वो पूरे चाँद सा चेहरा
जिसे मैं छू सकती थी
हाथ बढ़ा कर कभी भी....
और महसूस कर सकती थी
अपनी उँगलियों पर
उन गालों की नरमाई,
नर्म जैसे बादल !
और वो मुस्कराहट
खनकती हंसीं......
जैसे किसी ने खोल दी हो
अपनी अशर्फियों भरी पोटली
या बिखर गयें हो किसी के हाथ से पूजा के फूल....
वो कोमल स्पर्श, आवाज़ की खनक और स्नेह की सौंधी महक का एहसास अब भी जिंदा है.....
बस बिखेर रही हूँ आज
ढेर सा हरसिंगार
तुम्हारी तस्वीर के आगे.
अनु
(दुःख कभी बीतता नहीं....दिन बीतते हैं, और दुःख शायद उनकी परतों के नीचे कहीं पलता रहता है ख़ामोशी से.....)
अंजलि दीदी के जन्मदिन पर ...उनको याद करते हुए !!
4/4/2013
जिसे मैं छू सकती थी
हाथ बढ़ा कर कभी भी....
और महसूस कर सकती थी
अपनी उँगलियों पर
उन गालों की नरमाई,
नर्म जैसे बादल !
और वो मुस्कराहट
खनकती हंसीं......
जैसे किसी ने खोल दी हो
अपनी अशर्फियों भरी पोटली
या बिखर गयें हो किसी के हाथ से पूजा के फूल....
वो कोमल स्पर्श, आवाज़ की खनक और स्नेह की सौंधी महक का एहसास अब भी जिंदा है.....
बस बिखेर रही हूँ आज
ढेर सा हरसिंगार
तुम्हारी तस्वीर के आगे.
अनु
(दुःख कभी बीतता नहीं....दिन बीतते हैं, और दुःख शायद उनकी परतों के नीचे कहीं पलता रहता है ख़ामोशी से.....)
अंजलि दीदी के जन्मदिन पर ...उनको याद करते हुए !!
4/4/2013
ऐसी यादें कभी मिटती नही हैं । बारिश की बूँदों से सुगबुगाते बीज की तरह जरा से बहाने पर ही अंकुरित हो उठतीं हैं । अपनी अंजली दीदी को बहुत ही भरे हृदय से याद किया है आपने अनु ।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शनिवार 05 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
आभार यशोदा !!
Deleteयादें जरा सा कुरेदने पर सहज ही प्रस्फुटित हो जाती हैं.आँखों की नमी और भरा ह्रदय कुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ कह जाती हैं.
ReplyDeleteदर्द की थाह पाना मुश्किल है .....यह तो वह नासूर है ..जो जितना पुराना ..उतना हरा
ReplyDeleteएहसास जिन्दा रहते हैं हमेशा , और उनमे शामिल पल ,व्यक्ति सब कुछ !
ReplyDeletesamay aage badhta hai par ahsas hmesha jiwant rahta hai .......
ReplyDeleteसच है यादें कभी मिटती नहीं,अगर ये मिट जाय तो जिन्दगी में सिर्फ सूनापन ही रह जायगा..बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteआपकी अंजलि दीदी को मेरी भी शुभकामनायें !!
ReplyDeleteबढ़िया तो आपकी रचना होती ही है :)
मुकेश जी , दीदी अब हमारे साथ नहीं हैं....वरना उनकी तस्वीर के आगे फूल न बिखेरती :-(
Deleteयादें हैं , कहाँ जाएँगी .. घड़ी घड़ी सताएंगी.
ReplyDeleteगहन भाव लिए रचना |यादें ही तो जीवन का सहारा होती हैं |
ReplyDeleteआशा
सुन्दर श्रद्धांजलि
ReplyDeleteभावपूर्ण एहसास को हम भी महसूस कर सकते है.
ReplyDeleteअनु जी , बहुत सुन्दर भाव ! , धन्यवाद I.A.S.I.H ( हिंदी जानकारियाँ )
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग जगत में एक नए ब्लॉग की शुरुवात हुई है कृपया आप सब से विनती है कि एक बार अवश्य पधारें , व अपना सुझाव जरूर रक्खें , धन्यवाद ! ~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )
आपका शुक्रिया राजीव जी
ReplyDeleteयादों का बंधन अच्छा लगा..!!!
ReplyDeleteक्या बात है। लाजवाब रचना।
ReplyDeleteMy floral tributes!!
ReplyDelete/
This is the tenth attempt to finally comment here!!
ADBHUT....WAH
ReplyDeleteरिश्ते फूल हो जाते हैं
ReplyDeleteयाद जब बहुत आते हैं
श्रद्धा सुमन दीदी के लिये हमारे भी !
दिल को छूती हुई रचना... उआदों के झरोखे खुले रहते हैं ... शब्द फूल बन के बिखर जाते हैं ...
ReplyDeleteआह! भावपूर्ण यादें हैं ..
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी...
ReplyDeleteये यादें भी कहाँ अकेले रहने देती हैं ... चुपके से आ जाती हैं बीते दिनों को साथ लेकर ...
ReplyDeleteदीदी को श्रद्धा सुमन ...!
Hridaysparshi rachna
ReplyDeleteअंजली दीदी भी महसूस करती होगी इस स्नेह को, भले ही जीवन नष्ट हो ऊर्जा कहाँ नष्ट होती है ?
ReplyDeleteभावभरी रचना मन को छू गयी अनु, आने में देर हुयी !
हरसिंगार की महक पहुंची होगी तुम्हारी अंजलि दीदी तक और उन्होंने अंजुरी भर भर कर कर लिया होगा आत्मसात . खूबसूरत भाव सुमन .
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