इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Wednesday, June 5, 2013

कि व्यर्थ न जाए एक भी आहुति......(विश्व पर्यावरण दिवस )

एक आकाशवाणी
और बीज अंकुरित हुआ
गर्भ धारण किया माँ ने
नेह सिंचित उस बीज की
पौध हूँ मैं!
मेरी नसों की नीलाई पर
तुम्हारा अधिकार है माँ
मेरे ह्रदय का हर एक  स्पंदन
तुम्हारे व्रत और अनुष्ठानों का प्रतिफल है.
तुम्हारे ओज से ही
मेरा अस्तित्व है
घने अन्धकार भरे इस संसार में...
माँ !
आभारी हूँ तुम्हारी
इस जीवन को पाकर
कृतज्ञ हूँ
वचनबद्ध हूँ सदा के लिए
कि व्यर्थ न जाए तुम्हारी एक भी आहुति ....
करबद्ध हूँ
कर्तव्यों के निर्वाह के लिए,
प्रसन्न रहने के लिए,
जीते रहने के लिए,
कि अब तुम्हारे जीवनदीप की बाती का तेल
मैं हूँ !!!

[सृष्टिकर्ता ने हमें ये हरी भरी पृथ्वी सौंपी जैसे पिता बच्चों के सुपुर्द कर जाते हैं उनकी माँ....जिससे वे चुका सकें सभी ऋण.....]
~अनु ~

34 comments:

  1. Happy environment day to u too :)
    I am planning on planting a sapling today..
    nice ode to mother nature !!

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  2. simply superb. Nice one
    regards Madan

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  3. सुन्दर,सार्थक,प्रेरक...

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  4. पर्यावरण के लिये बहुत ही खूबसूरत भाव अभिव्यक्त किये हैं, बिंब भी बहुत सुंदर लगा.

    रामराम.

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  5. बहुत सुंदर रचना
    सुंदर भाव
    चेतना जागृत करती अच्छी रचना

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  6. सरल शब्दों में सुन्दर रचना ....

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  7. बहुत सुंदर और कोमलता से आपने पर्यावरण बचाने की बात रखी है ...मन प्रसन्न हो गया

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  8. आजकल किसी ब्लॉग पर जा ही नहीं पाती। आज फेसबुक पर आपको देखकर यहां चली आई तो एक साथ चार-पांच पोस्ट पढ़ लिए :)। वैसे मैं कभी कभार लोगों के पोस्ट पढ़कर बिना टिप्पणी किए निकल लेती हूं... बाद में याद आता है कि आनंद तो ले लिया, मगर हाजिरी तो लगाई नहीं:) मगर मेरे ख्याल से हाजिरी लगने से अधिक जरूरी है पढ़ना... है न? वैसे आपकी कविताएं या यूं कहें क्षणिकाएं सीप में मोती की तरह होती हैं, सरल शब्दों में कई बार बड़े गूढ़ विचार होते हैं।

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  9. अत्यंत सुन्दर सोच।
    बहुत गहरी बात कही है।

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  10. माँ ( धरती माँ भी ) के लिये सच्ची कृतज्ञता है यह ।

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  11. बहुत सुन्दर रचना ...गहरे उत्कृष्ट भाव अनु ...!!बहुत सुन्दर ....!!

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  12. अत्यंत सुन्दर सार्थक,प्रेरक रचना .... ...

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  13. आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
    कृपया पधारें

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  14. सुन्दर,सार्थक बहुत गहरी बात कही

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  15. करबद्ध हूँ
    कर्तव्यों के निर्वाह के लिए,
    प्रसन्न रहने के लिए,
    जीते रहने के लिए,
    कि अब तुम्हारे जीवनदीप की बाती का तेल
    मैं हूँ !!!--------

    अदभुत अनुभूति
    सादर

    आग्रह है
    गुलमोहर------

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  16. अनु जी : एक एसी बात जो केवल नारी ही महसूस कर सकती है शायद.

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  17. pita jab saunp jate hain maa ko tab bachchon ki jimmedari badh jati hai maa ke liye...maa ko har khushi de dene ko jee chahta hai...sunder rachna anu...!!
    sasneh

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  18. मेरी ओर से >> http://corakagaz.blogspot.in/2010/12/blog-post.html

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  19. प्रकृति माँ को समर्पित यह कविता, एक माँ के चरणों में सच्ची पुष्पांजलि है!!

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  20. अपने हिस्से की कुदरत को आने वाली नस्ल के लिए बचाले आओ
    महोदया आपने मेरे प्रिय विषय पर बहुत सुंदर और प्रभावी कविता सुनाने के लिए हृदय की गहराई से धन्यवाद

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  21. माँ का क़र्ज़ उतरना संभव नहीं

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  22. प्रयावरण दिवस पर एक सुंदर कविता के माध्यम से गंभीर और सार्थक सन्देश देने का सफल प्रयास.

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  23. बहुत बढ़िया सार्थक प्रस्तुति ..
    ..

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  24. पूर्ण अर्थ लिए हुए कविता ...बहुत खूब

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  25. बहुत सुंदर और प्रेरणादायी रचना

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  26. बढ़िया सार्थक प्रस्तुति ..

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