मेरी डायरी का एक पन्ना....
माय शेटर्ड ड्रीम्स एंड .....टेटर्ड एक्सप्रेशंस
उसकी याद
मेरी डायरी का एक पन्ना है
वो पन्ना,
जिसे मोड़ रखा था मैंने
किनारे से..
ताकि खो न जाय.
जब किसी रात यकायक चौंक कर उठती
तब खुद-ब-ख़ुद खुल जाता वो पन्ना...
और लफ्ज़ तैरने लगते सूने कमरे में
स्मृतियाँ पन्ने से निकल कर उड़ने लगती !
सख्त यादें आपस में टकराती,
बड़ा शोर करती हैं.
मधुर शब्द भी अक्सर
जब याद बन जाते है तो बड़े कर्कश हो जाते हैं...
करवटों में गुज़रती एक रात...
उस रोज़ अचानक,यादों के शोर में
सोने की जद्दोजहद में
खीज कर मैंने कोई स्विच दबाया और
सारे लफ्ज़ उड़ गए
एक्जॉस्ट फैन से बाहर...
अहा ! खाली पन्ना....
सन्नाटा !!!
सुकून!!!
सोचा, नो मोर स्लीपलेस नाइट्स....
(अपनी ही पीठ थपथपाई मैंने.)
मगर फिर
करवट बदलती एक और रात....
अब भी !!
अक्सर सोचती हूँ तुम्हें
उस खाली मुड़े पन्ने को देखते हुए .....
"यादें कहाँ लफ़्ज़ों की मोहताज होती हैं."
~अनु ~
माय शेटर्ड ड्रीम्स एंड .....टेटर्ड एक्सप्रेशंस
उसकी याद
मेरी डायरी का एक पन्ना है
वो पन्ना,
जिसे मोड़ रखा था मैंने
किनारे से..
ताकि खो न जाय.
जब किसी रात यकायक चौंक कर उठती
तब खुद-ब-ख़ुद खुल जाता वो पन्ना...
और लफ्ज़ तैरने लगते सूने कमरे में
स्मृतियाँ पन्ने से निकल कर उड़ने लगती !
सख्त यादें आपस में टकराती,
बड़ा शोर करती हैं.
मधुर शब्द भी अक्सर
जब याद बन जाते है तो बड़े कर्कश हो जाते हैं...
करवटों में गुज़रती एक रात...
उस रोज़ अचानक,यादों के शोर में
सोने की जद्दोजहद में
खीज कर मैंने कोई स्विच दबाया और
सारे लफ्ज़ उड़ गए
एक्जॉस्ट फैन से बाहर...
अहा ! खाली पन्ना....
सन्नाटा !!!
सुकून!!!
सोचा, नो मोर स्लीपलेस नाइट्स....
(अपनी ही पीठ थपथपाई मैंने.)
मगर फिर
करवट बदलती एक और रात....
अब भी !!
अक्सर सोचती हूँ तुम्हें
उस खाली मुड़े पन्ने को देखते हुए .....
"यादें कहाँ लफ़्ज़ों की मोहताज होती हैं."
~अनु ~
सच ही कहा 'यादें कहाँ लफ्जों की मोहताज होती हैं'.....वो तो जेहन में चलती रहती है ...
ReplyDeleteबहतरीन ....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...अनु ..!!
ReplyDeleteबहुत गहन रचना ....
ReplyDeleteGod Bless U ....
"यादें कहाँ लफ़्ज़ों की मोहताज होती हैं."
ReplyDeleteतभी तो खामोशियाँ खामोशियों से बात करती हैं ...
बेहतरीन पोस्ट
सादर
यादें कहाँ लफ़्ज़ों की मोहताज होती हैं."
ReplyDeleteयादें गुज़रे लम्हों की सरताज होती हैं .....
यादों के बगैर जिन्दगी का सफ़र अधुरा है !
शुभकामनायें!
लफ्ज़ गम हो जाते हैं ,पन्ना कहीं शून्य में खो जाता है पर ये यादें कहाँ जाती हैं हमें छोड़ कर ...आखरी सांस तक पीछा करती हैं ....बहुत सुन्दर कविता ....
ReplyDeleteसादर
अपर्णा
http://boseaparna.blogspot.in/
thanks so much for liking my post on facebook.have sent you a friend request.please accept.
ReplyDeletethanks and regards
aparna
सच है यादें तो दिल की ताज होती हैं .....शुभकामनायें!
ReplyDeleteSahi kaha aapne ''yaaden kahan lafjon ki mohtaj hoti hai..'' inhen aana hota hai aankhon ki nmi ke sahare...bite hue kal ke sahare...kuchh zindgion ke sahare...
ReplyDeleteपर कब तक खाली रहेगा वो पन्ना , लफ्ज़ लौट लौट आयेंगे
ReplyDeleteसुन्दर रचना
आदरणीया अनुलता जी बहुत सुन्दर ..जितना सुन्दर मूल भाव ..उतने सुन्दर शब्दों का चयन और गठन ..सीखने को मिला ..अनुपम काव्य ....अभिवादन
ReplyDeleteवाह सुन्दर एहसास. यादें सच ही मोहताज़ नहीं होती किसी की.
