हे सृष्टिकर्ता !
[एक नारी मन,मेरी अपरिपक्व कलम से ]
तुम दाता हो
जो तुमने है दिया मुझको
वो मेरा है
कोई कैसे छीन सकता है मुझसे
जो मेरा है..........
कर दे वो मुझको बेघर ,बेशक
छीन ले मेरे सर से छत
पर जगमग तारों से भरा वो
आसमान तो मेरा है ......
न मिलें मुझे वो गहने
वो हीरे-पन्ने
जो औरों ने पहने..
जो औरों ने पहने..
मगर सुबह-सुबह जो झरा वो
हरसिंगार तो मेरा है......
न हो रोशन
मेरे घर का कोई कमरा
मेरे घर का कोई कमरा
काल कोठरी सा हो बेशक जीना..
मगर हों सूरज की किरणें जहाँ पसरी
वो उजला कोना तो मेरा है.....
कर दे वो महरूम मुझे
हर रंग से
हर रंग से
हर इत्र और कीमती ढंग से
पर गुलमोहर से लदी वो सुर्ख टहनी
वो रजनीगंधा तो मेरा है....
कर सकता है वो मुझे
मजबूर सदा चुप रहने को
मजबूर सदा चुप रहने को
न किसी की सुनने को
न खुद कहने को...
न खुद कहने को...
मगर मेरे मन से मेरा
संवाद तो मेरा अपना है...
हे प्रभु !
तुम सुनो मेरी
मैं सुनु तुम्हें
ये अधिकार तो मेरा है
ये अधिकार तो मेरा है
ये सौभाग्य तो मेरा है.....
अनु
अनु
[एक नारी मन,मेरी अपरिपक्व कलम से ]
मगर सुबह-सुबह जो झरा वो
ReplyDeleteहरसिंगार तो मेरा है......sahi bat .....nahi kuch hote huye bhi bahut kuch apna hota hai......
bahut sundar anu ji , yah harsingaar , saara jahan to mera hai , bahut sundar bhav
Deleteबहुत सुंदर भाव अनु !:-)
ReplyDeleteसबकुछ उसी प्रभु का दिया हुआ....
हम जो भी, जैसे भी...हैं उसी का अंश.....
<3
ReplyDeleteहवा , पानी , आसमान , सूर्य ,धरा पर सबका अधिकार है।
वेलेंटाइन हैं ये पांच तत्त्व , जो जीवन के मूल आधार हैं।
खुद से खुद का परिचय कराती सुन्दर रचना।
कोई कैसे छीन सकता है मुझसे
ReplyDeleteजो मेरा है..........भावपूर्ण सुंदर पंक्तियाँ ,,,,बधाई,,,
RECENT POST... नवगीत,
बिल्कुल...मन के अपने संवाद पर किसी का बंधन नहीं|
ReplyDeleteनारी मन को लिखने की सफल कोशिश|
सस्नेह
कर सकता है वो मुझे
ReplyDeleteमजबूर सदा चुप रहने को
न किसी की सुनने को
न खुद कहने को...
मगर मेरे मन से मेरा
संवाद तो मेरा अपना है... जीवन का अनकहा सच- पर आपने इस गहरी बात
को जिस सहजता से व्यक्त किया है---वह अद्भुत है,बहुत बधाई
बहुत ही सुन्दर कविता |
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबिल्कुल उनसे भी बात साधिकार ही जाये..... सब सर्वशक्तिमान प्रभु का ही है.....
ReplyDeleteबिल्कुल उनसे भी बात साधिकार ही जाये..... सब सर्वशक्तिमान प्रभु का ही है.....
ReplyDeleteहे प्रभु !
ReplyDeleteतुम सुनो मेरी
मैं सुनु तुम्हें
ये अधिकार तो मेरा है
ये सौभाग्य तो मेरा है.....
ये सौभाग्य और अधिकार कोई छीन भी नहीं सकता... बहुत सुन्दर भाव
जो मेरा है वो कोई नहीं छीन सकता ..... यह भावना मन में हो तो ,सब कुछ मेरा है :):)
ReplyDeleteफूलों की खुशबू ...सूरज की रौशनी ......चाँद तारों की छत ......यह सारे अधिकार तो हमसे कोई भी नहीं छीन सकता ......ईश्वर की देन जो है ......बहुत प्यारी रचना .......
