इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Tuesday, December 4, 2012

नारी सर्वत्र पूजिते.....

(ई पत्रिका "नव्या" में प्रकाशित) 

दृढ़ है
अट्टालिका है
दुर्गा है
कालिका है
जिसने हिम्मत कभी ना हारी है
वो नारी है.....

सीता है
शक्ति है
मीरा है
भक्ति है
जिसने जप-तप में उम्र गुजारी है
वो नारी है......

सुकोमल है
सहृदया है
भगिनि है
संगिनी है
जो हर रिश्ते पर वारी है
वो नारी है.......

क्रुद्ध है
क्षुब्ध है
व्यथित है
बेचारी है
जो कोख में गयी मारी है
वो नारी है......
 
अनु 


50 comments:

  1. सुकोमल है
    सहृदया है
    भगिनि है
    संगिनी है
    जो हर रिश्ते पर वारी है
    वो नारी है.......sahi kaha bahut sundar rachna naari ke har swrup ki darshaati .......

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  2. बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .

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  3. क्रुद्ध है
    क्षुब्ध है
    व्यथित है
    बेचारी है
    जो कोख में गयी मारी है
    वो नारी है......

    मार्मिक एवं हृदय विदारक सत्य प्रस्तुत करती सशक्त अभिव्यक्ति ...

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  4. क्रुद्ध है
    क्षुब्ध है
    व्यथित है
    बेचारी है
    जो कोख में गयी मारी है
    वो नारी है......
    सार्थकता लिये सशक्‍त पंक्तिया ...
    आभार इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिये

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  5. एक तरफ हैं पूजते, बना के दुर्गा काली ।
    कोख में ही हैं मारते, मानवता को गाली ।।

    आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (05-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
    सूचनार्थ |

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    Replies
    1. बहुत शुक्रिया . प्रदीप जी

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  6. क्या कहूँ अब ? सच बयाँ कर दिया।

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  7. जो कोख में गयी मारी है
    वो नारी है......फिर भी "नारी सर्वत्र पूजिते....."

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  8. " यत्र नार्यस्तु पूज्यते , रमन्ते तत्र देवता " सुनते आए हैं, उसी देश में
    क्रुद्ध है
    क्षुब्ध है
    व्यथित है
    बेचारी है
    जो कोख में गयी मारी है
    वो नारी है......
    आज की सच्चाई है... गहन भाव

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  9. हाँ हाँ यही नारी है :) ...सुन्दर कविता.

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  10. सत्य है,
    यथार्त है,
    कालातीत है,
    कालजयी है!

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  11. बहुत ही सुन्दर व प्रभावी..

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  12. जिसने हिम्मत कभी ना हारी है
    वो नारी है.....superb

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  13. सीता है
    शक्ति है
    मीरा है
    भक्ति है......
    laajawab...

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  14. Wonderful !!!
    You really glorified woman .
    Thanks a lot .

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  15. Wonderful !!!
    You really glorified a woman .
    Thanks a lot .

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  16. शुभकामनाएं आदरेया-
    बढ़िया प्रस्तुती ||

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  17. बहुत बहुत शुक्रिया यशोदा.

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  18. ओज है
    सरोज है
    अपने ही
    अस्तिव की
    खोज है !

    सुन्दर रचना है
    अनु, प्रकाशित रचना के लिए बधाई !

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    1. बहुत खूब कहा सुमन जी...

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  19. नारी के अनेक रूपों का सुन्दर चित्रण अनु जी
    बहुत सुन्दर!

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  20. बहुत सुन्दर और सशक्त अभिव्यक्ति . शब्दशः सहमत .

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  21. सारे कोमल एहसास नारी के लिए फिर भी उपेक्षित
    कैसी विडंबना है यह!!
    सस्नेह

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  22. बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...

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  23. वाह ! नारी तो हर रूप में अद्भुत है. बस पुरुष ही समझ नहीं पाता .

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  24. मार्मिक सशक्त सुंदर प्रस्तुति,,,,

    recent post: बात न करो,

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  25. अरे ! नारी अब की, बेहद शक्तिशाली है |

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  26. अनु बहन.. इस कविता के प्रवाह में मैं भी तुकबंदी कर गया, जिसकी प्रेरणा यह कविता है...
    /
    प्रकृति है
    धरती है
    नदी है
    महतारी है
    ब्रह्माण्ड के कण-कण में स्थित
    सृष्टि-रचयिता नारी है!!

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    1. बहुत सुन्दर सलिल दा.....

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  27. तभी तो नारी होने पर गर्व होता है ......अब समय आ गया है की शक्ति प्रदर्शन हो ही जाये ...ताकि जुल्मों का यह सिलसिला कुछ कम हो ....सशक्त रचना ..:)

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  28. स्त्री प्रकृति की सबसे रम्य कृति है और आपकी कविता भी |

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  29. नारी के विशेष को कहती बहुत ही बेहतरीन रचना..
    मनभावन प्रस्तुति...
    :-)

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  30. बहुत खूब ..नारी मन की नारी को समर्पित कविता

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  31. नारी बहुत कुछ है फिर भी उसे समझने वालों की बड़ी कमी है ...जो खलती है, दुःख देती हैं ..
    बहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति ..

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  32. बेहद गहन व सार्थक अभियक्ति
    अरुन शर्मा
    www.arunsblog.in

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  33. क्या खूब लिखा है आपने। इसने मुझे अपनी पुरानी गजल की याद दिला दी
    ‘जग के अंधियारे में रोशनी औरतें
    जैसे सपनों की हैं जिंदगी औरतें
    बहरहाल अच्छी रचना के लिए, बधाई।

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  34. खुबसूरत अभिवयक्ति,

    सुंदर प्रस्तुति.

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  35. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...

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  36. नारी के मर्म और उसकी उपयोगिता को जिस खूबसूरत अंदाज़ में पेश किया गया ,वो काबिल ऐ तारीफ और काबिल ऐ कद्र है,यक़ीनन,नारी एक बिषय है,जिसका जितना अध्ययन किया जाये उतना कम है,कितने गुणों से अवगत हो पते है हम,भक्ति और शक्ति दोनों रूपों में सदा से इस धरा पे पूज्यनीय रही है नारी,एक नारी की व्यथा का उल्लेख सच में एक नारी ही कर सकती है,जो आपने यहाँ कर दिखाया,आपकी इस अनुपम कृति के लिए बंधाई बहन......

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  37. नारी के अनेकों रूपों से कुछ को बहुत शशक्त लिखा है ...
    प्रेरित करती रचना ...

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  38. नारी की शक्ति से शुरू हुई रचना नारी की बेबसी पर खत्म हुई , सुन्दर रचना |
    सुनी हुई दो पंक्तियाँ याद आती हैं-
    "नारी तेरी यही कहानी ,
    आँचल में है दूध , आँखों में पानी |"

    सादर

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  39. very touching poetry..kudos to u ( Anu ji ) :)

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  40. बेहतरीन रचना बधाई

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