इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Wednesday, April 9, 2014

चुप्पी

चुप थे तुम
जब पूछा था लोगों ने
मेरा तुम्हारा रिश्ता...

चुप लगा जाते हैं लोग
अक्सर यूँ ही
कि वो एक सुरक्षा कवच है उनका !

गूंगी हो जाती है रात
जब चीखती है कोई बेबस..
चुप रहता है समाज
सिसकियाँ सुन कर भी !

बादलों के फट जाने पर
सवाल करती हैं लाशें...
और मौन रहता है आसमान |

खामोश रहते वृक्ष
पत्तों को तजने के बाद,
अनसुना करते हैं
चरमराते,सरसराते सूखे पत्तों की  चीख |

रिश्तों पर लगी घुन है
ख़ामोशी |
चुप्पी लील जाती है
मन का विश्वास !

चुप रह जाता है प्रेम...
जब वो प्रेम नहीं रहता !!
~अनुलता ~


24 comments:

  1. चुप्पी, खामोशी, मौन .......... शांति नीरवता ........ अंदर से झकझोर देती है ......... कोलाहल ला देती है !!

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    1. रिश्तों पर लगी घुन है
      ख़ामोशी |
      चुप्पी लील जाती है
      मन का विश्वास !

      चुप रह जाता है प्रेम...
      जब वो प्रेम नहीं रहता !!.. bahut sundar

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  2. चुप्पी वाकई खतरनाक हो जाती है
    जब भी कभी खामोशी में सो जाती है :)

    लाजवाब ।

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  3. सच है .....चुप्पी लील जाती है
    मन का विश्वास !, ....बहुत सुन्दर..अनु..

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  4. मौन नहीं होता श्रेयकर हमेशा....

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  5. चुप्पी के न जाने कितने मतलब हैं... मगर चुप्पी हर समय निगेटिव नहीं होती... और प्रेम में तो अक्सर चुप्पी को प्रेम का इज़हार माना गया है. वो बातें जो ज़ुबान से बयान नहीं हुईं, उन्हें चुप्पियों में बयान होते देखा गया है... एक मुहावरा भी है कि मौन स्वीकृति का लक्षण है..
    मौन का निगेटिव पक्ष तब शुरू होता है, जब बोलना आवश्यक हो और तब न बोला जाए!

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  6. जब आपकी कविता शुरु होती है तो ये अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि ये किस कथ्य पर पहुंचकर समाप्त होगी...लेकिन अचानक अपनी समस्त कही हुई बातों को आप बड़ी ही सुंदरता से बेहतरीन गंतव्य पर ले जाकर ख़त्म करती हैं और पूरी कविता पढ़ने के बाद वो लिंक कर कही गई बातें भी अद्भुत अर्थ प्रदान करती है वो कमाल है अनुजी...हमेशा की तरह बहुत ही सुंदर कविता।।।

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  7. मौन कायरता का भी प्रतीक है और प्रेम की गहराई का भी । यह परिस्थिति व दृष्टिकोण पर निर्भर होता है । सदा की तरह एक अच्छी रचना ।

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  8. चुप में कई विरोधाभासी अर्थ छिपे होते हैं , इकरार और इनकार दोनों के ही ! कुछ रिश्ते चुप में ही बेहतर होते हैं तो कुछ में बोल देना आवश्यक होता है।
    इस कविता की जरुरत कहन ही रही !

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  9. बहुत ही लाजवाब भाव, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  10. बहुत अच्छा लिख रही ही अनु , मंगलकामनाएं !!

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  11. मौनम् स्वीकृति लक्षणम...प्यार कोई बोल नहीं...प्यार आवाज़ नहीं...बोलेंगे तो गहराई खुल जायेगी...

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  12. सच अच्छा पर उसके जुलू मे ज़हर का एक प्याला भी
    पागल हो, क्यूँ नाहक को सुकरात बनो, खामोश रहो
    इब्ने इंशा

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  13. ऐसा ही तो होता है..

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  14. जरा ठहर जाओ संवाद.... मेरे मौन को कुछ कहने दो....

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  15. शब्दों में न कहा जा सके भले, पर मौन की भंगिमा बहुत कुछ कह जाती है !

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  16. चुप लील जाता है मन का विश्वास .... और कभी मौन ही सब कुछ कह देता है .... गहन भाव .

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  17. बादलों के फट जाने पर ,सवाल करती हैं लाशें..और मौन रहता है आसमान ........................
    .....................वाह .......सच............है................
    ''तिल-ख़ुशी से आस्मां सा दूर हूँ II
    ताड़-ग़म सीने में ढो-ढो चूर हूँ II
    पूछ मत मेरी मियादे ज़िन्दगी ,
    यूँ समझ ले इक खुला काफ़ूर हूँ II''
    -डॉ. हीरालाल प्रजापति
    [http://www.drhiralalprajapati.com/2014/04/524.html]

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  18. रिश्तों पर लगी घुन है
    ख़ामोशी |
    चुप्पी लील जाती है
    मन का विश्वास !

    बहुत बढ़िया .... सटीक अभिव्यक्ति

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  19. वाह...बहुत बढ़िया !! Soo True !!

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  20. बहुत सुंदर और मार्मिक रचना
    बधाई

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  21. चुप के रूप अनेक, हाँ भी और ना भी, स्वीकृति और नकार दोनों ...

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  22. चुप रह जाता है प्रेम...
    जब वो प्रेम नहीं रहता !!
    और प्रेम कि त्रासदी देखिया ... उसे अक्सर ही चुप रहना पड़ता है ...

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