ReplyDeleteफूलों की खुशबू ...सूरज की रौशनी ......चाँद तारों की छत ......यह सारे अधिकार तो हमसे कोई भी नहीं छीन सकता ......ईश्वर की देन जो है ......बहुत प्यारी रचना .......
ReplyDeleteकर सकता है वो मुझे
ReplyDeleteमजबूर सदा चुप रहने को
न किसी की सुनने को
न खुद कहने को...
मगर मेरे मन से मेरा
संवाद तो मेरा अपना है...!
लेकिन अधिकार......???
बेहतरीन
ReplyDeleteसादर
सहे प्रभु !
ReplyDeleteतुम सुनो मेरी
मैं सुनु तुम्हें
ये अधिकार तो मेरा है
ये सौभाग्य तो मेरा है.....
वाह! खूबसूरत भाव.
सुन्दर प्रभाब शाली अभिब्यक्ति .आभार .
ReplyDeleteमुझे इच्छा नहीं यारों की मेरे पास दौलत हो
सुकून हो चैन हो दिल को इसी से काम लेता हूँ
खुशबू से कौन दूर करेगा
ReplyDeleteसौन्दर्य कौन छिनेगा .............. बहुत अच्छी रचना
bahut hi sundar rachna anu ....yahi iccha dil mein rahe sabhi ke ..behtreen
ReplyDeleteवाह , सब कुछ तो अपना है , वो इश्वर भी . सुन्दर .
ReplyDeleteजो प्राकृति ने दिया है ईश्वर ने दिया है वो तो ईश्वर भी वापस नहीं लेता ... निष्ठुर समाज जो भी ले सकता है सब बाहरी है ...
ReplyDeleteये फूल ये खुशबु
ReplyDeleteये पेड़ ये पौधे
ये नीला आसमान
ये चाँद सितारे
ये नदिया ये झरने
यही तो सब अपने है बाकी सब अपने होने का
भ्रम है और कुछ नहीं ....सुन्दर रचना अनु, लेकिन यह तो परिपक्व
कलम से लिखी गई है :)
न हो रोशन
ReplyDeleteमेरे घर का कोई कमरा
काल कोठरी सा हो बेशक जीना..
मगर हों सूरज की किरणें जहाँ पसरी
वो उजला कोना तो मेरा है....................बहुत ही सुन्दर अनुलता। बहुत सुन्दर। हेड्स ऑफ टु यू।
कर सकता है वो मुझे
मजबूर सदा चुप रहने को
न किसी की सुनने को
न खुद कहने को...
मगर मेरे मन से मेरा
संवाद तो मेरा अपना है..............आपने मूड ठीक कर दिया। आपकी कविता ने मुझे संवेदित कर दिया। बहुत प्रभावी।
सच बात अनु ...प्रकृति तो अपनी है ही .....और इसी के मध्य बसा ईश्वर ही सबसे ज्यादा अपना है ...दुख में,सुख में...उसी का तो सहारा है ...!!और जो अपना है ,उसे कौन छीन सकता है भला ....!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव ....!!
masoom se adhikaron ki bholi si khwahish...
ReplyDeleteबहुत सुंदर, और सबसे खूबसूरत यह कि हमें इसका एहसास भी है कि जो हमारे चारों ओर बिखरा है यूँ ही जिसे हमने संग्रहित नहीं किया, वो ही सबसे अच्छा है। ऐसी कविताएँ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं भौतिक चीजों के प्रति मोहभंग होता है। ताजे फूलों सी महकती कविता के लिए आपका शुक्रिया
ReplyDeleteकर सकता है वो मुझे
ReplyDeleteमजबूर सदा चुप रहने को
न किसी की सुनने को
न खुद कहने को...
मगर मेरे मन से मेरा
संवाद तो मेरा अपना है...
हे प्रभु !
तुम सुनो मेरी
मैं सुनु तुम्हें
ये अधिकार तो मेरा है
ये सौभाग्य तो मेरा है....
बहुत खुबसूरत प्रस्तुति अनुजी
Latest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !
