इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Friday, December 7, 2012

नज़्म से प्रेम तक.....

एक नज़्म पढ़ी
मेरी हँसी पर उसने....
मैं हँस पड़ी
वो बोला-
लो फिर एक नज़्म हुई....

मुझे छेड़ कर उसने 
एक शेर कहा
मैं गज़ल हुई....

दो लफ्ज़ रखे
अधरों पर उसने
मैं गीत हुई....

नगमें  गाये
मेरी आँखों पर
मैं भीग गयी....

कुछ छंद लिखे
मेरी बातों पर
मैं कविता हुई....

वो मौन हुआ 
बस छू कर गुज़रा
मैं प्रेम हुई......
-अनु

57 comments:

  1. अलग रंग -ढंग से सजी सुन्दर कविता बधाई अनु जी |

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  2. नगमें गाये
    मेरी आँखों पर
    मैं भीग गयी....

    कुछ छंद लिखे
    मेरी बातों पर
    मैं कविता हुई....


    बहुत ही खूबसूरत


    सादर

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  3. उसने मुझे जिया, मै ज़िन्दगी हुई... :)

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  4. उसने मुझे जिया, मैं ज़िन्दगी हुई... :)

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  5. लाजवाब

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  6. कुछ छंद लिखे
    मेरी बातों पर
    मैं कविता हुई....waah bahut khub ..sundar kaha

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  7. वाह जवाब नहीं इस पंक्ति का लाजवाब
    अरुन शर्मा
    www.arunsblog.in

    कुछ छंद लिखे
    मेरी बातों पर
    मैं कविता हुई.

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  8. प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति .....
    सुंदर रचना ...अनु .

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  9. कुछ छंद लिखे
    मेरी बातों पर
    मैं कविता हुई....
    वाह ....क्‍या बात है लाजवाब प्रस्‍तुति

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  10. khud ke prem hone ke baa kuchh bacha kyaa?

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  11. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (8-12-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  12. बेहतरीन ढंग से सजी बहुत ही खूबसूरत
    कविता ...................

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  13. एक रचना इश्कजादी....!! वाह अनु जी ----मज़ा आ गया..... :)

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  14. कुछ छँद लिखे
    मेरी बातोँ पर
    मैँ कविता हुई...
    बहुत सुन्दर शब्द रचना ।

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  15. कुछ छँद लिखे
    मेरी बातोँ पर
    मैँ कविता हुई...
    बहुत सुन्दर शब्द रचना ।

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  16. वो मौन हुआ
    बस छू कर गुज़रा
    मैं प्रेम हुई....

    वाह क्या कहने ...अनु जी

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  17. prem ke diye ko prajwalit karti rahe,jindgi kud b khud sawar jaygi

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  18. अद्भुत !
    कम शब्दों में बड़ी बड़ी बातें लिखना भी एक कला है.

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  19. सुंदर रचनाः)
    सस्नेह

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  20. एक नज़्म पढ़ी
    मेरी हँसी पर उसने....
    मैं हँस पड़ी
    वो बोला-
    लो फिर एक नज़्म हुई....

    सहज और सादगी से कही बात मन तक पहुँची.सुंदर शैली.

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  21. वो मौन हुआ
    बस छू कर गुज़रा
    मैं प्रेम हुई

    बहुत खूब , सुंदर !

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  22. वाह..क्‍या बात है लाजवाब प्रस्‍तुति,,

    recent post: बात न करो,

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  23. कुछ छँद लिखे
    मेरी बातोँ पर
    मैँ कविता हुई...

    वाह,,,बहुत सुन्दर शब्दों की अभिव्यक्ति,,,

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  24. आपके द्वारा लिखी गई हर पंक्तियाँ बेहद खूबसूरत होती हैं....... आपकी समस्त रचनाओं को लिये आपको नमन .....

    कृ्पा कर एक बार यहाँ भी आएं ......

    www.swapnilsaundarya.blogspot.com
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  25. इतनी कोमल कविता और इतने नाज़ुक भाव.. ऐसा लग रहा है कि सर्दियों की नर्म में धूप में कोई खरगोश आँखें मूंदे हरी घास पर लेटा हुआ हो!!

