ख़्वाबों का आना
फिर चले जाना
एक दस्तूर है....
और इसे बा-काएदा
निभाते हैं ख्वाब..
आते हैं......चले जाते हैं.
इस दस्तूर को,
इस रिवाज़ को
तोड़ कर ये
ठहर क्यूँ नहीं जाते
कभी मेरी पलकों पर.....
गर ठहरें कुछ दिन
तो मुझे वक्त मिले
उन ख़्वाबों को चुनने का,
उन्हें सुलझा कर
सच के चरखे पर कातने का...
हां एक रोज ठहरा तो था...
पिछली रात का,
एक कसमसाया सा ख्वाब...
ठहर गया था
मेरी पलकों पर,
एक बूँद बन कर...
और सारा दिन
आँखें भारी रहीं थीं...
और मन भी.
शायद अच्छा ही है
ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
ठहरते नहीं !!
-अनु
फिर चले जाना
एक दस्तूर है....
और इसे बा-काएदा
निभाते हैं ख्वाब..
आते हैं......चले जाते हैं.
इस दस्तूर को,
इस रिवाज़ को
तोड़ कर ये
ठहर क्यूँ नहीं जाते
कभी मेरी पलकों पर.....
गर ठहरें कुछ दिन
तो मुझे वक्त मिले
उन ख़्वाबों को चुनने का,
उन्हें सुलझा कर
सच के चरखे पर कातने का...
हां एक रोज ठहरा तो था...
पिछली रात का,
एक कसमसाया सा ख्वाब...
ठहर गया था
मेरी पलकों पर,
एक बूँद बन कर...
और सारा दिन
आँखें भारी रहीं थीं...
और मन भी.
शायद अच्छा ही है
ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
ठहरते नहीं !!
-अनु
शायद अच्छा ही है
ReplyDeleteख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
ठहरते नहीं !!
बिल्कुल सच कहा ... आपने बेहतरीन अभिव्यक्ति ...आभार
सच कहा अनु.
ReplyDelete.ख़्वाबों का आना फिर चले जाना
एक दस्तूर है....पर कभी कभी कुछ ख़्वाबों को भ्रम बनाए रखने के लिए संजोए रखना भी जरूरी हो जाता है....बहुत सुन्दर भाव..शुभकामनाएं
ख्वाब ठहर जाएँ तो तकलीफ देते हैं ... क्योंकि वो बस ख्वाब ही होते हैं असलियत नहीं ...
ReplyDeleteभ्रम से जितना जल्दी निकल सके उतना अच्छा ...
very soft and subtle...beautifully expressed...
ReplyDeleteअगर ख्वाब ठहर जाते तो सब कुछ बहुत हसीं हो जाता :)
ReplyDeleteLovely.. :-)
आँखों में इक ख्वाब सजाना बहुत अच्छा,
ReplyDeleteदिल में न उसे बसाना, और भी अच्छा!
शायद अच्छा ही है
ReplyDeleteख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
ठहरते नहीं !!
jinke thahar jaate hain ख्वाब we apne saath-saath dusaron kaa bhi jivan sanvaar jaate hain .... !!
हृदयस्पर्शी
ReplyDelete--- शायद आपको पसंद आये ---
1. DISQUS 2012 और Blogger की जुगलबंदी
2. न मंज़िल हूँ न मंज़िल आशना हूँ
3. गुलाबी कोंपलें
हृदयस्पर्शी
ReplyDelete--- शायद आपको पसंद आये ---
1. DISQUS 2012 और Blogger की जुगलबंदी
2. न मंज़िल हूँ न मंज़िल आशना हूँ
3. गुलाबी कोंपलें
ख़्वाबों की दुनिया भी क्या खूब है.... मन राम जाए तो लगता है ख्वाब टूटे ही ना....
ReplyDeleteऔर जो न रमे तो बैचेन कर जाते हैं ये ख्वाब...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
keep dreaming... :)
Beautiful and Touchy :)
ReplyDeleteवाह अनु जी बहुत खूब ,
ReplyDeleteसपने नहीं अपने
बहुत-२ बधाई इस सुन्दर रचना के लिए
शायद अच्छा ही है
ReplyDeleteख्वाब आते हैं, चले जाते हैं
ठहरते नहीं !
बहुत सुन्दर रचना ।
ख्वाबों को सजाने, सवारने और उसे हकीकत में ढालने की कला ही तो जीवन की चहलकदमी है.
