इन्होने पढ़ा है मेरा जीवन...सो अब उसका हिस्सा हैं........

Tuesday, April 9, 2013

इन दिनों.......

इन दिनों,
सांझ ढले,आसमान से
परिंदों का जाना
और तारों का आना
अच्छा नहीं लगता
गति से स्थिर हो जाना सा
अच्छा नहीं लगता.....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
इन दिनों,
कुछ दिनों में
बीत गए कितने दिन
मानों
ढलें हो
कई कई सूरज
हर एक शाम...

 ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
इन दिनों 
दहका पलाश 
दर्द देता है.
भरमाता है 
इसका चटकीला रंग
जीवन की झूठी तसल्ली देता सा....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
इन दिनों,
तितलियाँ नहीं करतीं
इधर का रुख...
न रंग है न महक है
इधर इन दिनों...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
 इन दिनों,
ज़िन्दगी के हर्फ़
उल्टे दिखाई देते हैं
तकदीर आइना दिखा गयी है
ज़िन्दगी को इन दिनों !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
इन दिनों ,
चुन रही हूँ कांटे
जो चुभे थे तलवों पर
तुम तक आते आते...
तुम्हारे ख़याल से परे
रख रही हूँ अपना ख़याल 
इन दिनों... 
~अनु ~



64 comments:

  1. बहुत खूब लिखा आपने अनु .हर पंक्ति
    अपने आप मैं सम्पूर्ण

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  2. "इन दिनों ,
    चुन रही हूँ कांटे
    जो चुभे थे तलवों पर
    तुम तक आते आते...
    तुम्हारे ख़याल से परे
    रख रही हूँ अपना ख़याल
    इन दिनों... "

    ऐसे उदास दिनों में यह करने को सबसे माकूल काम होता है . बांटे हुए हिस्सों ने कविता की सुन्दरता में इज़ाफा किया है . मोगेम्बो खुश हुआ इसे पढ़कर .

    बधाई !

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  3. बीत गए कितने दिन
    मानों
    ढलें हो
    कई कई सूरज
    हर एक शाम...

    होता है ऐसा भी मूड ..बस दुआ है जल्दी उबर आओ ऐसी मनःस्थिति से

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  4. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 10/04/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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    1. तहे दिल से शुक्रिया यशोदा.

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  5. कितनी ही बातों का शिकवा जिन्‍दगी से ....
    जिन्‍दगी ने किया
    ... मन को छूती पोस्‍ट
    सादर

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  6. बहुत ही बेहतरीन शब्दों में मन के भावों की प्रस्तुति.

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  7. गुजर जायेंगे यह दिन भी.
    बहुत खूब दर्द उकेरा है.

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  8. उदास मन के उतार चढ़ाव के भावोँ का सुन्दर काव्य चित्रण....।

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  9. इन दिनों बहुत कुछ घटा भी तो है...जिसका दर्द हर शब्द ...हर पंक्ति से उफ़न उफ़नकर बह रहा है ......अनु...

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  10. मन के भावों को व्यक्त करती सुन्दर कोमल अभिव्यक्ति...

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  11. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!anu ji
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार(10 -04-2013) के http://charchamanch.blogspot.in/ साहित्य खजाना पर भो होगी .आप अपनी अनमोल समीक्षा मंच पर जरूर कीजिये , स्वागत है आपका मंच पर

    सूचनार्थ
    सादर
    शशि पुरवार

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    1. आपका बहुत आभार शशि.

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  12. बेहतरीन शब्दों में उदास उदास मन के भावों की प्रस्तुति
    LATEST POSTसपना और तुम

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  13. दहका पलाश
    दर्द देता है.......dard ko bkhoobi ubhara anu jee .....

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  14. मन की पीड़ा लिए हैं सभी रचनाएँ ..... संभाले अपने आप को ...