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  26. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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  27. एक सच्ची बात बताऊँ, आपके ब्लॉग पर बहुत बार आता हूँ... सोचता हूँ कुछ कमेन्ट करूँ... लेकिन जब आता हूँ तब तक इतने कमेन्ट हो चुके होते हैं की लगता है जो मुझे कहंता था वो तो लोगों ने कह दिया है पहले ही... फिर मैं चुपचाप पूरी कविता पढता हूँ... मन ही मन खुश होकर वापस लौट जाता हूँ...

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  28. बहुत खूबसूरत सुंदर भाव, सुंदर प्रस्तुति.

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  29. निर्लिप्त भाव से रची गई सुन्दर रचना!

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  30. wah di....dil ko chune wali pyari rachna....luv u for such lovely lines

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  31. प्रेम मयी सुंदर प्रस्तुति ...

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  32. बेहद लाजवाब |

    "तुम शीर्षक हुए मैं कहानी हुई "

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  33. anu ji aapki kvitaen behad komal bhavon ke sath komal prabhav ke sath ubharti hain

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  34. बहुत लाजवाब ... निर्मल प्रेम को कम से कम शब्दों में बाँधा है ... ओर आकाश जितना फैला दिया ...
    लाजवाब ...

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  35. वाह, मैं अवाक हूँ

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  36. Hi Anu!
    Please read this here: http://amitaag.blogspot.in/2012/12/blog-post.html
    Thanks and regards...amit

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  37. वो मौन हुआ
    बस छू कर गुज़रा
    मैं प्रेम हुई......
    sundar ...

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  38. दो लफ्ज़ रखे
    अधरों पर उसने
    मैं गीत हुई....

    बेहतरीन । बहुत अच्छी रचना है यह अनु जी। मेरी बधाई स्वीकार करें।

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  39. आपकी कविता मैं कभी कविता के लिए नहीं पढता हूँ , वो तो बहुत लोग करते हैं | आपकी कविता पढ़ने का असली मकसद वो एहसास महसूस करना होता है जो शायद रोजमर्रा की जिंदगी में होकर भी अनछुआ रह जाता है |
    इस बार भी वो एहसास भरपूर मिला है |

    सादर

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  40. नज़्म का सफर पहले गज़ल, फिर गीत और कविता एवं अंत में प्रेम में तब्दील होना बहुत सुंदर लगा.

    बधाई अनुलता जी.

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  41. प्रेम के विभिन्न सोपानो से गुजरती हुई नज़्म का जन्म बधाई के काबिल है . स्वीकार करें .

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  42. wah, kya bat hai. prem ke har seedhi par ek rachna, kawita gaZal, sher ,chand, aur kya kya. bahut khoobsurat.

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  43. read it one time, then again, then again , this is real love.wow di beautiful lines.

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  44. koi kaise itna khoobsurat likhta hai!!!! this is the best i have read in recent time. kai baar padha. baar baar padha.

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  45. और इस तरह मैं 'मुकम्मल' हुई ...

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  46. नारी से प्रेम बनाने का प्यारा सफर!

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  47. ☆★☆★☆


    एक नज़्म पढ़ी मेरी हंसी पर उसने....
    मैं हंस पड़ी
    वो बोला- लो फिर एक नज़्म हुई....
    मुझे छेड़ कर उसने एक शेर कहा
    मैं गज़ल हुई....

    दो लफ्ज़ रखे अधरों पर उसने
    मैं गीत हुई....

    नगमे गाए मेरी आंखों पर
    मैं भीग गई....
    कुछ छंद लिखे मेरी बातों पर
    मैं कविता हुई....

    वो मौन हुआ
    बस छू कर गुज़रा
    मैं प्रेम हुई......


    इतनी ख़ूबसूरत कविता !
    वाह ! वाऽह…! और... वाऽहऽऽ…!

    आदरणीया अनुलता जी
    आपकी कुछ कविताएं वाकई दिल को बहुत भा जाती है...
    सुंदर सृजन यूं ही जारी रहे...


    हार्दिक बधाई और शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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