मैंने पहुंचाया था प्रेम तुम तक,
सम्हाल कर ,
एहतियात से पैक करके..
सभी आवश्यक निर्देशों के साथ
कि -
ये हिस्सा ऊपर (दिस साइड अप)
हैंडल विथ केयर
ब्रेकेबल
डु नॉट रोल और फोल्ड!!
मगर देखो न
आज छिन्न भिन्न है हमारा प्रेम...
बिखर गया कतरा कतरा
तुम्हारी लापरवाही से.
आज समझी कि
प्रेम के दिए जाने में कोई गलती नहीं
न ही प्रेम के किये जाने में है....
प्रेम को सही तरीके से स्वीकारा जाना,
इसे स्नेह से सहेजना भी ज़रूरी है.
रिश्तों के टूटने की जवाबदेही सिर्फ एक की नहीं...
सिर्फ मेरी नहीं...कतई नहीं !!!
~अनु ~
सम्हाल कर ,
एहतियात से पैक करके..
सभी आवश्यक निर्देशों के साथ
कि -
ये हिस्सा ऊपर (दिस साइड अप)
हैंडल विथ केयर
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डु नॉट रोल और फोल्ड!!
मगर देखो न
आज छिन्न भिन्न है हमारा प्रेम...
बिखर गया कतरा कतरा
तुम्हारी लापरवाही से.
आज समझी कि
प्रेम के दिए जाने में कोई गलती नहीं
न ही प्रेम के किये जाने में है....
प्रेम को सही तरीके से स्वीकारा जाना,
इसे स्नेह से सहेजना भी ज़रूरी है.
रिश्तों के टूटने की जवाबदेही सिर्फ एक की नहीं...
सिर्फ मेरी नहीं...कतई नहीं !!!
~अनु ~
प्रेम के दिए जाने में कोई गलती नहीं
ReplyDeleteन ही प्रेम के किये जाने में है....
प्रेम को सही तरीके से स्वीकारा जाना,
इसे स्नेह से सहेजना भी ज़रूरी है.-बिलकुल सही कहा है आपने
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post वटवृक्ष
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार!
प्रेम के दिए जाने में कोई गलती नहीं
ReplyDeleteन ही प्रेम के किये जाने में है....
प्रेम को सही तरीके से स्वीकारा जाना,
इसे स्नेह से सहेजना भी ज़रूरी है.........बहुत सही कहा.अनु..शुभकामनाएं
आज समझी कि
ReplyDeleteप्रेम के दिए जाने में कोई गलती नहीं
न ही प्रेम के किये जाने में है....
प्रेम को सही तरीके से स्वीकारा जाना,
इसे स्नेह से सहेजना भी ज़रूरी है------.
प्रेम के अहसास की अनुभूति
सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है पढ़ें "बूंद-"
http://jyoti-khare.blogspot.in
आज समझी कि
ReplyDeleteप्रेम के दिए जाने में कोई गलती नहीं
न ही प्रेम के किये जाने में है....
प्रेम को सही तरीके से स्वीकारा जाना,
इसे स्नेह से सहेजना भी ज़रूरी है------.
प्रेम के अहसास की अनुभूति
सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है पढ़ें "बूंद-"
http://jyoti-khare.blogspot.in
kya bat hai bhot khub...............
ReplyDeleteanmol aalfaz hai waaaaah
ReplyDeleteसेंसिटिव मेटर !
कल्पना में भी प्यार के टूटने का अहसास दुःख देता है।
ReplyDeleteरिश्तों के टूटने की जवाबदेही सिर्फ एक की नहीं...
सिर्फ मेरी नहीं...कतई नहीं
कतई नहीं .........
sahi tarike se sweekar aur nibhne ki zoorurt hai
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन संभालिए महा ज्ञान - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteप्रेम के दिए जाने में कोई गलती नहीं
ReplyDeleteन ही प्रेम के किये जाने में है....
प्रेम को सही तरीके से स्वीकारा जाना,
इसे स्नेह से सहेजना भी ज़रूरी है.
रिश्तों के टूटने की जवाबदेही सिर्फ एक की नहीं...
सिर्फ मेरी नहीं...कतई नहीं !!!
मेरी भी नहीं.....
सुन्दर...
अति सुंदर....