ReplyDeleteखुबसूरत भाव |
ReplyDeleteख़्वाब बाँध लेंगे अगर, करें ख़्वाब न सैर |
जीवन दुखमय भोगते, बिना ख़्वाब के गैर |
बिना ख़्वाब के गैर, पैर पर चले कुल्हाड़ी |
परिवर्तन अंधेर, बोर हो जाय अनाड़ी |
खिलंदड़ा अंदाज, नहीं कुछ भी तुम बांधो |
तरह तरह से साज, साज के सरगम साधो ||
ख़्वाबों का आना
ReplyDeleteफिर चले जाना
एक दस्तूर है....
.........सुन्दर रचना ।
बहुत सही कहा अनु...
ReplyDeleteजब ये ठहर जाएँगे तो ख्वाब कहाँ रह जाएँगे...
इनका चले जाना ही अच्छा !!!
सस्नेह
बहुत ही भावमय रचना .............सही कहा अनु जी ख्वाब का चले जाना ही अच्छा .....
ReplyDeleteख्वाब देखना आसान है, पूरा करना मुश्किल ..
ReplyDeleteऔर ये बोझिल नहीं रह जाएगी जब ख्वाब पूरे हो जाएँगे ...
सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteहां एक रोज ठहरा तो था...
पिछली रात का,
एक कसमसाया सा ख्वाब...
ठहर गया था
मेरी पलकों पर,
एक बूँद बन कर...भावनाओ की ओस में भीगी रचना मन तक पहुची
ख़्वाबों का आना
ReplyDeleteफिर चले जाना
एक दस्तूर है...
इस दस्तूर को,
इस रिवाज़ को
तोड़ कर ये
ठहर क्यूँ नहीं जाते
कभी मेरी पलकों पर....
वाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ख्वाब के ठहरने से सारा दिन आँखें भारी रहीं ..... अच्छा ही है कि नहीं टिकते ख्वाब .... बहुत खूबसूरती से लिखा है
ReplyDeleteख़्वाबों का आना-जाना तो लगा ही रहता है। कई बार हम ख़ुद ही ख़ाब बुनने लगते हैं।
ReplyDeleteWAAH ,Maja aa gya padh kar,
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
khwaabon ka aana jaana to laga hee rahegaa!
ReplyDeleteखाब आतें हैं ,मन हलका जातें हैं ,अतृप्त वासना ,भर जातें हैं,रीते प्याले ,खाब निराले आते जाते ,रहतें हैं बतियाते ....खाब ठहर गये फिर खाबों का क्या होगा ...उर्दू शायरी खाब कहती है ख़्वाब को ,बढिया रचना है बांधती है मन की गागर में उड़ेल जाति है इत्ते शब्द ... ram ram bhai
ReplyDeleteमंगलवार, 14 अगस्त 2012
क्या है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा की बुनियाद ?
http://veerubhai1947.blogspot.com/
ख्वाबों की दुनिया ही ऐसी है ,जहाँ जाने के बाद आने का मन नही करता.
ReplyDeleteऔर जो उस दुनिया में ठहर जाये वो लौटकर दुबारा वापस आ नही सकता.
शायद अच्छा ही है
ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
ठहरते नहीं !!
उपरोक्त लाईने बिलकुल सही हैं.एक लाइन में बहुत बड़ी हकीकत लिए.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
ख्वाब इतने भारी हैं तो आकर चले जाना ही ठीक !
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति !
ख्वाब यदि ठहर जाएँ तो सच होकर दुःख दे सकते हैं . इसलिए बस देखने में ही भला है .
ReplyDeleteसुन्दर रचना .
सचमुच अच्छा है ख्वाबों का आना और चले जाना, ठहर जाते तो नए ख्वाब कैसे बुनते, उलझ ना जाते... बहुत सुन्दर अनु जी
ReplyDeleteवाह! अनु जी,बहुत सुन्दर लिखा है आपने.
ReplyDeleteजिंदगी एक ख्वाब ही है.
भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार.
ReplyDeleteगर ठहरें कुछ दिन
तो मुझे वक्त मिले
उन ख़्वाबों को चुनने का,
उन्हें सुलझा कर
सच के चरखे पर कातने का... काश , ठहर जाए दिन और सच के धागे से बुन जाए
ख़्वाब चले जाते हैं इसीलिये ख़्वाब हैं नहीं तो हक़ीकत न बन जाएँ ........
ReplyDeleteअनुलता जी नमस्कार...
ReplyDeleteआपके ब्लॉग 'my dreams n expressions'से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 14 अगस्त को 'ख्वाबों का आना और जाना...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव
शुक्रिया नीति जी.
Deleteआपका और अतुल जी का आभार.
यह कविता तो कन्फ्यूज़ कर रही है ख्वाब वाले मामले में। आयें, ठहरें, जांय। हम तो सबके लिए तैयार बैठे हैं।:)
ReplyDeleteअनु जी....वाह...!! लाजवाब रचना.....!!
