इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Thursday, August 30, 2012

सन्नाटा........

अस्पताल में पतिदेव की तीमारदारी में ६ दिन और ६ रातें गुजारी....दिन तो जैसे तैसे कट जाते मगर रात का सन्नाटा असह्य था....बल्ब की धीमी रौशनी में मन में जो टूटा फूटा सा उपजा वो क्षणिकाओं के रूप में आपके समक्ष रखती हूँ...
(आप सभी के ब्लॉग पर आती हूँ धीरे धीरे ..... )

१-जब शब्द हो जाते हैं बेमानी,
   तब सन्नाटे से उपजता है
   संवाद !!

२-रात के सन्नाटे में
   अस्पताल में कोलाहल??
   लगता है फिर छायेगा
   सन्नाटा....
   किसी घर में !!

३-रात के सन्नाटे में
   उस लड़की के चीख
   जाने कोई कैसे सुन नहीं पाया???
   बड़ा शोर है शहर में
   रात के सन्नाटों में भी.....

४-सन्नाटा छा जाता है
   जब प्रश्न उठता है,
   कि  कौन कराएगा
   बूढ़े बाप का इलाज ??

आखरी दो क्षणिका......घाव पर मरहम सी.

५ -मौत सा सन्नाटा
   टूटता  है,
   एक नवजात शिशु के
   रुदन से.....

६-सन्नाटे  में कहीं
   खनकी चूड़ी....
   चोरी  छुपे मोहब्बत
   एक रोज तोड़ेगी
   मन के सभी सन्नाटे........

-अनु

63 comments:

  1. मन को छूने वाली क्षणिकाएं... खासकर - रात के सन्नाटे में
    अस्पताल में कोलाहल??
    लगता है फिर छायेगा
    सन्नाटा....
    किसी घर में !!

    ReplyDelete
  2. ........वाह क्या बात है अनु जी ...बहुत खूब काबिले तारीफ

    ReplyDelete
  3. पहले यह बताइये कि सर को क्या हुआ ?क्षणिकाएँ तो काबिले तारीफ हैं ही ।


    सादर

    ReplyDelete
  4. धीमी रौशनी में उपजी पंक्तिया. संवेदनशीलता को समेटे हुए एक मानव के अंतस से उद्घृत .

    ReplyDelete
  5. जब शब्द हो जाते हैं बेमानी,
    तब सन्नाटे से उपजता है
    संवाद !!

    गहन भाव ..सभी क्षणिकाएं एक से बढ़कर एक ... आभार

    ReplyDelete
  6. सन्नाटे से भी
    आखिर उठा
    एक शोर
    जो झनझना गया
    मन के तारों को ।

    बहुत मर्मस्पर्शी क्षणिकाएं ।

    ReplyDelete
  7. लाजवाब..एक-एक पंक्तियाँ,गागर में सागर भरती हुई |
    पढ़ते-पढ़ते मन के कोलाहल में सन्नाटा छा गया |

    समय मिलें तो-
    my recent post-"'कल' 'आज' और 'कल'"
    आभार..|

    ReplyDelete
  8. रात के सन्नाटे में
    अस्पताल में कोलाहल??
    लगता है फिर छायेगा
    सन्नाटा....
    किसी घर में
    ye सन्नाटा kabhi-kabhi dimaag par hathaude ke chot ki tarah ,asahaniy pidaa detaa hai !

    ReplyDelete
  9. बड़ा शोर है शहर में
    रात के सन्नाटों में भी.....
    ...................................
    ...और कहानियाँ दर कहानियाँ..
    कोलाहल का..सन्नाटा
    किसी की चीख का...सन्नाटा
    चोरी छुपे मोहब्बत... का भी...

    ReplyDelete
    Replies

    1. १-जब शब्द हो जाते हैं बेमानी,
      तब सन्नाटे से उपजता है
      संवाद !!
      waah bahut hi sundar anu ji ..sannate ka gahara samvad bahut sundar prastuti

      Delete
  10. बहुत सुंदर

    सन्नाटा छा जाता है
    जब प्रश्न उठता है,
    कि कौन कराएगा
    बूढ़े बाप का इलाज ??

