पश्मीना शाल लपेटे
कार में
काँच बंद
हीटर ऑन किये
काँच बंद
हीटर ऑन किये
ठिठुर रही थी मैं
उस सर्द और सूनी रात...
उस सर्द और सूनी रात...
नज़र पड़ी फुटपाथ पर,
एक नन्ही सी बच्ची
चंद चीथड़ों में लिपटी
अपनी माँ के सीने से लगी
सो रही थी सुकून से...
ज़ेहन में ख़याल आया
ज़ेहन में ख़याल आया
जाने कैसे उन्हें नींद आती होगी ??
सर्दी नहीं सताती होगी ??
सर्दी नहीं सताती होगी ??
शायद नहीं सताती.
उनके पास
एक दूसरे के
एक दूसरे के
प्यार की गरमाहट जो है....
मेरी सर्द उंगलियां
कस गयीं स्टीयरिंग व्हील पर
आँखों पर धुंध सी छा
गयी.
रात ठिठुरते,करवटें बदलते गुज़री...
रात ठिठुरते,करवटें बदलते गुज़री...
-अनु
प्यार की गर्माहट से मौसम की ठंड
ReplyDeleteभी खत्म हो गयी....
कोमल भाव लिए संवेदनशील रचना....
SUNDAR ABHIVYAKTI BHAV PURN PRASTUTI जाने कैसे उन्हें नींद आती होगी ??
ReplyDeleteसर्दी नहीं सताती होगी ??
शायद नहीं सताती.
उनके पास
एक दूसरे के
प्यार की गरमाहट जो है....
माँ की गोद ..वो करे कमाल
ReplyDeleteजो न करे ..पश्मीने की शाल .....
शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteमाँ का प्यार - दुलार सर्दी क्या जीवन की हर तकलीफ को दूर कर देता है... शुभकामनायें
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति .....अनु ॰
ReplyDeleteजब तक माँ का सानिध्य रहता है चैन ही चैन :)सुन्दर कविता.
ReplyDeleteहेमंत ऋतु का सुन्दरता के साथ वर्णन किया है बधाई
ReplyDeleteउनके पास
ReplyDeleteएक दूसरे के
प्यार की गरमाहट जो है....
नाज़ुक से एहसास
लिये अनुपम प्रस्तुति
...वाक़ई, रिश्तों में जो गर्माहट का विकल्प नहीं है !
ReplyDeleteममता की गर्माहट सर्दी को भी दूर कर देती है ... सुंदर रचना
ReplyDeleteदिल को छूती पंक्तियाँ..
ReplyDeleteदिल को छूती पंक्तियाँ..
ReplyDeleteसशक्त रचना
ReplyDeleteजाने कैसे उन्हें नींद आती होगी
ReplyDeleteसर्दी नहीं सताती होगी...
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वाह.. बहुत सुन्दर लिखा आपने...
जीवन की स्टीयरिंग व्हील इसी तरह हमारे नियंत्रण के बिना चलती है, सुन्दर प्रयास.
ReplyDeleteआरंभ : चोर ले मोटरा उतियइल
सुन्दर भावमय कविता ।
ReplyDeleteमातृत्व को समर्पित सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteप्यार की उष्णता महसूस कराते शब्द . सुन्दर .
ReplyDeleteकिसी का साथ ... सर्द रातों में ... वो भी माँ का ...
ReplyDeleteमहसूस करने पे ही उष्मा आ जाती है ...
गहरी अनुभूति अनु जी .....सचमुच उनके पास प्यार की गरमाहट के अलावा है ही क्या । लाजबाब रचना के लिए आभार ।
ReplyDeleteजहां ममता से भरा आँचल हो वहां सर्दी क्या हर कष्ट दूर हो जाते है,,,,
ReplyDeleterecent post : समाधान समस्याओं का,
फुटपाथ पर सोने वालों की चिंता इस मौसम मे शायद ही किसी को होगी।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना ।
सादर
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 25/12/12 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है ।
ReplyDeleteसर्जन के हाथ फूल से कोमल -- मजदूर के हाथों में डील ।
ReplyDeleteएडेप्टेशन !
उनके पास
ReplyDeleteएक दूसरे के
प्यार की गरमाहट जो है...
प्रेम से उष्ण कुछ हो ही नहीं सकता
सुन्दर प्रयास , बहुत बहुत बधाईयाँ ..सार्थक सकारात्मक सृजन मित्र ..
ReplyDeleteउनके पास
ReplyDeleteएक दूसरे के
प्यार की गरमाहट जो है....sahi kaha bahut badhiya pyaar ka ehsaas aur ek bebasi si rachna mein khub ubhar kar aaye hain ..
सबके अपने अपने सलीब हैं
ReplyDeletesach pyar ki garmahat aisi hi hoti hai...par ye lines hame ye bhi sandesh deti hai ki hame un logo ki madat karni chahiyee...very nice lines di
ReplyDeleteप्यारा एहसास।
ReplyDeleteजाने कैसे उन्हें नींद आती होगी ??
ReplyDeleteसर्दी नहीं सताती होगी ??
शायद नहीं सताती.
उनके पास
एक दूसरे के
प्यार की गरमाहट जो है....
...बिल्कुल सच कहा है, प्यार की गर्मी हो तो सर्दी का क्या डर..बहुत मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण रचना..
मर्मस्पर्शी लेखन ... संस्मरण को बहुत ही कलात्मकता से कम शब्दों से भावना को अलंकरित किया .. वाह ! बहुत खूब ! ..
ReplyDeleteसुंदर अहसास....
ReplyDeleteआज हर बच्ची ठिठुर रही है। जो खुले में है,वही नहीं,जो चाकचौबंद सुरक्षा में है,वह भी।
ReplyDeleteप्यार की गर्मी पशमीने की मोहताज नहीं होती
ReplyDeleteसहज और सुन्दर अभिव्यक्ति। मार्मिक चित्रण।
ReplyDeleteईश्वर ने सबको कुछ न कुछ अवश्य दिया है
किसी को हीटर तो किसी को सहनशक्ति की
ऊर्जा। मन-भावन रचना।
आनन्द विश्वास
bahut hi khubsurat rachna! :)
ReplyDeletehttp://bhukjonhi.blogspot.in/
आपकी यह कविता मन को आंदोलित कर गई । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
ReplyDeleteव्यवस्था और समाज के ऊपर आपने सटीक व्यंग्य किया है।
ReplyDeleteप्यार की गर्माहट हर सर्दी को भगाने में कामयाब रहेगी. लेकिन उस व्यवस्था पर आश्चर्य होना स्वाभाविक है जो किसी को फुटपाथ पर भी सोने के लिये मजबूर कर देता है.
ReplyDeleteअनु जी आपको व आपके परिवार को नूतन वर्षाभिनंदन.
प्यार की गर्मी हर सर्दी से बचाने में सक्षम है...
ReplyDeleteबहुत सुंदर संवेदनशील रचना।।।
प्यार की गर्मी हर सर्दी से बचाने में सक्षम है...
ReplyDeleteसुंदर, संवेदनशील रचना।।।
सुन्दर अभिव्यक्ति, मार्मिक चित्रण
ReplyDeleteबहुत संवेदनशील रचना
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।
ReplyDeleteब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...
सही कहा, कुछ अजीब ही है ये दुनिया
ReplyDelete...bahut sundar aur bilkul sach!!
ReplyDeleteएक दूसरे का साथ और प्यार की गर्माहट , फिर क्या फिकर , जो होगा देखा जायेगा |
ReplyDeleteअच्छी कविता |
सादर