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  15. इन दिनों
    घट गया है कुछ ऐसा
    कि
    डूब जाते हैं
    न जाने कितनेसूरज
    एक ही संझा को ,
    इन दिनों
    कुछ रहती हो
    डूबी हुई सी
    बस अपने ही ख्याल में
    किसी और के
    एहसास से परे ....
    आखिर कहोगी कि
    क्या हुआ है इन दिनों ?

    बहुत सुंदर..... मन को छूती हुई रचना ।

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  16. मौसम कोई हो
    बदल जाता है
    आज कल में
    ढल जाता है
    शुभकामनायें...

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  17. इन दिनों की बात कुछ दिनों में याद बन कर रह जायेगी ...
    उन दिनों में जीने का सबब बन जाये ....
    शुभकामनायें !!

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  18. इन दिनों ... हर दिन
    सुबह होती है,शाम भी - पर दिखाई नहीं देता मन
    तभी कहीं कोई सरसराहट नहीं
    पर साँसें ले रही हूँ खुद से बेखबर इनदिनों

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  19. हर सुबह शाम में ढल जाता है
    हर तिमिर धूप में गल जाता है
    ए मन हिम्मत न हार
    वक्त कैसा भी हो
    बदल जाता है ….

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  20. Hum zindagi ke achhe lamhon ko jite hue 'in dino' se bhi bakhubi gujrte hain aur in chijhon ka anubhav karke hi humari zindagi kisi behtari ke talash me aage badhti jati hai.
    Gahre bhav liye hue,umda rachna.

    Sadar.

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  21. बहुत सुंदर भावभीनी प्रस्तुति.अनु जी.....
    धन्यवाद.....

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  22. आज की ब्लॉग बुलेटिन दिल दा मामला है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया...

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  23. इन दिनों का बेहतरीन चित्रण ...

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  24. इन दिनों,
    ज़िन्दगी के हर्फ़
    उल्टे दिखाई देते हैं
    तकदीर आइना दिखा गयी है
    ज़िन्दगी को इन दिनों !!

    बहुत खूब.....

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  25. इन दिनों के वक़्त को ठीक होना है ..और ठीक हो जाएगा ...संभालिये ....खुद को ...वक़्त यही कह रहा है ....

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  26. लगता है
    हमारी अनु का
    मन
    ठीक नहीं है
    इन दिनों ....:)

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  27. badi khoobsurti se vairagya ka dard bayan kiya hai!

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  28. इन दिनों,
    कुछ दिनों में
    बीत गए कितने दिन
    मानों
    ढलें हो
    कई कई सूरज
    हर एक शाम...

    समय चल रहा है तेज़ी से ... ये तो अच्छी बात है ... नहीं तो ये वक़्त कटता नहीं है कई बार ...
    हर ख्याल बेहतरीन ...

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  29. in dino dard jayda ubhar raha aapke shabdo me :)
    ya awen hi .... :)
    aap behtareen likhte ho.......

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  30. इनदिनों इतना कुछ हो रहा है और हमको पते नहीं चला :)
    शेम ओन मी !!

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  31. जब वे दिन नहीं रहे तो ये दिन भी नहीं रहेंगे।
    बढ़िया भावनात्मक प्रस्तुति।

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  32. kavita ke sath stah aapke blog ki ye roses wali theme bhi bahut khoobsoorat hai

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  33. इन दिनों
    मैं दूर था
    इस ब्लॉग की दुनिया से
    कितनी खूबसूरत नज्में मुझसे मिल न पाईं,
    और न जाने
    कितनी अनदेखी रहीं.
    पर अब लगा
    टूटा हुआ था इक कनेक्शन
    मेरे दिल से
    ड्रीम्स एन' एक्सप्रेशन सारे
    थे बड़े बिखरे हुए से.
    इन दिनों!!
    /
    अनु, बहुत खूबसूरत मालिका है एक्सप्रेशंस की!!

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  34. मंगल कामनाएं सुंदर दिल के लिए ...

