रख कर हाथ
नीले चाँद के सीने पर
हमने खायीं थीं जो कसमें
वो झूठी थीं |
मुझे लगा तुम सच्चे हो,
तुम्हें यकीन था मुझ पर....
इसलिए तो खाई जाती हैं कसमें
अपने अपने झूठ पर
सच की मोहर लगाने को !
~अनुलता ~
नीले चाँद के सीने पर
हमने खायीं थीं जो कसमें
वो झूठी थीं |
मुझे लगा तुम सच्चे हो,
तुम्हें यकीन था मुझ पर....
इसलिए तो खाई जाती हैं कसमें
अपने अपने झूठ पर
सच की मोहर लगाने को !
~अनुलता ~
अपने अपने झूठ की सच्ची कसमें :)
ReplyDeleteसुंदर !!
बहुत उम्दा .....
ReplyDeleteइस नज़्म ने मुझे पैंतीस साल पीछे धकेल दिया... एक लघु-कथा पढ़ी थी कभी..
ReplyDeleteनदी के पुल पर खड़े लड़के और लडकी ने एक दूसरे को गले लगाया और कहा - अगर दुनिया हमें साथ साथ जीने नहीं देगी, तो हम साथ-साथ मर तो सकते हैं. ऐसा कहकर दोनों ने नदी में छलाँग लगा दी! दूसरे दिन उन दोनों की लाशें मिलीं. पोस्ट-मार्टेम से पता चला लड़्का नपुंसक था और लड़की गर्भवती!!
/
और क्या कहूँ.. कसमें, वादे, प्यार, वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या!!
… बहुत खूब !
वाह अनु .....गज़ब...!!!
ReplyDeleteक्या चाँद था नीला सा :)
ReplyDeleteबहुत खूब !
एक दूसरे के सच को स्वीकारते दो झूठ !
ReplyDeleteबहुत खूब ... कसमों का सच ... झूठ होते हुए भी कितना सच ...
ReplyDeletesacchi bat ..
ReplyDeleteझूठ पर सच्चाई की मोहर लगाना ...कसम खाना ...!
ReplyDeleteRECENT POST - आज चली कुछ ऐसी बातें.
वाह ....बहुत खूब
ReplyDeleteशायद बुजुर्गों को एहसास था...कि वादे टूट जाते हैं और कोशिशें कामयाब होतीं हैं...इसीलिए कसमें खाने से वो मना करते थे...
ReplyDeleteबहुत उम्दा!
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जानिए - ब्लॉग साइडबार की 5 प्रमुख ग़लतियाँ
बढ़िया लेखन व बेहतरीन रचनाएं , आ. अनु जी धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )
बहुत, बहुत खूब
ReplyDeleteफ़िराक़ साहब फ़रमाते है:
ReplyDeleteइश्क़ मे सच ही का रोना है
ना तुम झूठे, ना हम झूठे
Badiya
ReplyDeleteअपने अपने झूठ पर
ReplyDeleteसच की मोहर लगाने को !
bahut khoob
rachana
APANE APNE ZOOTH PAR SACHCHAI KI MUHAR , KYA BAT HAI.
ReplyDeleteउम्दा.....
ReplyDeleteकसमें, वादे, प्यार, वफ़ा - सब बातें हैं, बातों का क्या! :)
ReplyDeletesachmuch ye kasme wade kuchh hote hi nhi h... actually jaha sachcha pyar ho waha in sabki zarurrat hi nahi hoti....
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