रिश्तों में जवाबदेही ! बहरहाल मन को छू गया ..... सस्नेह :)
ReplyDeleteइतनी चमक कभी देखी जो न थी । अनपैक किया तो आँखें चुंधिया गई और हाथ से सरक गया तुम्हारा प्रेम ।
ReplyDeleteएक बार और भेज दो अपना प्रेम । बहुत एहतियात बरतूंगा । और तो और अबकी आँखें मूंदे ही रहूँगा ,जिससे तुम्हारे प्रेम की चमक से आँखे फिर न चुंधिया जाएँ ।
लेकिन मुझे पता है तुम अब ऐसा कुछ नहीं करोगी । 'फ़्रेजाइल' तो 'फ़्रेजाइल' ही होता है न ।
प्रेम को सही तरीके से स्वीकारा जाना,
ReplyDeleteइसे स्नेह से सहेजना भी ज़रूरी है.
बहुत बढ़िया
प्रेम को सही तरीके से स्वीकारा जाना,
ReplyDeleteइसे स्नेह से सहेजना भी ज़रूरी है.
निश्चय ही ...संवेदना के बिना प्रेम एक पल भी टिक नहीं सकता ....!!संवेदना है ...तो प्रेम अमर है ...!!
सुन्दर बात अनु ...
आपने लिखा....हमने पढ़ा
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 20/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
शुक्रिया यशवंत....
Deleteप्रेम को सहेज कर रखना भी एक चुनौती भरा काम होता है. सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteसुन्दर अंदाज की रचना ....
ReplyDeleteये हिस्सा ऊपर (दिस साइड अप)
ReplyDeleteहैंडल विथ केयर
ब्रेकेबल
डु नॉट रोल और फोल्ड!!
मगर देखो न
आज छिन्न भिन्न है हमारा प्रेम...
बिखर गया कतरा कतरा
तुम्हारी लापरवाही से.
शायद प्रेम इन शर्तों से नहीं बंधा होता या कहलें की कायदे कानूनों को नही मानता. प्रेम तो बस होता है, क्यों, कब व कैसे? कहना ब्रह्माजी के बस का भी नही है.
बहुत सुंदर रचना.
रामराम.
बाखूबी बांधे हैं दिल के भाव ...
ReplyDeleteऔर सच भी है रिश्ते एक तरफ से नहीं चल सकते ... उन्हें सहेजना पड़ता है सावधानी से ...
रिश्ते के टूटने में तो जवाबदेही दोनों की ही बनती है .... सुंदर रचना ।
ReplyDeleteप्रेम के दिए जाने में कोई गलती नहीं
ReplyDeleteन ही प्रेम के किये जाने में है....
प्रेम को सही तरीके से स्वीकारा जाना,
इसे स्नेह से सहेजना भी ज़रूरी है.
अच्छी रचना, बहुत सुंदर भाव
रिश्तों के टूटने की जवाबदेही सिर्फ एक की नहीं...
ReplyDeleteसिर्फ मेरी नहीं...कतई नहीं !!!
sahi hai sundar rachna ...
'Love' well packaged with words and delivered....Liked the way you related "Handle with care', 'This side up':-)
ReplyDeletenice read
रिश्तों के टूटने की जवाबदेही सिर्फ एक की नहीं...सच कहा आपने
ReplyDeleteसादर
आज समझी कि
ReplyDeleteप्रेम के दिए जाने में कोई गलती नहीं
न ही प्रेम के किये जाने में है....
प्रेम को सही तरीके से स्वीकारा जाना,
इसे स्नेह से सहेजना भी ज़रूरी है.
Beautifull........
Badhiya Likha Hai Aapne...
ReplyDeleteRishte Kisi Ek Ki Wajah Se Kabhi Nhi Tut-te...Kyunki Bante Dono Taraf Ke Sahmti Se Hain...Haan,Alag-Alag Nazriye Me Baat Beshak Alag-Alag Ho Sakti Hai...
एक हाथ से ताली भी कहाँ बजती है.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
दिल से स्वीकारा होता तो समस्या ही नहीं होती स्वीकारने में ही कही कोई कमी रह गयी जिस कारण प्रेम बिखर गया ....बहुत गहरी बात कह डाली तुमने..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteफिर वही अनोखे भाव , अनुपम और अद्वितीय |
ReplyDeleteसादर
ReplyDeleteप्रेम को सही तरीके से स्वीकारा जाना,
इसे स्हेह से सहेजना भी जरूरी है
आपने प्रेम को एक अलग रूप में व्यक्त कर एक नई सोच बनाई है ।
डी पी
sahi bat kahi aapne anu jee sirph ak ke prayas se kuchh nahi hota ...sundar abhiwayakti ....
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