एक नज़्म पढ़ी
मेरी हँसी पर उसने....
मैं हँस पड़ी
वो बोला-
लो फिर एक नज़्म हुई....
मुझे छेड़ कर उसने
एक शेर कहा
मैं गज़ल हुई....
दो लफ्ज़ रखे
अधरों पर उसने
मैं गीत हुई....
नगमें गाये
मेरी आँखों पर
मैं भीग गयी....
कुछ छंद लिखे
मेरी बातों पर
मैं कविता हुई....
वो मौन हुआ
बस छू कर गुज़रा
मैं प्रेम हुई......
-अनु
मेरी हँसी पर उसने....
मैं हँस पड़ी
वो बोला-
लो फिर एक नज़्म हुई....
मुझे छेड़ कर उसने
एक शेर कहा
मैं गज़ल हुई....
दो लफ्ज़ रखे
अधरों पर उसने
मैं गीत हुई....
नगमें गाये
मेरी आँखों पर
मैं भीग गयी....
कुछ छंद लिखे
मेरी बातों पर
मैं कविता हुई....
वो मौन हुआ
बस छू कर गुज़रा
मैं प्रेम हुई......
-अनु
अलग रंग -ढंग से सजी सुन्दर कविता बधाई अनु जी |
ReplyDeleteनगमें गाये
ReplyDeleteमेरी आँखों पर
मैं भीग गयी....
कुछ छंद लिखे
मेरी बातों पर
मैं कविता हुई....
बहुत ही खूबसूरत
सादर
अतिसुन्दर.
ReplyDeleteउसने मुझे जिया, मै ज़िन्दगी हुई... :)
ReplyDeleteउसने मुझे जिया, मैं ज़िन्दगी हुई... :)
ReplyDeleteलाजवाब
ReplyDeleteबेहतरीन ..
ReplyDeleteकुछ छंद लिखे
ReplyDeleteमेरी बातों पर
मैं कविता हुई....waah bahut khub ..sundar kaha
वाह जवाब नहीं इस पंक्ति का लाजवाब
ReplyDeleteअरुन शर्मा
www.arunsblog.in
कुछ छंद लिखे
मेरी बातों पर
मैं कविता हुई.
प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteसुंदर रचना ...अनु .
कुछ छंद लिखे
ReplyDeleteमेरी बातों पर
मैं कविता हुई....
वाह ....क्या बात है लाजवाब प्रस्तुति
khud ke prem hone ke baa kuchh bacha kyaa?
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (8-12-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
ReplyDeleteसूचनार्थ!
शुक्रिया वंदना.
Deleteबेहतरीन ढंग से सजी बहुत ही खूबसूरत
ReplyDeleteकविता ...................
एक रचना इश्कजादी....!! वाह अनु जी ----मज़ा आ गया..... :)
ReplyDeleteकुछ छँद लिखे
ReplyDeleteमेरी बातोँ पर
मैँ कविता हुई...
बहुत सुन्दर शब्द रचना ।
कुछ छँद लिखे
ReplyDeleteमेरी बातोँ पर
मैँ कविता हुई...
बहुत सुन्दर शब्द रचना ।
वो मौन हुआ
ReplyDeleteबस छू कर गुज़रा
मैं प्रेम हुई....
वाह क्या कहने ...अनु जी
prem ke diye ko prajwalit karti rahe,jindgi kud b khud sawar jaygi
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!!!
ReplyDeleteअद्भुत !
ReplyDeleteकम शब्दों में बड़ी बड़ी बातें लिखना भी एक कला है.
सुंदर रचनाः)
ReplyDeleteसस्नेह
बहुत ही सुन्दर ....
ReplyDelete:-)
एक नज़्म पढ़ी
ReplyDeleteमेरी हँसी पर उसने....
मैं हँस पड़ी
वो बोला-
लो फिर एक नज़्म हुई....
सहज और सादगी से कही बात मन तक पहुँची.सुंदर शैली.
वो मौन हुआ
ReplyDeleteबस छू कर गुज़रा
मैं प्रेम हुई
बहुत खूब , सुंदर !
वाह..क्या बात है लाजवाब प्रस्तुति,,
ReplyDeleterecent post: बात न करो,
कुछ छँद लिखे
ReplyDeleteमेरी बातोँ पर
मैँ कविता हुई...
वाह,,,बहुत सुन्दर शब्दों की अभिव्यक्ति,,,
आपके द्वारा लिखी गई हर पंक्तियाँ बेहद खूबसूरत होती हैं....... आपकी समस्त रचनाओं को लिये आपको नमन .....
