वो देखता रहता उस पनीली आँखों वाली लडकी को,रेत के घरौंदे बनाते और बिगाड़ते.....उसे मोहब्बत हो चली थी थी इस अनजान,अजीब सी लडकी से...जो अक्सर लाल स्कार्फ बांधे रहती.....कभी कभी काला भी...
बरसों से समंदर किनारे रहते रहते इस मछुआरे को पहले कभी न इश्क हुआ था न कभी ऐसी कोई लडकी दिखी थी.जाने कहाँ से आयी थी वो लडकी इस वीरान से टापू में....देखने में भली लगती थी मगर कुछ विक्षिप्त सी,खुद से बेपरवाह सी...(जाने लहरें उसे बहा कर लाई हैं या किसी मछली के पेट से निकली राजकुमारी है वो...मछुआरा अपनी सोच के साथ बहा चला जाता था..)
लडकी को देखते रहना हर शाम का नियम था उसका.वो बिना कुछ कहे लड़की को समझने की नाकाम कोशिश करता था.
एक रोज़ वो लडकी के करीब पहुंचा....लडकी भी उसकी उपस्थिति से अभ्यस्त हो चुकी थी सो उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की....बस अपना घरौंदा बनाती रही.....तोड़ देने के लिए...
तुम इतने सुन्दर घरौंदे क्यूँ बनाती हो ???और फिर उन्हें यूँ रेत में मिला देती हो??
कोई मिटाने के लिए भी बनाता है भला?? और ये लाल काला स्कार्फ क्यूँ बदलती हो??? एक साथ सारे सवाल दाग दिए उसने,मानों कहीं एक सवाल के बाद लडकी कोई रोक न लगा दे उसके बोलने पर.
बिना अपना चेहरा उठाये वो लड़की बोली ,जब मैं घरौंदे बनाती हूँ तब प्रेम में होती हूँ और तब ये लाल स्कार्फ पहन लेती हूँ,घर के बनते ही मैं नफरत हो जाती हूँ और काला स्कार्फ पहन लेती हूँ और फिर मुझे घरौंदा तोडना अच्छा लगता है.
उसकी आवाज़ जैसे किसी शंख के भीतर से निकली ध्वनि हो....
खुद को सम्मोहित होने से रोकते हुए लड़के ने कहा-
तो तुम्हारे भीतर दो व्यक्तित्व हैं...एक भला एक बुरा !! आखिर कैसे जी लेती हो ये दोहरा जीवन?
लड़की ने पहली दफा पलकें ऊपर उठायी......सागर की गहराई मानों कम पड़ गयी उसकी आखों के आगे...और चेहरे की लुनाई मानों कोई तराशा हुआ सीप....
सच कहा तुमने मछुआरे....थक गयी हूँ ये दोहरा जीवन जीते जीते....कहो क्या तुम जियोगे मेरा एक जीवन???
लड़के की हाँ और न को सुने बिना ही उसने काला स्कार्फ लड़के की गर्दन में लपेट दिया और कहा अब इस घरोंदे को तुम तोड़ो.....मेरे भीतर की बुरे को तुम जियो.....
भीगी आँखों से लड़के ने घरौंदा तोड़ दिया और लड़की के गालों पर भी लुढ़क आये आँसू......
इसके पहले कभी एक सीप में दो मोती उसने न सुने न देखे थे .
अब तो ये नियम बन गया...लडकी साहिल से दूर सुन्दर घरौंदा बनाती,लहरों से बचाती और फिर खुद लड़के से तोड़ डालने को कहती फिर जाने क्यूँ उन दोनों की आँखों से आँसू निकल आते...
लडकी के साथ एक सुन्दर सपनों का घर बनाने का ख्वाब देखने वाले लड़के के लिए ये एक यातना से कम न था,मगर बावली लडकी से इश्क की कीमत तो उसको चुकानी ही थी.
लड़का कहता तुम्हें घर तोडना ही है तो साहिल के नज़दीक क्यूँ नहीं बनाती,लहरें खुद-ब-खुद बहा ले जायेंगी,मगर लडकी कहाँ सुनती,कहती तुम तो हो तोड़ने के लिए,सागर की लहर ही तो हो न तुम......और उसका ये अनोखा क्रूर खेल चलता रहता.
लड़का थक गया उसे मनाते,समझाते......मगर वो नहीं मानी...लड़के ने खुद ही सोच लिया कि शायद किसी पहले प्यार की नाकामी ने ही उसको पागल बना दिया होगा,और अब उसके दिल में प्यार के लिए कोई गुंजाइश न थी....हाँ,मगर वो हर शाम सागर किनारे इंतज़ार करती मछुआरे का और उसकी कश्ती किनारे लगते ही वो घरौंदा बनाने जुट जाती.
उस शाम सूरज ढल गया,मछुआरा नहीं लौटा.लड़की साहिल पर इंतज़ार करती रही और तारे निकल आये मगर कोई कश्ती किनारे नहीं लगी.
उस रोज़ समंदर लील गया था लड़के को...कौन जाने लहरों ने उसे डुबोया या उसने खुद जल समाधी ली !!
लड़की तो पहले ही बावली थी....
वो अब भी घरौंदे बनाती थी साहिल से दूर.......मगर घरौंदा बनते ही एक लहर जाने कहाँ से अपने तटबंध तोड़ती वहां तक आती और साथ ले जाती घरौंदा,और लड़की के दो बूँद आँसू भी.
