बीती रात ख्वाब में
मैं एक चिड़िया थी........
चिडे ने
चिड़िया से
मांगे पंख,
प्रेम के एवज में.
और
पकड़ा दिया प्यार
चिड़िया की चोंच में !
चिड़िया चहचहाना चाहती थी
उड़ना चाहती थी...
मगर मजबूर थी,
मौन रहना उसकी मजबूरी थी
या शर्त थी चिडे की,
पता नहीं....
नींद टूटी,
ख्वाब टूटा,
सुबह हुई......
मैं एक चिड़िया हूँ
सुबह भी
अब भी....
~अनु ~
मैं एक चिड़िया थी........
चिडे ने
चिड़िया से
मांगे पंख,
प्रेम के एवज में.
और
पकड़ा दिया प्यार
चिड़िया की चोंच में !
चिड़िया चहचहाना चाहती थी
उड़ना चाहती थी...
मगर मजबूर थी,
मौन रहना उसकी मजबूरी थी
या शर्त थी चिडे की,
पता नहीं....
नींद टूटी,
ख्वाब टूटा,
सुबह हुई......
मैं एक चिड़िया हूँ
सुबह भी
अब भी....
~अनु ~
एक प्यारा सा बिम्ब और गहरी बात ..... अनगिनत हैं प्रेम के लिए पंख दे देने वालीं ......
ReplyDeleteप्रेम तो खुद पंखों की तरह है.. जिसे लगाकर कोई सपनों की दुनिया में भी परवाज़ लगा सकता है, लगा लेता है...
ReplyDeleteबहुत ही मासूम सी कविता!!
चिड़िया की चोंच में टंगे हुए प्रेम ने चिड़िया को चहचहाने नहीं दिया .......फ़्रेजाइल जो था .
ReplyDeleteचिड़िया के भीतर गूंजता रहा अनहद नाद,
कविता चिड़िया है ...या चिड़िया कविता ....बहरहाल बिन पंखों के भी पाठक तक पहुँचती है .
कविता पर टिप्पणी है या कविता पर कविता :-)
Deleteचिड़िया पंख देकर प्यार का सौदा नहीं करती मगर हाय! ख्वाब भी कितने डरावने आते हैं!
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteमैं एक चिड़िया हूँ
ReplyDeleteसुबह भी
अब भी....
----------
behtareen
कितनी खूबसूरती से सारी हक़ीकत बयाँ कर दी
ReplyDeleteकहा कुछ भी नहीं, और अह्सासे बेकराँ को जुबां दे दी
प्रेम में हिसाब नहीं...
ReplyDeleteप्यार को चोंच में दाबी हुई चिड़िया बहुत प्यारी लगती है...इसलिए आप भी बहुत प्यारी हैं अनु...मौन रहना भी कभी कभी सुकून देता है|
ReplyDeleteसस्नेह
बेहतरीन भावाभिव्यक्ति
ReplyDeletebehad khoobsurat......
ReplyDeletehttp://boseaparna.blogspot.in/
बहुत ही प्यारी दुलारी सी कविता |
ReplyDeleteसब की एक जैसी कहानी क्यूँ होती .....
ReplyDeleteये कहानी मेरी लगती
हार्दिक शुभकामनायें
गहनता लिए अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...
ReplyDeleteआभार
सब की एक जैसी कहानी क्यूँ होती .....
ReplyDeleteये कहानी मेरी लगती
हार्दिक शुभकामनायें
प्यार में सौदा नहीं ....उड़ना तो चिड़िया का स्वाभाविक गुण है .......हाँ उड़ान छोटी या लंबी हो सकती है ...अच्छा हुआ बुरा ख्वाब बीत गया ....अब तो चिड़िया उड़ रही है न ...?
ReplyDeleteप्रेम में अनकहे और अनचाहे न जाने कितनी बन्दिशें हो जाती हैं ..... खूबसूरत बिम्ब से कह डाली इतनी गहरी बात .... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत गहरी बात कहती उम्दा प्रस्तुति !!!
ReplyDeleteRecent post: तुम्हारा चेहरा ,
itni gahri baat, itni saralta se abhivyakt kar di aapne..........! jaise ye aapka hi nahi sabka (mahilaon ka) sach hai!!
ReplyDeleteमैं एक चिड़िया हूँ
ReplyDeleteसुबह भी
अब भी....
हकीकत बयाँ कर दी
खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteओह , प्यार के बदले यह कीमत चुकाती है हमारे समाज की चिड़िया.
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना.
मौन ही जाने मौन की भाषा
ReplyDeleteमैं एक चिड़िया हूँ
हमेशा रहूंगी...
इंसानी प्रेम की कीमत चुकानी ही पड़ती है..इसे रूहानी बनाये बिना पंख वापस नहीं मिलते...
ReplyDeletebhot khub................waaah
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया अरुण जी.
ReplyDelete'प्यार' की कीमत तो हमेशा ही चुकानी पड़ी है .....क्या चिड़िया और क्या भौंरा !!!
ReplyDeleteआज की ब्लॉग बुलेटिन १०१ नॉट आउट - जोहरा सहगल - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteचिड़िया चहचहाना चाहती थी
ReplyDeleteउड़ना चाहती थी...
मगर मजबूर थी,
मौन रहना उसकी मजबूरी थी........bahut badhiya .......majbooriyon se samna ho hi jata hai ......
बहुत खूबसूरत और सार्थक.....कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी पर सिर्फ चिड़िया को ही क्यों?
ReplyDeleteअनकहा भी जो रह गया है बहुत कुछ कह रहा है.....!!!!!!
बहुत सुन्दर ...........
ReplyDeleteखूबसूरत बिम्ब लिए सुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteचिड़िया दो घूँट प्यार से तृप्त हो गयी और ..........चिड़िया रात को भी चिड़िया रहती हैं और दिन में भी
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरती से अपनी बात कहती ......कविता ..
sundar avivyakti .....
ReplyDeleteman ka panchhi
chhuna chahe gagan
swrn pijara
बहुत सुंदर प्यारी चिड़िया की प्यार भरी कहानी.... आभार.
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत अंदाज अनु जी अहसास मन में होता है और उड़ान भी मन ही भरता है जिसका दायरा असीमित रहता है |
ReplyDeleteवो पंख भी प्यार ही होंगे .... बहुत प्यारा लिखा है ....सस्नेह :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर | प्रेम में ह्रदय को पंख लग जाना स्वाभाविक है ....
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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वाह, बहुत ही प्यारा बिंब लिया आपने अपनी कविता में, बहुत ही प्रभावी.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत प्रभावी तरीके से आपने अभिव्यक्त किया है
ReplyDeleteसुन्दर कविता ,
ReplyDeleteलेकिन हर चिड़ा चिड़िया के पंख नहीं मांगता ,कुछ अपने पंख देते भी हैं चिड़िया को .........निश्चलता से ,
ये निर्भर करता है की किसका प्रेम और समर्पण ज्यादा है , है ना ?
अनु जी :प्रेम से अधिक शोषण शायद ही किसी और रिश्ते में होता है....बहुत ताज़ा उपमान... अभिनंदन.
ReplyDeleteअनु जी :प्रेम से अधिक शोषण शायद ही किसी और रिश्ते में होता है....बहुत ताज़ा उपमान... अभिनंदन.
ReplyDeleteशायद इसी को गागर में सागर कहते हैं ... कुछ ही शब्दों में आपने हकीक़त को इस तरह बयां किया की दिल को छू गयी .... बहुत बढ़िया !
ReplyDeleteकविता मन को प्रभावित करने में सक्षम है।
ReplyDeleteप्रेम में न तो लेन-देन होता है और न मजबूरियां !
प्रेम के एवज में प्यार मिलता रहे और क्या आकांक्षा हो सकती है.
ReplyDeleteसुंदर कविता.
नारी मन को लिखा है ... आज के सच को लिखा है ...
ReplyDeleteये प्रेम तो नहीं ... उसकी एवज में अंधेरा दिया है ... जो नारी की किस्मत बन गया है ... गहरा अर्र्थ लिए लाजवाब रचना ...
कितनी सच्ची .... कितनी अपनी .... दिल को छू गयी .
ReplyDeleteअनु जी
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखती हैं
सुनिधि
बहुत अच्छी संकेतात्मक कविता...चिड़िया के मर्म को छूती हुई...बधाई!
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी चिड़िया...
ReplyDeleteप्रेम को समझना भी अपने आप में एक अनुभूति है
ReplyDeleteआपने जिस सहजता से चिड़िया के माध्यम से प्रेम को व्यक्त किया
कमाल कर दिया
प्रेम का सुंदर स्वरुप
बधाई
bahut sundar chidiya ,,,,,,,,,prem ki
ReplyDeleteबहुत बढ़िया... बेहद सार्थक!
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
सच्चा प्रेम तो बस एक चिड़िये की तरह ही मासूम होता है, निश्छल
ReplyDeleteऔर प्रेम में कभी कभी चुप्पी भी कुछ ख़ास हो बहुत कुछ कह जाती है
सादर!
there's a lil bird in each one of us
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरती है आपकी रचना में और दर्द भी .....क्यूँ प्रेम ही हमे छलता है ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteबहुत कुछ कहती एक सुन्दर रचना...
ReplyDeleteअनु दी नमस्ते
ReplyDeleteआप तो वो चिड़िया हो जो चेचाहती अच्छी लगती है !! और ऐसी प्यारी चिड़िया से कोई भला कैसे प्यार नहीं करेगा
हो सके तो इस छोटी सी पंछी की उड़ान को आशीष दीजियेगा
नई पोस्ट
तेरे मेरे प्यार का अपना आशियाना !!
बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति
ReplyDeleteप्यार दिया आज़ादी छिनी... चिड़ी की यही कहानी. ह्रदयस्पर्शी रचना, बधाई.
ReplyDeleteन जाने क्यू समझ नही आता आखिर इस प्रेम में ये शर्ते होती क्यू हैं....!!!
ReplyDeleteजो सोया है सो चिड़ा है
ReplyDeleteजो जागा है सो चिढ़ा है
बहुत ही सुन्दर |
ReplyDeleteएक मूवी ये लाइन सुनी थी -
"शब् को हर रोज जगा देता है , ऐसी ख्वाब सजा देता है ,
मुझको बंद कमरे में कैद करके , क्यूँ तू पंख लगा देता है |"
सादर
Bahut pyari kavita.Man ko choo liya aapne chidiya banke...love u Anulata ji...:)
ReplyDeleteआपकी इस अभिव्यक्ति की चर्चा कल रविवार (20-04-2014) को ''शब्दों के बहाव में'' (चर्चा मंच-1588) पर भी होगी!
ReplyDelete--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर
मौन रहना उसकी मजबूरी थी
ReplyDeleteया शर्त थी चिडे की,
पता नहीं....
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीया अनु जी
प्रेम का बंधन सही है
ReplyDeleteपर प्रेम में शर्ते प्रेम की सीमा में नहीं होती है
चाहे शर्त हो या मजबूरी, प्रेम को यूँ पकड़ के तो नही रख सकते! उसे तो बस घुल जाना होता है, दो अस्तित्वों के समागम में! सुन्दर, गहन!
ReplyDelete