आगे बढ़ते बढ़ते
अनायास
कोई खींचता है पीछे....
मुझे बेबस सा करता हुआ.
एक कदम पीछे रखती हूँ और
धंसती चली जाती हूँ
यादों के दलदल में
गहरे, बहुत गहरे...
डूबती उतराती हूँ
छटपटाती हूँ बाहर आने को...
कभी मिल जाता है किसी हाथ का सहारा
कभी खुद-ब-खुद निकल आती हूँ
लगा देती हूँ अपनी पूरी शक्ति
चल पड़ती हूँ आगे...
मगर इन पाँव का क्या?
ये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से
और छोड़ जाते हैं अपने निशाँ
शायद,पीछा करती यादों के लिए.......
अनु
5/4/2013
एक महीना बीत गया......
अनायास
कोई खींचता है पीछे....
मुझे बेबस सा करता हुआ.
एक कदम पीछे रखती हूँ और
धंसती चली जाती हूँ
यादों के दलदल में
गहरे, बहुत गहरे...
डूबती उतराती हूँ
छटपटाती हूँ बाहर आने को...
कभी मिल जाता है किसी हाथ का सहारा
कभी खुद-ब-खुद निकल आती हूँ
लगा देती हूँ अपनी पूरी शक्ति
चल पड़ती हूँ आगे...
मगर इन पाँव का क्या?
ये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से
और छोड़ जाते हैं अपने निशाँ
शायद,पीछा करती यादों के लिए.......
अनु
5/4/2013
एक महीना बीत गया......
yaaden kabhi bhi pichha nahi chorti ........khud ko bhul jaaye par .......apnon ko nahi bhul sakte .....anu jee ...
ReplyDeleteबड़ी सख्त जान होती हैं ये यादें जीवन भर पीछा करती हैं, परछाई की तरह... गहन भाव ...
ReplyDeleteस्मृतियाँ बांधे रखती हैं.....
ReplyDeleteये यादें सच बड़ी सुलझी हुई उलझन हैं ......
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी पोस्ट की चर्चा आज शनिवार (06-04-2013) के चर्चा मंच पर भी है!
सूचनार्थ...सादर!
sunder
ReplyDeletesunder
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आदरेया अनु जी!
ReplyDeleteक्या भाव उकेरे हैं,
ये तो सन जाते है यादों की मिट्टी से
और छोड़ जाते हैं अपने निशां...
लाजवाब!
यह 'यादें' टिप्पणी से परे हैं ।
ReplyDeleteKuchh chijhen bas yaad me rah jaati hai aur unhen yaad karke hum aaj me jite hain...
ReplyDeleteअनु यादों से वावस्ता दर्द ...हरदम सालता है ...ख़ास तौर पर जब ज़ख्म हरे हों...पर समय ही तो है ..जो हर वक़्त ...मरहम सा एक पर्त बना जाता है उन ज़ख्मों पर .....ताकि दर्द कुछ कम हो....!!!
ReplyDeleteयादों का सफर तो हमारे साथ साथ चलता ही रहता है,बेहतरीन अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteयादें तो हमेशा ही साथ होती हैं ...
ReplyDeleteपर जिन्दगी की भाग-दौड़ में हमेशा भूली रहती हैं .....??
आप की भाग-दौड़ अभी बाकी है !
lajawab-***
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन सुंदर रचना !!!यादें हमेशा स्मृतियों को सहेजे रखती है,,,,
ReplyDeleteRECENT POST: जुल्म
यादों का अन्धड़।
ReplyDeleteमगर इन पाँव का क्या?
ReplyDeleteये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से
और छोड़ जाते हैं अपने निशाँ
शायद,पीछा करती यादों के लिए.......बेहतरीन रचना.
कुछ कहने के लिए नहीं मिला
ReplyDeleteशुभकामनायें !!
यादें कभी पीछा नहीं छोड़तीं
ReplyDeleteशायद,पीछा करती यादों के लिए.......