लोग कहते हैं इसके पहले न समंदर इतना खारा था न ही सीप के भीतर मोती निकला करते थे.
~अनु ~
बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteया ....." कोरे मन की सच्ची कल्पना "
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक कहानी॥
ReplyDeleteलाल स्कार्फ और काले स्कार्फ की असलियत ने तो एक झटका ही दे दिया..
ReplyDeleteसुन्दर कहानी
marmsparshi kahani,bahut hi sundar
ReplyDeleteबिछोह हमेशा सच क्यों लगता है
ReplyDeleteअभी तक कहानी को अपने अंदर उतारने की कोशिश कर रहा हूँ.. शायद बाद में कह पाऊँ कुछ!!
ReplyDeleteमोती का सृजन खारे पानी में होता है...प्रेम की कीमत भी विछोह में ज्ञात होती है...
ReplyDeleteगज़ब .....!!!!
ReplyDeletekore mn ki kalpna ....bahut acchi hai ...touching hai anu jee ....
ReplyDeleteI got goosebumps while reading it.. very fragile n beautiful..
ReplyDeleteबहुत ही संवेदनात्मक और सुंदर, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम
ufffff....
ReplyDeleteExtremely beautiful, Anu !
ReplyDeleteExtremely beautiful writing !
ReplyDeletecreativity at its best.....lovely post Anu... :)
ReplyDeletebahut sundar kahani hai di........with touching feelings and lines....
ReplyDeleteरोचकता से बुनी गयी कहानी ....
ReplyDeleteYESASO AUR KALPNA KA SAJIV CHITRAN ...BAHUT ACHHA
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बहुत अच्छा लगा पढ़ कर।
ReplyDeleteलोग कहते हैं इसके पहले न समंदर इतना खारा था न ही सीप के भीतर मोती निकला करते थे.
ReplyDeleteअमृता का काला गुलाब और सुर्ख गुलाब याद आ गया .....बहुत खूबसूरत ....इसलिए भी कि समंदर से प्रेम है मुझे ....उसका खारापन अजीज ...उसकी गहराई दिल के करीब है ...बहुत सुंदर बयाँ किया है आपने ......
तो उस लड़की की आसुओं से सागर इतना खारा है !
ReplyDeleteबहुत ही रोचक लगी कहानी !
bahut sundar Rachna...ek ek shabd me feeling ...
ReplyDeleteअधिकांश BLOG पढ़ा.................कविताएँ अधिक अच्छी लगीं...............शेष यथासमय..........
ReplyDeleteनहीं....यह काल्पनिक कथा नहीं है ...सच्ची है। बिल्कुल सच्ची। धरती कितने मन से घरौंदे बनाती है .....फिर न जाने कितनी लहरें आती हैं उन्हें तोड़ देने के लिये। धरती की आँख से भी आँसू निकलते हैं ...और समन्दर खारा होता रहता है। लोगों को पता है कि लहरें इन घरौंदों को क्यों तोड़ देती हैं ...पर वे लापरवाह हैं उन्हें तो यह सब एक खेल लगता है।
ReplyDeleteबहुत कुछ कहती है ये कहानी ... अपने आप में खारा पन जीवन में लिए समुन्दर भी तो जीता है ... उसके आंसू भी तो हो सकते हैं ये ...
ReplyDeleteहकीकत सी लगती कहानी... ह्रदय स्पर्शी...
ReplyDeleteBichhad Jaane Ki Har Baar Kahani Banti Hai Pr Shayad Milne Ki Nhi...
ReplyDeletePrabhawi Lekhan.
Sadar
अद्भुत!! वाह!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है..
ReplyDeleteकुछ नहीं बोलते हुए बहुत कुछ बोल गयी वो लड़की, लड़की का घरौन्दा और स्कार्फ
ReplyDeleteसुन्दर लेखन, मार्मिक ....
सादर!
बहुत मर्मस्पर्शी कहानी...
ReplyDeleteWith only a few modifictions the story could be converted into a beautiful SF love story! Nice one!
ReplyDeletespeechless
ReplyDeletedil ko chhuti rachna........
ReplyDeletebhavnaon ke umadte sailabon ko chhua hai aapne aur is chhoti magar khoobsurat rachna se apratyaksh kathasaar jo diya hai, vo pathak k liye chhod diya hai, mujhe kahani ki ye shaily achchhi lagi....!
ReplyDeletebahut sundar rachna aur is chhoti si kahani ki ye shaily bhi bahut achchhi lagi, jahan na failaav hai na sankuchan....jiske arth aapne pathkon par chhod diye hain..........!!
ReplyDeleteanu ji..yun to kam hi aana hota hai ...par yahan jab bhi aati hoon...stbdh reh jati hoon padhkar...aap kalam se bakhoobhi dastak detey ho :)
ReplyDeletebhut sundar khani
ReplyDeleteaankhe nm kar di waaaaah bhot umda
दिल से निकले जज़्बात दिल तो छू ही लेंगे !
ReplyDeleteआह! कहूँ कि वाह !
दिल को छू गई उस लड़की की बातें. सुंदर भावनात्मक कहानी. बधाई.
ReplyDeleteबेहतरीन तरीके से लिखी हुई ....
ReplyDeleteबेहद कोमल भाव ..... सस्नेह :)
ReplyDeleteवाह बहुत खूब ...
ReplyDeleteनि:शब्द...
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