जंगली फूलों सी लड़की
मुझे तेरी खुशबू बेहद पसंद है
उसने कहा था...
"मुझे तेरा कोलोन ज़रा नहीं भाता"
बनावटी खुशबु वाले उस लड़के से
मोहब्बत करती
लडकी ने मन ही मन सोचा....
(इश्क के नाकाम होने की क्या यही वजह होगी ??)
लड़का प्रेम में था
उस महुए के फूल जैसी लडकी के.
वो उसे पी जाना चाहता था शराब की तरह
लडकी को इनकार था खुद के सड़ जाने से....
लड़का उसे चुन कर
हथेली में समेट लेना चाहता था
हुंह.....वो छुअन !
लड़की सहेजना चाहती थी
अपने चम्पई रंग को.
लड़का मुस्कुराता उसकी हर बात पर,
लड़की खोजती रही
एक वजह-
उसके यूँ बेवजह मुस्कुराने की....
(इश्क के नाकाम होने की वजहें बड़ी बेवजह सी होतीं हैं.....)
अनु
मुझे तेरी खुशबू बेहद पसंद है
उसने कहा था...
"मुझे तेरा कोलोन ज़रा नहीं भाता"
बनावटी खुशबु वाले उस लड़के से
मोहब्बत करती
लडकी ने मन ही मन सोचा....
(इश्क के नाकाम होने की क्या यही वजह होगी ??)
लड़का प्रेम में था
उस महुए के फूल जैसी लडकी के.
वो उसे पी जाना चाहता था शराब की तरह
लडकी को इनकार था खुद के सड़ जाने से....
लड़का उसे चुन कर
हथेली में समेट लेना चाहता था
हुंह.....वो छुअन !
लड़की सहेजना चाहती थी
अपने चम्पई रंग को.
लड़का मुस्कुराता उसकी हर बात पर,
लड़की खोजती रही
एक वजह-
उसके यूँ बेवजह मुस्कुराने की....
(इश्क के नाकाम होने की वजहें बड़ी बेवजह सी होतीं हैं.....)
अनु
संगीन जुर्म की वजह तलाशती सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteसादर अभिवादन अनु जी!
ReplyDeleteमुझे लगता है आपका शोध,अपने विषय 'प्रेम' पर इनदिनों बहुत गति में है क्योंकि आपकी कई रचनाएं इसी श्रंखला में आईं हैं।
इतनी सार्थक और सराहनीय रचना के लिए बधाई!
इश्क के नाकाम होने की वजहें बड़ी बेवजह सी होतीं हैं.....ये अहंकार नामक दीमक है जो तिल को ताड़ बना देता है और इश्क़ की पवित्र पुस्तक के पन्ने चट कर डालता है वरना इश्क़ नाकाम होकर ही/भी मुक़ाम प्राप्त माना जाता है............कोमल भाव ।
Deletewaah baate ishq ki bewajah ....bahut sahi khaaskar yah panktiyaan लड़का उसे चुन कर
ReplyDeleteहथेली में समेट लेना चाहता था
हुंह.....वो छुअन !
लड़की सहेजना चाहती थी
अपने चम्पई रंग को.......well done anu :)
isko jan-jatiy pyar na kahen :)
ReplyDeleteprem ras me bhingi vjah aur vjud se judi sarthak prastuti _NEW POST- :KHUDGARZ ZAMANA HOGA ""PANV KI JUTI:
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रेम की प्रस्तुति,सादर धन्यबाद.
ReplyDeleteसुन्दर उपमा सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletenew postक्षणिकाएँ
aapki ye rachna bhi bahut sundar hai .......
ReplyDeleteवाकई कुछ वजह बेहद बेवजह होती हैं..
ReplyDeleteबढ़िया शोध किया है.:)
इश्क यूं ही नाकाम नहीं होते ... शायद कुछ ओर वजह भी होगी ...
ReplyDeleteपर हो यही वजह तो भी क्या ... दिल पे किसी का बस तो नहीं होता ...
इश्क के नाकाम होने की वजहें बड़ी बेवजह सी होतीं हैं...………सच कहा ………सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह ... बहुत खूब कहा आपने ...
ReplyDeleteआभार सहित
सादर
लड़का मुस्कुराता उसकी हर बात पर,
ReplyDeleteलड़की खोजती रही
एक वजह-
उसके यूँ बेवजह मुस्कुराने की....
बेहतरीन..
sundar premabhivykti, aap ki kavitayeprem anusandhan ki prayogshala banti ja rahi hai,vaharhal sundar bhavo se aachhadit sundar prastuti
ReplyDeleteलड़की खोजती रही
ReplyDeleteएक वजह -
उसके यूँ बेवजह मुस्कुराने की -
बेवजह ये ख़ोज ही शायद इश्क है .... बहुत सुन्दर रचना .
Anatomy of love. Very interesting and a lovely read.
ReplyDeleteBrilliant! I wonder how you come up with such beautiful lines. Awestruck.
ReplyDeleteएक वजह,,,
ReplyDeleteबे वजह मुस्कुराने की.....
क्या बात है..
आनन्द आ गया
kya khoob likha hai,...
ReplyDeletePrem shayad kuch inhi jurmo ki vajah se badnaam hai...
इश्क का रसायन तो बढ़िया है.
