टीना मुनीम अम्बानी कभी मेरी पसंदीदा अभिनेत्री नहीं रहीं | मगर उन पर एक आलेख लिखा | बस एक अनचाहा assignment मान कर उनके बारे में पढना शुरू किया तो लगा कि एक ठीक-ठाक सी अभिनेत्री होने के अलावा उन में कई खूबियाँ हैं .......आलेख के पूरा होते होते मुझे पसंद आने लगीं "टीना" :-) पढ़िए "आधी आबादी" पत्रिका में प्रकाशित मेरा आलेख !
~बातों बातों में प्यार हो जाएगा ~
अनुलता राज नायर
~बातों बातों में प्यार हो जाएगा ~
मैं एक गृहणी हूँ, अस्पताल
चलाती हूँ, और बहुत सारे सामाजिक कार्य करती हूँ...मेरा रिलायंस ADA ग्रुप से कोई
सम्बन्ध नहीं, आप कभी आयें और देखिये कि हम कितने सारे सामाजिक दायित्वों को
निभाते हैं| ये शब्द थे टीना मुनीम अम्बानी के,जब उन्हें 2G स्कैम के बाद अदालत
में पेश किया गया और इसमें हैरानी की कोई बात नहीं कि माननीय अदालत ने उन्हें बिना
किसी और पूछताछ के, बल्कि एक मुस्कराहट के साथ जाने की इजाज़त दे दी | उनके खूबसूरत
व्यक्तित्व के आकर्षण से आखिर कोई भी अछूता कैसे रह सकता है |
आज आपको मिलवाती हूँ फिल्म इंडस्ट्री की बेहद खूबसूरत और आत्मविश्वासी नायिका से जिन्होंने अभिनय से इतर भी जीवन में कई मकाम हासिल किये और एक बेहद सार्थक जीवन की मिसाल पेश की|
आज आपको मिलवाती हूँ फिल्म इंडस्ट्री की बेहद खूबसूरत और आत्मविश्वासी नायिका से जिन्होंने अभिनय से इतर भी जीवन में कई मकाम हासिल किये और एक बेहद सार्थक जीवन की मिसाल पेश की|
1975 में एक अंतर्राष्ट्रीय
सौन्दर्य प्रतियोगिता में जीत हासिल करने के बाद देवानंद साहब की नज़र उन पर पड़ी और
“देस-परदेस” फिल्म से 1978 में टीना ने फिल्म जगत में अपना पहला कदम रखा | टीना एक
ऐसे गुजराती परिवार थीं जिसका फिल्मों से दूर तक कोई नाता न था और न ही वो खुद फिल्मों में दिलचस्पी रखती थीं, बल्कि पेड़ों
के आस-पास चक्कर लगाते गाने गाना उन्हें खुद हास्यास्पद लगता था| मगर देवानंद जैसे
महान अभिनेता का प्रस्ताव कोई कैसे ठुकरा सकता था और फिर उनका फ़िल्मी सफ़र बड़े
सुन्दर मकाम हासिल करता 1987 तक चलता रहा जब तक कि वो कॉलेज अटेंड करने
कैलिफ़ोर्निया नहीं चली गयीं | इस बीच उन्होंने 30-35 फिल्मों में काम किया जिनमें
संजय दत्त के साथ रॉकी सुपर हिट रही | बासु चटर्जी के साथ उन्होंने दो सुन्दर
फिल्में दीं- बातों-बातों में,और मनपसंद | हालाँकि वे खुद “अधिकार” को अभिनय की
दृष्टि से सबसे बेहतरीन फिल्म मानती हैं |
टीना का फ़िल्मी करियर और भी
बेहतर हो सकता था अगर वे समझदारी से फिल्मों का चयन करतीं मगर वे खुद को एक
महत्त्वाकांक्षी अभिनेत्री नहीं मानती हैं | वे बचपन में डिज़ाइनर बनना चाहती थीं
और उन्होंने कभी अपने अभिनय के कैरियर को संजीदगी से नहीं लिया...उनके भीतर शीर्ष
पर पहुँचने की कोई तमन्ना नहीं थी | टीना विद्रोही स्वभाव की औरत हैं, उन्हें एक
खींची हुई लकीर पर चलना पसंद नहीं | उन्होंने बहुत छोटी उम्र में अपना घर खरीदा और
उसमें परिवार से अलग रहने लगीं | बेहद स्वाभिमानी स्वभाव की टीना दावा करती हैं कि
