इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Monday, August 6, 2012

ख्वाहिशें.....कभी मरती नहीं.


ख्वाहिशों के कभी कोई नाम नहीं होते ...
ये हैं दिल में फडफडाते हुए,कुछ परकटे तोते.....

कभी ऐसी ही जाने कितनी ख्वाहिशें दिल में पला करती थीं...
इतनी कि गिनी न जा सकें.......
ख्वाहिशों का कोई बोझ नहीं होता..
जितनी भी हों,दिल हल्का ही रहता..
मानों उड़ा जा सकता,पंखों के बिना ही..

और अब जाने क्या हुआ.....मर गयीं सब ख्वाहिशें.....
शायद नाउम्मीदी ने घोंट दिया गला ...
अब कोई ख्वाहिश नहीं......फिर भी जाने क्यूँ दिल भारी है....
उड़ना तो दूर,
बैठा बैठा जाता है दिल.

तुम्हारी मोहब्बत जो न रही....
जाने क्या रिश्ता था तेरी मोहब्बत और मेरी ख्वाहिशों का???
एक मरी तो दूजी भी मर गयी....गहरा रिश्ता रहा होगा.
जैसे कभी तेरा मेरा था....अटूट....
फिर भी टूट ही गया...

अब कुछ भी पहले सा नहीं
तुमने  हाथ जो छुडाया....
मेरे हाथों की लकीरें भी शायद साथ ले गए...
वो  ख़्वाबों,ख्वाहिशों वाली लकीरें!!!

तुम कहते हो तुम्हें मोहब्बत नहीं...
यही इलज़ाम मैंने भी दिया तुमको....
(हमारी सोच भी मिलती है देखो...)
माना तुम्हें मोहब्बत नहीं 
ये सच है....

मगर मुझे नफरत है सच्चाई से...

सुनो...

मेरा मानना है कि
तुममें और मुझमें
अब भी मोहब्बत है ...
जानते नही ?
या फिर सुना तो होगा ??
कि मोहब्बत मरा नहीं करती !!!
ये बस माचिस की सीली तीली की तरह है......
बारूद तो  है मगर सीलन है के आग लगने नहीं देती....

बीत जाने दो इस सीले मौसम को.....
क्या पता सर्दियों की कच्ची धूप  कुछ जादू कर दे...

परकटा तोता भी उड़ जाए???? 
ख़्वाबों  के पंख लगा कर......

मोहब्बत की तरह ख्वाहिशें  भी कब मरा करती हैं ???
-अनु 

62 comments:

  1. ख्वाहिशें हमेशा जिंदा रहनी चाहिए !

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  2. ये बस माचिस की सीली तीली की तरह है......
    बारूद तो है मगर सीलन है कि आग लगने नहीं देती....

    मेरे हाथों की लकीरों को अब भी तेरे
    स्पर्श की दरकार है..... है न ?
    बढ़िया अनुजी......

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  3. मोहब्बत की तरह ख्वाहिशें भी कब मरा करती हैं ???
    ख्वाहिशें मर जाएँ तो जीने का अर्थ ही बदल जाएगा...
    उन्हें जीवित रखना ही ठीक है|

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  4. ख्वाहिशें और उम्मीदें ही तो सारे दुखों की जड़ हैं.. और मोहब्बत के मामले में तो सारा दर्द ही इसी के कारण होता है!! बहुत ही खूबसूरती से बयान किया है आपने मन की भावों को!!

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  5. Achha aap isi rachna ki baat kar rahi thi..ki aapne bhi teeliyon ka jikr kia hai! bahot achhi rachna.. bada hi achhi similarity dikhayi hai parkate tote se...kabil-e-tareef!

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  6. हजारों हो ख्वाइशे, हर ख्वाइश पूरी हो... !!

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  7. बहुत सुंदर,


    कभी ऐसी ही जाने कितनी ख्वाहिशें दिल में पला करती थीं...
    इतनी कि गिनी न जा सकें.......
    ख्वाहिशों का कोई बोझ नहीं होता..
    जितनी भी हों,दिल हल्का ही रहता..
    मानों उड़ा जा सकता,पंखों के बिना ही..

