मेरे आँगन में
पसरा एक वृक्ष
वृक्ष तुम्हारे प्रेम का
आलिंगन सा करतीं शाखें
नेह बरसाते
देह सहलाते
संदली गंध से महकाते पुष्प
कानों में घुलता सरसराते पत्तों का संगीत,
जड़ें इतनी गहरी
मानों पाताल तक जा पहुंची हों
सम्हाल रखा हो घर को अपने कांधों पर.
मगर ये तब की बात थी.....
अब आँगन में बिखरे हैं सूखे पत्ते
जिनकी चरमराहट ही एकमात्र संवाद है मेरा वृक्ष से
तने खोखले हैं
खुरदुरा स्पर्श ...
जड़ों ने दीवारों में दरार कर दी है
ऐसा नहीं कि प्रेम के अभाव में जीवन नहीं
मगर
बड़ा त्रासद है
प्रेम का होना और फिर न होना ....
~अनु ~
पसरा एक वृक्ष
वृक्ष तुम्हारे प्रेम का
आलिंगन सा करतीं शाखें
नेह बरसाते
देह सहलाते
संदली गंध से महकाते पुष्प
कानों में घुलता सरसराते पत्तों का संगीत,
जड़ें इतनी गहरी
मानों पाताल तक जा पहुंची हों
सम्हाल रखा हो घर को अपने कांधों पर.
मगर ये तब की बात थी.....
अब आँगन में बिखरे हैं सूखे पत्ते
जिनकी चरमराहट ही एकमात्र संवाद है मेरा वृक्ष से
तने खोखले हैं
खुरदुरा स्पर्श ...
जड़ों ने दीवारों में दरार कर दी है
ऐसा नहीं कि प्रेम के अभाव में जीवन नहीं
मगर
बड़ा त्रासद है
प्रेम का होना और फिर न होना ....
~अनु ~
दुआ चंदन
ReplyDeleteबस रहे पावन
जहाँ भी रहे !
बंजारे को ख्वाब दिखाते , महलों और मेहराबों के !
ReplyDeleteबरगद तले, बसेरा काफी,मदद न लें इन प्यारों की !
बड़ा त्रासद है
ReplyDeleteप्रेम का होना और फिर न होना ....
जिस पर गुजरता है
वही समझ सकता है
अभिभूत हूँ
इस त्रासदी के लिए शब्द भी कम पड़ जाते हैं..
ReplyDeleteबिलकुल सही, बिन प्रेम जीवन एकदम नीरस
ReplyDeleteऐसा नहीं कि प्रेम के अभाव में जीवन नहीं
ReplyDeleteमगर
बड़ा त्रासद है
प्रेम का होना और फिर न होना ....just awesome.. :)
kya baat hai...khoobsurat rachna!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.बहुत बढ़िया लिखा है .शुभकामनायें आपको .
ReplyDeleteशायद प्रेम भी बसंत के आने और चले जाने वाली अवस्था है, पर यह सतत प्रक्रिया है, बहुत ही सुंदर रचना, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
behatareen, अब आँगन में बिखरे हैं सूखे पत्ते
ReplyDeleteजिनकी चरमराहट ही एकमात्र संवाद है मेरा वृक्ष से
तने खोखले हैं
खुरदुरा स्पर्श ...
जड़ों ने दीवारों में दरार कर दी है
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,अच्छी रचना ,,,
ReplyDeleterecent post : मैनें अपने कल को देखा,
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन यात्रा रुकेगी नहीं ... मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteशुक्रिया रश्मि दी.
Deleteप्रेम जीवन का सबकुछ तो नहीं लेकिन महत्तपूर्णपार्ट है और बिखर जाये तो तकलीफ तो होती ही है ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.
ReplyDeleteमौसम बदलता है .प्यार का मौसम भी बदलता है
ReplyDelete,-सुन्दर रचना
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
pyar ke ahsas ko sabd dena koi aapse seekhe
ReplyDeleteप्रेम का होना फिर न होना ...वही जाने जिसपर बीता हो ..अद्भुत .
ReplyDeletebahut sundar rachna ...prem ke rang hain yah
ReplyDeleteबहुत खूब ...उम्दा
ReplyDeleteखूबशूरत अहसाह ,बेहतरीन प्रस्तुति ,बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteप्रेम के होने और न होने के बीच की यादें बहुत दिल दुखाती हैं ...
ReplyDeleteगहरी अनुभूति से उपजी रचना ...
बहुत सुन्दर.बहुत बढ़िया लिखा है
ReplyDeleteबेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (11-06-2013) के अनवरत चलती यह यात्रा बारिश के रंगों में .......! चर्चा मंच अंक-1273 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
शुक्रिया शशि....
Deleteबहुत सुन्दर.बहुत बढ़िया लिखा है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.बहुत बढ़िया लिखा है
ReplyDeleteबड़ा त्रासद है
ReplyDeleteप्रेम का होना और फिर न होना ....
गहन वेदना दर्शाती सुन्दर प्रस्तुति अनु ....!!
वाह ! सुहानी चांदनी रातें , सोने नहीं देती।
ReplyDeleteऐसा नहीं कि प्रेम के अभाव में जीवन नहीं
ReplyDeleteमगर
बड़ा त्रासद है
प्रेम का होना और फिर न होना ....100% sahmat .....