उन्होंने अपने पूरे जीवन में किसी का एहसान अपने सर नहीं लिया और इस बात के लिए
उन्हें स्वयं पर गर्व है |
सिमी ग्रेवाल को दिए एक साक्षात्कार में टीना कहती हैं उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी किसी पर कोई इलज़ाम नहीं दिया | अपने हर सही गलत फैसले की पूरी ज़िम्मेदारी वो खुद लेती हैं और उन्हें अपने किसी भी फैसले पर आज तक अफ़सोस भी नहीं हुआ |
सकारात्मक सोच से भरी टीना ने कभी भविष्य के विषय में फ़िक्र नहीं की ,उन्हें यकीन था कि सही वक्त पर सब कुछ सही होगा खुद-ब-खुद | कर्म के सिद्धांतों पर चलने वाली इस बेहद आत्मविश्वासी युवती को पता था कि आप जिस चीज़,जिस जगह के लायक हों वो आपको मिल कर ही रहेगी | इसका सीधा सबूत उनकी ज़िन्दगी ने खुद उन्हें दिया जब देश के बड़े व्यवसायी अनिल अम्बानी उन पर मोहित हुए और दोनों ने मिलना शुरू किया पर टीना का फिल्मों से जुड़ा होना उनकी राह का रोड़ा बना क्यूंकि अम्बानी एक परम्पराओं को मानने वाला रूढीवादी परिवार कहा जा सकता था | इसके बाद करीब 3-4 साल तक वे आपस में मिले नहीं| कहते हैं ज़िन्दगी दूसरा मौका नहीं देती मगर टीना और अनिल को ज़िन्दगी ने दूसरा मौका दिया अपनी मोहब्बतों को पाने का और वे एक हुए | कैलिफोर्निया से अनिल के बुलावे पर टीना भारत लौटीं और फिर उनको अम्बानी परिवार से मिलने बुलाया गया | टीना ने तब ज़रूर गुनगुनाया होगा कि- शायद मेरी शादी का ख़याल दिल में आया है,इसीलिए मम्मी ने तेरी मुझे चाय पे बुलाया है |
सिमी ग्रेवाल को दिए एक साक्षात्कार में टीना कहती हैं उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी किसी पर कोई इलज़ाम नहीं दिया | अपने हर सही गलत फैसले की पूरी ज़िम्मेदारी वो खुद लेती हैं और उन्हें अपने किसी भी फैसले पर आज तक अफ़सोस भी नहीं हुआ |
सकारात्मक सोच से भरी टीना ने कभी भविष्य के विषय में फ़िक्र नहीं की ,उन्हें यकीन था कि सही वक्त पर सब कुछ सही होगा खुद-ब-खुद | कर्म के सिद्धांतों पर चलने वाली इस बेहद आत्मविश्वासी युवती को पता था कि आप जिस चीज़,जिस जगह के लायक हों वो आपको मिल कर ही रहेगी | इसका सीधा सबूत उनकी ज़िन्दगी ने खुद उन्हें दिया जब देश के बड़े व्यवसायी अनिल अम्बानी उन पर मोहित हुए और दोनों ने मिलना शुरू किया पर टीना का फिल्मों से जुड़ा होना उनकी राह का रोड़ा बना क्यूंकि अम्बानी एक परम्पराओं को मानने वाला रूढीवादी परिवार कहा जा सकता था | इसके बाद करीब 3-4 साल तक वे आपस में मिले नहीं| कहते हैं ज़िन्दगी दूसरा मौका नहीं देती मगर टीना और अनिल को ज़िन्दगी ने दूसरा मौका दिया अपनी मोहब्बतों को पाने का और वे एक हुए | कैलिफोर्निया से अनिल के बुलावे पर टीना भारत लौटीं और फिर उनको अम्बानी परिवार से मिलने बुलाया गया | टीना ने तब ज़रूर गुनगुनाया होगा कि- शायद मेरी शादी का ख़याल दिल में आया है,इसीलिए मम्मी ने तेरी मुझे चाय पे बुलाया है |
बिना किसी संवाद के इस
लम्बे अंतराल में टीना ने अनिल को याद ज़रूर किया मगर कभी हताश नहीं हुईं, एक यकीन
उन्हें ऊर्जा देता रहा होगा शायद !