ReplyDeleteकृ्पा कर एक बार यहाँ भी आएं ......
www.swapnilsaundarya.blogspot.com
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www.entrepreneursadda.blogspot.com
इतनी कोमल कविता और इतने नाज़ुक भाव.. ऐसा लग रहा है कि सर्दियों की नर्म में धूप में कोई खरगोश आँखें मूंदे हरी घास पर लेटा हुआ हो!!
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteएक सच्ची बात बताऊँ, आपके ब्लॉग पर बहुत बार आता हूँ... सोचता हूँ कुछ कमेन्ट करूँ... लेकिन जब आता हूँ तब तक इतने कमेन्ट हो चुके होते हैं की लगता है जो मुझे कहंता था वो तो लोगों ने कह दिया है पहले ही... फिर मैं चुपचाप पूरी कविता पढता हूँ... मन ही मन खुश होकर वापस लौट जाता हूँ...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत सुंदर भाव, सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteनिर्लिप्त भाव से रची गई सुन्दर रचना!
ReplyDeletewah di....dil ko chune wali pyari rachna....luv u for such lovely lines
ReplyDeleteप्रेम मयी सुंदर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteखूबसूरत रचना ...
ReplyDeleteबेहद लाजवाब |
ReplyDelete"तुम शीर्षक हुए मैं कहानी हुई "
anu ji aapki kvitaen behad komal bhavon ke sath komal prabhav ke sath ubharti hain
ReplyDeleteबहुत लाजवाब ... निर्मल प्रेम को कम से कम शब्दों में बाँधा है ... ओर आकाश जितना फैला दिया ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
Absolutely wonderful!!
ReplyDeleteवाह, मैं अवाक हूँ
ReplyDeleteHi Anu!
ReplyDeletePlease read this here: http://amitaag.blogspot.in/2012/12/blog-post.html
Thanks and regards...amit
वो मौन हुआ
ReplyDeleteबस छू कर गुज़रा
मैं प्रेम हुई......
sundar ...
दो लफ्ज़ रखे
ReplyDeleteअधरों पर उसने
मैं गीत हुई....
बेहतरीन । बहुत अच्छी रचना है यह अनु जी। मेरी बधाई स्वीकार करें।
आपकी कविता मैं कभी कविता के लिए नहीं पढता हूँ , वो तो बहुत लोग करते हैं | आपकी कविता पढ़ने का असली मकसद वो एहसास महसूस करना होता है जो शायद रोजमर्रा की जिंदगी में होकर भी अनछुआ रह जाता है |
ReplyDeleteइस बार भी वो एहसास भरपूर मिला है |
सादर
नज़्म का सफर पहले गज़ल, फिर गीत और कविता एवं अंत में प्रेम में तब्दील होना बहुत सुंदर लगा.
ReplyDeleteबधाई अनुलता जी.
प्रेम के विभिन्न सोपानो से गुजरती हुई नज़्म का जन्म बधाई के काबिल है . स्वीकार करें .
ReplyDeletewah, kya bat hai. prem ke har seedhi par ek rachna, kawita gaZal, sher ,chand, aur kya kya. bahut khoobsurat.
ReplyDeletebahut sundar rachna
ReplyDeleteread it one time, then again, then again , this is real love.wow di beautiful lines.
ReplyDeleteपगला है
ReplyDeletekoi kaise itna khoobsurat likhta hai!!!! this is the best i have read in recent time. kai baar padha. baar baar padha.
ReplyDeleteऔर इस तरह मैं 'मुकम्मल' हुई ...
ReplyDeleteक्या बात है!
ReplyDeleteनारी से प्रेम बनाने का प्यारा सफर!
ReplyDelete☆★☆★☆
एक नज़्म पढ़ी मेरी हंसी पर उसने....
मैं हंस पड़ी
वो बोला- लो फिर एक नज़्म हुई....
मुझे छेड़ कर उसने एक शेर कहा
मैं गज़ल हुई....
दो लफ्ज़ रखे अधरों पर उसने
मैं गीत हुई....
नगमे गाए मेरी आंखों पर
मैं भीग गई....
कुछ छंद लिखे मेरी बातों पर
मैं कविता हुई....
वो मौन हुआ
बस छू कर गुज़रा
मैं प्रेम हुई......
इतनी ख़ूबसूरत कविता !
वाह ! वाऽह…! और... वाऽहऽऽ…!
आदरणीया अनुलता जी
आपकी कुछ कविताएं वाकई दिल को बहुत भा जाती है...
सुंदर सृजन यूं ही जारी रहे...
हार्दिक बधाई और शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार