(ई पत्रिका "नव्या" में प्रकाशित)
दृढ़ है
अट्टालिका है
दुर्गा है
कालिका है
जिसने हिम्मत कभी ना हारी है
वो नारी है.....
सीता है
शक्ति है
मीरा है
भक्ति है
जिसने जप-तप में उम्र गुजारी है
वो नारी है......
सुकोमल है
सहृदया है
भगिनि है
संगिनी है
जो हर रिश्ते पर वारी है
वो नारी है.......
क्रुद्ध है
क्षुब्ध है
व्यथित है
बेचारी है
जो कोख में गयी मारी है
वो नारी है......
अनु
दृढ़ है
अट्टालिका है
दुर्गा है
कालिका है
जिसने हिम्मत कभी ना हारी है
वो नारी है.....
सीता है
शक्ति है
मीरा है
भक्ति है
जिसने जप-तप में उम्र गुजारी है
वो नारी है......
सुकोमल है
सहृदया है
भगिनि है
संगिनी है
जो हर रिश्ते पर वारी है
वो नारी है.......
क्रुद्ध है
क्षुब्ध है
व्यथित है
बेचारी है
जो कोख में गयी मारी है
वो नारी है......
अनु
सुकोमल है
ReplyDeleteसहृदया है
भगिनि है
संगिनी है
जो हर रिश्ते पर वारी है
वो नारी है.......sahi kaha bahut sundar rachna naari ke har swrup ki darshaati .......
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .
ReplyDeleteक्रुद्ध है
ReplyDeleteक्षुब्ध है
व्यथित है
बेचारी है
जो कोख में गयी मारी है
वो नारी है......
मार्मिक एवं हृदय विदारक सत्य प्रस्तुत करती सशक्त अभिव्यक्ति ...
क्रुद्ध है
ReplyDeleteक्षुब्ध है
व्यथित है
बेचारी है
जो कोख में गयी मारी है
वो नारी है......
सार्थकता लिये सशक्त पंक्तिया ...
आभार इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिये
एक तरफ हैं पूजते, बना के दुर्गा काली ।
ReplyDeleteकोख में ही हैं मारते, मानवता को गाली ।।
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (05-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
सूचनार्थ |
बहुत शुक्रिया . प्रदीप जी
Deleteक्या कहूँ अब ? सच बयाँ कर दिया।
ReplyDeleteजो कोख में गयी मारी है
ReplyDeleteवो नारी है......फिर भी "नारी सर्वत्र पूजिते....."
Laajawaab kavita.
ReplyDelete" यत्र नार्यस्तु पूज्यते , रमन्ते तत्र देवता " सुनते आए हैं, उसी देश में
ReplyDeleteक्रुद्ध है
क्षुब्ध है
व्यथित है
बेचारी है
जो कोख में गयी मारी है
वो नारी है......
आज की सच्चाई है... गहन भाव
हाँ हाँ यही नारी है :) ...सुन्दर कविता.
ReplyDeleteसत्य है,
ReplyDeleteयथार्त है,
कालातीत है,
कालजयी है!
बहुत ही सुन्दर व प्रभावी..
ReplyDeleteजिसने हिम्मत कभी ना हारी है
ReplyDeleteवो नारी है.....superb
सीता है
ReplyDeleteशक्ति है
मीरा है
भक्ति है......
laajawab...
Wonderful !!!
ReplyDeleteYou really glorified woman .
Thanks a lot .
Wonderful !!!
ReplyDeleteYou really glorified a woman .
Thanks a lot .
शुभकामनाएं आदरेया-
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुती ||
बहुत बहुत शुक्रिया यशोदा.
ReplyDeleteओज है
ReplyDeleteसरोज है
अपने ही
अस्तिव की
खोज है !
सुन्दर रचना है
अनु, प्रकाशित रचना के लिए बधाई !
बहुत खूब कहा सुमन जी...
Deleteनारी के अनेक रूपों का सुन्दर चित्रण अनु जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
बहुत सुन्दर और सशक्त अभिव्यक्ति . शब्दशः सहमत .
ReplyDeleteसारे कोमल एहसास नारी के लिए फिर भी उपेक्षित
ReplyDeleteकैसी विडंबना है यह!!
सस्नेह
बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...
ReplyDeleteवाह ! नारी तो हर रूप में अद्भुत है. बस पुरुष ही समझ नहीं पाता .
ReplyDeleteमार्मिक सशक्त सुंदर प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleterecent post: बात न करो,
अरे ! नारी अब की, बेहद शक्तिशाली है |
ReplyDeleteअनु बहन.. इस कविता के प्रवाह में मैं भी तुकबंदी कर गया, जिसकी प्रेरणा यह कविता है...
ReplyDelete/
प्रकृति है
धरती है
नदी है
महतारी है
ब्रह्माण्ड के कण-कण में स्थित
सृष्टि-रचयिता नारी है!!
बहुत सुन्दर सलिल दा.....
Deleteतभी तो नारी होने पर गर्व होता है ......अब समय आ गया है की शक्ति प्रदर्शन हो ही जाये ...ताकि जुल्मों का यह सिलसिला कुछ कम हो ....सशक्त रचना ..:)
ReplyDeleteuff!!! ye naari...!!
ReplyDeleteस्त्री प्रकृति की सबसे रम्य कृति है और आपकी कविता भी |
ReplyDeletesunder kavita
ReplyDeleteनारी के विशेष को कहती बहुत ही बेहतरीन रचना..
ReplyDeleteमनभावन प्रस्तुति...
:-)
बहुत खूब ..नारी मन की नारी को समर्पित कविता
ReplyDeleteबहुत सुंदर ....
ReplyDeleteनारी बहुत कुछ है फिर भी उसे समझने वालों की बड़ी कमी है ...जो खलती है, दुःख देती हैं ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति ..
sarthak abhivaykti....
ReplyDeleteबेहद गहन व सार्थक अभियक्ति
ReplyDeleteअरुन शर्मा
www.arunsblog.in
बहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छी रचना
क्या खूब लिखा है आपने। इसने मुझे अपनी पुरानी गजल की याद दिला दी
ReplyDelete‘जग के अंधियारे में रोशनी औरतें
जैसे सपनों की हैं जिंदगी औरतें
बहरहाल अच्छी रचना के लिए, बधाई।
खुबसूरत अभिवयक्ति,
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteनारी के मर्म और उसकी उपयोगिता को जिस खूबसूरत अंदाज़ में पेश किया गया ,वो काबिल ऐ तारीफ और काबिल ऐ कद्र है,यक़ीनन,नारी एक बिषय है,जिसका जितना अध्ययन किया जाये उतना कम है,कितने गुणों से अवगत हो पते है हम,भक्ति और शक्ति दोनों रूपों में सदा से इस धरा पे पूज्यनीय रही है नारी,एक नारी की व्यथा का उल्लेख सच में एक नारी ही कर सकती है,जो आपने यहाँ कर दिखाया,आपकी इस अनुपम कृति के लिए बंधाई बहन......
ReplyDeletebahut hi sundar aur marmik anu ji .
ReplyDeleteनारी के अनेकों रूपों से कुछ को बहुत शशक्त लिखा है ...
ReplyDeleteप्रेरित करती रचना ...
नारी की शक्ति से शुरू हुई रचना नारी की बेबसी पर खत्म हुई , सुन्दर रचना |
ReplyDeleteसुनी हुई दो पंक्तियाँ याद आती हैं-
"नारी तेरी यही कहानी ,
आँचल में है दूध , आँखों में पानी |"
सादर
very touching poetry..kudos to u ( Anu ji ) :)
ReplyDeleteबेहतरीन रचना बधाई
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