अभिनंदन अनुजी, सभी क्षणिकाएँ मर्मस्पर्शी.....!!
ReplyDeletetoo good...last ki do to bauhat hi kamaal hain...hope you are doing good :)
ReplyDeleteफिर कभी आपके जीवन में ऐसा सन्नाटा न आये , ऐसी कामना है | हाँ ! कृतियाँ भावुक करने वाली और दर्शन से भरी हैं |
ReplyDeleteaaj bahut dino baad net ki duniya me kadam rakha hai...so nahi jaanti ki apke pati ko kya hua....prarthna karti hun aapke pati jald hi swasthy praapt kar sakushal sheeghr ghar laut aayen.
ReplyDeletekshanikaaye mana ki apki man ki sthiti ko darshati hain lekin padhne wale ko sannato se bhaybheet bhi karati hain kyuki hospital ka jikr pahle hi padhne ko milta hai. bhagwaan sab kushal mangal rakhen.
acchhi kshanikayen.
How's your husband now, Anu?
ReplyDeleteI pray he gets well soon..
All the poems are painfully poignant!
आभार अनु...
ReplyDeleteवाह, कमाल हो गया.
ReplyDelete१-जब शब्द हो जाते हैं बेमानी,
ReplyDeleteतब सन्नाटे से उपजता है
संवाद !!........मौन की भाषा होती है बड़ी सशक्त ,सन्नाटा बोलता ही नहीं चीखता भी है ,बढ़िया विचार कणिका भाव सिंचित .
२-रात के सन्नाटे में
अस्पताल में कोलाहल??
लगता है फिर छायेगा
सन्नाटा....
किसी घर में !!..........मौत की आहत भी आती है ,बतलाकर ,ज़रा अस्पताल आ देखो
३-रात के सन्नाटे में
उस लड़की के चीख
जाने कोई कैसे सुन नहीं पाया???
बड़ा शोर है शहर में
रात के सन्नाटों में भी..........निकली क्यों लडकी रात -बिरात में ,कहतीं हैं शीला दीक्षित ,
४-सन्नाटा छा जाता है
जब प्रश्न उठता है,
कि कौन कराएगा
बूढ़े बाप का इलाज ??.........ये सांप सूंघना कहलाता है
आखरी दो क्षणिका......घाव पर मरहम सी.
५ -मौत सा सन्नाटा
टूटता है,
एक नवजात शिशु के
रुदन से.........ठहरती नहीं है ज़िन्दगी रूप बदल चली आती है एक अस्पताली बेड से दूसरे तक .......निगम बोध घाट ,कंधों पे एक आता है ,चार लातें हैं ,.....हर पल एक आखिरी बरात जीवन की बोले तो मयैत .......नोघ्म बोध घाट मेला है आवा -जाही का ......
६-सन्नाटे में कहीं
खनकी चूड़ी....
चोरी छुपे मोहब्बत
एक रोज तोड़ेगी
मन के सभी सन्नाटे........
अभिसार है ज़िन्दगी ,चांदनी रातों में रूप की बयार है ज़िन्दगी ,.......बिहारी की नायिका सा अभिसार है ज़िन्दगी ...सभी भाव कणिकाएं आपकी भाव विरेचन कर गईं ......की बोर्ड पर चढ़ गईं ...चढ़ गईं उंगलियाँ ....
आभार हूँ वीरू भाई....
Deleteशुक्रिया.
यही दृष्टा भाव और सेवा ताकत देती है ज़िन्दगी को ."कर सेवा ,पा मेवा "सेवा और समर्पण का लाभ जल्दी मिलेगा आपको ,परिवार को देव से पति को ,शुभकामनाएं .
ReplyDeletewah kya sunder bhav bhari kshanikayen hai man ko chhuti hui si
ReplyDeleterachana
जीवन के रंग समेटे ...संवेदनशील पंक्तियाँ.....
ReplyDeleteशीघ्र स्वस्थ होने की ईश्वर से प्रार्थना /शुभकामनायें |अच्छी रचना |ब्लॉग पर व्यस्तता में समय निकालकर आने के लिए आभार |
ReplyDeleteसुंदर सार्थक क्षणिकाएँ ....
ReplyDeleteपतिदेव के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करती हूँ
आभार अनु,
अस्पताल में सन्नाटा होता है बड़ा ख़ौफ़नाक लेकिन बहुत से गहरे रहस्यों से हमें परिचित करा जाता है। आपकी सारी क्षणिकाएं जीवन के कई रूप समेटे है।
ReplyDeleteeswar se yhi prarthna hai ki atishighr aapke patidev bilkul thik ho ghar ki pal pal ki khushion me hissedari kre, har lamhe ko jiwant karti rachna,badhayee
ReplyDeleteटायफाइड की ख़ुराक अमूमन दस दिनों की होती है। निश्चय ही पतिदेव अब पूरी तरह ठीक होंगे।
ReplyDeleteकभी रात में अकेले भी
ReplyDeleteनहीं महसूस होता सन्नाटा
कभी शोरगुल के बीच भी
लगे जीवन सन्नाटे सा!
सुन्दर ...बहुत हृदयस्पर्शी ...
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक सन्नाटा..
ReplyDeleteसभी क्षणिकाये लाजबाब है ... मगर पहली वा दूसरी बहुत ही गहरी हैं
ReplyDeleteसच अस्पताल का सन्नाटा बड़ा बेधक होता है .........
ReplyDeleteअच्छी क्षणिकाएं , मुझे अपना अनुभव याद आ गया |
ReplyDeleteसादर
सन्नाटे के अलग-अलग रंग रूप को बयाँ करती गहन, सशक्त क्षणिकाएँ !!!
ReplyDelete