ऐसा नहीं कि प्रेम के अभाव में जीवन नहीं
ReplyDeleteमगर
बड़ा त्रासद है
प्रेम का होना और फिर न होना .
बेहद सुन्दर याद
बेहद सुन्दर रचना
bahut hi gahanta sy yukt rachna...........
ReplyDeletebeautiful expressions :)
ReplyDeleteloved the concluding lines...
I read somewhere..
it is better to be loved and then lost
than not being loved at all
ऐसा नहीं कि प्रेम के अभाव में जीवन नहीं
ReplyDeleteमगर
बड़ा त्रासद है
प्रेम का होना और फिर न होना ....
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteआपकी मौलिक सोच आपकी बहुत बड़ी संम्पत्ति है।
बहुत सुंदर
मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
प्रेम ही तो जीवन है..कोमल अहसास !
ReplyDeleteमन को कहीं गहरे छूकर...उथल पुथल मचा देता है ..भावनाओं कि गहराई लिए लेखन आपका .
ReplyDeleteतब और अब में आ जाता है अंतर परिस्थितियों का ..... गहन भाव लिए सुंदर रचना
ReplyDeleteअनु जी : वृक्षों के विश्व की आप प्रचार अधिकारी है. वृक्षों में जीवन होता है यह विज्ञान है और जीवन में वृक्ष का होना यह कविता है -- बहुत सुंदर रचना अपने अवसाद की सरसराहट का असह्य संगीत लिए.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ...बहुत दर्दनाक
ReplyDeleteपर जीवन का चक्र है ...युब ही चलता है
.....मर्मस्पर्शी रचना
यह क्या कम है कि प्रेम कभी जीवन में आया तो था , मैं मानती हूँ कि प्रेम की सुखद स्मृतियाँ चिरस्थायी होती है , जीवन भर ख़ुशी देती हैं :)
ReplyDeleteये जो होने का बाद न होना है…!
ReplyDeleteक्या बात है!
ढ़
--
थर्टीन ट्रैवल स्टोरीज़!!!
ये जो होने का बाद न होना है…!
ReplyDeleteक्या बात है!
ढ़
--
थर्टीन ट्रैवल स्टोरीज़!!!
सचमुच बहुत त्रासद होता है ये होकर ना होना...मर्मस्पर्शी रचना... शुभकामनायें
ReplyDeleteजीवन में प्रेम ना हो तो जीवन कितना नीरस हो जाता है ..
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना ...
साभार !
भवनात्मक रचना |
ReplyDeleteसब कुछ है फिर भी कुछ नहीं |
ऐसा नहीं कि प्रेम के अभाव में जीवन नहीं
ReplyDeleteमगर
बड़ा त्रासद है
प्रेम का होना और फिर न होना ....---
जीवन और जीवन के प्रेम राग को सार्थकता से व्यक्त करती अदभुत रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है- पापा ---------
यह रचना जीवन की सच्चाई को बयां कर रही है !
ReplyDeleteलेकिन स्नेह का खाद पानी डाले बिना हम और क्या कर सकते है ?
सुन्दर लगी रचना !
प्रेम का वृक्ष जब तक रहता है तब हर मौसम बसंत बहार है पर जब ये वृक्ष टूटता है तो पतझड़ जैसे जाता ही नहीं...
ReplyDeleteबहुत भावनात्मक अभिव्यक्ति..
Bhavpurn sundar rachana....
ReplyDeleteमगर
ReplyDeleteबड़ा त्रासद है
प्रेम का होना और फिर न होना ....
उफ़ ये खोखली होती जडें ....!!
आप अच्छा लिखती हैं
ReplyDeleteप्रेम भी जीवन का अभिन्न अंग है. इसका होना या ना होना बहुत असर डालता जीवन में.
ReplyDeleteऐसा नहीं कि प्रेम के अभाव में जीवन नहीं
ReplyDeleteमगर
बड़ा त्रासद है
प्रेम का होना और फिर न होना ....
....बहुत मर्मस्पर्शी रचना...
बड़ा त्रासद है
ReplyDeleteप्रेम का होना और फिर न होना ....
कहीं कुछ भीतर उतरता सा...... बहुत सुंदर
मगर
ReplyDeleteबड़ा त्रासद है
प्रेम का होना और फिर न होना .
मर्मस्पर्शी
What a beautiful metaphor and poem. :)
ReplyDeleteऐसा नहीं कि प्रेम के अभाव में जीवन नहीं
ReplyDeleteमगर
बड़ा त्रासद है
प्रेम का होना और फिर न होना....
बहुत सुंदर...
सटीक सुंदर अभिव्यक्ति , शुभकामनाये ,
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे ,,,http://shoryamalik.blogspot.in/
"बड़ा त्रासद है
ReplyDeleteप्रेम का होना और फिर न होना ...." says it all!
An absolutely wonderful creation!!
बड़ा त्रासद है
ReplyDeleteप्रेम का होना और फिर न होना
मार्मिक रचना
अनु जी
ऐसा नहीं कि प्रेम के अभाव में जीवन नहीं
ReplyDeleteमगर
बड़ा त्रासद है
प्रेम का होना और फिर न होना ....
............. मर्मस्पर्शी रचना...
ऐसा नहीं कि प्रेम के अभाव में जीवन नहीं
ReplyDeleteमगर
बड़ा त्रासद है
आह...! वाह...!!! सहजता से प्रकट हुआ यह सत्य कितना मार्मिक है!