    क्या कहने,

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  8. ख़्वाबों की बहुत सार्थक और भावपूर्ण अभिव्यक्ति...ख्वाब ही तो जीवन का सम्बल हैं...बहुत सुन्दर

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  9. ख्वाहिश मर गई अगर,फिर जीना बेकार
    मोहब्बतें मरती नही,ख्वाहिश हो बरकरार....

    लाजबाब प्रस्तुति ,,,,अनु जी,,,,

    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,

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  10. बढ़िया प्रस्तुति |
    बधाई अनु जी ||

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  11. beautiful and touchy :)

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  12. मोहब्बत की तरह ख्वाहिशें भी कब मरा करती हैं ???

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    1. waah bahut hi sundar rachna anuji khwahishe kabhi mara nahi karti

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  13. ख्वाहिशें न मरती हैं न मरने देना चाहिए... सुन्दर रचना, बधाई.

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  14. ये बस माचिस की सीली तीली की तरह है......
    बारूद तो है मगर सीलन है के आग लगने नहीं देती....

    बीत जाने दो इस सीले मौसम को.....
    क्या पता सर्दियों की कच्ची धूप कुछ जादू कर दे...

    बहुत खूबसूरत उम्मीद ....

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  15. मोहब्बत की तरह ख्वाहिशें भी कब मरा करती हैं........

    इंसान जब तक जिन्दा है बस इसी उम्मीद में जी जाता है...!

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  16. सही कहा आपने!
    बहुत अच्छी प्रस्तुति!

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  17. बहुत ही उम्दा कविता |बधाई और शुभकामनाएँ |

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  18. बीत जाने दो इस सीले मौसम को.....
    क्या पता सर्दियों की कच्ची धूप कुछ जादू कर दे...

    वाह .. बेहतरीन
    आभार

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  19. मोहब्बत की तरह ख्वाहिशें भी कब मरा करती हैं ? सच कहा अनु ..मन को छूती हुई बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति..

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  20. ..behad sundar! behtareen!!
    (aapka 'pyar aur moorkhtaa' wali kavita mein kiye huye promise ka secret khul gaya hai:):))

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  21. अनु जी, कविता बहुत ही निजी अभिव्यक्ति होती है -फिर भी राय दे रहा हूँ: इस रचना में थोडा संकलन हो सकता है.

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  22. तुम कहते हो तुम्हें मोहब्बत नहीं...
    यही इलज़ाम मैंने भी दिया तुमको....
    (हमारी सोच भी मिलती है देखो...)
    माना तुम्हें मोहब्बत नहीं
    ये सच है....

    मगर मुझे नफरत है सच्चाई से... एक उदास पर शोख बच्ची के गालों पर सूखे से ख्याल

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  23. मरता भी नहीं है और रहता भी नहीं है, पता नहीं होता ही क्यूँ है....
    Loved It..

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  24. मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं...बढिया रचना..

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  25. हाथ का छुडाना लकीरों का साथ ले जाना ... लाजवाब सोच का इक पहलू ...

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  26. nice poem----well expressed thoughts.

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  27. हर भाव में आपकी प्रस्तुति बेहतरीन होती है .

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  28. ये बस माचिस की सीली तीली की तरह है......
    बारूद तो है मगर सीलन है के आग लगने नहीं देती....

    बीत जाने दो इस सीले मौसम को.....
    क्या पता सर्दियों की कच्ची धूप कुछ जादू कर दे...

    ...ज़रूर करेगी ...यकीनन !!!!!!!!!!!!!!

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  29. काश...! हर किसी की ख्वाहिशें पूरी हो पातीं...

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  30. या फिर सुना तो होगा ??
    कि मोहब्बत मरा नहीं करती !!!
    ये बस माचिस की सीली तीली की तरह है......
    बारूद तो है मगर सीलन है के आग लगने नहीं देती....