“रिचर्ड बेक” ने कहा है कि अपने प्रेम को स्वछंद छोड़ दें, अगर वो आपका है तो आपके पास ही रहेगा वरना वो आपका कभी था ही नहीं...
दर्द के निशाँ मिट जाते हैं प्रेम के अंकुरित होते ही,
जैसे सूखे पत्तों से अच्छादित भूमि पर कभी झरती है रात की रानी !!
सुख आकर ही रहता है, यकीन मानिए !!
“रिचर्ड बेक” ने कहा है कि अपने प्रेम को स्वछंद छोड़ दें, अगर वो आपका है तो आपके पास ही रहेगा वरना वो आपका कभी था ही नहीं...
दर्द के निशाँ मिट जाते हैं प्रेम के अंकुरित होते ही,
जैसे सूखे पत्तों से अच्छादित भूमि पर कभी झरती है रात की रानी !!
सुख आकर ही रहता है, यकीन मानिए !!
एक बात टीना की जो दिल को
छू जाती है वो है उनका सरल और स्पष्ट स्वभाव, कि एक हिरोइन होते हुए भी उन्होंने
अम्बानी परिवार में एक संयुक्त परिवार के रूप में खुशियाँ खोजी और निबाहा भी | 1991 में जब टीना 31
वर्ष की थीं तब उन्होंने अनिल अम्बानी से विवाह किया |
टीना के भीतर का कलाकार
सिर्फ़ अभिनय में ही रुचि नहीं रखता बल्कि वे चित्रकारी की तरफ भी बड़ा रुझान रखती
हैं | उनकी संस्था “हारमोनी आर्ट फाउंडेशन” समय समय पर “आर्ट इवेंट” का आयोजन करती
रहती हैं जिसका मकसद कलाकारों को एक बेहतर मंच देने के अलावा सामाजिक सेवा भी होता
है | इन कला प्रदर्शनियों में नीलामी से एकत्रित होने वाली धन राशि का उपयोग बेघर
बच्चों और बुजुर्गों को आश्रय देने में किया जाता है | कुछ समय पहले ख्याति
प्राप्त पेन्टर जोगेन चौधरी के साथ टीना ने एक पेंटिंग बनाई जो 95 लाख रूपए में
नीलाम हुई और सारा पैसा सामाजिक कार्यों में खर्च किया गया | यूँ तो समाज सेवा
,चंदा उगाहना हर उच्चवर्गीय/रईस लोगों का पसंदीदा शगल होता है जिसमें समाज की सेवा
कम और खुद की लोकप्रियता का मकसद ज्यादा होता है,मगर टीना के प्रयासों में
निष्कपटता और गंभीरता साफ़ नज़र आती है | एक बेहद ईमानदार शख्सियत हैं टीना |
टीना को फोर्ब्स मैगज़ीन ने
2008 में “वाइफ्स ऑफ़ बिलियनेयर” में शामिल किया गया जिसकी कसौटी सिर्फ धनवान आदमी