ReplyDeleteबस हमारे ही केमिस्ट्री में अंक कम आये थे। :)
लड़का मुस्कुराता उसकी हर बात पर,
ReplyDeleteलड़की खोजती रही
एक वजह-
उसके यूँ बेवजह मुस्कुराने की....बेहतरीन पंक्तियाँ,,,,
Recent Post: कुछ तरस खाइये
वाकई ....!!!!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत! आपने बहुत सुन्दर ढंग से चित्र उकेरा है।
ReplyDeleteइश्क के फलसफे की कविता
ReplyDeleteबहुत खूब सूरत कविता --
ReplyDelete''इस जमाने के दरमियां हम थे, प्यार की तलाश में''
''इश्क मिला, बहुत किया पर, जंगली घास सा नजर आया''
-कुं. संजय सिंह जादौन
बहुत खूब सूरत कविता --
ReplyDelete''इस जमाने के दरमियां हम थे, प्यार की तलाश में''
''इश्क मिला, बहुत किया पर, जंगली घास सा नजर आया''
-कुं. संजय सिंह जादौन
di.....very different one...thouroughly njoyed reading it....best one is
ReplyDeleteलड़का प्रेम में था
उस महुए के फूल जैसी लडकी के.
वो उसे पी जाना चाहता था शराब की तरह
लडकी को इनकार था खुद के सड़ जाने से....
us ladaki ko to phir bhi uske muskuraane ke karan ka abhas tha par ladke ko to pata bhi nahi ki usne kya kho diya
ReplyDeleteइश्क के नाकाम होने की वजहें बड़ी बेवजह सी होतीं हैं....सच्ची बात
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ये वजहें, बेवजह नहीं होतीं, इनमें बहुत बड़ी बात छिपी है, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है मामूली समझकर. बहुत अच्छी है कविता.
ReplyDeleteAwsome as usual... anu ji aapne ne baat karne ki baat kahi aur koi pata b nhi diya :) my mail id is shrqahmad10@gmail.com, pls drop me your mail id.
ReplyDeleteशब्द बोल पड़े हैं. बधाई
ReplyDeleteमॉडरेटर --
www.kahekabeer.blogspot.in
कुछ बातों की वजह ढूँढने की ज़रूरत नहीं होती...
ReplyDeleteबेवजह वजहें ही वजह बन जातीं हैं.... :-)
<3
:)...
ReplyDeletebahut hi umda
ReplyDeleteलड़की मानव-लगन से जुड़ी हुई है। मानव-शरीर उस लड़के से नहीं।
ReplyDeleteसमझदारी बड़ी चीज़ है-अभी सोच लिया लड़की ने बर्बादी से बच गई!
ReplyDeleteसुंदर रचना, बधाई....
ReplyDeleteवाह अनु जी , क्या बात है कविता में कि मन को छू गई ।
ReplyDeleteमन को गुदगुदाती एक प्यारी सी कविता |सादर जयकृष्ण राय तुषार |
ReplyDeleteइश्क के नाकाम होने की वजहें बड़ी बेवजह सी होतीं हैं.. Very well said !
ReplyDeleteभावपूर्ण मर्मस्पर्शी रचना .....!!
ReplyDeleteहूँ .....वाकई..
ReplyDeleteyour writing is fabulous :)
ReplyDeleteवाह, बहुत खूब. सुन्दर शब्द चयन
ReplyDeleteखूबसूरत शब्द अनु जी . प्रेम में बेमतलब बातें से टकरार कर लेना कभी कभी बहुत प्यारा भी लगता है सुलह होने के बाद :)
ReplyDeleteबहुत प्यारी लगी कविता.
प्रेम के रासायनिक नुस्खे लाज़वाब लगे. दिलों को जोड़ने में दिल से दिमाग तक केमिकल लोचा रहता ही है.
ReplyDeleteभावपूर्ण प्रस्तुति.
इश्क के नाकाम होने की वज़ह कई बार इतनी छोटी होती है कि समझ भी नहीं आता कि हुआ क्या... असली गंध को इत्र की खुशबू कैसे भाए? बहुत अच्छी रचना, बधाई.
ReplyDeleteप्यार के नाकाम होने की वजह कभी कभी बेवजह होती है...
ReplyDeleteसुन्दर उपमा के साथ सुन्दर
भावपूर्ण रचना...
bahut hi sunder
ReplyDeleteजमीन से जुडी लडकी को कृत्रिमता तो भाने से रही ।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति ।
LOL! That was really funny! YcDress and DressesForBest
ReplyDeleteइश्क़ अक्सर बे-वजह हो जाता है
ReplyDeleteइश्क़ अक्सर बे-वजह हो जाता है
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना.!!
ReplyDeleteबड़ी वाजिब सी वजह हैं इश्क के नाकाम होने की ... अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteप्रेम ग़ज़ब गांठ है
ReplyDeleteअह्हह्ह ..!!!! इश्क कब बा-वजह होता है ...होता है जब भी बेवजह होता है ....जो कामयाब हो जाये ..वो इश्क भी फिर कहाँ होता है ....!!!~!~!!
ReplyDeleteचंद पंक्तियों में आपने एक पूरा बयाँ कर दिया ...प्रेम का पूरा रसायन .....अच्छा लगा :)
Bhaa gyi rachnaa muje..!!
ReplyDeleteवो (नज़रों से ) क़त्ल भी कर दें तो कोइ बात नहीं
ReplyDeleteहम आह (मुस्करा के) भी भर दें तो गुनाहगार हुए ////