इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Wednesday, May 22, 2013

नाकाम इश्क

एक तूफ़ान की तरह आया था तेरा इश्क
अपनी सारी हदें लांघता हुआ
डुबो डाला था मेरा सारा वजूद.
नामंजूर था मुझे खुद को खो देना
नामंजूर था मुझे तेरा नमक!
सो लौटा दिया मैंने वो तूफ़ान वापस समंदर को
बस रह गए कुछ मोती, अटके मेरी पलकों पर
जो लुढ़क आये गालों तक...

कि नाकाम इश्क की निशानियाँ भी कहीं सहेजी जाती हैं !!

~अनु ~


48 comments:

  1. नाकाम इश्क की निशानियाँ भी कहीं सहेजी जाती हैं ,,,

    Recent post: जनता सबक सिखायेगी...

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  2. आपकी प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
    धन्यवाद

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  3. वाह: बहुत बढ़िया.अनु..

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  4. नमकीन पानी.....

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  5. नामंजूर था मुझे तेरा नमक!
    सो लौटा दिया मैंने वो तूफ़ान वापस समंदर को
    बस रह गए कुछ मोती, अटके मेरी पलकों पर
    जो लुढ़क आये गालों तक...
    क्या बात है ..जबरदस्त भाव

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  6. कि नाकाम इश्क की निशानियाँ भी कहीं सहेजी जाती हैं !!.... waah anu ... kya baat kahi hai ... :)

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  7. बहुत बढिया अनु जी.....

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  8. सुन्दर
    नामंजूर था मुझे तेरा नमक :)

    सादर

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  9. खुबसूरत रचना !!

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  10. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ!

    कुँवर जी,

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  11. शायद हदों को पार कर जाना ही ग़लत था.....
    <3

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  12. वाह ... बहुत खूब

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  13. बहुत खूब ... खुद को खो के इश्क पूरा नहीं हो पाता ...
    अस्तित्व बना रहना चाहिए सब का ...
    गहरा एहसास ...

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  14. बहुत बढिया प्रस्तुति!!

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  15. Bilkul,Palken Gawah Hai Ki Naakam Ishq Ki Nishaaniya Bhi Saheji Jaati Hai...

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  16. अच्छी रचना, बहुत सुंदर



    मेरे TV स्टेशन ब्लाग पर देखें । मीडिया : सरकार के खिलाफ हल्ला बोल !
    http://tvstationlive.blogspot.in/2013/05/blog-post_22.html?showComment=1369302547005#c4231955265852032842

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  17. उस तूफ़ान का लौटा देना ही बेहतर है समंदर को जो अपनी हद लांघ जाए ...गहरे अहसास... शुभकामनायें

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  18. नाकाम इश्क -- ! वाह बहुत सुन्दर।

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  19. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति.

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  20. दिल की गहराइयों से निकली बात भिगो गई!

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  21. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (24-05-2013) के गर्मी अपने पूरे यौवन पर है...चर्चा मंच-अंकः१२५४ पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  22. नाकाम इश्क की नाकामियां ...जिन्दगी जीने का नजरिया समझा जाती हैं ....
    शुभकामनायें अनु !
    आभार!

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  23. सो लौटा दिया मैंने वो तूफ़ान वापस समंदर को
    बस रह गए कुछ मोती, अटके मेरी पलकों पर
    जो लुढ़क आये गालों तक...

    जबरदस्त द्वंद है, विद्रोही तेवर के साथ ही आंखों के मोतियों का लुढकना? एक विशेषता है रचना की. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  24. ..परन्तु यह पंक्तियाँ उस नाकाम इश्क की निशानी ही तो हैं ।

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  25. नामंजूर था मुझे खुद को खो देना
    नामंजूर था मुझे तेरा नमक!bahut badhiya khud ko khone ka matlab hai sab kucchh kho dena .....aur sba kucchh khone ke bad bachta hi kya hai ?

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  26. प्रेम में मिला दर्द कुछ ऐसा ही होता है
    लाजवाब, बहुत सुन्दर
    सादर!

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  27. कामयाब अभिव्यक्ति...

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  28. लाजवाब रचना...बहुत बहुत बधाई...

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  29. डुबो डाला था मेरा सारा वजूद.
    नामंजूर था मुझे खुद को खो देना-----

    वाकई प्रेम नमकीन पानी बनकर आंख से टपकता है
    मन को भेदती रचना
    बहुत सुंदर
    बधाई

    आग्रह हैं पढ़े
    ओ मेरी सुबह--

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  30. कि नाकाम इश्क की निशानियाँ भी कहीं सहेजी जाती हैं !!
    वाह क्या बात है ....बहुत बढ़िया रचना है !

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  31. बहुत सुंदर और सत्य .....नाकामयाबियाँ सहेजना छोड़ कर ही जीवन जिया जा सकता है ...अलबत्ता नाकाम मुहब्बत बहाना मजबूरी है ....आँखें अपने बस में नहीं रहतीं

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  32. कसूर पता नहीं
    किसका था
    खोती कैसे,वजूद
    अपना था!

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  33. जाने अनजाने सहेज ही लिया .............सुंदर प्रस्तुति ।

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  34. हाँ एक निशानी सहज ली है ....दर्द कभी ना खत्म होने वाला दर्द

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  35. जो तूफ़ान की तरह आये
    वो इश्क कहाँ होता है
    अच्छा किया लौटा दिया .....

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  36. अनुजी : कलम से कलम कर देना तो कोई आप से सीखे...!! हमेशा की तरह ला जवाब.

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  37. संभवत नाकाम इश्क ही ज्यादा विचलित करता है।।
    चाहे निशानियाँ सम्भालो या ना सम्भालो..।

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  38. नाकाम इश्क ....सहेजा ना जाता हो ...पर बहाया खूब जाता है ...सुंदर रचना ..वाह

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  39. waah ma'am,,JABARDAST,,kaise itna achha likhti hain :)

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  40. sometimes these become memories.....giving pain and happiness both!!

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