से शादी करना ही नहीं था बल्कि बाहरी और भीतरी सौन्दर्य का होना,बुद्धिमति होना और
सार्थक कार्यों से जुड़े रहना था और टीना इन सभी शर्तों पर खरी उतरती थीं |
जय अनमोल और जय अंशुल के
अलावा टीना का तीसरी संतान है – “कोकिलाबेन धीरुभाई अस्पताल” | ऐसा कहना है उनके
पति अनिल धीरूभाई अम्बानी का |
इस अस्पताल को खोलना किसी
और लोकोपकारी,सामाजिक कार्य की तरह आसान न था पर टीना के दृढ़ इरादों ने इसे सार्थक
कर दिखाया | ये उनके दिवंगर श्वसुर धीरुभाई अम्बानी का सपना था जो उनके जीते जी
पूर्ण न हो सका था | टीना अस्पताल में हर चीज़ का व्यक्तिगत रूप से ख्याल रखती हैं|
चाहे वो कर्मचारियों पर नज़र रखना हो, दवाइयां, उपकरण,साफ़ सफाई से लेकर टिश्यू पेपर
और साबुन तक का ध्यान उन्हें रहता है | ये अस्पताल उनके लिए व्यवसाय नहीं बल्कि
मानवता की सेवा है |
इसी तरह “हारमोनी फॉर
सिल्वर फाउंडेशन” रिलायंस ग्रुप द्वारा 2004 में स्थापित एक संस्था है जो बेघर,बेसहारा
बुजुर्गों के लिए काम करती हैं | ये संस्था एक मासिक पत्रिका “हारमोनी” भी निकालती
है जिसमें टीना अपना भरपूर योगदान देती हैं |
टीना के फ़िल्मी जीवन में
बेशक उनके सम्बन्ध अभिनेताओं से जोड़े गए,ख़ास तौर पर राजेश खन्ना के साथ | पर विवाह
के पश्चात टीना अम्बानी परिवार की बेहतरीन बहु, अच्छी पत्नी और माँ साबित हुईं हैं | टीना एक सख्त माँ हैं, वे
अपने बच्चों के दोस्तों से और उनके माता-पिता से बात करती रहती हैं, वे किस वक्त
कहाँ हैं ये उन्हें पता होता है, और वे बच्चों को एक एक पैसे की कीमत से अवगत
कराती रहती है जबकि टीना बार बार अपने साक्षात्कारों में ये कहती रही हैं कि उनके
पति अनिल ने उन्हें आज तक किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं किया और ऐसा कुछ भी नहीं
उनके जीवन में जो वे पाना चाहती हों और पा न सकी हों | परियों की कथा सी है टीना
की कहानी....सब कुछ सुनहरा...चमचमाता...चमत्कारी !!