ReplyDeleteयादों के बगैर कुछ भी तो नहीं ....
ReplyDeleteबेहतरीन ..अनुपम पोस्ट
लफ्ज हों या न हों ...रात करवटें बदलती ही बीतती है :):) खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteWaah ma'am,, brilliant.,.,bahut dino baad kuch achha padhne ko mila
ReplyDeleteसच है "यादें कहाँ लफ़्ज़ों की मोहताज होती हैं."
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....शुभकामनायें
"यादें तो ब्रेल लिपि में होती हैं" । उन पर उंगलियाँ फिराते रहो बस ,सब जीवंत होने लगता है ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने ।
बहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteअनु, बहुत अच्छा लिखती हैं आप...सचमुच.
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल २३ /४/१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया राजेश जी.
Deleteयादें तो जेहन में उमडती घुमडती रहती हैं. बहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteरामराम.
"यादें कहाँ लफ़्ज़ों की मोहताज होती हैं."........ क्या बात कही है अनु जी ...वाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteओह ...जैसे सब कुछ मेरे आसपास ही हुआ, कितना सजीव चित्रण किया है आपके शब्दों ने आपके भावों का...
ReplyDeleteWahhh!!!.....achi rachna hai.....par ek do jagah aapne jo theth hindi ke words use kiye hai wo mujhe kuch khale...jaise 'मधुर' and 'कर्कश'....baki to deadlyy hai :)
ReplyDeleteठेठ हिन्दी के शब्द खले क्यूँ भला???? शुक्र करिए कि पूरी कविता ही ठेठ हिन्दी में नहीं लिखी :-)
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
ReplyDelete--
शस्य श्यामला धरा बनाओ।
भूमि में पौधे उपजाओ!
अपनी प्यारी धरा बचाओ!
--
पृथ्वी दिवस की बधाई हो...!
very touching no words to say ....anything .....
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्रण ,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST: गर्मी की छुट्टी जब आये,
"यादें कहाँ लफ़्ज़ों की मोहताज होती हैं."
ReplyDeleteइस पर एक शेर याद आया
कितनी बातें है मावरा-ए-सुख़न
कितने ना-दीदा हर्फ़ है पसे-हर्फ़
~सरशार सिद्दीकी
बहुत सुंदर लिखा है आपने !!
Behtareen...
ReplyDeleteVery lively, pure and full of love...Superb expression:-)
bahut hi bhavuk. umda.
ReplyDeleteअनु जी : ----मधुर शब्द भी अक्सर
ReplyDeleteजब याद बन जाते है तो बड़े कर्कश हो जाते हैं...
----- !! हर बार की तरह यह रचना भी एक नायब नंग है. यादें कविओं का चहेता उपमान रहा है. अलग कोण. अभिनंदन.
यादें कहाँ लफ़्ज़ों की मोहताज होती हैं.. यादें तो वैसे भी बेजुबान होती हैं.. और यादों की भाषा भी कहाँ होती हैं... इसलिए बहुत ही खूबसूरत एहसास को इस कविता में ढाला है!! एक कोरे कागज़ की तरह!!
ReplyDeleteye to mere diary ka panna lag raha hai :) :)
ReplyDeleteमेरी डायरी का एक पन्ना....
माय शेटर्ड ड्रीम्स एंड .....टेटर्ड एक्सप्रेशंस :)
"यादें कहाँ लफ़्ज़ों की मोहताज होती हैं."
ReplyDelete...सच है, यादें न लफ़्ज़ों की मोहताज़ होती हैं न समय की...कभी साथ नहीं छोड़तीं..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जब किसी रात यकायक चौंक कर उठती
ReplyDeleteतब खुद-ब-ख़ुद खुल जाता वो पन्ना...
और लफ्ज़ तैरने लगते सूने कमरे में
स्मृतियाँ पन्ने से निकल कर उड़ने लगती !------
अदभुत कल्पना
प्रेम का कोमल महीन अहसास
गजब
बधाई
आग्रह है की मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
lauta ??
ReplyDeletelaut ke aayee uski yaad...
fir se saheja naye shabdo ke saath dairy me ??
uprokt prashno ka uttar den :D
wah.. kya likhte ho aap
मधुर शब्द भी अक्सर
ReplyDeleteजब याद बन जाते है तो बड़े कर्कश हो जाते हैं...
लाजवाब अनुजी।।।
सुन्दर....
ReplyDeleteसच्ची...यादें कहाँ लफ़्ज़ों की मोहताज़ होती हैं
खूबसूरत अहसास
ReplyDeleteआखिरी पंक्ति , लाजवाब |
ReplyDeleteसादर
यादें कहाँ लफ़्ज़ों की मोहताज होती हैं, true....
ReplyDelete