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  35. इन दिनों
    ये जो घटता है
    घट ही जाता है

    मैंने देखा है
    फिर आती है बहार
    तारे,सूरज और तितलियों में ही
    मिलता है ज़िंदगी का हर्फ़

    रहता है बस,उनका ही ख़याल
    खिलता है पलाश फिर से
    जिन दिनों !

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  36. इन दिनों,
    ज़िन्दगी के हर्फ़
    उल्टे दिखाई देते हैं
    तकदीर आइना दिखा गयी है
    ज़िन्दगी को इन दिनों !!

    ....अंतस को नम करते अहसास...बहुत मर्मस्पर्शी रचना...

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  37. बहुत सुंदर , बहुत सुंदर
    क्या कहने, अच्छी रचना

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  38. इन दिनों....
    बहुत कुछ कह दिया... अनु!
    दिल को छू गयी हर रचना.....
    <3

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  39. सदा की तरह पुनः भाव-विभोर करती पंक्तियाँ ।

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  40. अनु जी :
    • ‘इन दिनों’ आप भी कहाँ इस फोरम में दीखते हो...? दिखाई देने के लिए शुक्रिया
    • प्रथम अंतरा पढते ही निदा साहब का नगमा –‘..कई दिनों से शिकायत नहीं ज़माने से...याद आ गया..’ उस स्थिति का बिलकुल दूसरा अंतिम व्यक्त हुआ है यहाँ...
    • दूसरे अंतरे से मेरी कविता की पंक्तियाँ याद आ गई जो कुछ ऐसे है :
    कभी कभी ऐसा भी होता है की
    दिन ढल जाए और
    सूरज उगे ही नहीं...
    • दहके पलाश का चटकीला रंग...!!, तितलियों का रुख न करना...!! अदभुत चित्र...!!
    • ख्यालो से परे ख़याल...!!—यह रचना बहुत समृध्ध है प्रहरो तक जुगाली करने के लायक- बहुत बहुत धन्यवाद---

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  41. You need more care 'in dino' - :-) Profound!

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  42. बहुत सुंदर दिल को छूने वाली प्रस्तुति..

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  43. at the end of the day we just sit back n muse :)
    your musings are lovely and deep as ever

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  44. इन दिनों,
    ज़िन्दगी के हर्फ़
    उल्टे दिखाई देते हैं
    तकदीर आइना दिखा गयी है
    ज़िन्दगी को इन दिनों !!

    अति सुंदर...........

    इन दिनों
    मौसम खुला खुला-सा
    आसमान साफ.
    दर्पण में रूप
    जीवन का
    हूबहू दिखाई देता है.......

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  45. इन दिनों क्या हो गया है
    मन का रंग कहां खो गया है
    इन दिनों ।

    बेहतरीन ।

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  46. अंतिम पंक्तियाँ बिलकुल छू गयीं अनु दी।

    इन दिनों ,
    चुन रही हूँ कांटे
    जो चुभे थे तलवों पर
    तुम तक आते आते...
    तुम्हारे ख़याल से परे
    रख रही हूँ अपना ख़याल
    इन दिनों...


    बेहतरीन!
    सादर
    मधुरेश

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  47. इन दिनों,
    तितलियाँ नहीं करतीं
    इधर का रुख...
    न रंग है न महक है
    इधर इन दिनों...

    गंभीर संवेदनशील प्रश्न. सारी क्षणिकाएँ बहुत सुंदर.

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  48. नवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाये
    आपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
    बहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    मेरी मांग

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  49. किसी और के
    एहसास से परे ....
    आखिर कहोगी कि
    क्या हुआ है इन दिनों ?

    बहुत सुंदर..... मन को छूती हुई रचना ।

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  50. बहुत सुन्दर

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  51. First time on your blog, and I must say, it is compelling. I liked your profile too.

    And this was a beautiful poem i read. LOVED IT ANU. keep writing.

    In Dino.. beautiful thought. :)

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  52. बेहतरीन लय , इन दिनों के धागे में पूरी कविता को करीने से पिरोया है |

    सादर

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