ReplyDeleteअच्छा लगा पढ़कर..
ReplyDeleteशायद अच्छा ही है
ReplyDeleteख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
ठहरते नहीं !!
ख़्वाब तो ऐसे ही होते हैं।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।
लाजवाब रचना...अच्छा लगा |
ReplyDeleteदेखा एक ख़्वाब
ReplyDeleteतो ये सिलसिले हुए
ग़र सिलसिला चले
तो कोई ख़्वाब न देखे
ख्वाब जो आकार ठहर जाए तो नए ख्वाब कैसे सजे? बहुत सुन्दर रचना, बधाई.
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा... शायद अच्छा ही है
ReplyDeleteख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
ठहरते नहीं !!
स्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत ............शुभकामनाएँ.........
.............जयहिन्द............
............वन्दे मातरम्..........
कुछ ख्वाब अच्छे होते हैं
ReplyDeleteकुछ ख्वाब बोझिल होते हैं पर
ख्वाबों पर किसका वश है
हर ख्वाब गर साकार हो जाए
जीना दुश्वार हो जाए
अच्छा है ख्वाब आते हैं और चले जाते हैं
ठहरते नहीं...
एक सुंदर रचना के लिए बधाई।
beautiful...khwaab aate jaate rahein...shayad yahi theek hai :)
ReplyDeleteशायद अच्छा ही है
ReplyDeleteख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
ठहरते नहीं !!
anu ji khwabon me gahari anubhuti de gayee apki rachana ...sadar badhai.
"हां एक रोज ठहरा तो था...
ReplyDeleteपिछली रात का,
एक कसमसाया सा ख्वाब...
ठहर गया था
मेरी पलकों पर,
एक बूँद बन कर...
और सारा दिन
आँखें भारी रहीं थीं...
और मन भी.
शायद अच्छा ही है
ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
ठहरते नहीं !!"
बहुत ही सुंदर ! भावों की कसमसाहट रचना में रूचि बनाए रखती है। बधाई !
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteज़िन्दगी ख्वाब है...
ReplyDeleteख्वाब में झूठ है क्या...
और भला सच है क्या...
अच्छे ख्वाब टूटते हैं तो दुःख होता है...और कोई दु:स्वप्न ठहर जाये तो क्या हो...अच्छा ही है जो ख्वाब टिक के नहीं रहते...
ख़्वाब आते हैं ,
ReplyDeleteख्याल उगाते हैं ,
ख्वाहिशें जागते हैं ,
खता कराते हैं ,
और खुद तो टूटते ही हैं ,
हमें भी बिखेर जाते हैं |
और सारा दिन
ReplyDeleteआँखें भारी रहीं थीं...
और मन भी.
शायद अच्छा ही है
ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं
हाँ अनु जी बचपन की यादों सा ये ख्वाब भी अच्छा है आते हैं कुछ दिखाते हैं सोचने को उकसाते हैं कुछ हंसी ख़ुशी कुछ बूंदे आँखों में दे फिर खो जाते हैं ...न जाएँ तो न जाने क्या हो जाए ....जय हिंद
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाये आप को तथा सभी मित्र मण्डली को भी
भ्रमर ५
कृपया 'जागते' के स्थान पर 'जगाते' पढ़ें |
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteख्वाब एक रोका मोती बना दिया !
कुछ लोग लेकिन ख्वाब
रोकने में माहिर भी होते हैं
रोकते हैं फुसलाते हैं और
बेच देते हैं इतने शातिर
भी होते हैं कैसे करते होंगे?
अनुजी,
ReplyDeleteकुछ आँखें नींद से उतनी नहीं भरी... जितनी सपनों से भरी है...
ओ सपने... मेरे सफ़र में लौट कर मत आना.....
प्रभावपूर्ण रचना..
ReplyDeletesateek v sarthak lekhan .aabhar
ReplyDeleteWORLD'S WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION-JOIN THIS NOW
शायद अच्छा ही है ख्वाब आते हैं चले जाते हैं । नही, कुछ ख्वाब जो सच हो जाते हैं हमारे दिल में बस जाते हैं ।
ReplyDeleteबहुत कोमल रचना ।
अतिसुन्दर रचना |
ReplyDelete" शायद अच्छा ही है
ख्वाब आते हैं,चले जाते हैं..
ठहरते नहीं !! "
बेहतरीन पंक्तियाँ... बहुत अची रचना ...
ठहर गया था
ReplyDeleteमेरी पलकों पर,
एक बूँद बन कर...
.
वाह