ReplyDeleteसच
भावमय करते शब्द
सादर
memories...
ReplyDeleteleaves its imprints in so many ways..
प्रिय अनु ... बहुत ही भावमय और और यादों के निशाँ पीछा करती यादों के लिए ..उम्दा भाव ... आपने मुझे मदद की पुकार पर मदद दी... तहेदिल शुक्रिया ... अनु मैं ब्लॉग में काफी कम आ पाती हूँ ... पर आप कही काफी पीछे पायेंगे कि मैं ब्लॉग में आई हूँ... पिछले तीन महीने से मुझे डेशबोर्ड में कोई पोस्ट भी नहीं दिख रही थी ..अतः मेरा किसी भी पोस्ट पर जाना असंभव स हो गया .... और आपने इस सन्दर्भ में मेरी मदद वाली पोस्ट में जो टिप्पणी की उसके लिए हार्दिक आभार
ReplyDeleteयादों के पदचिन्ह एक अच्छी कविता |आभार अनु जी |
ReplyDeleteयादों के सुनहरे जाल से कभी निकल नहीं पाते...
ReplyDelete....मगर इन पाँव का क्या?
ReplyDeleteये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से
और छोड़ जाते हैं अपने निशाँ
शायद,पीछा करती यादों के लिए.......
भाव-प्रवण प्रस्तुति...बहुत सुंदर!
सादर/सप्रेम
सारिका मुकेश
sundar bhaw purn avivyakti
ReplyDeleteमगर इन पाँव का क्या?
ये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से
और छोड़ जाते हैं अपने निशाँ
शायद,पीछा करती यादों के लिए.......
sach hai
जितना चाहा
भूल जाऊ मैं तुम्हे
तू याद आया
:)
मगर इन पाँव का क्या?
ReplyDeleteये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से
और छोड़ जाते हैं अपने निशाँ
bahut sundar
बहुत गहरी संवेदना. समय यूँ ही चलता रहता है, यूँ ही सदियाँ बीत जाती है.
ReplyDeleteKAVYA SUDHA (काव्य सुधा): सपने और रोटियां
यादों के जाल में उलझ गए तो उस से निकलना मुस्किल है
ReplyDeleteLATEST POST सुहाने सपने
my post कोल्हू के बैल
l
jaane kaisi aah vedna ki :
ReplyDeletesmritiyon men shor mchaati.
nishaant ke dyuti aachhinn praan chetna ko jhakjhor hilaaati hai.
yaade sadaiv saath rahti hain .
यादों के दलदल डूबता उतराता जीवन यादों से एक नया जीवन और उत्साह भी पाता है.
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण कवि़ता. सादर.
सुन्दर भाव संजोये हैं
ReplyDeleteयादें जकड लेती हैं ... बिकलने नहीं देतीं ...
ReplyDeleteपर समय है जो खींचता है ...
बहुत भावपूर्ण ....
very touching & emotional when it comes to memories & you have expressed it beautifully..happy to see you on by blog after awhile..waiting to hear more.SMILES:)GOD<3U
ReplyDeleteये यादों का बड़ा इश्यू है....ये न होती तो शायद कविता भी न होती..
ReplyDeleteअच्छे लोगों की अच्छी यादें अगर हमारा पीछा करती भी हों तो अच्छा ही है! कभी कभी वो यादें ही जीवन को प्रोत्साहित भी करती हैं। सुन्दर रचना अनु दी।
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
कमबख्त यादें ..........पांव के निशानों के कितना करीब चलती है . सुंदर !
ReplyDeleteकमबख्त यादें ..........पांव के निशानों के कितना करीब चलती है . सुंदर !
ReplyDeleteयादों की जकड़न जितना छुडाओ उतना ही जकड़े.
ReplyDeleteमगर इन पाँव का क्या?
ReplyDeleteये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से-------
बहुत ही सजीव
जीवन का सच
सुंदर रचना-----बधाई