प्रभु पर अधिकार जताते हुए भक्ति विभोर करती एक बेहद शानदार रचना ।
ReplyDeleteकर दे वो मुझको बेघर ,बेशक
ReplyDeleteछीन ले मेरे सर से छत
पर जगमग तारों से भरा वो
आसमान तो मेरा है ......
बहुत ही सुंदर समर्पणात्मक भाव, शुभकामनाएं.
रामराम.
मगर सुबह सुबह जो झरा वो
ReplyDeleteहरसिंगार तो मेरा है।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति ।
मगर सुबह सुबह जो झरा वो
ReplyDeleteहरसिंगार तो मेरा है।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति ।
भावनाओं का अनूठा संगम ... शब्दश:
ReplyDeleteआभार
मगर सुबह सुबह जो झरा वो
ReplyDeleteहरसिंगार तो मेरा है।
ye panktiyaa kmaal ki hain ....!!
excellent anuji..
ReplyDeletevery very beautiful
क्या उद्धृत करूं ...
सारी ख़ूबसूरत पंक्तियों को कोट किया हुआ है
:)
...पूरी कविता ही इतनी ख़ूबसूरत जो है !
आदरणीया अनुलता जी
इस सुंदर परिपक्व रचना के लिए बधाई !
कौन कहेगा इस कविता को अपरिपक्व कलम से लिखी हुई कविता ?
:)
बसंत पंचमी सहित
सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
राजेन्द्र स्वर्णकार
हे सृष्टिकर्ता !
ReplyDeleteतुम दाता हो
जो तुमने है दिया मुझको
वो मेरा है
कोई कैसे छीन सकता है मुझसे
जो मेरा है.......... true expression.
रातरानी की खुशबू सी महसूस हुई .... सस्नेह :)
ReplyDeleteaap ki likhi rachna padh ke kitna acha feel good hota hai .simple words but understood by non poetic people like me
ReplyDeleteहे प्रभु !
ReplyDeleteतुम सुनो मेरी
मैं सुनु तुम्हें
ये अधिकार तो मेरा है
ये सौभाग्य तो मेरा है....
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सुन्दर भाव ... सुन्दर रचना
दिल को छू जाने वाली बेहतरीन रचना. मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया.
ReplyDeleteAshish Mishra
http://apneebat.blogspot.com
कृपया यहाँ भी आयें और अपनी राय दें.
http://mishraaradhya.blogspot.com
दिल को छू जाने वाली बेहतरीन रचना, मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया ......और जो आपने कहा वैसा कुछ नहीं ......दरअसल कुछ बिजी था तभी कोई पोस्ट नहीं कर पाया.
ReplyDeletehttp://apneebat.blogspot.com
कृपया यहाँ भी आयें और अपनी राय दें.
http://mishraaradhya.blogspot.com
मन में अटूट विश्वास हो तो सबकुछ अपना है, सुंदर रचना....
ReplyDeleteबहुत निराली प्रस्तुति दी ...वो हार सिंफर वो रजनीगंधा तो मेरा है ...मालूम होता है आपके बगीचे के फूलो ने आपसे ये कविता लिखवाई है :-)
ReplyDeleteवहा क्या बात है हर एक शब्द में एक नई कहानी कहती आपकी रचना जो आपका है वो आपका ही रहेगा न वो किसी और का हो सकता है न ही किसी और का होगा वो किसी और का हो ही नहीं सकता जो आपका उस के लिए इश्वर से फरियाद भी मत करो क्यूँ की उस ने तो आप को दे दिया है पर इस ज़माने ने बीच में तांग अड़ी है तो इस ज़माने से लड़ो अपने हक के लिए पने जज्बातों के लिए अपने उस हर पल के लिए जो आप का अपना है
ReplyDeleteउत्कर्ष रचना
मेरी नई रचना
फरियाद
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
दिनेश पारीक
प्रकृति का अनुपम उपहार हर एक के लिए बराबर, कोई नहीं छीन सकता... बहुत सुन्दर रचना, बधाई.
ReplyDeleteइस अपरिपक्व कलम को अभिवादन ...
ReplyDeletehriday ubhare samvaad ...seedhe hriday tak pahunch gaye
ReplyDelete!
वाह बहुत खूब
ReplyDelete