टीना मुंबई की चमक-धमक से
दूर रहना पसंद करती हैं, “शोभा डे” की पत्रिका “हेल्लो” के अप्रेल 2012 के संस्करण
में टीना फिर लम्बे अंतराल के बाद कवर पेज पर दिखीं | इसी पत्रिका के लिए दिए एक
साक्षात्कार में टीना ने शोभा डे को बताया कि आम सोशलाइट औरतों की तरह वे ब्रांडेड
कपड़ों, ब्यूटी पार्लरों में अपना अपना वक्त ज़ाया नहीं करतीं,वे जब ज़रुरत पड़े
कमर्शियल फ्लाइट का इस्तेमाल करती हैं, पति के चार्टर्ड प्लेन के होते हुए भी |
बाहरी दिखावे से परे टीना के भीतर गज़ब का आत्मविश्वास है जो उन्हें सबसे अलग ,सबसे
बेहतर बनाता है | भारत के सबसे रईस खानदान के होते हुए भी अपने पांव ज़मीन पर
टिकाये रखना सबके बस की बात नहीं | मेरे कहने का ये कतई मतलब नहीं कि टीना ऐशोआराम
की ज़िन्दगी नहीं जी रहीं, उनके पास वो सब कुछ है जो वे ख्वाब में भी पाना चाहती
थीं | उनको अनिल अम्बानी ने एक 84 मिलियन डॉलर का शानदार “याट“ तोहफे में दिया
जिसको उन्होंने नाम दिया “टियान” | इसे हम आप फिजूलखर्ची या दिखावा मानते हों तो
मानते रहें |
वैसे टीना अम्बानी रिलायंस
एंटरटेनमेंट, ड्रीम वर्क्स और आई.एम.ग्लोबल के ज़रिये अपनी जड़ें जो फिल्म इंडस्ट्री
में दबी हैं,को सहारा दे रही हैं | इन फेस्टिवल्स के द्वारा ये फ़िल्मी दुनिया से जुड़े
लोगों को सहयोग दे रही हैं और फिल्म उद्योग को अपना सहयोग और सलामी भी | अम्बानी
के ड्रीम वर्क्स की वजह से अनिल और टीना को ऑस्कर समारोह के रेड कार्पेट में शिरकत
करने का सुअवसर मिला वो भी स्टीवन स्पीलबर्ग के साथ | देस-परदेस से ऑस्कर तक का
सफ़र टीना ने बेरोक टोक तय किया और हर मुकाम पर अपनी पहचान बनायी | देव साहब होते तो
निस्संदेह अपनी खोज पर गर्व करते | उनके प्रशंसक शायद अब भी गुनगुनाते होंगे...हम
तो आपके दीवाने हैं...बड़े मस्ताने हैं !!!
पास से जान्ने को मिला .... आर्टिकल के द्वारा .... बहुत ही शानदार लिखा आपने।
ReplyDeleteanu ji bahut sundar alkekh hai , sajha karne hetu dhanyavad , badhai aapko
Deleteपास से जान्ने को मिला .... आर्टिकल के द्वारा .... बहुत ही शानदार लिखा आपने।
ReplyDeleteबहुत ही शानदार लेख
ReplyDeleteबेहद शानदार व्यक्तित्व है टीना अम्बानी का ..... विनम्र हैं , सहज हैं !
काफी जानकार जुटाई है ... बेहतरीन लेख
ReplyDeleteमैंने एक बार टीना के पति अनिल अंबानी को देखा था राज पथ पर सुबह सुबह दौड़ते हुए !!
ReplyDeleteशायद एक समय के बाद पैसे की चकचौध से ये खुद को परे समझने लगते हैं, ऐसा ही लगा था, उनको देख कर
और टीना के लिए भी पढ़ कर ऐसा ही लग रहा !!
ठीक और सुंदर लिखा है अनु आपने ...पढ़ते-पढ़ते प्यार हो जायेगा ....
ReplyDeleteपहलेभी इनके बारे में पढ़ा था लेकिन इतने नज़दीक से इतने बेहतरीन तरीके से कम लोग बताते है। Article बहुत अच्छी है।
ReplyDeletehmmmmmm...tina ke baare me maine pehle pdhaa he...so jaankaari thi...pr aapki lekhn ne mohit kr diiyaa ..di...aap khoob likhti hain...khoobsurat likhti hain........
ReplyDeleteअपने कॉलेज के दिनों मे टीना और राजेश खन्ना के किस्से बहुत सुनते थे . उन दिनों मे यह सम्बंध किसी क्रांति से कम नहीं था . लेकिन सुना है , जिस दिन से वह अंबानी परिवार की बहु बनी , अंबानी परिवार की किस्मत बदल गई . किस्मत हो तो ऐसी !
ReplyDeleteबहुत सुंदरता के साथ अभिव्यक्त किया गया आलेख !
ReplyDeleteटीना को फिल्मो तक ही जानता था ! टीना के बारे में बृहद जानकारी देते उम्दा आलेख ...!
ReplyDeleteRECENT POST - आँसुओं की कीमत.