    क्या कहूं, आइना दिखाती रचना

    ReplyDelete
  11. एक एक सन्नाटे सन्नाटों में गले लग गए - है न

    ReplyDelete
  12. खामोशी को खामोशी से बात करने दो... लेकिन आपने तो खामोशी को नए मानी दिए हैं... सच पूछिए तो खामोशी की आवाज़ सन्नाटों के कंट्रास्ट में जितनी साफ़ आपकी कविताओं (क्षणिकाओं) में सुनाई दी, वो और कहीं नहीं.. दूसरे नंबर की क्षणिका तो बस दिल को बेध जाता है..!!
    सुनील जी के जल्द ही स्वस्थ होने की कामनाओं के साथ!
    पुनश्च: उनका ध्यान दें.. ब्लॉग वगैरह पढ़ना होता रहेगा समय से!!

    ReplyDelete
  13. सभी क्षणिकाएं एक से बढ़कर एक
    बेहतरीन...
    अब सर की तबियत कैसी है...

    ReplyDelete
  14. आपकी क्षणिकाएं पढ़कर हरकीरत हीर जी की याद आ गई .
    आशा करता हूँ , अब आपके पतिदेव बिलकुल ठीक हो गए होंगे .
    अस्पताल में बैठकर जीवन के मायने समझ आ जाते हैं .
    सही तस्वीर उतारी है .
    शुभकामनायें अनु जी .

    ReplyDelete
  15. अस्पताल के सन्नाटे को शब्द-चित्रों में गहराई से कैद किया है.शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामनायें.

    ReplyDelete
  16. रात के सन्नाटे में
    अस्पताल में कोलाहल??
    लगता है फिर छायेगा
    सन्नाटा....
    किसी घर में !!
    सीधी दिल को चीर गई ये क्षणिका और
    ये वाली
    -मौत सा सन्नाटा
    टूटता है,
    एक नवजात शिशु के
    रुदन से.....
    एक मुस्कान खिला गई । बेहद सुंदर क्षणिकाएं दिल से निकली हुईं ।

    ReplyDelete
  17. शुभकामनायें आपको ...

    ReplyDelete
  18. सन्नाटे के विविध रूपों को परिभाषित करतीं सुन्दर व ह्रदय स्पर्शी क्षणिकाएं .... आपके पतिदेव कि शीघ्र अति शीघ्र स्वास्थ्य लाभ कि कामना के साथ..

    ReplyDelete
  19. खामोशियाँ भी गुनगुनायेंगी ... पतिदेव का ख्याल रखिये उनके जल्द ही स्वस्थ होने की ईश्वर से कामना है...

    ReplyDelete
  20. मौत सा सन्नाटा
    टूटता है,
    एक नवजात शिशु के
    रुदन से.....
    बहुत बढ़िया ...

    ReplyDelete
  21. भाई के लिए शुभकामनाएँ ।

    ReplyDelete
  22. दोनों रूप ...घाव भी ...मरहम भी ..सभी क्षणिकाएं बहुत बढ़िया ....!!
    शुभकामनाएं ...

    ReplyDelete
  23. WAH... SANNATA SHBD NE SAARE SANNATE TOD DALE..

    ReplyDelete
  24. छह रात अस्पताल में गुजारते हुए भी रचनाएँ सामने आईं...पहले खिदमत तब ब्लॉगिंग...है न!!
    शुभकामनाएँ !!

    ReplyDelete
  25. सन्नाटे का इतना सुन्दर व्याख्यान क्या बात है

    ReplyDelete
  26. मन के सन्नाटों को भेदती हर क्षणिका ......सुन्दर...!!!!!!!!!!!!!

    ReplyDelete
  27. DI....sab ek say badh kar ek......sannate ka is say accha explanation ho nahi sakta

    ReplyDelete
  28. एक बार सन्नाटे ने सन्नाटे से कहा आओ कुछ बात करे..और बातों ही बातों में कविता बन गई...वाह: अनु..शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  29. कल रात आपके फेसबुक वाल से मुझे पता चला था....anyway i wish him speedy recovery...
    सारी क्षणिकाएं मन को छूने वाले हैं...

