कच्ची हल्दी से रंगा तन,
लगा कर पांव में महावार
नव ब्याहता सी
आयी वासंती पवन !
शरमाती सकुचाती
झिझकती
आखिर हो ही गयी
आलिंगनबद्ध !!
(खुशियों के बड़े गहरे रहस्य थोड़ी न होते हैं.....)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
टेसू का खिलना
भौरों का गुनना
फूलती अमराइयाँ
कलियों की अंगडाइयाँ
कौन कहता है ये वसंत की दस्तक है ?
मेरे घर आता है वसंत
तुम्हारे तन से लिपटा हुआ
तुम्हारे मन में छिप कर!!
(प्रेम से प्यारा मौसम कोई न हुआ अब तक...)
~अनुलता ~
लगा कर पांव में महावार
नव ब्याहता सी
आयी वासंती पवन !
शरमाती सकुचाती
झिझकती
आखिर हो ही गयी
आलिंगनबद्ध !!
(खुशियों के बड़े गहरे रहस्य थोड़ी न होते हैं.....)
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टेसू का खिलना
भौरों का गुनना
फूलती अमराइयाँ
कलियों की अंगडाइयाँ
कौन कहता है ये वसंत की दस्तक है ?
मेरे घर आता है वसंत
तुम्हारे तन से लिपटा हुआ
तुम्हारे मन में छिप कर!!
(प्रेम से प्यारा मौसम कोई न हुआ अब तक...)
~अनुलता ~
:) A beautiful description of spring, eagerly waiting for it!
ReplyDeleteanu ji basant ke rang me rahi samvednaye badhai
Deleteबासंती रंग में रंगी एक अच्छी कविता |
ReplyDeleteExquisitely beautiful !
ReplyDeleteबासंती रंगों में रंगे मन के भाव.बहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत सुंदर वासंती भाव ....
ReplyDeleteबासंती रंगों में रंगे वासंती भाव
ReplyDeleteबौरा गई हूँ
ReplyDeleteमैं कल से..
मेरे घर आता है वसंत
तुम्हारे तन से लिपटा हुआ
तुम्हारे मन में छिप कर!!
और मुझे
पगली बना देता है....
सादर
तन रंगा मन भी रंगा, वासंती रंगा में -सुन्दर अभिव्यक्ति l
ReplyDeleteNew post जापानी शैली तांका में माँ सरस्वती की स्तुति !
New Post: Arrival of Spring !
हाँ बसंत तो मन में आता है :)
ReplyDeleteक्या बात है .. मजा आया पढकर.
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...!
ReplyDeleteRECENT POST-: बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है
बहुत सुंदर ......
ReplyDeleteसच...प्रेम तो हर मौसम में वसंत ला देता है...
ReplyDeleteसुन्दर कविता
वसंत का मतलब ही यही होता है कि पूरे माहौल और पूरी फ़िज़ाँ पर एक नशा सा छा जाए!! यह कविता भी बस वसा ही एक नशा लेकर आई है जिसे वसंत कहते हैं!!! :)
ReplyDeleteवसंत का मतलब ही यही होता है कि पूरे माहौल और पूरी फ़िज़ाँ पर एक नशा सा छा जाए!! यह कविता भी बस वसा ही एक नशा लेकर आई है जिसे वसंत कहते हैं!!! :)
ReplyDeletedil ko chhuti rachna...
ReplyDeleteमेरे घर आता है वसंत
ReplyDeleteतुम्हारे तन से लिपटा हुआ!!
तुम जहाँ , वसंत भी वहीं …और कौन सा मौसम होगा !
शुक्रिया शिवम्...तुम्हारी सूचना से पहले ही बुलेटिन पढ़ आये :-)
ReplyDeleteफूल खिले गुलशन गुलशन .......... टाइप रचना :)
ReplyDeleteआखिर बसंत जो आ गई !!
सुंदर बात ....मौसम कोई भी हो ...प्रेम का मौसम कहाँ बदलता है ....!!॥
ReplyDelete..
बहुत सुंदर ....प्रेम मौसम का इंतजार नहीं करता ....जहाँ प्रेम वहीँ बसंत ..!!
ReplyDeleteप्रेम ही सबसे प्यारा वसंत है
ReplyDeleteजीवन भर यह वसंत बना रहे !
प्रेम का बसंत से गहरा सम्बंध होता है !
ReplyDeleteदिनोंदिन पुष्पित पल्लवित हो यह मधुमास और खूबसूरत भावों से हमारा मन भी सिंचित तरंगित रहे |
ReplyDelete(प्रेम से प्यारा मौसम कोई न हुआ अब तक...)
ReplyDeleteप्रेम एवं बसंत का संबंध बहुत ही प्रभावी होता है। बहुत दिनों बाद आपके पोस्ट पर आया हूं। वसंत पर लिखी रई कविता काफी प्रशंसनीय है। मेरे नए पोस्ट "मय की भी उम्र होती है", पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा। सुप्रभात।
प्रेम का यह मौसम सदा बना रहे बस बाकी तो मौसम आते जाते रहेंगे ही :) इसी दुआ के साथ वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें। :))
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ! सच में! यही तो वसंत है ...
ReplyDelete<3
सुंदर भाव अभिव्यक्ति , शुभकामनाये !
ReplyDeleteबहुत कोमल. बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसच है बसंत तो उनके साथ ही आता है ... टिक जाता है ... जो वो साथ रहे ...
ReplyDeleteभाव पूर्ण ...
यूँ ही बसंत आता रहे .... खूबसूरत अहसास
ReplyDeleteअति सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteखुशियों के बड़े गहरे रहस्य थोड़ी न होते हैं!! :) :)
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