टीना मुनीम भी आपकी फैन हो गई होंगी इसे पढ़ कर ।
ReplyDeleteअनु जी आलेख अच्छा लगा । टीना मुनीम से अब तक मेरा परिचय सिर्फ 'बातों बातों में 'तक ही था । यों वे मुझे बहुत खूबसूरत भी लगती हैं ।कर्ज, सौतन,आदि कई फिल्में भी की हैं लेकिन मैं उन्हें बातों बातों के लिये खास तौर पर याद रखती हूँ । यह मेरी बहुत ही पसन्दीदा फिल्मों में से एक है ।
ReplyDeleteक्यूट लगती हैं टीना ..
ReplyDeleteबढ़िया आलेख
अनुलता जी बेहतरीन आलेख के लिए बधाई। शीर्षक ने ही पूरा लेख पढ़ा दिया।
ReplyDeleteउम्दा आलेख.......
ReplyDeleteकुछ अलग ही पहलू से दिखाया आपने, जो अब तक अनजाना था. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
आप सभी की प्रतिक्रियाओं का शुक्रिया......लेख लिखने का आत्मविश्वास मुझे आप सभी की टिप्पणियों से ही मिलता है..
Deleteह्रदय से आभारी हूँ |
~अनुलता~
टीना मुनीम बहुत अच्छी कलाकार की श्रेणी में कभी रही भी नहीं! लेकिन आपने जितने विस्तार से उनका जीवन वृत्त प्रस्तुत किया है, कोई भी पक्ष उनके व्यक्तित्व का अछूता नहीं रह गया! किसी व्यक्ति विशेष का शब्दचित्र इससे बेहतर ढंग से नहीं लिखा जा सकता. मुझे तो लगता है कि जो लोग टीना अम्बानी को पसन्द नहीं भी करते होंगे तो वो इस आलेख को पढकर उनकी कुछ पुरानी फ़िल्में ज़रूर देखेंगे!!
ReplyDeleteमेरी ओर से इस आलेख के लिये बधाई आपको!!
दादा आपके encouraging शब्द पढ़ कर बहुत खुशी हुई :-) याने पास हो गयी मैं इस बार भी :-)
Deleteशुक्रिया
बेहतरीन आलेख के लिए बधाई।
ReplyDeletebahan bahut sunder tarike se likha hai hamesha ki tarah
ReplyDeleterachana
सुन्दर और प्रेरक लेख
ReplyDeleteटीना मुनीम के सामाजिक सरोकारों के बारे में जब-तब पढ़ती रही हूँ। परिकथा की तरह ही है उनका जीवन। बदनामी से उठी तो नाम ही नाम पाया !
ReplyDeleteअच्छा आलेख!
वाह , यह सब पहली बार जाना , मंगलकामनाएं अनु !!
ReplyDeleteआप यदि किसी पे लिखने का सोचेंगी तो वो अनायास थोड़ी ही होगा...कुछ न कुछ पठनीय कथ्य तो मिल ही जायेगा उसमें भी।।।
ReplyDeleteसुन्दर आलेख...
ReplyDeleteपहली बार ... बहुत कुछ जानने को मिला तीन मुनीम के बारे में ... प्रेरक ...
ReplyDeleteतथ्यपूर्ण अच्छा आलेख।
ReplyDeleteकई नई जानकारियां मिलीं।
Aap ke prose mein bhi poetry hai!
ReplyDeleteaaj pahli bar teena g ke bare me padha hai......ab lagta h ki kyun naa kuch or inke bare me net pe b search kiya jaay.....
ReplyDeletewaise mam hamesha ki tarah is bar b aapne bahut khub likha hain...:-)
Lovely blog .... nice and appropriate use of words . congrats .
ReplyDeletedo visit : http://swapnilsaundaryaezine.blogspot.in/2014/03/vol-01-issue-5-march-april-2014-1st-part.html
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