    ReplyDelete
  30. बहुत ही मार्मिक .एकाध क्षणिकाएं तो पढना मुश्किल हो रहा था...लग रहा था आँखें चुरा लें...पर आँखें चुरा लेने से सच्चाई थोड़े ही छुप जाती है...

    गहरी संवेदनाओं से उपजी क्षणिकाएं

    ReplyDelete
  31. ये सन्नाटा भुलाये नहीं भूलता.... बहुत खूब व्याख्या की आपने सन्नाटे की.....
    कभी ये सन्नाटा आपको जीवन में न सताए.... ऐसी शुभेच्छा
    सादर

    ReplyDelete
  32. Truly Amazing Anulata ji !! Beautiful !!

    ReplyDelete
  33. Anu lata jee,

    Apki shanikaye to dil ko chhunewali hai. humari dua hai kee apke pati sheegr swasth hokar hee ghar lote.

    ReplyDelete
  34. तकलीफ के लम्हों में भी आपने शब्दों को खूबसूरती से पिरोकर बेहद प्रसंशनीय रचना प्रस्तुत की. आपके पतिदेव शीघ्र पहले के जैसे स्वस्थ हो.

    शुभकामनाये.

    ReplyDelete
  35. सुन्दर रचना. आपके पतिदेव शीघ्र स्वस्थ हों.

    शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  36. May he,get well soon
    but what happened?? :(

    ReplyDelete
  37. सन्नाटे में घाव भी, मरहम भी.,
    अनुभूतियों को शब्दों का खूब सहारा दिया.,

    कुँवर जी,

    ReplyDelete
  38. अभिनंदन अनुजी, सभी क्षणिकाएँ मर्मस्पर्शी.....!!

    ReplyDelete
  39. too good...last ki do to bauhat hi kamaal hain...hope you are doing good :)

    ReplyDelete
  40. फिर कभी आपके जीवन में ऐसा सन्नाटा न आये , ऐसी कामना है | हाँ ! कृतियाँ भावुक करने वाली और दर्शन से भरी हैं |

    ReplyDelete
  41. aaj bahut dino baad net ki duniya me kadam rakha hai...so nahi jaanti ki apke pati ko kya hua....prarthna karti hun aapke pati jald hi swasthy praapt kar sakushal sheeghr ghar laut aayen.

    kshanikaaye mana ki apki man ki sthiti ko darshati hain lekin padhne wale ko sannato se bhaybheet bhi karati hain kyuki hospital ka jikr pahle hi padhne ko milta hai. bhagwaan sab kushal mangal rakhen.

    acchhi kshanikayen.

    ReplyDelete
  42. How's your husband now, Anu?
    I pray he gets well soon..
    All the poems are painfully poignant!

    ReplyDelete
  43. वाह, कमाल हो गया.

    ReplyDelete
  44. १-जब शब्द हो जाते हैं बेमानी,
    तब सन्नाटे से उपजता है
    संवाद !!........मौन की भाषा होती है बड़ी सशक्त ,सन्नाटा बोलता ही नहीं चीखता भी है ,बढ़िया विचार कणिका भाव सिंचित .

    २-रात के सन्नाटे में
    अस्पताल में कोलाहल??
    लगता है फिर छायेगा
    सन्नाटा....
    किसी घर में !!..........मौत की आहत भी आती है ,बतलाकर ,ज़रा अस्पताल आ देखो

    ३-रात के सन्नाटे में
    उस लड़की के चीख
    जाने कोई कैसे सुन नहीं पाया???
    बड़ा शोर है शहर में
    रात के सन्नाटों में भी..........निकली क्यों लडकी रात -बिरात में ,कहतीं हैं शीला दीक्षित ,

    ४-सन्नाटा छा जाता है
    जब प्रश्न उठता है,
    कि कौन कराएगा
    बूढ़े बाप का इलाज ??.........ये सांप सूंघना कहलाता है

    आखरी दो क्षणिका......घाव पर मरहम सी.