    मन को छू लेने वाली भावपूर्ण रचना....

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  31. ख़्वाब है कि जी रहे हैं हम
    हम हैं कि पल रहे हैं ख्वाब

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  32. भावनात्मक रचना अनु जी।

    प्रतीक संचेती

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  33. बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित .....

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  34. ये बस माचिस की सीली तीली की तरह है......
    बारूद तो है मगर सीलन है के आग लगने नहीं देती....

    बड़ी गहरी बात कह दी..
    सुन्दर कविता

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  35. "आपकी पंक्तियों से ही प्रेरित" :

    बारूद तो दिया बहुत,
    जमाने ने मेरे दिल को ,
    वो तो तुम्हारी आँखें ही थी ,
    सीलन ने जिसकी,
    हमें दहकने न दिया |

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    1. वाह...बहुत सुन्दर अमित जी.

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  36. Bahut sundar kavita. Parkate tote is a beautiful word Anu.

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  37. न मोहब्बत मरे, न ख्वाहिशें, यही ख्वाहिश है हमारी!

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  38. ख्वाहिश गर मर जाये तो इन्सान कब जिन्दा रहेगा . सुन्दर

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  39. अनुलता जी नमस्कार...
    आपके ब्लॉग 'my dreams n exprissions' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 8 अगस्त को 'ख्वाहिशें...कभी मरती नहीं' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
    धन्यवाद
    फीचर प्रभारी
    नीति श्रीवास्तव

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  40. :) kabhi aa hi nahi aapi yaha tak ...aaj aa gai aur dukh hai mujhe kyu nahi aai.bahut sundar sach hai shayad parkata tota bhi ud jae

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  41. बहुत सुन्दर भाव लिए रचना है..
    ख्वाइशे सदा जीवित रहे और पूरी भी हो..
    यही कामना है..:-)

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  42. अनु जी सत्य वचन मोहब्बत तो सच्ची ही होती है अमर होती है नहीं तो मोहब्बत क्या है वो तो दिखावा है
    जो कील चुभी वो नहीं विलग ....जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  43. हृदयस्पर्शी..... ख्वाहिशों का सजीव चित्रण

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  44. बहुत ही अच्छी नज़्म कही है अनु जी.....शाश्वत विषय है. जिसका न कोई आदि न कोई अंत..मुझे ग़ालिब की ग़ज़ल "हजारों ख्वाहिशें ऐसी....." याद आ गयी. इस विषय पर मैंने भी कई शेर कहे हैं मसलन.."ख्वाहिशों का इक छलकता जाम था...इक परी थी और इक गुलफाम था."
    एक और अच्छी नज़्म के लिए बधाई

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  45. ख़्वाहिशें जीने का आसरा देती हैं, इसीलिए इन्हें जिला के रखना होता है।

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  46. naye prayog jaise andaaz men behatareen kriti...badhai

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  47. वाह लाजवाब अनु जी क्या बात है

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  48. कभी ऐसी ही जाने कितनी ख्वाहिशें दिल में पला करती थीं...
    इतनी कि गिनी न जा सकें.......
    ख्वाहिशों का कोई बोझ नहीं होता..
    जितनी भी हों,दिल हल्का ही रहता..
    मानों उड़ा जा सकता,पंखों के बिना ही..

    बहुत बढ़िया ..

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  49. बहुत अच्छी प्रस्तुति! मेरे नए पोस्ट "छाते का सफरनामा" पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद।

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  50. जी हां ख्वाहिशें हमेशा जिंदा रहती हैं

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  51. लाजबाब ख्वाहिशें..

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  52. मोहब्बत की तरह ख्वाहिशें भी कब मरा करती हैं ???
    true :)

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  53. परकटा तोता भी उड़ जाए????
    ख़्वाबों के पंख लगा कर......

    आपके शब्द और भाव लाजबाब हैं,अनु जी.

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  54. सचमुच ख्वाहिशें कभी नहीं मरती |

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