    ५ -मौत सा सन्नाटा
    टूटता है,
    एक नवजात शिशु के
    रुदन से.........ठहरती नहीं है ज़िन्दगी रूप बदल चली आती है एक अस्पताली बेड से दूसरे तक .......निगम बोध घाट ,कंधों पे एक आता है ,चार लातें हैं ,.....हर पल एक आखिरी बरात जीवन की बोले तो मयैत .......नोघ्म बोध घाट मेला है आवा -जाही का ......

    ६-सन्नाटे में कहीं
    खनकी चूड़ी....
    चोरी छुपे मोहब्बत
    एक रोज तोड़ेगी
    मन के सभी सन्नाटे........
    अभिसार है ज़िन्दगी ,चांदनी रातों में रूप की बयार है ज़िन्दगी ,.......बिहारी की नायिका सा अभिसार है ज़िन्दगी ...सभी भाव कणिकाएं आपकी भाव विरेचन कर गईं ......की बोर्ड पर चढ़ गईं ...चढ़ गईं उंगलियाँ ....

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार हूँ वीरू भाई....
      शुक्रिया.

      Delete
  45. यही दृष्टा भाव और सेवा ताकत देती है ज़िन्दगी को ."कर सेवा ,पा मेवा "सेवा और समर्पण का लाभ जल्दी मिलेगा आपको ,परिवार को देव से पति को ,शुभकामनाएं .

    ReplyDelete
  46. wah kya sunder bhav bhari kshanikayen hai man ko chhuti hui si
    rachana

    ReplyDelete
  47. जीवन के रंग समेटे ...संवेदनशील पंक्तियाँ.....

    ReplyDelete
  48. शीघ्र स्वस्थ होने की ईश्वर से प्रार्थना /शुभकामनायें |अच्छी रचना |ब्लॉग पर व्यस्तता में समय निकालकर आने के लिए आभार |

    ReplyDelete
  49. सुंदर सार्थक क्षणिकाएँ ....
    पतिदेव के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करती हूँ
    आभार अनु,

    ReplyDelete
  50. अस्पताल में सन्नाटा होता है बड़ा ख़ौफ़नाक लेकिन बहुत से गहरे रहस्यों से हमें परिचित करा जाता है। आपकी सारी क्षणिकाएं जीवन के कई रूप समेटे है।

    ReplyDelete
  51. eswar se yhi prarthna hai ki atishighr aapke patidev bilkul thik ho ghar ki pal pal ki khushion me hissedari kre, har lamhe ko jiwant karti rachna,badhayee

    ReplyDelete
  52. टायफाइड की ख़ुराक अमूमन दस दिनों की होती है। निश्चय ही पतिदेव अब पूरी तरह ठीक होंगे।

    ReplyDelete
  53. कभी रात में अकेले भी
    नहीं महसूस होता सन्नाटा
    कभी शोरगुल के बीच भी
    लगे जीवन सन्नाटे सा!

    ReplyDelete
  54. सुन्दर ...बहुत हृदयस्पर्शी ...

    ReplyDelete
  55. एक से बढ़कर एक सन्नाटा..

    ReplyDelete
  56. सभी क्षणिकाये लाजबाब है ... मगर पहली वा दूसरी बहुत ही गहरी हैं

    ReplyDelete
  57. सच अस्पताल का सन्नाटा बड़ा बेधक होता है .........

    ReplyDelete
  58. अच्छी क्षणिकाएं , मुझे अपना अनुभव याद आ गया |

    सादर

    ReplyDelete
  59. सन्नाटे के अलग-अलग रंग रूप को बयाँ करती गहन, सशक्त क्षणिकाएँ !!!

    ReplyDelete

नए पुराने मौसम

मौसम अपने संक्रमण काल में है|धीरे धीरे बादलों में पानी जमा हो रहा है पर बरसने को तैयार नहीं...शायद उनकी आसमान से यारी छूट नहीं रही ! मोह...